Meera Prem ka Arth - 3 in Hindi Classic Stories by sunita maurya books and stories PDF | मीरा प्रेम का अर्थ - 3 - माधव की मीरा

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मीरा प्रेम का अर्थ - 3 - माधव की मीरा

वहा इतनी सारी लड़किया थी जिन्होंने रंग बिरंगी कपडे पहने थे। उन में से कुछ ने भी कथक की ड्रेस पहनी थी....अब माधव के लिए ये काफी मुश्किल हो गया था मीरा को ढूंढ़ना...तब उसकी नजर एक बैग पर गई...उस पर राजस्थानी पैटर्न बना था। ये बैग उसने पहले भी देखा था  वो वही बैग था  जिसमे मीरा ने अपने  लड्डू रखे थे।  माधव ने उस बैग को पहचान लिया था ...माधव ने कुछ सोचा और उस बैग के पास चला गया। उसने उसको अपने हाथ में लिया। और अपने पास रख लिया और सोचने लगा वो अपना बैग खोजते हुए तो आएगी ही और वो मन ही मन ये सोच कर खुश होने लगा की वो उसे सामने से मिलेगा ........काफ़ी समय बीत चूका था। लेकिन अभी तक कोई आया ही नहीं और ना ही वो लड़की माधव को कहीं नज़र आ रही थी.... कॉलेज के  कोरिडोर में बैठा माधव का पेशेंश अब ख़तम हो गया जा रहा था ....वो अपनी जगह पर खड़ा हुआ और उस बेग को हवा में उछालते हुए जोर से बोला... "ये बैग किसका है प्लिस जल्दी ले आइए,काफ़ी देर से यहाँ रखा है ।" ..... जोर जोर से बोलने लगा .....वहां खड़े सभी लोग माधव को ही देखने लगे .....माधव उन सबको इग्नोर कर रहा था उसकी नजरें जिस लड़की को ढूंढ रही थी। वो उसको वहां कहीं नज़र नहीं आ रही थी.....तभी उसके कंधे पर किसी ने टैप किया......जैसे ही उसको अपने कंधों पर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ तो वो पीछे मुड़ा ....उसके सामने एक प्यारी लड़की खडी थी. उसने सूट सलवार पहना हुआ था......उसने माधव को बैग की तरफ इशारा करते हुए कहा... 

एक्सक्यूज मी ये मेरा बैग है ......उस लड़की ने माधव को मुस्कुराते हुए बोला...माधव उसको बहुत ध्यान से देख रहा था... उसको पता था ये वो लड़की नहीं है....जिस्का तुम बेग था  माधव ने उसको मना करते हुए बड़े ही एटीट्यूड से कहा...नहीं! ये तुम्हारा बैग नहीं है  .........

माधव की बात सुन उस लड़की ने भी इरिटेट होते हुए कहा ....अरे बड़े अजीब आदमी हो मैने बोला ना ये मेरा बैग है लाओ दो  ........माधव ने अपना बैग वाला हाथ पीछे करते हुए कहा.. मैंने भी कहा ना तुमको कि ये बैग तुम्हारा नहीं है.. और ये जिसका है उसको मैं जानता हूं.और ये बैग जिसका है मैं उसे ही दूंगा समझी ......

माधव की बाते सुनकर उस लड़की को गुस्सा आने लगा था... उसने माधव को घूरते हुए कहा... ए तुम क्यों अपना दिमाग चला रहे हो बोला ना ये मेरा बैग है लाओ दो मुझे .....ये कहते हुए उस लड़की ने बैग लेने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। लेकिन फिर माधव ने अपना हाथ और पीछे कर लिया.... ये दोनों अपना आपस में बहस कर रहे थे। माधव ने उस बैग वाले  हाथ को हवा में रखा था......तभी उस बैग को किसी ने अपना हाथ से खींचा और . जैसे ही माधव को फील हुआ कि उस बैग को उसके हाथ से किसीने खींचा है तो वो गुस्से में झटके से पीछे मुड़ा......और सामने की तरफ देखने लगा तो सामने देखते ही अचानक उसका एक्सप्रेशन चेंज हो गया...अभी तक उसके चेहरे पर जहा  गुस्सा नजर आ रहा था वही अब हेरानी नजर आने लगी थी......उसके सामने वही लड़की खडी थी जिसे वो इतनी देर से ढूंढ रहा था .....लेकिन जैसे वो सामने आई,  माधव की नज़र उसपर टिक गई। यहाँ तक कि वो अपनी पलकें झपकाना भी भूल गया था ......मीरा भी माधव को देखे जा रही थी... उसकी आँखों में अभी भी हल्का काजल लगा हुआ था जिससे उसकी आँखें और भी खुबसूरत लग रही थी . मीरा अपनी प्यारी कथई आँखों से  माधव को टुकुर टुकुर देख रही थी .......

उनदोनो के हाथो ने  बैग को अभी भी  मज़बूती से पकड़ा गया था...तब मीरा ने बैग को अपनी तरफ खींचा ...जिसके झटके से माधव का ध्यान टूटा उसने मीरा को ऊपर से नीचे तक देखा उसने अब अपने कपड़े बदल लिए थे  मेकअप भी हटा लिया था... उसने एक बैंगनी रंग का सिंपल अनारकली सुट पहना था . उसके  खुले बाल हवा  से लहरा रहे थे  मिनिमम मेकअप में भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी कानो में झुमके जो उसके बार बार उसके गालो को चूम रहे थे।.. गुलाब जैसे होठ...मीरा को अपने सामने देखकर माधव की धड़कन बढ़ती जा रही थी .....मीरा भी उसको घूर कर देख रही थी .......घूरते हुए ही मीरा ने अपना बैग अपने  कंधे पर लटकाया और अपने दोस्त सुधा के साथ जाने लगी ......सुधा जो लड़की अभी बैग के लिए माधव से लड़ रही थी वो मीरा की बचपन  की सहेली थी....मीरा ने सुधा का हाथ पकड़ा और उसको अपने साथ कोरिडोर  से बाहर ले जाने लगी.....माधव भी उसको जाते हुए देखे जा रहा था .......उसके चेहरे पर कब एक मुस्कान आ गई उसको पता भी नहीं चला... 

माधव को वेसे कभी लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं थी उसको अपने देश की सेवा करनी थी।  लेकिन आज ना जाने क्यों मीरा को देखकर एक अजीब सी फीलिंग उसके दिल में जगह रही थी... और ये क्यों था इसका जवाब तो माधव के पास भी नहीं था। उसको मीरा के चेहरे में एक मासूमियत दिखायी दी थी ......जब तक माधव ये सोच रहा था तब तक मीरा कॉरिडोर के गेट से बाहर निकल गई .......जब माधव को इसका एहसास हुआ तो वो भी भागता हुआ कॉरिडोर के बाहर निकल गया... जब वो बाहर आया तो उसने देखा कि मीरा और सुधा एक कार में बैठीं और वो चले गए ......ये देख माधव निराश हो गया और जाती हुई कार को देखने लगा......

अगला दिन......

माधव के ट्रेनिंग का अभी ब्रेक टाइम चल रहा था जो 1 बजे 4 बजे तक रहता था उस टाइम वो ट्रेनिंग कैंपस से बाहर आया था।  और उसके कुछ दोस्त भी बाहर आये थे....माधव छुपता हुआ कॉलेज में एंटर हुआ .....अभी कॉलेज में लंच टाइम हुआ था। सभी बच्चे इधर उधर घूम रहे थे.. कुछ बच्चे अपनी किताबों में से नोट्स बना रहे थे ....कुछ लड़के लड़कियाँ ग्रुप में हंसी ठिठोली कर रहे थे ....... जिनको देख माधव के साथ आये बाकी सारे एक दूसरे से बात करने लगे ......

हमने ये मिस कर दिया ना हम अगर कॉलेज में एडमिशन करवाते तो हम भी ऐसी लाइफ जीते कितना मजा आता है ना...... सागर ने कहा.....

हा यार मजा तो बहुत आता है. लड़के लड़की एक साथ रहते  है... यार हमारे घरवालो ने तो स्कूल भी ऐसे चुने जिसमें सिर्फ लड़के जाते थे। अब ट्रेनिंग भी ऐसी ही जगह हो रही है .......सूरज ने हंसते हुए कहा.... तभी विशाल ने आगे आते हुए कहा... और लगता है शादी भी लड़के से करवा देंगे इतना बोलकर वो जोर जोर से हंसने लगा......लड़कियों से इतना दूर करके रखा है हमारी फैमिली में ऐसा लगता है जैसी लड़की नहीं कोई खजाना हो.......

उसकी बात का जवाब देते हुए सागर ने कहा... मेरे पापा बोलते हैं कि लड़किया लड़के का ध्यान भटकाती है अपने गोल से.... इसलिए वो मुझे इनसे  दूर रहने  के लिए कहते है.......ये लोग अपनी बात आपस में कर रहे थे वही माधव की नज़र तो बस एक की शख़्स को ढूंढ रही थी ..मीरा को...वो ढूंढता हुआ उसी जगह पहुंचा जहां पहली बार उसने मीरा को देखा था ......और इत्तेफाक की बात देखिए मीरा वही बैठी थी...उसने एक पीला रंग का अनारकली सूट पहना था। बाल खुले और  घने जो हवा में लहरा रहे थे  कानो में झुमके, माथे में एक छोटी स्टोन की बिंदी.... सामने टेबल पर एक किताब रखी थी उसको देखते हुए अपने दांतो के बीच में पेन को घुमाकर कुछ सोच रही थी ......उसके बालो की कुछ लटे  जो उसके चेहरे पर आ रही थी। वो उनको उठाकर अपने कानो के पीछे डालती और फिर कुछ लिखने लगी .......जब माधव ने मीरा को देखा तो वो कुछ पल के लिए उसको देखता रहा। वो उसके हर मुमेंट को आंखो के जरीये दिल में उतार रहा था......  उसको देखते-देखते उसके पैर कब चलने लगे माधव को ये पता भी नहीं चला...वो चलकर मीरा के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया .......

तभी माधव ने देखा कि मीरा ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया वो मन ही मन में खुश होने लगा... लेकिन इस तरफ मीरा को पता नहीं था कि उसके सामने बैठा इंसान कोन था उसको लगा कि उसकी सबसे अच्छी दोस्त सुधा उसके सामने बैठी है।  मीरा ने सुधा समझ के माधव की तरफ अपना हाथ बढ़ाया था... और हाथ से कुछ इशारा कर के मांग रही थी... माधव को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। माधव ने कुछ सोचा और अपना हाथ मीरा के हाथ पर रख दिया... अपने हाथ में जैसे ही मीरा ने किसी के हाथ स्पर्श महसूस किया तो उसने हेरानी से सामने की तरफ देखा... लेकिन वो ये देख चौंक गई कि वहां सुधा नहीं थी। वहा माधव बैठा था....जैसी ही मीरा की नजर माधव की नजरों से मिली। दोनो एक दूसरे को हेरानी से देखने लगे.... दोनो के हाथ अभी भी एक दूसरे के हाथ में थे...दोनो के दिल की धड़कने तेज हो गई थी... .....माधव मीरा को देखे जा रहा था जैसे ही उसने कुछ बोलने की कोशिश की ......

वैसे ही किसी ने उस के हाथो पर जोर से मारा और उसका हाथ मीरा के हाथों से हटा कर झटक दिया...माधव ने देखा तो वहां सुधा खडी थी और गुस्से से उसको देख रही थी।उसने अपने कमर पर दोनों हाथ रखे  और घुरते हुए माधव से बोली... ए तुम यहाँ कैसे . क्या कर रहे हो यहाँ.. और तुम मेरे दोस्त के साथ क्या कर रहे हो। उसको छेड़ने आए हो... ऐसा सोचना भी मत वरना तुम्हारी ऐसी हालत करूंगी कि आए 2 पैरो पर हो लेकिन जाओगे चार कंधों पर समझे ...... चलो अब यहाँ से निकालो ........उसकी बाते सुन माधव ने हडबडाते हुए कहा......

अरे नहीं नहीं मैं इन्हें छेडने नहीं आया यहां, मैं तो इनसे मिलने आया हूं ..... मेने इनका डांस परफॉर्मेंस देखा का बहुत अच्छा डांस करती है  .......इनके जैसा डांसर मैंने आज तक नहीं देखा। क्या एक्सप्रेशन थे, क्या मूवस  है बिलकुल प्रोफेशनल जैसा ......वो भी क्लासिकल आजकल तो कोई नहीं करता.. आजकल तो लोग सिर्फ वेस्टर्न डांस ही करते हैं .....लेकिन आप तो .....माधव आगे कुछ कहते उसे पहले सुधा ने अपने दोनों हाथ टेबल पर पटके और अपने दाँत कचकचाते हुए बोली......बस हो गया ना कर ली जितनी तारीफ  करनी थी   चलो अब निकलो यहां से ......उठो!.....

माधव ने सुधा को देखा और उसका हाथ पकड़ के उसको कुर्सी पर जबरदस्ती बैठाया और उसको खुशफुसाते हुए बोला... अरे इतना गुस्सा क्यों होती हो। मैं तो बस तुम्हारे दोस्त से दोस्ती करना चाहता हूँ....करवा दो यार...  ....माधव ने मीरा की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए प्यार  से पूछा ......तुम्हारा नाम क्या है?... उसका ये सवाल सुन मीरा सुधा की तरफ देखने लगी......

माधव की हरकतें देखकर सुधा ने ये अंदाजा लगाया था कि ये कोई चलता फिरता लड़का मीरा की ख़ूबसूरती देखकर आ गया है इस से दोस्ती करने के लिए। इसलिए वो और गुस्सा होते हुए बोली......ए मिस्टर बोला ना मेरे  फ्रेंड को कोई दोस्त नहीं करनी तुमसे। उसके पास और बहुत काम है समझे.  और तुम्हारे जैसे बहुत आते उसके पास... बड़े आये दोस्ती करना चाहता हूँ ...... ये बोलकर सुधा ने मीरा की तरफ देखा ..और उसकी किताबों को बंद करते हुए बोली......चल मीरा यहां से पता नहीं कहां से आजाते है...कहते कहते दोनों खडी हो गई.... सुधा ने मीरा का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले जाने लगी ......सुधा को पता भी नहीं चला जाने अनजाने  उसने माधव के सवाल का जवाब दे दिया था... उनको जाता देख माधव भी झटके खड़ा हुआ और उनके पीछे चलने लगा.

..अरे सुनो तो समझो मैं कोई ऐरा गैरा लड़का नहीं हु.....अरे सुनो तो यार मुझे कुछ बोलने का मौका तो दो ना...सुन तो लो मेरी बात...माधव पीछे-पीछे चल रहा था और समझाने की कोशिश कर रहा था.... लेकिन सुधा मीरा का हाथ पकडे अपने साथ लिए जा रही थी ...... तभी चलती हुई मीरा ने अचानक से पीछे मुड़कर माधव को देखा ...... जैसी ही मीरा ने माधव को देखा माधव के पाव अचानक रुक गए ... उसको ऐसा लग रहा था मानो आस-पास कुछ भी नहीं था बस हर जगह गुलाबी-गुलाबी नज़र आने लगा था... माधव मुस्कुराते हुए मीरा को देख रहा था.... धीरे-धीरे उसके सामने से मीरा भी उस कमरे से बाहर चली गई.......

माधव वही खड़ा बस मुस्कुराता जा रहा था... उसके आस-पास का उसका होश भी नहीं था.... तभी उसके दोस्त उसके पास आये.. और माधव को हेरानी से देखने लगे.......सागर ने माधव को देखा और उस तरफ देखा जहां माधव देख रहा था.. लेकिन वहा पर कोई नहीं था.... ये देख सागर ने बाकियो की तरफ देखा और इशारे में पूछा कि हुआ क्या है इसको ....दोनो ने अपने कंधे उचकाते हुए बोला.... पता नहीं।      तबी उन तीनो के कानो में माधव की  आवाज पड़ी ......मीरा !...माधव की मीरा.... ये कहते हुए माधव मुस्कुरा रहा था .....

माधव के मुँह से ये सुन तीनो हेरान होकर एक दूसरे को देखने लगे और बोले... कोन मीरा?...