प्रकरण - ४०
मेरे पापा को यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि अभिजीत जोशी मेरे पापा के बचपन के दोस्त रंजन जोशी का बेटा था। मेरे पापा यह जानकर बहुत खुश हुए कि उनके दोस्त का बेटा बहुत मशहूर हो गया है और अब वह अपने बेटे रोशन यानी मुझे भी आगे लाने की कोशिश कर रहे हैं।
बचपन की दोस्ती भी कुछ अनोखी ही होती है! तमाम झगड़ों के बावजूद बचपन के वो दोस्त हमारी यादों में हमेशा खुशियां ही लाते हैं। रंजन जोशी भी अब मेरे पापा के जीवन की ऐसी ही स्मृति बनकर रह गये थे।
इस बात को अब लगभग एक महीना हो गया था। इस बीच हम नीरव शुक्ला की फिल्म के म्यूजिक कंपोजिशन पर काम कर रहे थे। मैं धुने बनाता था और अभिजीतजी उन्हें अपने सुरों से सजाते थे। हम दोनों ये काम बहुत ख़ुशी खुशी से कर रहे थे।
अब वह समय आ गया था जब रईश को अमेरिका जाना था। या यूं कहें कि मेरे भविष्य में बदलाव आने का समय अब आ गया था।
रईश की न्यूयॉर्क की फ्लाइट यही मुंबई से ही थी, इसलिए हमारा पूरा परिवार और फातिमा भी उन्हें छोड़ने मुंबई आ पहुंचे थे। रईश को दूसरे दिन सुबह सात बजे निकलना था इसलिए अगले दिन सभी लोग उसे बिदा करने के लिए यहां मुंबई आ पहुंचे थे। मेरे पूरे परिवार के साथ फातिमा भी आई थी। फातिमा के आने से मैं बहुत खुश था। आज उसके आने से मुझे मेरा पूरा परिवार पूर्ण लग रहा था।
अगले दिन की सुबह हो गई। हम सभी अब रईश को छोड़ने के लिए हवाई अड्डे पर पहुँच चुके थे। हमने रईश और नीलिमा दोनों को कुछ पल के लिए अकेला छोड़ दिया ताकि वे दोनों आपस में अच्छे से बात कर पाए। क्योंकि, इन दोनों के लिए अब आनेवाला समय लंबी जुदाई का समय था।
जब नीलिमा छोटी सी अरमानी को गोद में लेकर रईश के पास आई तो उसने अरमानी के सिर पर हाथ रखा और नीलिमा से कहा, "नीलिमा! मुझे उम्मीद है कि मेरा रिसर्च बहुत सफलतापूर्वक पार हो जाए और मेरे छोटे भाई के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएं। मैं एक बार फिर उसके जीवन को ज्योतिर्मय कर सकूं। तुम प्रार्थना करना कि मेरे भाई रोशन के जीवन की आँखों की रोशनी अब बहुत जल्द ही वापस आ जाए।"
मेरी यह बात सुनकर नीलिमा तुरंत बोली, "रईश! तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो। जो भी होगा अच्छा ही होगा और अब तो हमारी बेटी भी हमारे साथ है। अरमानी के कदम हमारे सबके लिए बहुत ही शुभ साबित हुए है इसलिए तुम भी तुम्हारे रिसर्च में जरूर सफल होंगे। हम सब और फातिमा भी तुम्हारे साथ है।"
रईशने अब अपने मन की बात जो वो काफी समय से नीलिमासे करना चाहता था वो अब आज उसने नीलिमा से कही। वो बोला, "नीलिमा! मैं जानता हूं कि मेरा पूरा परिवार मेरे साथ है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैं इतने अच्छे और प्यारे परिवार का हिस्सा हूं। लेकिन एक ओर भी बात है जो मुझे तुम्हें बतानी है जो केवल मैं ही जानता हूं। अब जब मैं यहां नहीं हूं तो यह काम तुम्हें ही करना होगा। मैं चाहता हूं कि तुम मेरा यह अधूरा काम पूरा करो।"
नीलिमाने सवाल किया, "अधूरा काम? कौन सा अधूरा काम?"
उसके सवाल के जवाब में रईशने उससे कहा, "रोशन और फातिमा दोनों को मिलवाने का काम। फातिमा और रोशन दोनों एक-दूसरे को पसंद करते है, लेकिन अपनी आंखों की रोशनी के कारण रोशन फातिमा से अपने दिल की बात नहीं कह पा रहा है। कुछ वक्त पहले फातिमाने उसके पास शादी का प्रस्ताव भी रखा था लेकिन उसने फातिमा का वो प्रस्ताव भी ठुकरा दिया है।हालाँकि मैंने उसे बहुत समझाया, लेकिन वह फातिमा को अपने मन की बात बताने की हिम्मत ही नहीं कर पा रहा है, इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अभी उसे यह बात समझाओ। मैं चाहता हूँ कि फातिमा और रोशन का मिलन हो और फातिमा हमारे घर की दूसरी बहू बने। "
ये सुनकर नीलिमा थोड़ी गुस्सा होकर बोली,"अरे! रईश! तुम ये सब क्या कह रहे हो? अगर तुम्हें ये सब पता था तो अब तक मुझे बताया क्यों नहीं?"
रईशने कहा, "क्योंकि मैं चाहता था कि रोशन मेरी बात को समझे और फातिमा को अपने दिल की बात बताए। लेकिन मेरा इतना समझाने पर भी उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया इसलिए अब मुझे लगता है कि हम दोनों को ही अब रोशन और फातिमा के लिए कुछ तो करना होगा।"
नीलिमा बोली, "ये तो तुम ठीक ही कह रहे हो। मैं फातिमा और रोशन को मिलवाने में तुम्हारी मदद करूंगी। मैं फातिमा और रोशन दोनों को आमने-सामने बैठाकर ही इस मामले पर बात करूंगी।"
रईश और नीलिमा दोनों की बाते ख़त्म ही हुई थी की तभी फ्लाइट के आने की घोषणा होने लगी। रईश हम सभी को गले लगा और फिर अपना सामान लेकर गेट के अंदर चला गया। मेरे पूरे परिवारने रईश को तब तक देखा जब तक उसका दिखना बंद नहीं हो गया। जब रईश अंदर गया तो सभी की आंखें नम थीं। हर किसी की आंखों में खुशी के आंसू भर आए। खुशी इस बात की थी की अब मेरी जिंदगी में शायद खुशियां आएंगी।
ये कहते-कहते स्टूडियो में बैठे रोशन कुमार की भी आंखों में आंसू आ गए। ऐसा लग रहा था मानों वह आज फिर रईश से विदा ले रहा हो। उनकी हालत देखकर अमिताने उन्हें रुमाल दिया और कैमरामैन से थोड़ी देर के लिए कैमरा बंद करने को कहा। उसने कहा, "क्या आप ठीक हैं रोशनजी?"
रोशन बोला "हां, हां अमिताजी। मैं बिल्कुल ठीक हूं। जब रईश के अचानक चले जाने की बात आई तो मैं थोड़ा सा भावुक हो गया।"
अमिताने पूछा, "अगर आप थोड़ा आराम करना चाहे तो कर लीजिए। हम थोड़े समय बाद भी इंटरव्यू कर सकते है।"
रोशनने कहा, "अरे! नहीं नहीं। अमिताजी! अब मैं बिल्कुल ठीक हूं। आप इंटरव्यू जारी रखिए।"
रोशन कुमारने इंटरव्यू जारी रखने को कहा, तो अमिताने कैमरामैन को दोबारा कैमरा ऑन करने का इशारा किया और कहा, "रोशनजी! आपके भाई रईश के अमेरिका जाने से आपके मन में एक उम्मीद जगी होगी की अब वह समय बहुत दूर नहीं है की जब आपके जीवन में ज्योति का आविष्कार होगा। आपकी यह काली और अंधेरी दुनिया एक बार फिर से रंगीन हो जाएगी। आप एक बार फिर से इस दुनिया के रंगों को देख पाओगे। क्यों?"
रोशनने कहा, "हां बिल्कुल। मुझे भी अपनी दुनिया के रंगीन होने की बहुत ही उम्मीद थी और मेरी उम्मीद जल्द ही पूरी भी होनेवाली थी।"
अमिताने फिर पूछा, "तो रोशनजी! अब आप हमारे दर्शकों को बताएं कि अमेरिका में आपके भाई रईश का रिसर्च कैसा रहा? वह उसमें कैसे सफल हुए? आपकी आंखों की रोशनी किस तरह वापस लौट आई?"
"हां अमिताजी! अब मैं उसी बात को बताता हूं।" रोशनकुमारने अब अपनी आगे की कहानी सुनानी शुरू की।
(क्रमश:)