Raj gharane ki Dawat - 4 in Hindi Comedy stories by pooja books and stories PDF | राज घराने की दावत..... - 4

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राज घराने की दावत..... - 4

राज घराने की दावत, 4

मतकु राम :- "तुम्हें कितनी बार समझाया है कि मेरे काम के बीच में मत बोला करो,,, मत बोला करो,, लेकिन तुम्हारे समझ नहीं आता क्या????? तुम इतना भी नहीं समझ सकती कि मैं इतनी देर क्यों की है,,, ईश्वर ने तुम्हें इतनी बुद्धि नहीं दी है क्या????"
वह अपनी पत्नी देवा को डांटे हुए उसको बोलना है 

" पता है जल्दी जाने से अपमान होता है जजमान समझता है कि हम भुक्कड़ हैं, हम खाने के लिए आए हैं,, हम लोभी लोग हैं,,,, 

इसलिए चतुर और बुद्धिमान लोग जाने में देरी करते हैं..... ताकि जजमान समझे कि उनके पास तो समय ही नहीं है,भूल गए होंगे,और बुलाने के लिए लोगों को भेजेगें,,,इससे मान सम्मान जो बढ़ता है ना वह समय पर मुर्ख की तरह जाने से कभी नहीं बढ़ता......
और मैं भी यही प्रतीक्षा कर रहा हूं कि कब महारानी जी हम लोगों को बुलाने के लिए अपने लोगों को भेजें.....
थोड़ा सा खाना मुझे भी दे दो, और बच्चे को खिला दिया ना तुमने????? "

देवा :-उ"न्हें तो मैंने साँझ को ही खिला दिया था "

मतकू राम :- "कोई सोया तो नहीं है ना???"

"आप चिंता मत कीजिए मैंने उन्हें दो दो निवाला ही खाना खिलाया है.....यदि यहां पर भरपेट खा लेते तो फिर वहां पर जाकर क्या मेरा सर खाते???"

मतकू राम :- "अभी वह सब कहां पर है???"

देवा :-" वह सभी अब छत पर बैठे हैं"
फिर देवा बोलती है कि "अजी सुनते हो मार पिटाई हो रही है...."

मतकू राम :- "मेरा मन तो कर रहा है तुम्हारी गर्दन पड़कर तुम्हें यहीं पर मरोड़ दूँ.....लेकिन तुम यह तो बताओ तुम लड़ाई क्यों कर रहे हो??"
मतकू राम का एक पुत्र कहता है कि" पिताजी इसने मेरी दो टुक ही तो रोटी थी और वह भी ले ली,,,,,तब दूसरा पुत्र कहता है कि पुत्र आप पिताजी मुझे भूख लगी थी तब मैंने.......  "और वह चुप हो जाता है...

मतकू राम उन दोनों के बात सुनकर कहता है की" बुद्धि नहीं है क्या???? तुमने तुम्हें इसलिए कम खाना दिया गया है ताकि तुम वहां पर जाकर भरपेट अच्छे से स्वादिष्ट भोजन खा सको.... "

फिर देवा अपनी गलती मानते हुए कहती है कि" माफ कर दीजिएगा  मुझ से भूल हो गई.......मुझे इनको बिल्कुल भी खाना नहीं देना चाहिए था.... फिर यह आपस में झगड़ते ही नहीं लेकिन मैं भी क्या करती हूं इतना चिल्ला रहे थे कि सुना भी मुश्किल हो रहा था"

मतकु राम :-
रो ही तो रहे थे ना????तो रोने देती,,, रोने से कौन सा इनका पेट भर जाता रोने से उल्टा इनकी भूख बहुत ज्यादा बढ़ जाती "


तभी बाहर से एक आदमी की आवाज आती है कि" पंडित जी!!!!!महारानी ने आपको बुलाया है जल्दी से चलो और अपने साथ लोगों को लेकर आ जाओ शीघ्रता से आओ देर मत करो..... "

बाहर से उसे आदमी की आवाज सुनकर मतकु राम जल्दी से गेट पर जाता है और बोलता है कि" तुमने अच्छा किया जो तुम समय पर आ गए....यदि तुम 1 मिनट भी और लेट हो जाते तो मैं और किसी के यहां कथा करने चला जाता मुझे तो तुम्हारे बिल्कुल भी याद नहीं था आना....... चलो अब देर ना करते ही शीघ्रता से चलते हैं "

फिर 9,, 9:30 बजे के करीब मतकू राम अपने बच्चों और पत्नी सहित महारानी जी के दरबार में पहुंचते हैं महारानी जी बड़ी ही विशाल का है और प्रतिभाशाली महिला है और देखने में भी बड़ी ही सुंदर है 
महारानी जी के आगे पीछे उनके सेवा में लोग खड़े हुए हैं और उनके पास बिजली के दो पंखे चल रहे हैं और वह मखमल के तकिया अपने अगल-बगल लगाए हुए आराम फरमा रहे होती हैं 
मतकू राम को देखकर महारानी जी उठाती हैं और मतकू राम के चरण स्पर्श करती हैं 

महारानी जी पंडित जी के चरण स्पर्श करने के बाद उन बच्चों को देखते हुए मुस्कुरा कर  कहती है कि" पंडित जी!!! इन बाल गोपाल बच्चों को आप कहां से पकड़ ले? "


मतकू राम :-
" क्या करता!!!! महारानी जी!!!!पूरे नगर में घूम लिया लेकिन किसी भी पंडित ने आना स्वीकार ही नहीं किया......... कोई किसी के यहां निमंत्रित हैं तो कोई किसी के यहां,,,,, कोई भी आने को तैयार नहीं था....फिर यह सब देखकर मेरा तो माथा ही चकरा गया था फिर मैं उन सब से कहा कि कोई ऐसा प्रतिबंध कीजिए कि मुझे लज्जित ना होना पड़े,, और फिर मैं सब पंडितों के घर से एक-एक बच्चे को ले लिया और इनको ही साथ लेकर आ गया क्यों..... सेवाराम?? "