Momal :Diary ki gahrai - 3 in Hindi Horror Stories by Aisha Diwan Naaz books and stories PDF | मोमल : डायरी की गहराई - 3

Featured Books
  • ડાન્સિંગ ઓન ધ ગ્રેવ - 2

    સ્વામી શ્રદ્ધાનંદની ખલીલી પરિવારમાં અવર જવરના સમયે ઇરાનની રા...

  • horror story

    હવે હું તમને એક નાની ભયાવહ વાર્તા સાંપડું છું:એક ગામમાં, રાત...

  • ઢીંગલી

    શિખા ને ઉનાળાનું વેકેશન પડ્યું હતું, તે હવે ચોથા ધોરણમાં આવવ...

  • હમસફર - 18

    વીર : ( શોકડ થઈ ને પીયુ ને જોવે છે) ઓય... શું મુસીબત છે ( એ...

  • ફરે તે ફરફરે - 12

    ફરે તે ફરફરે - ૧૨   એકતો ત્રણ ચાર હજાર ફુટ ઉપર ગાડી ગોળ...

Categories
Share

मोमल : डायरी की गहराई - 3

डायरी का ये हिस्सा पढ़ने के बाद अब अब्राहम उसी पल में खो गया। जब तक उसने पढ़ा तब तब उसे ऐसा लग रहा था के वो सब उसके आंखों के सामने हो रहा है जैसे उसके दिमाग में एक फिल्म चल रही हो। वो भूल ही गया के आधी रात गुज़र चुकी है। उसके दिमाग में अब एक ही नाम गूंज रहा था "मोमल मैरी" वो मन ही मन बिना पलके झपकाए ये सोच रहा था के आखिर उस छोटी लड़की ने इतना कुछ कैसे सह लिया ? कितनी मज़बूत हौसले वाली है वो! जिस नाम से वो नफरत करती है उस नाम को उसने अपनी डायरी में लिखा है, कितनी तकलीफ हुई होगी उसे ये सब लिखने में और शायद रोई भी होगी! मैं तुम्हे एक बार देखना चाहता हूं आखिर तुम दिखती कैसी होगी। तुम एक मेंटल ट्रॉमा के साथ जी रही हो फिर भी तुम्हारे शब्दों को पढ़ कर लग रहा है की अब भी तुम में काफी एनर्जी बची है और एक मैं हूं जिसे एक लड़की ने धोखा क्या दिया मैने दुनिया से खुद को अलग कर लिया और बिलकुल अकेला हो गया! तुम्हारे आगे मैं खुद को बहुत कमज़ोर मेहसूस कर रहा हूं।"

ये सब सोचते सोचते उसे खयाल आया के "ये डायरी यूनिवर्सिटी के कैंपस में कैसे आई होगी ? क्या कल मोमल मैरी वहां आई थी? अच्छा.... अब मैं समझा! वो लाइब्रेरियन बनना चाहती है और कल यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू चल रहा था। i wish के वो सेलेक्ट हो जाए! ताकि मैं उसे उसकी डायरी वापस कर सकूं और उसे एक नई ज़िंदगी मिल जाए!"

वो अपने आप से बाते कर ही रहा था के उसके ठीक पास बह रही तालाब में से छपाक की तेज़ आवाज़ आई जैसे कोई इंसान पानी में गिर गया हो या किसी ने बड़ा सा पत्थर फेंक दिया हो। इस आवाज़ की वजह से अब्राहम के सोच की लय टूटी और जल्दी में इधर उधर देखने लगा लेकिन वहां ऐसा कुछ भी नहीं था जो पानी में गिर सके ना ही पानी में हल्की सी भी लहर थी। पानी देख कर लग नही रहा था के उसमे कुछ गिरा हो, तालाब का पानी हमेशा की तरह बिलकुल शांत था। इसे नजरंदाज कर के वो घर के अंदर जाने लगा तभी उसे ऐसा मेहसूस हुआ जैसे उसके कान के पास कोई सांस ले रहा है। वो अचानक रुक गया और ध्यान लगाने लगा के उसने जो मेहसूस किया कहीं वो उसका वहम तो नही। रात के सन्नाटे में जब उसने ठीक से ध्यान लगाया तो ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके गर्दन पर अपना मुंह लगा रखा हो और उसके सांसों की आवाज़ सीधा उसके कान में जा रही हो। 
उसके रोंगटे खड़े हो गए और बड़ी बड़ी आंखों से इधर उधर देखते हुए अंदर चला गया। अपने कमरे में जा कर उसने अपने आप से कहा :" कुछ नहीं है! शायद मैं मोमल मैरी की कहानी में ज़्यादा ही घुस गया इस लिए मुझे वहम हो रहें हैं।" 
उसने खुद को दिलासा दिया और अपने गद्दे दार डबल बेड पर कंबल ओढ़ कर लेट गया। कमरे में हर चीज़ बहुत सलीके से रखी हुई थी। घर एक दम साफ़ सुथरा था। भले ही अब्राहम अकेला रहता हो लेकिन उसने घर की सजावट में एक औरत की कमी महसूस होने नही दी है।
इधर डायरी अब्राहम के कमरे में एहतियात से रखी हुई थी उधर मोमल अपने घर में उसे ढूंढ ढूंढ कर पागल हो रही थी। परेशानी में वो अपने बैग में एक बार नहीं बल्कि बार-बार चेक कर रही थी जैसे कि उसकी डायरी कोई छोटी सी चीज हो और कहीं कोने में घुस गई हो। जब थक गई तो उसने रैन के कमरे में जाकर पूछा :"रैन तूने मेरी डायरी देखी है क्या ? मैं कब से ढूंढ रही हूं मिल नही रही है पता नही कहां रख दिया मैंने!"

वो बिलकुल थकी हुई और मायूस हो कर खड़ी थी। 
रैन अपने बिस्तर पर सोने लगा था। मोमल को परेशान देख कर उठ कर बैठा और बोला :" दी पहले आप बैठ जाओ! इतनी परेशान ना हो एक डायरी ही तो है! मिली तो ठीक, नहीं मिली तो दूसरी ले आऊंगा, आप तो ऐसे ढूंढ रही है जैसे उसमें कोई बहुत बड़ा राज़ हो।"
मोमल उसके पास बैठते हुए बोली :" हां तू सही कह रहा है कुछ खास तो है नहीं उसमें, बस मेरी कुछ सच्चाई और फिलिंग्स लिखी है जिसे मैं शब्दों में शायद किसी को बता नहीं पाई और कोई मेरी बात समझ नहीं पाया इसलिए मैंने उस में सब कुछ लिखा था। मुझे लगता है स्याही में बहुत ताकत होती है वह लिखने वाले के दिल को हल्का भी कर देती है और पढ़ने वाले को यकीन भी दिला देती है कि यह सच ही लिखा होगा! पर कोई बात नहीं अब खो गई तो खो गई! क्या कर सकती हूं।"

घर में एक रैन ही था जिसने कभी भी अपनी बहन को गलत नहीं समझा भले ही उसकी उम्र अभी सिर्फ सत्रह साल की थी लेकिन वह अपनी बहन की आंखों को पढ़ सकता था, उसके हंसी के पीछे का दर्द समझ सकता था, वह उसे रोता हुआ नहीं देख सकता इसलिए कोशिश करता की उसकी इस सुनी ज़िंदगी में खुशियां ला सके इस लिए जो वो कहती उसे वो ज़रूर करता। मोमल भी छोटी छोटी चीजों से खुश हो जाती क्यों के अब उसे किसी बड़ी खुशी की उम्मीद नहीं रही। 

मोमल कमरे से जा ही रही थी के रैन ने अचानक पूछा :" दी! लास्ट टाइम आप ने डायरी कब और कहां लिखी थी आपको याद है ?
मोमल याद करते हुए बोली :" मैने कब लिखा था !.... हां, इंटरव्यू के बाद मैं यूनिवर्सिटी के कैंपस में एक बेंच पर बैठी थी फिर हम लोगों ने चाय पी उसके बाद मुझे याद नहीं आ रहा है की मैने डायरी को बैग में रखा था या बेंच पर रख दिया था।"

रैन ने इत्मीनान हो कर कहा :" पक्का बेंच पर ही रह गया है! अब तो जा भी नही सकते बहुत दूर है यहां से।"

मोमल सर पर हाथ पटकते हुए बोली :"ओह कितनी भुलक्कड़ हो गई हूं मैं! अब तक तो सफाई कर्मी ने उसे डस्टबिन में डाल दिया होगा और कल तक कचरे वाले उसे जला भी देंगे! ओहो मेरी डायरी!... कितनी शिद्दत से लिखी थी मैने।"

रैन ने उसे समझाया :" दी, नेगेटिव मत सोचो, आप पॉजिटिव भी सोच सकती हो कि शायद किसी ने उस डायरी को उठाया होगा और उसने अपने पास रख लिया होगा! जब आप वहां लाइब्रेरियन बन कर जाओगी फिर स्टूडेंट्स से पुछ लेना, किसी न किसी को तो पता ही होगा और अगर सच में किसी ने नहीं उठाया होगा तो मैं आपको उससे बेहतर डायरी ला कर दूंगा फिर आप लिखते रहना जब दिल करे"

मोमल हल्की सी मुस्कान के साथ बोली :" ठीक है अब तू सो जा!... good night "

इधर मोमल को ऐसे भी मुश्किल से नींद आती थी आज तो डायरी के वजह से भी नींद खराब हो गई थी उधर अब्राहम करवटें बदलता हुआ रात गुजार रहा था। वो बस ये सोच रहा था के क्या वो डायरी मोमल मैरी को वापस कर पाएगा या वो कभी फिर आएगी ही नहीं? 
चित हो कर लेटा हुआ छत पर नज़र टिकाए हुए उसने अपने मन में कहा :" पहली बार किसी लड़की के लिए बुरा लग रहा है और उस पर तरस आ रहा है!"

जब भी उसे हल्की सी नींद आती कोई न कोई आवाज़ उसे जगा देती , ऐसा लगता के कोई उसके बिस्तर के आसपास चल रहा है, कभी लगता के टेबल पर रखे सामानों को इधर उधर हटा रहा है, एक बार उसे लगा के उसके बगल में कोई खड़ा है। वो उकता कर उठ कर बैठ गया और लाइट ऑन कर के पूरे कमरे पर नज़र दौड़ाया लेकिन जैसा वो सोच रहा था के चूहा या बिल्ली होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। ना उसने कोई पालतू जानवर रखा है अपने घर में , उसने बड़ी बड़ी सांसे लेते हुए खुद से कहा :" आज क्या हो रहा है! मैं इतना डिस्टर्ब क्यों हो रहा हूं? मोमल मैरी की कहानी इतनी भी disturbing नही है के मैं पागल ही हो जाऊं! उफ़...बस कुछ और देर फिर सुबह हो जायेगी।"

काफी बेचैन और लंबी सी रात मेहसूस हुई, अब्राहम ने खुद को दिलासे दे दे कर रात गुजार ली। उसकी जगह कोई और होता तो भूत समझ कर डर से एक पल भी उस घर में टिक नहीं पाता लेकिन उसे भूतों पर विश्वास नहीं है इस लिए वो बिलकुल भी नहीं डरा बल्कि ये सोचता रहा के उसके साथ कोई psychological problems हो रही है। वो जल्द से जल्द मोमल की डायरी उसे वापस करना चाह रहा था। 
दूसरी शाम उसने फिर से डायरी खोल कर पढ़ना शुरू किया। मोमल कब किस बात से खुश हुई किस बात से उसका दिल दुखा और कब उसने क्या किया हर एक पन्ने में दिन और तारीख के साथ साथ अपने गुज़र रहे दिन के बारे में लिख रही थी। उसकी बाते पढ़ कर अब्राहम कभी मुस्कुराता तो कभी उन लफ्ज़ों में उदासी मेहसूस करता। 
जहां से उसने लिखना बंद किया था उसके पहले पन्ने पर अब्राहम की नज़र पड़ी जहां उसने अपना नाम देखा। अपना नाम देखते ही एक दम से उत्सुकता आसमान छूने लगी और बड़े ध्यान से पढ़ने लगा। मोमल ने उसमे लिखा था :" अभी रात के ग्यारह बज रहे हैं, अभी अभी मैं चाय वाले की दुकान पर गई थी वहां पर मेरी मुलाक़ात एक अब्राहम नाम के आदमी से हुई, मैं उसे बस चाकू से मारने ही वाली थी के उसने मेरा हाथ पकड़ लिया तब मुझे पता चला के वो कोई जानवर या भूत नही है लेकिन उसके शकल से खडूस पन ऐसे उभर रहा था जैसे उसके हाथों के नस उभरे हुए थे। उसने मुझे टाइगर खा जायेगा कह कर डराया ! खैर मुझे टाइगर भी प्यारे लगते हैं।"
इन शब्दों को पढ़ कर अब्राहम ज़ोर से हंस पड़ा। हंसते हुए वो अचानक हैरान हो गया और असमंजस में उसका मुंह खुला रह गया, अपने बालों पर हाथ लगाते हुए उसने ताज्जुब से कहा :" ये, ये अब्राहम तो मैं ही हूं जिसकी बात ये कर रही है। तो मोमल मैरी वोही पागल सी लड़की है!.... ओह माय गॉड, मतलब मैं उस से मिल चुका हूं!"

उसे खुशी हुई ये जान कर के वो मोमल से मिल चुका है और उसकी डायरी में उसका भी ज़िक्र है भले ही उसने उसे खडूस कहा हो।

अब्राहम फिर किसी सोच में खो गया और मन मन में ये याद करने लगा के इस तरह से वो कब हंसा था। शायद बहुत दिन हो गए जब वो खुल कर हंसा था। 
उस डायरी को पढ़ कर वो मोमल के बारे में लगभग सब जान गया था, जैसे उसे क्या पंसद है क्या नही , कौन सा रंग पसंद है और क्या खाना पसंद है। इत्यादि
लेकिन अब्राहम जो मोमल की डायरी पढ़ कर मुस्कुरा रहा था अचानक उसे किसी के सिसकने की आवाज़ आई, उसकी मुस्कुराहट फौरन गायब हो गई, वो बेचैन हो कर इधर उधर ढूंढने लगा लेकिन वहां तो बिलकुल सन्नाटा छाया रहता है, ना कोई घर है आसपास न कोई आता जाता है फिर ये अजीब अजीब आवाज़ें क्यों और किस की आने लगी है। अब्राहम कुछ देर परेशान रहा फिर डायरी बंद कर के अपने कामों में व्यस्त हो गया। उसने अपने लिए खाना बनाया और खा कर सो गया।
अब ऐसा होने लगा के रोज़ एक या टेड बजे रात को किसी के सिसकने की आवाज़ आती, जिस के कारण अब्राहम को बेहद गुस्सा भी आता और बेचैनी भी होने लगती। अब रात को जब वो रोने की आवाज़ सुन कर जाग जाता तब अचानक चिल्ला उठता :" just shut up!... तुम जो भी हो मेरे कान के पास रोना बंद करो!"

फिर उसे अपने आप पर अजीब लगने लगा, उसे लगा के कहीं उसे कोई दिमागी बीमारी तो नही हो गई है? कहीं मैं पागल तो नहीं हो रहा हूं?"
ये सब सोच कर उसका दिल कांप उठा और अब उसने सोच लिया के वो किसी अच्छे psychiatric doctor से मिलेगा। 

पांच दिन गुज़र चुके थे, मोमल को असिटेंट लायब्रेरियन के ओहदे पर चुन लिया गया था। वो अपने घर से यहां सेटल होने आ गई थी। आज यूनिवर्सिटी में उसका पहला दिन था। वो डायरी के बारे में अब ज़्यादा नही सोच रही थी, वो बस खुश थी के अपने गांव से और रिश्तेदारों से दूर आ गई है। उसे घर की याद तो बहुत आयेगी खास कर रैन की लेकिन फिर भी उसके दिल में इस बात से सुकून था के अब वो अपने किताबों की दुनिया में वापस आ गई है। 

अब्राहम अपना लैक्चर खत्म कर के क्लास से निकल ही रहा था के उसने मोमल को सीनियर लायब्रेरियन के साथ आते देखा जो एक खूबसूरत सफेद ड्रेस में थी और खिली खिली सी दिख रही थी। अब्राहम उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था, उसे शक हुआ के ये वोही है या मेरी आंखे धोखा खा रही है? 


(अगला भाग जल्द ही)