Momal :Diary ki gahrai - 1 in Hindi Horror Stories by Aisha Diwan Naaz books and stories PDF | मोमल : डायरी की गहराई - 1

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मोमल : डायरी की गहराई - 1

आसमान पर पूरा चांद अपनी रोशनी से भनायक दिखने वाली जगहों को भी हसीन बना रही थी। अंधेरा एक हसीन जगह को भयानक बना सकता है और रौशनी एक भयानक जगह को हसीन बना सकती है। 
घने जंगल को चीरता हुआ एक रास्ता जिस पर किनारों में लगे पेड़ो के सूखे पत्ते बिखरे पड़े थे। हवाएं उन पत्तों को उड़ा कर यहां वहां ले जा रही थी। पत्तों की सरसराहट और पेड़ों की कड़कड़ाहट के अलावा रास्ते के दोनो तरफ घने जंगल से अजीब अजीब आवाज़ें आ रही थी। 
वहां न के बराबर गाडियां चल रही थी और रात के समय तो शायद ही कोई गाड़ी गुजरती दिखे। एक झोपड़ी जैसी चाय की दुकान कुछ दूरी पर दिखाई दे रही थी जिस में टाली के छत लगे थे वहां एक बड़ा सा लाल बल्ब जलता हुआ दूर से दिख रहा था। 
एक लड़की उस चाय के दुकान के सामने रखे बेंच पर बैठी अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी। लिखते हुए उसने एक बार सर उठा कर चाय के दुकान में काम कर रहे लड़के से कहा :" भैया एक चाय बना देना!"
बीस बाइस साल के पतले दुबले लड़के ने बड़े इज़्ज़त से कहा :" जी दीदी अभी बना देता हूं!"

वो लड़की फिर अपनी डायरी में लिखने लगी।
उसके लंबे सुनहरे बाल कमर तक आते हैं जिन्हें उसने क्लिप लगा कर बांध रखा था। बिलकुल सादी सी दिख रही थी। ना कोई सिंगार न कोई तामझाम। 



लिखते लिखते उसने कुछ सोच कर अचानक चाय वाले लड़के से कहा :" भैया एक बता बताओ ! ये जंगल डरवाना है क्या ? मेरा मतलब है की जंगली जानवर और भूत प्रेत वैग्रह !

लड़का चाय की कप पास लाते हुए बोला :" लगता है आप पहली बार आईं हैं यहां ! क्या आप सन राइस होटल में ठहरी हुई हैं?

लड़की ने मुस्कुरा कर उस से कप लेते हुए कहा :" हां बिलकुल सही कहा आप ने ! मेरा नाम मोमल है और मैं यहां पहली बार आई हूं इस लिए ज़्यादा एक्साइटेड हूं।"

चाय वाले लड़के ने जवाब दिया :" नही ये जंगल डरवाना नही है! यहां बहुत लोग आते हैं वाइल्ड लाइफ का मज़ा लेने, अब जंगल है तो जानवर तो होंगे ही आखिरकार जानवरों का घर होता है जंगल! लेकिन दीदी आपको डर नही लगता, रात के समय आप यहां अकेली बैठीं हुई हैं?

मोमल ने बड़े इत्मीनान हो कर कहा :" नही मुझे किसी से डर नही लगता! मैं बस चाय पीने यहां टहलते हुए आ गई , होटल के कुछ लोगो ने कहा के यहां की चाय सब से अच्छी होती है! सच में चाय काफी अच्छी है! अब मैं चलती हूं।"

ये कह कर उसने अपनी डायरी और पेन को अपने हैंड बैग में रखा और उठ कर जाने लगी। चाय वाले लड़के ने कहा :" थैंक यू दीदी फिर आइएगा।"

चाय के ढाबे के कुछ फासले में सन राइस होटल था। मोमल ने एक दो कदम बढ़ाए ही थे की उसे किसी बच्चे की रोने की आवाज़ सुनाई दी, वो रुकी और चाय वाले लड़के से बोली :" आप को बच्चे की रोने की आवाज़ सुनाई दे रही है? ये आवाज़ तो कहीं पास से ही आ रही है।"

लड़के ने इधर उधर देखते हुए कहा :" अरे दीदी ध्यान मत दो ! ऐसी आवाज़ें आती रहती है! शायद कोई जानवर बच्चे की आवाज़ निकाल रहा हो, आप इन सब चक्करों में मत पड़ो आप जाओ।"
उसे ये सब बता कर वो लड़का अपने काम में व्यस्त हो गया।

मोमल का दिल गवारा नहीं कर रहा था के वो किसी बच्चे की चीखती हुई आवाज़ को नजरंदाज कर के चली जाए , उसने सोचा के अगर सच में कोई बच्चा मुसीबत में हो और अगर उसे मदद की ज़रूरत हो और मैने मदद नहीं की तो गॉड मुझे panishment देंगे। ये सोच कर वो नज़र बचा कर जाने लगी। 
वो धीरे धीरे कदम बढ़ा रही थी, उसकी धड़कन और सांसे तेज़ थी। कुछ आगे जाते ही उसे महसूस हुआ के उसके पीछे कोई चल रहा है, पत्तो पर पैर पड़ने से कच कच सी आवाज़ आ रही थी, सन्नाटे में सांस लेने की आवाज़ भी सुनी जा सकती थी। बच्चे की रोने की आवाज़ अब और तेज़ हो गई। अब मोमल के कदम न आगे बढ़ पा रहे थे न वो पीछे मुड़ कर देख पा रही थी। उसने धीरे से अपने बैग से एक चाकू निकाला और हमला करने के लिए उसे हवा में उठा कर तेज़ी से पीछे मुड़ी, उसका मुड़ना ही था के उसके पीछे जो शख्स था उसने उसका हाथ झट से पकड़ लिया और कड़क कर कहा :" कौन हो तुम ? यहां क्या कर रही हो?

मोमल ने कुछ पल बड़ी बड़ी आंखों से उसे घूर कर देखती रही और फिर अपना हाथ झटके से छुड़ा कर तेज़ तेज़ सांसे लेते हुए बोली :" आप कौन हैं? और आप यहां क्या कर रहे हैं? भूत तो नही दिखते "

उस शख्स ने उसे हैरानी से देखते हुए कहा :" पहले मैंने सवाल किया था और वोही सवाल तुम ने चिपका दिया! जाओ यहां से...अगर तुम किसी बच्चे की आवाज़ सुन कर अंदर जा रही थी तो मैं बता दूं कोई बच्चा नहीं रो रहा है एक जानवर है जो बच्चे की आवाज़ निकालता है। और थोड़ा अंदर गई तो कोई टाइगर ज़रूर खा जाएगा।"

इतना बता कर वो अपने हुडी के जेब में दोनो हाथों को डाल कर उसी चाय के दुकान में जा कर बैठ गया। मोमल उसके पीछे पीछे दौड़ी और उसी बेंच में आ कर बैठ गई, अपने चाकू को बैग में रखते हुए आंखों में जोश लिए बोली :" आप यही रहते हैं क्या ?.... मुझे उस जानवर को देखना था।"

उस शख्स ने उसे तिरछी आंखों से एक बार देखा और फिर खामोश रहा। 
उसके हल्के भूरे बाल, गहरी भूरी आंखे, गोरे चहरे पर हल्की सी दाढ़ी मूंछें और छह फिट ऊंचा कद, लेकिन चहरे पर कोई कैफियत या मुस्कान नही थी। 



उसने चाय वाले लड़के को आवाज़ लगाई :" मैक्स!.... चाय पिलाओगे?

मैक्स दौड़ता हुआ आया और खुश हो कर बोला :" अरे अब्राहम सर आप गए नहीं? (फिर उसने मोमल को देखते हुए कहा) अरे दीदी आप होटल नही गईं?

मोमल ने अपने मन में कहा :" ओह तो इसका नाम अब्राहम है।"
फिर उसने मैक्स को जवाब दिया :" नही मुझे एक और कप चाय पीनी है! मुझे चाय पीना बहुत पसंद है ना इस लिए....तुम्हारे हाथ की एक कप चाय से ऐसे भी मन नही भरने वाला, इतनी अच्छी जो बनाते हो।"

मैक्स ने मुस्कुरा कर उसे शुक्रिया कहा फिर उसने अब्राहम से पूछा :" सर आप तो आज ही जाने वाले थे न ?
अब्राहम ने अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देखते हुए कहा :" हां आज जाने वाला था लेकिन कुछ काम रह गया था इस लिए कल दोपहर तक चला जाऊंगा।"
दोनों ने बैठ कर चाय पी उसके बाद वो उठ कर जाने लगा, मोमल भी जल्द करते हुए उठी और उसके पीछे पीछे चलने लगी। उसे पीछे आते देख वो रुका और डांट कर बोला :" मेरे पीछे क्यों आ रही हो?
मोमल ने अपनी आईब्रोस को सिकुड़ कर कहा :" ये एक ही रास्ता है तो मैं यही से जाऊंगी न ! आप कोई सेलिब्रिटी नही है जो मैं आपका पीछा करूंगी, मैं अपने होटल जा रही हू! 
इतना सा कह कर वो उसके बगल से सनसनाते हुए चली गई"

तेज़ तेज़ चलते हुए वो अपने आप से कहती हुई जा रही थी :" खुद ने ही मुझे टाइगर खा जायेगा कह कर डराया और अब कहता है पीछे क्यों आ रही हो! हुंह...देर रात न होती तो मैं अकेले जंगल घूम लेती।"

वो अपने आप में ये सब बड़बड़ा रही थी फिर उसने पीछे मुड़ कर देखा और कहा :" अब आप क्यों आ रहे हैं मेरे पीछे ?

अब्राहम ने झुंझला कर कहा :" यहां एक ही होटल है मैं भी वोही जा रहा हूं समझ गई? अब अपना मुंह बंद रखो और चुपचाप चलो।"

इसी तरह वो दोनों होटल पहुंचे। सुबह मोमल को एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी जाना था। वो यहां असिस्टेंट लाइब्रेरियन की इंटरव्यू देने आई है और बहुत नर्वस भी है क्यों के उसे ये नौकरी हर हाल में चाहिए इस लिए वो सोई नहीं और पूरी रात जितनी हो सके पढ़ाई करती रही। उसके साथ उसका एक छोटा भाई आया था जो दूसरे कमरे में सो रहा था। 
सुबह होते ही वो अपने भाई के साथ यूनिवर्सिटी के लिए निकल गई, यूनिवर्सिटी जा कर उसे इतनी खुशी हो रही थी के जैसे ये जगह उसके सपनो में बरसों से समाई हुई हो। चारो तरफ हरियाली ही हरियाली और खूबसूरत खुबसूरत इमारतें उसकी आंखों में चमक बढ़ा रही थी। 
यूनिवर्सिटी के सामने खड़े हो कर कुछ देर वो उस जगह को निहारते रही फिर अंदर एचआर ऑफिस गई, 
क़रीब दोपहर के समय उसका इंटरव्यू हुआ जिसमे उसने सभी सवालों के सही सही और पूरे कॉन्फिडेंट के साथ जवाब दिया। खुश हो कर एचआर ऑफिस से बाहर आई, उसे खुश देख कर उसके भाई रैन ने पूछा :" क्या बात है दी! लगता है आपको जॉब मिल गई?

मोमल ने जोशीले अंदाज़ में कहा :" बिलकुल!.. आखिर मैंने इतनी मेहनत जो की है! ऑफिसर्स ने कहा के पांच दिन बाद रिजल्ट मिलेगा लेकिन मुझे यकीन है ये जॉब तो मुझे ही मिलेगी क्यों के ऑफिसर ने कहा के मुझे यहां रहने की तैयारी कर लेनी चाहिए.... इसका मतलब मैं इंटरव्यू में पास हो गई हूं।"

वो दोनों भाई बहन खुश हो कर कैंपस के ग्राउंड में रखे बेंच पर बैठे, मोमल ने रैन से कहा :" सुन न !...मेरे लिए चाय ला दे , कुछ देर हम यहां बैठेंगे फिर चाय पी कर घर के लिए निकल जायेंगे।"

रैन उठा और उकताहट से बोला :" क्या दी!... आपको हर बात पर चाय चाहिए ! आप चाय थरमस में लेकर क्यों नहीं घूमती?

मोमल मुंह बिचका कर बोली :" अरे उसमे मज़ा नही आता! तू जायेगा या नही ?

रैन :" जा रहा हूं।"

मोमल फिर से अपनी डायरी में कुछ लिखने लगी। कुछ देर में रैन चाय लेकर आया। चाय पीने के लिए उसने बेंच पर डायरी रख दी लेकिन बाते करते करते चाय पीने की वजह से वह डायरी को भूल गई और उसे इस बात का ध्यान नहीं रहा के उसने अपने बैग में डायरी नही रखी है और वो बेंच पर ही रह गई है। 
दोनो वहां से अपने घर के लिए निकल गए।
कुछ ही देर में वहां यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट आए, बेंच पर रखे डायरी को उठा कर उलट पलट कर देखने लगे, यहां तक के उस डायरी के लिए वो लोग आपस में छीना झपटी करने लगे जैसे उसमे कोई खज़ाना छुपा हो। इतने में किसी की कड़क आवाज़ आई :" क्या हो रहा है यहां ? 
अचानक स्टूडेंट्स लाइन में खड़े हो गए, सामने देखा तो अब्राहम हाथ में एक बैग लिए खड़ा था। 

उसमे से एक स्टूडेंट ने कहा :" सर यहां बेंच पर हमे एक डायरी मिली! ये कोई मोमल मैरी नाम के स्टूडेंट का है, क्या आप जानते हैं सर की यहां इस नाम की कोई स्टूडेंट है या नही?

डॉक्टर अब्राहम इसी यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर है। वो सब से स्ट्रिक्ट प्रोफेसर माना जाता है। उसने स्टूडेंट के हाथ से उस डायरी को लेते हुए कहा :" मुझे तो याद नही के इस नाम की कोई स्टूडेंट यहां है या नही लेकिन अगर कोई है तो उसे ये दे दिया जाएगा!"

ये कह कर वो डायरी लेकर चला गया। 
उन स्टूडेंट्स में से एक ने कहा :" सर किसी रिसर्च पर गए थे न सीनियर्स को लेकर? वापस कब आ गए?
पीछे से सीनियर्स की टीम आ रही थी, उमने से एक ने कहा :" ये लोग जस्ट अभी आ रहे हैं।"

अब्राहम ने उस डायरी को वापस करने के लिए वहां के क्लर्क से मोमल नाम की स्टूडेंट को ढूंढने को कहा लेकिन क्लर्क ने चेक कर के बताया के यहां कोई भी इस नाम की स्टूडेंट नही है। 
ये बात जान कर वो थोड़ा ताज्जुब हुआ और डायरी को अपने पास ही रखा। 

रात हो चुकी थी। एक सुनसान सा कॉटेज जिसके खिड़कियों से रौशनी बाहर तक आ रही थी। उसके ठीक बगल से एक तालाब बह रही थी जिसका पानी पत्थर से टकराता तो झपाक सी तेज़ आवाज़ होती। कॉटेज के दूसरी तरफ जंगल था।
कॉटेज के सामने दो लकड़ी की बनी कुर्सियां और एक छोटी सी टिटेबल रखी हुई थी। ये घर किसी और का नही बल्के प्रोफेसर अब्राहम का ही है जिसमे वो अकेला रहता है। उसका घर यूनिवर्सिटी के नज़दीक ही है।


रात के समय वो अपने घर से बाहर आया और वहां रखे कुर्सी पर बैठ गया। उसके हाथ में मोमल की डायरी थी। पेड़ों की सरसराहट और पानी के बहने की आवाज़ जैसे एक मधुर धुन सुना रही थी। वो पहले तो डायरी को कुछ देर देखता रहा फिर सोचा के " ज़रा देखूं तो सही क्या लिखा है! शायद लिखने वाली का पता चल जाए"

उसने पहला पन्ना पलटा जिसमे बड़े अक्षरों में "This diary belongs to Momal Marry" लिखा था। 
मोमल, कितना अजीब नाम है ,पहली बार सुना है मैने " ( अपने आप से ये कह कर उसने दूसरा पन्ना पलटा जहां से मोमल ने लिखना शुरू किया था।

(अगला भाग जल्द ही)......