Raj gharane ki Dawat - 2 in Hindi Comedy stories by piku books and stories PDF | राज घराने की दावत..... - 2

The Author
Featured Books
Categories
Share

राज घराने की दावत..... - 2





फिर पंडित अपने पुत्रों से कहता है कि मान लो तुम लोगों से महारानी ने पूछा कि तुम कहां-कहां से हो और तुम्हारे पिता के नाम क्या है.......तो बताओ तुम क्या जवाब दोगे?

सोचो यह तो महान मूर्खता होगी ना कि तुम सब वहां पर मेरा नाम ले दोगे..... कितनी लज्जा की बात होगी ना कि एक महान विद्वान पंडित  दान दक्षिणा के लिए इतना बड़ा कुछ चक्कर रच रहा है........
इसलिए तुम सभी थोड़ी देर के लिए यह भूल जाओगे तुम लोग मेरे पुत्र हो..... तुम्हें अपने पिता के नाम अलग-अलग बताने हैं जब कोई तुमसे पूछे तो......

मतकू राम का एक पुत्र कहता है "पिताश्री हम अपने पिता का नाम कैसे बदल ले "
"अरे संसार में कोई नाम की कमी है क्या कोई भी चुनकर नाम बता दो और फिर नाम बदलने से क्या कोई गली लगती है क्या थोड़ी देर के लिए ही तो बदलना है "

फिर उसका पुत्र कहता है "तो पिता श्री आप ही बात की बता दीजिए...."

हां तुमने बहुत बढ़िया किया यह काम मैं स्वयं ही करता हूं मैं ही तुम्हें नाम बताता हूं.....
"सीताराम सुनो तुम्हारे पिता का नाम होगा दौलत राम" और 
"देवराम तुम सुनो तुम्हारे पिता का नाम होगा बिरजू राम" और
" मंगलुराम तुम सुनो तुम्हारे पिता का नाम होगा छोटे राम" और 
"राधेश्याम तुम्हारे पिता का नाम होगा बुद्धू राम  "

और 
"वेद राम तुम्हारे पिता का नाम होगा छूटकू राम "

चलो अब मैं तुम्हारी परीक्षा लेता हूं सावधान होकर बताना...
" सीताराम तुम्हारे पिता का क्या नाम है"
" की दौलत राम '
"
" मंगलुराम तुम्हारे पिता का क्या नाम है"
"जी छोटे राम"

" देवराम तुम्हारे पिता का क्या नाम है"
" जी बिरजू राम "
इस इस मतकू राम अपने पांचो पुत्रों से अपने बताइए नाम पूछता है 

लेकिन उसके दो पुत्र नाम भूल जाते हैं "भूल गए ना तुम एक पंडित के पुत्र होकर एक नाम भी याद नहीं रख सकते"
मतकू राम बच्चों की परीक्षा ले ही रहे होते हैं तभी उसका दोस्त पंडित सुधि राम आ जाता है
" अरे मत को राम किस चीज की परीक्षा ले रहा है तो बच्चों की कहानी से कोई न्योता आया है क्या तुझे...... "

"अरे नहीं नहीं मैं तो बस ऐसे ही बच्चों से कुछ अक्सर पढ़ा लिखा रहा था एक आधा अक्षर सीखेंगे तभी तो यह कुछ कर पाएंगे आगे........ "
" तुम मुझसे झूठ बोल रहा है तुमहे देखकर लग तो रहा है कि तुम्हें कहीं से कोई न्योता आया है अकेले-अकेले दावत खाने का इरादा है क्या अपने दोस्त को लेकर नहीं जाएगा..... "

" सुधि राम की बात सुनकर मत कुरान एकदम से जब जाता है और वह कहता है कि नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है और फिर सुदी राम उसके सबसे छोटे पुत्र को बुलाता है और कहता है बेटा तुमने क्या सीखा....? "

फिर सुधीराम मत को राम के बेटे को बुलाता है


" वेदराम यहां तो आओ अपने पिता से तुमने क्या सीखा है मुझे भी बताओ? "
"वेदराम   कहता है पिता श्री ने एक नाम सिखाया है वह भी याद है मुझे और फिर भी कहते हैं कुछ याद नहीं रखते हो तुम "
और फिर वह रोने लगता है उसको रोता देखकर सुदी राम उसको गले लगा लेता है और फिर वह समझ जाता है कि मत को राम कुछ ना कुछ गड़बड़ तो कर रहा है.....

"और फिर मत को राम के छोटे बेटे वेदराम को लेकर सुदी राम वहां से भाग जाता है जब वह भागता है तो उसके पीछे-पीछे मतकू राम भी भागने लगता है लेकिन मतकू राम का तो पेट खुद इतना बड़ा है वह भागते-भाग तक जाता है लेकिन सुदी राम उसके पुत्र को गोदी में लिए भागता रहता है उनकी ऐसी भाग दौड़ देखकर पूरे गांव में सब लोग हंस रहे थे  फिर जैसे-जैसे वह भाग रहे थे तो कुछ बच्चे उनके पीछे-पीछे दौड़ने लगे और सब हंसी की थोड़ी करने वालों की दो विद्वान कैसे एक दूसरे के पीछे भाग रहे हैं उनकी यह दौड़ सुदी राम के घर जाकर खत्म होती है.......... मटकुरम हंसता रहता है और हंसाते हफ्ते उसके घर पहुंच जाता है फिर सुधी राम उसको कहता है कि "यार!!!!हम तो दिल लगे हैं बचपन के दोस्त कभी अकेले नहीं जाते फिर तो अब मुझसे क्यों कुछ छुपा रहा है बता कहां से न्योता आया है?"
"तब मतकू राम कहता है कि नेता तो आया है लेकिन मुझे यह नहीं पता कहां से आया है पर इतना पता है किसी बड़े राज घराने के महारानी भोज करवाने वाली है... "

और फिर सुधीराम कहता है "अब भी तू सच-सच बता दे झूठ मत बोल लेकिन मतकू राम उसको बताता नहीं है वह कहता है कि जहां पर हमें थोड़ी भीड़ भाड़ लगेगी हम समझ जाएंगे कि यहां पर यहां इसी महारानी में भोजन के लिए नेट भेजा था और वैसे भी इतनी महारानियां है क्या पता किसके राज भवन से हमें नहीं होता आया है "

इतना कह कर मतकू हफ्ते-हाँफ्ते अपने घर आ जाता है और आकर के सो जाता है फिर उसके पीछे-पीछे सुधीराम और मतकू राम का बेटा वेदराम दोनों आते हैं जब सुधी राम मतकू राम के घर आता है तो उसको लेटा हुआ देख कर कहता है "मतकू राम क्या हुआ तुझे तब मत कुरान कहता है अब भी मुझसे पूछ रहा है क्या हुआ और वैसे भी तूने मेरे पुत्र से तो सब पूछ लिया होगा इसीलिए तो तो इसको लेकर भागा था"

"नहीं मतकू राम मैं तुम्हारे पुत्र वेद राम से कुछ भी नहीं पूछा है तुम चाहो तो इससे पूछ सकते हो "

इतनी बात सुनकर मतकू राम सुदी राम को कहता है कि "अब झूठ क्यों बोल रहा है तू"

" फिर सुदी राम उसको विश्वास दिलाने के लिए कहता है कि मैं जनेऊ धारण कर रखे हैं इन पर तो विश्वास करता होगा ना की जनेऊ धारण करके मैं झूठ नहीं बोल सकता हूं"