Tilismi Kamal - 7 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 7

Featured Books
Categories
Share

तिलिस्मी कमल - भाग 7

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ----------------------💐💐💐💐💐


कपड़े के पीछे किसी इंसान का नही बल्कि एक लोमड़ी का चेहरा था । उस लोमड़ी ने अपनी थूथनी उठाकर राजकुमार की ओर देखा और जादूगरनी से इंसानी आवाज में कहा - " मां .... राजकुमार मुझे देखकर डर क्यो गए ? क्या मैं सुंदर नही हूँ ? "

जादूगरनी ने आगे बढ़कर लोमड़ी को प्यार करते हुए कहा - "  नही बेटी यह डरा नही है  बल्कि तुम्हारी सुंदरता देखकर चकित रह गया है । इस राजकुमार से अच्छा और कोई नही हो सकता है इसलिए इसे मैंने तुमसे विवाह करने के लिए बहुत दूर से बुलाया है । "

जादूगरनी उसे समझाने लगी । और राजकुमार धरमवीर जादूगरनी को खा जाने वाली निगाहों दे घूर रहा था । उसकी समझ मे नही आ रहा था कि जादूगरनी को पागल या मूर्ख समझे ।

जादूगरनी अपनी लोमड़ी बेटी चाँदनी को समझा रही थी कि राजकुमार बहुत अच्छा इंसान है । यह तुम्हे छोड़कर कही नही जाएगा ।मैंने इसका पूरा इंतजाम कर रखा है ।मेरे उड़ने वाले गुलाम नाग इसे महल से बाहर निकलने नही देंगे ।

जादूगरनी राजकुमार के पास आई और गुर्राकर बोली - " क्या तुम चांदनी से विवाह करोगे ? "

राजकुमार गुस्से में बोला - " सवाल ही नही पैदा होता है मैं इस लोमड़ी से शादी नही करूँगा । "

यह सुनते ही लोमड़ी रोने लगी । जादूगरनी ने राजकुमार को घूरा और बोली - " राजकुमार मैंने मना किया था न कि दिल तोड़ने वाली बात मत करना पर तुम नही माने ।" 

राजकुमार और भी गुस्से में बोला - " मुझे भी नही पता था की तुम्हारी बेटी एक इंसान नही बल्कि एक बदसूरत लोमड़ी होगी ।न जाने तुमने कहाँ से इस लोमड़ी को पकड़ कर अपनी बेटी बना लिया है । "

जादूगरनी दहाड़ उठी - " जुबान को लगाम दो राजकुमार, मैं अभी तुम्हारा इंतजाम करती हूं ।  "

इतना कहने के बाद जादूगरनी ने ताली बजाई । तुरन्त ही कमरे में पचासों उड़ने वाले नाग प्रकट हो गए । जादूगरनी ने नागों से कहा - " इस कमबख्त राजकुमार को कमरे में ले जाकर बंद कर दो । मैं जल्द ही आकर इसे सजा दूंगी । "

उड़ने वाले नागों ने राजकुमार के शरीर अपने गिरफ्त में लेकर दरवाजे की तरफ खींचा । और फिर उस कमरे की तरफ बढ़े जिसमे राजकुमार ने रात बिताई थी ।

कमरे में लाकर नागों ने राजकुमार को छोड़ दिया और वँहा से वापस चले गए । उनके जाने के बाद राजकुमार धरमवीर सोचने लगा कि अब जादूगरनी से किस तरह पीछा छुड़ाया जाए ।

दूसरे कमरे में नगीनो की मलिका जादूगरनी अपनी बेटी को सांत्वना देते हुए कहा रही थी ।

" तुम चिंता न करो बेटी ! मैं तुम्हारा विवाह इसी राजकुमार से कराऊंगी । उसकी क्या मजाल वह तुमसे विवाह न करे ।मेरी जरा सी सजा उसे तुमसे विवाह करने के लिए मजबूर कर देगी । "

राजकुमार धरमवीर उसकी आवाज सुन रहा था । उसने म्यान से तलवार निकाली और दरवाजे के पीछे खड़ा हो गया । जादूगरनी कुछ देर तक अपनी बेटी को समझाती रही । फिर वह कमरे से निकलकर राजकुमार के कमरे की तरफ बढ़ी ।

जैसे ही उसने राजकुमार वाले कमरे में कदम रखा । राजकुमार ने दरवाजे के पीछे से निकलकर उस पर हमला कर दिया । तलवार के एक ही वॉर ने जादूगरनी नागरानी का सिर धड़ से अलग कर दिया ।

जादूगरनी के मरते ही वँहा एक क्षण के लिए अंधेरा छा गया । जब फिर से उजाला हुया तो वहां केवल एक ही चीज चमक रही थी । वह थी लाल मोतियों की माला । उसके अलावा वँहा न कोई महल था और न ही नगीनो की मलिका ।

हर वस्तु गायब हो चुकी थी । और राजकुमार पहाड़ की चोटी में अकेला खड़ा था । राजकुमार ने वह माला उठा कर जेब मे रख ली ।

अब राजकुमार पैदल ही पहाड़ से उतर कर जंगल की ओर चल दिया । जंहा उसका घोड़ा बादल रह गया था । राजकुमार  चलते चलते थक गए थे अब उन्हें भूख लगने लगी थी ।

कुछ खाने की तलाश में राजकुमार इधर उधर घूम रहे थे । तभी राजकुमार की नजर एक गुफा की ओर पड़ी जिसमे से एक हल्की रोशनी बाहर आ रही थी । गुफा के अंदर कुछ खाने को मिल सकता है यह सोच राजकुमार गुफा के अंदर जाने की सोची ।

राजकुमार चौकन्ना होकर गुफा की तरफ धीरे धीरे बढ़ चला । राजकुमार जैसे जैसे अंदर जा रहा था वैसे ही उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था ।

गुफा के अंदर पहुंचते ही राजकुमार को बहुत सारे जानवरो की हड्डियां दिखाई पड़ी । राजकुमार समझ गया कि यह गुफा किसी दानव की  है । राजकुमार अब और सतर्क होकर बढ़ने लगा । 

गुफा के कुछ और अंदर जाने पर राजकुमार को एक पिंजड़ा दिखाई जिसमे एक लड़की कैद थी । राजकुमार धरमवीर ने चारों तरफ अपनी नजर घुमाई तो उसे कोई नही दिखाई दिया ।राजकुमार पिंजड़े के पास धीरे धीरे पहुंचा । 

जिसमे वह लड़की अपना सिर अपने घुटनों में रखे चुपचाप बैठी थी । राजकुमार ने उस लड़की से पूछा - " आप कौन है और आपको यहाँ पर किसने कैद किया है ? "

इंसानी आवाज सुनकर लड़की चौंक पड़ी । और सर उठा कर देखा तो उसके सामने एक सुंदर नौजवान खड़ा था । लड़की ने घबराते हुए पूछा तुम कौन है ? और इस गुफा में कैसे आ गए? "

राजकुमार - " मैं सुंदरगढ़ का राजकुमार धरमवीर हूँ और मैं यँहा पर खाने के तलाश में भटकता हुया आ गया । "

राजकुमार का परिचय जानकर लड़की की घबराहट कुछ कम हुई और वह राजकुमार से बोली - " मैं परीलोक की राजकुमारी सुकन्या हूँ और इस गुफा में रहने वाले दानव ने मेरा अपहरण कर लिया है । वह मुझे मारकर शक्तिशाली बनना चाहता है ताकि वह परीलोक में राज कर सके ।उसने मेरी जादुई छड़ी भी छीन ली है । और मैं उस जादुई छड़ी के बिना शक्तिहीन हूँ । तुम यहाँ से चले जाओ वरना वह तुम्हें भी मार देगा । मैं तो बच नही पाऊंगी कम से कम तुम तो बच जाओगे । "

राजकुमार ने सुकन्या से कहा - " नही , मैं एक राजकुमार हूँ और मेरा कर्तव्य है कि अगर मेरे सामने कोई मुसीबत में है तो मैं उसकी मदद करूँ चाहे मदद करने में मेरे प्राण ही क्यो नही  चले जाएं मैं तुम्हारी मदद करूँगा अब बताओ तुम्हे यँहा से कैसे आजाद कराया जा सकता है ? "

सुकन्या परी राजकुमार से बोली - " धन्य है वह माता पिता जिसके तुम पुत्र हो । सुनो , आज पूर्णिमा की रात है वह मुझे आज की रात में ही मार कर शक्ति हासिल कर सकता है इसलिए अब तक उसने मुझे पिंजरे में कैद रखा था ।  दानव जब आज रात को इस गुफा में मुझे मारने के लिए आएगा  तो  पहले वह कई तांत्रिक क्रियाएं करेगा । क्रिया करते समय वह अपने प्राण एक तोते में छोड़ देता है और वह तोता हवा में उड़ता रहता है अगर उस तोते को हवा में ही मार दिया जाए तो वह दानव मर जायेगा । " 

राजकुमार ने सुकन्या परी को सांत्वना देते हुए कहा - " वह दानव अब तभी तुमको मार पायेगा जब मैं उसके हाथों मारा जाऊं ।" 

सुकन्या राजकुमार की बातें सुनकर खुश हो गयी । अब राजकुमार दानव का आने का इंतजार करने लगा । उसकी भूख प्यास सब मिट गई बस वह दानव को मारने के बारे में सोच रहा था ।  

तभी अचानक गुफा में किसी के चलने की आवाज आने लगी । सुकन्या ने राजकुमार को बताया कि वह दानव ही यहाँ पर आ रहा है । तुम छुप जाओ । राजकुमार वही एक जगह में छुप गया । 

राजकुमार को वहाँ से सब कुछ दिखाई दे रहा था लेकिन राजकुमार कोई नही देख सकता था । थोड़ी देर में परी सुकन्या के पास एक दानव आया जो दिखने में बड़ा ही भयानक लग रहा था । बड़ी बड़ी आंखे , लंबे लंबे नाखून गले मे हड्डियों की माला । 

दानव वही पर बैठकर अपने जादू से एक हवन कुंड बनाया। और अपने प्राण एक तोते में छोड़ कर वह तांत्रिक क्रियाएं करने लगा । राजकुमार इसी मौके की तलाश में था कि कब वह अपने प्राण तोते में छोड़े और यह तोते को मार दे ।

राजकुमार तोते को मारने के लिए धनुष में तीर तानकर कर तोते का निशाना लगाया । तीर सीधा तोते को लगा लेकिन तोता मरा नही बल्कि घायल होकर दानव से थोड़ा दूर जाकर गिर गया।

इधर दानव दर्द से कराह उठा वह समझ गया कि तोते को मारने की किसी ने चेष्टा की है । वह तुरन्त अपना हवन यज्ञ छोड़कर तोते को बचाने के लिए दौड़ा । लेकिन तब तक इधर राजकुमार ने अपने धनुष पर फिर तीर चढ़ाया और तोते की ओर छोड़ दिया । दानव के पहुंचने से पहले तीर तोते के लग गया । 

तोते के वही प्राण पखेरू उड़ गए और साथ मे दानव भी वही पर तड़प कर मर गया । दानव के मरते ही सुकन्या परी आजाद हो गई । और जादुई छड़ी वापस उनके हाथ मे आ गई ।

आजाद होते होते ही सुकन्या परी दौड़कर राजकुमार धरमवीर के गले लग गयी । मानो अपना दिल राजकुमार को दे दिया हो । राजकुमार धरमवीर भी शायद सुकन्या को पसंद करने लगे थे इसलिए उन्हें गले मिलने से नही रोका ।

थोड़ी देर सुकन्या राजकुमार से थोड़ी दूर हुई तो शर्म के वजह से अपनी गर्दन नीचे  झुका ली । फिर बोली - आप इस भयानक जंगल मे क्यो भटक गए थे ? "

राजकुमार धरमवीर ने सुकन्या परी को अपनी पूरी कहानी बता दिया । और बोले - " जिनमे से मुझे तिलिस्मी पत्थर , चमत्कारी मणि और लाल मोतियों की माला मिल गयी है लेकिन अभी तिलिस्मी फल और स्वर्ण पंख खोजने है  जिन्हें मैं नही जानता कि वे सब कहा मिलेंगे ?" 

सुकन्या परी खुश होते राजकुमार से बोली - " मुझे पता है कि दोंनो कहाँ मिलेंगे ? "

सुकन्या परी की बात सुनकर राजकुमार खुश हो गया और बोला - " तो हमे बताइये ये दोनों चीजे कहाँ मिलेगी ? "

सुकन्या परी - " तिलिस्मी फल एक उड़ते टापू में मिलेगा । और वह उड़ता टापू  केवल परी लोक से ही दिन में एक बार गुजरता है । तिलिस्मी फल के लिए आपको मेरे साथ परीलोक चलना होगा । और आप जब तिलिस्मी फल ले आएंगे तब उसके बाद आपको मैं स्वर्णपँख के बारे में बता दूंगी ।" 

राजुकमार - " तो फिर हमें परी लोक ले चलिए जहाँ उड़ता टापू मिलेगा । "

इसके बाद सुकन्या परी ने अपने जादुई छड़ी से एक जादुई कालीन प्रकट किया । राजकुमार और सुकन्या परी दोनों उसमे बैठ कर  परीलोक के लिए चल दिये । 





                         क्रमशः ............................💐💐💐💐💐💐💐


यह भाग आप सब को पढ़कर कैसा लगा यह अपनी अमूल्य समीक्षा देकर जरूर बताएं । और अगला भाग हम जैसे ही प्रकाशित करे । वह आप तक पहुंच जाए इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें । अगले भाग तक सभी को राम राम



विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश 
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️