कहानी - फिर मिलेंगे
बरसात के मौसम में एक दिन बोकारो स्टील सिटी स्टेशन पर नयी दिल्ली जाने वाली एक्सप्रेस के आगमन की सूचना हो चुकी थी . ओडिशा में आयी बाढ़ के कारण उधर से आने वाली कुछ ट्रेन रद्द कर दिए गए थे कुछ लेट चल रही थीं . दिल्ली के लिए बस यही एक ट्रेन चल रही थी और वह भी बहुत लेट चल रहीं थी . आज भी ट्रेन पांच घंटे लेट थी . प्लेटफार्म पर दिए संकेत के अनुसार तृषा अपने थ्री टीयर ए सी कोच की ओर बढ़ी . आराम से चलते हुए वह अपने कोच के आने के स्थान पर खड़ी थी . दो मिनट के अंदर तृषा का कोच ठीक उसके सामने आ कर रुका . वह अपना कैरी ऑन स्ट्रॉलर और बैकपैक ले कर अपनी बर्थ पर जा बैठी . जब तक वह अपने सामान ठीक करती ट्रेन चल पड़ी .
जल्द ही पैंट्री बॉय लंच का आर्डर ले गया .लंच के बाद तृषा अपनी बर्थ पर सोने गयी . वह रात भर इंटरव्यू और प्रेजेंटेशन की तैयारी करने से थक गयी थी , जल्द ही उसे नींद आ गयी . पैंट्री वाले की चाय की आवाज से उसकी नींद खुली तो उसने चाय ली और पूछा “ भैया , कौन सा स्टेशन आने वाला है ? “
“ थोड़ी देर में ट्रेन मुग़ल सराय जंक्शन पहुँचने वाली है . आप डिनर भी लेंगी ? “
तृषा ने चाय की चुस्की लेते हुए डिनर आर्डर किया .
मुग़लसराय स्टेशन ( आजकल यह दीनदयाल उपाध्याय नाम से जाना जाता है ) के प्लेटफार्म पर उतर कर तृषा अपने कोच के सामने ही चहलकदमी कर अपने हाथ पैर सीधा कर रही थी . जब सिग्नल ग्रीन हुआ तब वह वापस आ कर अपनी सीट पर बैठ गयी . रात के आठ बजे पैंट्री वाले ने डिनर दिया और पूछा “ मैम , आपको कहाँ तक जाना है ? “
“ दिल्ली , क्यों ? तुम्हारा बिल मैं अभी पे कर दूंगी . “
“ नहीं मैम , वो बात नहीं है . टी टी बाबू बोल रहे थे कि ट्रेन कानपुर से आगे नहीं जाएगी . “
“ क्यों ? “ तृषा के अलावा कुछ और लोगों ने एक साथ पूछा . उनमें ऊपर की बर्थ का एक युवक भी था . वह आराम से लेटे लेटे नॉवेल पढ़ रहा था . यह सुन कर वह भी चौकन्ना हो कर अपने बर्थ पर बैठ गया .
“ टी टी बाबू बोल रहे थे कि अचानक से यू पी और दिल्ली के रेल और रोड यूनियन वालों ने लाइटनिंग स्ट्राइक की घोषणा कर दी है , कल सुबह छः बजे से शाम छः बजे तक 12 घंटों के लिए . ट्रेन अगर लेट न होती तो दिल्ली तक सुबह छः के पहले जरूर पहुँच जाती . “ पैंट्री वाले ने कहा
दिल्ली जाने वाले सभी यात्री यह सुनकर परेशान हुए . तृषा के आसपास ज्यादा यात्री कानपुर के थे , उन्हें कोई समस्या नहीं थी पर दिल्ली जाने वालों के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं . ऊपर की बर्थ वाला युवक धड़ाम से कूद कर तृषा की बगल में बैठ गया . उसने कहा “ शिट , ये स्ट्राइक मेरे ही समय होना था . मेरा तो पूरा प्लान गड़बड़ हो गया . “
तृषा बोली “ आप अकेले नहीं हो . मुझे भी बहुत परेशानी उठानी होगी . परसों सवेरे दिल्ली में मेरा इंटरव्यू है . मैंने सोचा था कि कल दिन भर अपने फ्रेंड के साथ पी जी में रहूंगी , इंटरव्यू की तैयारी करूंगी और परसों इंटरव्यू के बाद शाम को राजधानी से वापस घर लौट जाऊँगी . “
“ अरे , कैसा संयोग है . मेरा भी परसों सुबह 9 बजे इंटरव्यू है . मैं कम्पनी के गेस्ट हाउस में रुकूंगा . अब अगर दिल्ली की कोई ट्रेन मिलती भी है तो कल रात में ही मिलेगी . मेरी नजर में एक उपाय है . “
“ वह क्या है ? “ तृषा ने पूछा
“ हम कानपुर पहुँच कर जल्दी से जल्दी टैक्सी ले कर दिल्ली निकल जाएँ तो सुबह सात आठ बजे तक शायद दिल्ली पहुँच जाएँ . “
“ कितना फेयर होगा टैक्सी का ? “
“ वो तो अभी नहीं कहा जा सकता है . स्ट्राइक के नाम पर वे जरूर ब्लैकमेल करेंगे . “
“ मेरे पास लिमिटेड पैसा है . मैंने पापा से ज्यादा पैसे नहीं लिए क्योंकि रिटर्न टिकट था ही . “
“ फिलहाल पैसे की चिंता आप न करें . मैं मैनेज कर लूँगा . आप जल्दी से जल्दी बताएं कि कानपूर से दिल्ली कैब से चलने के लिए तैयार हैं या नहीं ? “
“ तैयार तो हूँ फिर भी पैसे की बात … “
“ फिर कुछ नहीं , आप मेरा पता और फोन नंबर नोट कर लें . चाहें तो बाद में पैसा लौटा सकती हैं , नहीं भी देंगी तो बेहतर होगा मेरे लिए . “
“ वह कैसे , क्या मतलब है आपका ? “
“ एक बार फिर मिलने का स्कोप रहेगा . बाय द वे मुझे तपन कहते हैं , तृषा जी “
“ वाह , आपने मेरा नाम भी पता लगा लिया है . आपको मेरा नाम कैसे पता चला ? “
“ टी टी की चार्ट से , नीचे की बर्थ पर आपका छोटा सा नाम देखा और बहुत सुंदर लगा . “
तृषा के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान फ़ैल गयी . तपन ने फोन पर कानपुर के टैक्सी ऑपरेटर से बात कर टैक्सी बुक कर लिया . रात के करीब एक बजे ट्रेन कानपुर पहुंची . पंद्रह मिनट के अंदर तृषा और तपन टैक्सी में बैठ दिल्ली की ओर चल पड़े .
टैक्सी में बैठने के थोड़ी देर बाद तृषा ने तपन से पूछा “ टैक्सी का कितना फेयर मुझे शेयर करना होगा ? “
“ फिलहाल कुछ नहीं . अपना पता और नंबर मुझे दे देंगी तो मैं आपके पास आ कर वसूल लूँगा बशर्ते कि आप अपना पता देंगी . “
तृषा ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया . तपन ने ड्राइवर से पूछा “ हमलोग दिल्ली कब तक पहुँच जायेंगे ? “
“ अभी रोड खाली है , उम्मीद है 8 बजे के पहले पहुँच जाएँ . शायद हड़ताल तब तक शुरू न हो . कहने को हड़ताल छः बजे से ही शुरू है पर लोगों को इकठ्ठा होते होते आठ नौ बज ही जाता है . . “
कुछ देर के बाद तपन ने कहा “ तृषा , छः घंटों का सफर है , हम यूँ चुपचाप तो बैठे नहीं रह सकते हैं . फिर कभी मिलें न मिलें . कुछ तुम कहो अपने बारे में और कुछ मैं कहूँ तो सफर चुटकियों में गुजर जाये . “
“ क्या कहें ? अभी इस मुसीबत से छुटकारा तो मिले पहले . “
“ अरे यार , ये कोई मुसीबत नहीं है . इसे एक अपॉर्चुनिटी समझो . सॉरी मैं तुम कह गया . “
“ नो प्रॉब्लम विथ तुम . “
“ अच्छा , तो मैं ही शुरू करता हूँ . मैं तपन सिन्हा हूँ , मेरा नेटिव प्लेस पटना है . मैं सेल के स्टील प्लांट में जूनियर मैनेजर हूँ .मेरे मम्मी पापा नहीं रहे . एक छोटा भाई है जो लव मैरेज कर अपनी अलग दुनिया बसा चुका है . मैं दिल्ली की एक कंपनी में इंटरव्यू के लिए देने जा रहा हूँ . “
“ और , आपका अपना परिवार ? “ तृषा ने पूछा
“ नो , परिवार . अभी मेरी शादी नहीं हुई है . “
“ हुई नहीं या किया नहीं ? “
“ कुछ कुछ दोनों , वैसे मेरी शक्ल सूरत देख कोई भी लड़की बिदक सकती है . “ तपन बोला
“ अच्छा मज़ाक कर लेते हैं आप . “
“ खैर , छोडो . अब तुम अपनी कहो . “
कुछ पल सोचने के बाद तृषा ने अपने बारे में बोलना शुरू किया “ मैं तृषा दास . वैसे हमलोग उत्तर बिहार के दरभंगा शहर के रहने वाले हैं , पापा बोकारो में नौकरी करते थे . मम्मी नहीं रही , पापा कुछ ही दिन पहले रिटायर हुए हैं . हम दो बहनें हैं , मेरी छोटी बहन की शादी हो गयी है . मैं भी एक इंटरव्यू के लिए दिल्ली जा रही हूँ . “
“ और तुम्हारी शादी ? “
“ शायद मेरी भी शक्ल सूरत ऐसी नहीं जो लड़कों को पसंद आये . जो मुझे देखने आया था मेरी छोटी बहन को पसंद कर ब्याह कर ले गया . “ बोल कर तृषा तपन की ओर मुस्कुराते हुए देखने लगी
“ मुझे पूरा विश्वास है वो जरूर कोई बदनसीब या सिरफिरा होगा जिसने तुम्हें नापसंद किया था . “
“ खैर अब इन बातों का कोई मतलब नहीं रहा . “
सवेरा होने को था , तपन ने ड्राइवर से कहा “ कहीं रुक कर चाय पीने की इच्छा है . आगे किसी अच्छे से ढाबे में रुको . “
“ साब , रुकने से देर होगी और हड़तालियों से खतरा भी है . मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है सकता है कि रुकने से आपलोगों को परेशानी हो . “ ड्राइवर बोला
“ ठीक है , तब सीधे दिल्ली चलो . “
दिल्ली पहुंच कर पहले तपन ने तृषा को उसके पी जी में ड्राप किया और कहा “ अब फिर कब मिलेंगे हम दोनों ? “
“ कह नहीं सकती . वैसे भी आज तो बंद है और कल इंटरव्यू के बाद कब फ्री होऊंगी , पता नहीं . “
“ ओके , मिलने की कोशिश करना . वैसे अगर मैं पहले फ्री हुआ तो मैं तुमसे मिलने यहीं आऊंगा . आ सकता हूँ न ? “
“ श्योर , मैं तो आपकी कर्जदार भी हूँ . आई मीन टैक्सी फेयर तो मुझे शेयर करना ही होगा . “
“ नो वे , फॉरगेट इट . मैं दो साल से जॉब में हूँ और तुम जॉब ढूढ़ने आई हो . “
तपन उसे छोड़ कर अपने गेस्ट हाउस गया . पिछले दो साल से वह सेल के स्टील प्लांट में काम कर रहा था . तृषा उत्तर बिहार में दरभंगा के एक बंगाली परिवार से थी . तपन इंटरव्यू देने के बाद सीधे तृषा से मिलने गया . वहां गेट पर खड़े गार्ड को अपना परिचय दे कर उसने तृषा से मिलने की बात कही . गार्ड पी जी ऑफिस में पूछने गया . थोड़ी देर में एक लेडी ने कहा “ तृषा मैम तो एक घंटा पहले चली गयीं . शाम 4.30 में उन्हें राजधानी एक्सप्रेस से जाना था . उन्होंने आपके लिए एक लेटर दिया है . “
उस लेडी ने तपन को एक लिफाफा दिया . तपन ने लिफाफा खोल कर पढ़ा , लिखा था “ तपनजी , वैरी सॉरी . मैं और नहीं रुक सकती थी . मेरी ट्रेन का समय हो गया था . मैं अपना मोबाइल नंबर दे रही हूँ , आप इस पर मुझ से सम्पर्क कर सकते हैं , वैसे कॉल न कर मेसेज करना ही बेहतर होगा मेरे लिए . “
तपन ने घड़ी देखी , 4. 35 pm हो रहा था . तपन ने तृषा को फोन किया “ तुम्हारी ट्रेन राइट टाइम है या लेट ? “
“ ट्रेन प्लेटफार्म छोड़ चुकी है . “
“ तुम्हारा इंटरव्यू कैसा रहा ? “
“ इंटरव्यू तो अच्छा रहा है पर रिजल्ट वे बाद में बताएँगे . “
“ अच्छा , मैं तुमसे बोकारो में फिर कब मिलूं ? ”
“ फोन पर बात न करें तो बेहतर , मैं मेसेज कर आपको मिलने के बारे में बता दूंगी . आप कब लौट रहे हैं ? “
“ मेरा सिलेक्शन हो गया है पर मेडिकल के लिए मुझे दो दिन और रुकना होगा . बोकारो आ कर मिलता हूँ . “
“ श्योर , बाय . सिलेक्शन की बधाई “
तपन को चार दिनों तक दिल्ली में रुकना पड़ा . उसका सिलेक्शन एक मल्टीनेशनल कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने अंतर्राष्ट्रीय पोस्टिंग के लिए किया था . अगले दिन उसका मेडिकल टेस्ट होना था . दो दिन बाद उसे मेडिकली फिट का सर्टिफिकेट मिला तब जाकर उसका फाइनल सिलेक्शन हुआ . उसे कम्पनी ने इस बात की मौखिक सूचना दे दी और कहा था कि औपचारिक नियुक्ति पत्र एक सप्ताह के अंदर मिल जायेगा .
तपन ने अपनी नियुक्ति का मेसेज तृषा को टेक्स्ट कर दिया . कुछ ही मिनट के अंदर उसे तृषा का जवाब मिला “ बहुत बहुत बधाई . मेरे बड़े मौसा काठमांडू में रहते हैं . वहां उनका अच्छा खासा बिजनेस है . दो दिन पहले आये भूकंप में उनका काफी नुकसान हुआ है . मौसा और उनका दामाद तो सुरक्षित हैं पर मौसी और उनकी बेटी यानी मेरी मौसेरी बहन का निधन हो गया . घर और दुकान को काफी क्षति पहुंची है . पापा कल काठमांडू जा रहे हैं , मैं अकेले कैसे रहती , मैं भी जा रही हूँ . वहां कुछ दिन रुकना पड़ सकता है . और हाँ , मेरा भी सिलेक्शन हो गया है . एक महीने के अंदर ज्वाइन करना है . अब देखें अब कब मिलना होता है . “
तपन ने उसे मेसेज किया “ तुम्हारे मौसी के बारे में सुन कर दुःख हुआ . तुम कब तक लौट रही हो ? जल्द ही मिलने की उम्मीद करता हूँ . तुमको भी नौकरी की बधाई . “
इसके दो सप्ताह बाद तक तपन तृषा के सम्पर्क में रहा फिर अचानक उसका मेसेज आना बंद हो गया . तृषा ने अपने अंतिम मेसेज में अब आगे सम्पर्क नहीं करने को लिखा था . तपन भी इस बात पर हैरान था पर वह विवश था - तृषा ने फोन न करने को कह रखा था और अब मेसेज का भी जवाब नहीं दे रही थी .
तपन की पोस्टिंग खाड़ी देश में हुई . वहीँ एक अमीरात से दूसरे अमीरात में वह घूमता रहा , कभी दुबई , शारजाह , अबू धाबी , बहरीन , कुवैत आदि देशों में उसकी पोस्टिंग होती . एक प्रोजेक्ट करने के बाद कम्पनी उसे दूसरे प्रोजेक्ट में भेजती रहती थी . तपन का वेतन लाखों में था वो भी ज्यादातर टैक्स फ्री . इसी बीच तपन की शादी दुबई स्थित एक भारतीय परिवार की लड़की से हुई .
तपन की पत्नी मानसी दुबई की कंपनी में चार्टर्ड अकाउंटेंट थी . तीन साल बाद उसे एक बेटी हुई , पिपासा . तपन अपने परिवार में बहुत खुश था . तपन ने दिल्ली और पटना में अपार्टमेंट बुक किया था . तपन और मानसी दोनों ने रिटायर होने के बाद भारत में सैटल करने का फैसला किया था . उन्होंने सोचा कि एक अपार्टमेंट में वे खुद रहेंगे और एक बेटी को गिफ्ट करेंगे . नियति ने कुछ और ही सोच रखा था . दुबई से अबू धाबी जाते समय कार दुर्घटना में मानसी की मौत हो गयी . उस समय उसकी बेटी करीब 8 साल की रही होगी .
मानसी की मौत के बाद तपन का मन अब विदेश में नहीं लग रहा था . कुछ महीने बाद वह अपनी बेटी पिपासा के साथ पटना आया . उन दिनों बिहार सहित पूरे देश में इंफ़्रा स्ट्रक्चर का विकास हो रहा था . तपन ने अपनी एक कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली और उसे प्रोजेक्ट भी मिलने लगे .
कुछ समय बाद एक दिन तपन पिपासा के स्कूल में पैरेंट मीटिंग के सिलसिले में गया था . वह वेटिंग हॉल में बैठा मैगज़ीन पढ़ रहा था तभी प्रिंसिपल के दरवान ने कहा “ तृषा दास आप प्रिंसिपल से मिलने जाएँ “
तृषा का नाम सुन कर चौंक तपन उठा . उसने अपनी नजरें मागज़ीन से हटा कर देखना चाहा कि यह कौन तृषा है . वह स्वयं पीछे की पंक्ति में बैठा था . उसने देखा एक औरत अपनी कुर्सी से उठ कर प्रिंसिपल के कमरे की तरफ बढ़ी . उसके साथ 8 - 10 साल का एक बच्चा भी था . उसे तृषा को पहचानने में तनिक भी देर न लगी . जब तक वह उठ कर तृषा तक जाता वह प्रिंसिपल के कमरे में जा चुकी थी .
करीब 10 मिनट बाद तृषा जब बाहर निकली तपन ने उसे आवाज दिया “ तृषा . “
तृषा सर नीचे किये हुए जा रही थी , अपना नाम किसी से सुन कर उसने आवाज की दिशा में देखा तो वह भी ठिठक कर खड़ी हो गयी . तपन जल्दी जल्दी उसके पास पहुंचा और बोला “ तृषा ,, तुमने पहचाना मुझे ? “
“ ऑफ़ कोर्स यस . आप तपन . दिल्ली वाले . “
“ दिल्ली वाला नहीं अब पटना वाला . और ये तुम्हारा बेटा है ? “
“ हां , मेरा बेटा तापस . और तुम यहाँ पटना में कैसे , तुम्हारी पोस्टिंग तो फॉरेन में थी ? “
तभी तपन को प्रिंसिपल से मिलने का संदेश मिला . वह बोला “ तृषा , तुम कुछ देर रुक सकती हो ? तब तक मैं प्रिंसिपल से मिल कर आता हूँ . “
“ हाँ , मैं वहां लॉन में बेंच पर बैठती हूँ . “ तृषा ने लॉन की ओर इशारा करते हुए कहा
करीब 15 मिनट बाद तपन लॉन में गया और तृषा के नजदीक बेंच पर बैठ गया . वह बोला “ मैंने कहा था न फिर मिलेंगे और देखो मिल ही गए . पर इतने दिनों के बाद , करीब 15 साल बाद . तुमने मुझ से सम्पर्क क्यों तोड़ दिया ? मैंने तो ऐसा न कुछ किया या कहा था . “
“ इसमें किसी का दोष नहीं है न आपका न मेरा , दोष है तो तक़दीर का .”
“ यहाँ स्कूल में बच्चे के एडमिशन के लिए आई हो ? और इतने दिन कहाँ रही और क्या हुआ जो तक़दीर को कोस रही हो . “
“ मेरी बेटी मंजू भी इसी स्कूल में पढ़ती है . उसी के बारे में प्रिंसिपल से मीटिंग थी . बेटे का एडमिशन भी यहीं कराना चाहती हूँ . इस बारे में भी बात करनी थी . “
“ तुम्हारी बेटी भी है ? “
“ हाँ , वह मानस से करीब तीन साल बड़ी है . “
“ और तुम्हारे हस्बैंड कहाँ हैं , क्या करते हैं ?
“ वे अब इस दुनिया में नहीं हैं . “
“ ओह , वैरी सॉरी . “
“ अब यह बात पुरानी हो चुकी है , नए सिरे से जीने की कोशिश कर रही हूँ . और आप यहाँ कैसे ? “
“ मेरी पोस्टिंग गल्फ में थी . वहीँ की एक देशी लड़की से शादी हुई . कुछ वर्ष पहले एक कार एक्सीडेंट में वह चल बसी और अपनी एक निशानी हमारी बेटी को छोड़ गयी . मेरा मन विदेश में नहीं लगा और मैं यहाँ चला आया . पिपासा मेरी बेटी का नाम है और वह भी इसी स्कूल में पढ़ती है , उसी के लिए प्रिंसिपल के साथ मीटिंग थी .
“ ठीक है , अच्छा अब चलती हूँ . “
“ अरे , अपना अता पता , फोन नंबर तो देती जाओ . “
“ आप अपना सेल फोन एक मिनट के लिए दें . “
तृषा ने तपन के सेल से अपने नम्बर पर कॉल कर दो रिंग के बाद उसे काट दिया और कहा “ मेरा नंबर सेव कर लें . अच्छा अभी चलती हूँ , बाय . “
तृषा अपने ससुर और पति के निधन के बाद काठमांडू का सब बिजनेस और संपत्ति बेच कर पटना आ गयी थी . पटना में पिता के साथ रहती थी . उसने बी कॉम किया थ, उसे अपने नेपाल के बिजनेस का अनुभव भी था . उसे एक कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी मिल गयी . वैसे उसके पास पर्याप्त धन था , नौकरी उसकी मजबूरी नहीं थी . दिन भर बेकार बैठ कर अतीत की कड़वी यादों से बचने के लिए उसने नौकरी शुरू की थी .
कुछ ही दिनों बाद तपन तृषा से मिलने गया और उसने तृषा से उसकी अतीत के बारे में पूछा . तृषा बोली “ जब मैं अपने पापा के साथ मौसी के घर काठमांडू गयी तो वहां का हाल देख कर हमलोगों को बहुत दुःख हुआ . मौसी और उनकी बेटी जलजला के मलवे में दब कर मर गयी थीं . जीजा और मौसा दोनों जख्मी थे . दो साल की बच्ची मंजू को खरोच तक नहीं आयी थी . पर उसे देखने वाला कोई नहीं था . मैंने उसकी देखभाल शुरू की . मौसा और जीजा कुछ दिनों बाद ठीक हो गए . उन्हें छोटी बच्ची के लिए माँ की जरूरत थी .मौसा ने मेरे सामने जीजा से मेरी शादी का प्रस्ताव रखा . मौसा ने मुश्किल दिनों में हमारी काफी मदद की थी . मैंने अपनी नौकरी की बात कही उनसे तो मौसा और पापा ने समझाया कि मौसा का यहाँ इतना बड़ा बिजनेस है , मैं इसमें हाथ बटाऊँ . “
“ और तुम मान गयी ? “
“ तो क्या करती , विद्रोह ? मेरे सीने में भी एक औरत का दिल है . खास कर मंजू को रोता बिलखता देखती तो बहुत दुःख होता . मेरी शादी हुई और दो साल बाद मुझे एक बेटा हुआ . सब कुछ बहुत अच्छी तरह चल रहा था पर काल को यह रास न आया . एक एक करके मौसा और मेरे पति दोनों को काल के हाथों खो बैठी . पापा अभी जिन्दा हैं . मैं नेपाल का कारोबार समेट कर पटना आ गयी . “
तपन और तृषा अब वीकेंड में जरूर मिला करते . उनके बच्चे भी आपस में मिलते जुलते , कभी पढ़ाई लिखाई की बातें करते तो कभी खेलकूद करते . एक दिन जब तपन तृषा के पास आया तो उसकी बेटी ने उस से कहा “ अंकल क्या आप और मम्मी पहले सिर्फ एक बार सफर में मिले थे , उसके बाद फिर कभी नहीं मिले ? “
“ नहीं बस एक बार दिल्ली के सफर में , वह एक सुहाना इत्तफाक था . मैं दोबारा तुम्हारी मम्मी से मिलने गया था पर तब तक तृषा दिल्ली छोड़ चुकी थी . उसके बाद फोन पर कुछ बातें हुईं और जब भी बात होती मैं कहता था कि जल्द ही हमलोग फिर मिलेंगे . और देखो अब मिल ही गए बल्कि अब मिलते ही रहते हैं . “
तृषा का छोटा बेटा यह सब देख सुन रहा था , उसने कहा “ क्या अब हम सभी एक ही साथ मिलजुल कर एक ही घर में नहीं रह सकते है ? . “
यह सुन कर तृषा और तपन दोनों एक दूसरे को देखने लगे . तपन ने कहा “ सच पूछो तो मुझे तृषा से मिलने की बड़ी इच्छा थी और उम्मीद भी थी . मेरे फ्लैट दिल्ली और पटना दोनों शहर में हैं पर मैंने पटना में रहने का फैसला किया . तब मैंने सोचा भी न था कि तुमसे पटना में मुलाक़ात होगी . और देखो मेरा फैसला कितना अच्छा रहा , इसे इत्तफ़ाक़ कहो या मेरा नसीब , आज तृषा मुझे मिल गयी . अब आगे साथ रहने का फैसला वही होगा जो तुम सब लोगों की इच्छा होगी . क्यों तृषा मैंने ठीक कहा न ? “
तृषा कभी तपन को तो कभी बच्चों को देखती , तीनों बच्चे एक साथ बोल उठे “ अब हम एक साथ रहेंगे .नहीं तो कल से हमलोग भूख हड़ताल पर जायेंगे . “
“ हमारी पहली मुलाकात भी एक हड़ताल के चलते हुई थी और आज अब बच्चों ने भूख हड़ताल की धमकी दी है . कभी कभी बच्चे भी अनजाने में सही सलाह देते हैं , जैसा कि अभी . इसलिए इनकी सलाह हमें मान लेनी चाहिए अगर तृषा तुमको कोई आपत्ति नहीं हो तब .अब तुम्हारा फैसला क्या है ? “ तपन ने तृषा से बेबाक पूछा
तृषा के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी , फिर उसने शर्म से सिर झुका लिया . यही उसका मौन स्वीकार था .
समाप्त
नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .