जय श्री कृष्णा 🙏
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।
हे फैमिली कैसे है आप सब ? आशा है की आप सब ठीक होंगे और आपका परिवार भी खुश और स्वस्थ होगा। आप सब से रिक्वेस्ट है की कहानी को ज्यादा से ज्यादा प्यार दे, लाइक करे और कॉमेंट करे। और मेरे प्यारे साइलेंट रीडर से भी विनती है की कहानी पढ़ने के बाद कुछ जरूर लिखे उस पार्ट के बारे में, मुझे आप सब का कॉमेंट पढ़ना बहुत पसंद है। लव यू ऑल❤️
अब बिना देर किए चलते है कहानी के ओर ....
दिल्ली ( गुडगांव )
Bhargav's corporate
कैबिन में बैठा राजवीर बंधन से बात करने में बिजी था, बंधन की प्यारी प्यारी और बच्चों जैसी बातों ने, उसके बोलने के अंदाज ने, उसके आइसक्रीम वाले और गोलगप्पे वाले से बात करने का तरीका जो बहुत ही प्यारा है, जिसे सुनने के बाद वहां बैठे सबके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान छाई हुई थी, ये बहुत ही रेयर था की करण भी मुस्कुरा रहा हो, काम के प्रेशर की वजह से वो तो मुस्कुराना जैसे भूल ही गया था, उसके चेहरे पर मुस्कान बस निया को देख कर ही आती थी, और आज बंधन की बातों से उसके लब मुस्कुरा रहे थे।
राज ( डांटते हुए ) " इतना मीठा खायेगी तो दांत में कीड़े लग जायेंगे।"
बंधन ( हस्ते हुए ) " अरे भाई कीड़े को भी पता है की मै कितनी बड़ी आफत हूं, इसलिए कीड़े मुझसे दूर ही रहते है।"
राज (सीरियस हो कर ) " तूने मुझे माफ तो कर दिया ना।"
बंधन ( मूंह में आइसक्रीम भरते हुए ) " हां जाओ कर दिया, आप भी क्या याद करोगे ?"
राज ( मुस्कुराते हुए ) " अच्छा अब ये बता तेरा ग्रेजुएशन तो हो गया है अब आगे का क्या सीन है ?"
बंधन ( उदास होते हुए ) " मैने पिता जी से कहा तो है की मुझे आगे पढ़ने के लिए दिल्ली जाना है, लेकिन ..."
बंधन बोलते बोलते चुप हो जाती है।
राज ( बात पूरी करते हुए ) " तो फूफा जी ने मना कर दिया। है ना।"
बंधन ( उदासी से ) " नही मना भी नही किया है और परमिशन भी नही दिया है, बात बीच में अटकी हुई है।"
राज ( लंबी सांस खींचते हुए ) " तो अब आगे क्या ?" ।
बंधन ( हस्ते हुए ) " देखिए क्या होता है ? अब जो पिता जी बोलेंगे वो तो मानना पड़ेगा ना, पैरेंट्स से बाहर हो कर अगर कुछ कर भी लिया, अच्छी जॉब, अच्छा एजुकेशन ले भी लिया तो क्या फायदा ? जो कहेंगे पिताजी वो ही करेंगे।"
राज ( सीरियस हो कर ) " और अगर उन्होंने मना कर दिया तो ?"
बंधन ( सीरियस हो कर ) " भाई देखिए अगर पिता जी ने मना कर दिया तो आगे कुछ भी नही हो सकता है, क्योंकि माता सीता ने कहा है की जिस कार्य में माता पिता और गुरुजन का आशीर्वाद ना हो वो कार्य करना अधर्म है। मै उनसे रिक्वेस्ट कर सकती हूं लेकिन उनके आशीर्वाद के बिना आगे नहीं बढ़ सकती हूं।"
राज ( मुस्कुराते हुए ) " हां मेरी पंडित बहन मुझे पता है की तू कोई गलत कदम नहीं उठाएगी, लेकिन याद रख करियर भी जरूरी है, और इसके लिए भी काम करना है।"
बंधन ( बेफिक्र अंदाज में मजाक करते हुए ) " अरे भाई वो तो सीन पूरा सेट है, एक मस्त पैसे वाले लड़के के साथ शादी करूंगी और लाइफ सेट है।"
राज ( हस्ते हुए ) " और तुझसे शादी करेगा कौन ? किसका टेस्ट इतना खराब होगा ?"
बंधन ( चिढ़ते हुए ) " अरे भाई जब आपके शक्ल पर भी कोई लड़की मर सकती है, तो मै तो फिर भी ठीक हूं, वैसे जो भी बोलिए लेकिन उसका टेस्ट है बहुत खराब, छीः..."
राज ( हल्के गुस्से से ) " हां चल चल बड़ी आई। चुड़ेल।"
बंधन ( मजकिया लहजे में ) " वैसे उस इंग्लिश मैडम को खाना वाना बनाना आता भी है की वो भी आपके माथे पर आएगा।"
राज से अब बर्दास्त नही हो रहा था, बंधन बार बार उसका और निया का नाम एक साथ जोड़ रही थी, जो उसे अब तकलीफ दे रहा था।
राज ( हल्के गुस्से से ) " हां चल रखता हूं अभी शाम में बात करूंगा।"
बंधन ( मुस्कुराते हुए ) " ठीक है भाई, बाय, टेक केयर।"
राज ( बड़े प्यार से ) " टेक केयर बच्चा।"
इसके बाद कॉल कट किया जाता है।
करण ( मुस्कुराते हुए ) " लगता है तू हम से भी ज्यादा इस लड़की के करीब है।"
राज ( हल्के से मुस्कुराते हुए ) " हम्म मेरी छुटंकी है ही ऐसी।"
इसके बाद तीनो ही मुस्कुरा उठते है।
बंधन फोन अपने पर्स में रख लेती है। और अब वो काफी सीरियस हो गई थी।
बंधन ( कृष्ण जी से प्रार्थना करते हुए ) " हे केशव मेरी उड़ान को पंख दीजिएगा, इसे रोकना मत, मै भी दूसरी लड़कियों की तरह अपने सपने पूरे कर पाऊं, प्रार्थना स्वीकार करो परमेश्वर।"
ऐसे ही भगवान को मनाते हुए, उनसे बात करते हुए घर पहुंचती है।
सुधीरा जी ( बंधन को देख कर ) " आ गई अब तुम जल्दी से हाथ धो कर पहले खा लो, फिर कुछ कपड़े है उन्हे सिलना भी है, और तुम्हारे पापा के कुछ कपड़े है जिन्हे प्रेस करना है।"
बंधन ( मूंह बनाते हुए ) " क्या मां ? आपका काम है या कुबेर का भंडार जो कभी खतम ही नही होता। आते ही इतना काम दे दिया की अब तो खाने का भी मन नही कर रहा।"
सुधीरा जी ( थप्पड़ दिखाते हुए ) " अगर खाना नही खायेगी तो ये खायेगी, और हां जल्दी खाओ और काम पर लगो फिर शाम को अपना बैठ कर पढ़ना, तुम्हारा ग्रेजुएशन क्या खत्म हुआ, किताब कॉपी से रिश्ता ही तोड़ ली हो।"
बंधन ( दोनो हाथ जोड़ते हुए ) " जो हुकुम मेरे आका।"
सुधीरा जी चली जाती है बंधन भी फ्रेश हो कर खाना ले कर हॉल में बैठ जाती है, तभी सुधीरा जी उसके बगल में बैठते हुए।
सुधीरा जी ( बंधन से ) " वो जो तेरी बुआ दादी है ना, उनके बहू और पोते का डाइवोर्स होने वाला है।"
बंधन ( चौंकते हुए ) हैं.... कौन वो जो मुंबई वाली है, उनका ( सुधीरा जी हां में सर हिला देती है ) लेकिन उनकी तो लव मैरिज थी, फिर ये डाइवोर्स क्यों हो रहा है ?"
सुधीरा जी ( मूंह बनाते हुए ) " तो कौन सा कृष्ण और रुक्मिणी जैसा प्रेम था, जो ऐसे टिकता मैने तो पहले ही तुझसे कहा था न की ये प्रेम विवाह टिकेगा नही।"
बंधन ( चाऊ से बात सुनते हुए ) " हां लेकिन ये आपने कैसे कहा था ?"
सुधीरा जी ( एडजस्ट हो कर बैठते हुए ) " पहली बात तो लड़की हमेशा से दिल्ली में रही है, तो इंग्लिशिया लड़की के लिए हमारे बिहारी रंग ढंग में आना पहाड़ चढ़ने जैसा है। कहां वो हमेशा छोटे फैमिली में रही है, और कहां गाउं घर का बड़का परिवार, किसी दिल्ली वाली से नही संभलने वाला है, उसके लिए तो बिहारी ही चाहिए।"
तो आगे क्या होगा इस कहानी में ? क्या रंग लाता है समय बंधन के जिंदगी में ? जानने के लिए बने रहे बंधन ( इक मर्यादा )।
मेरे मन की बात
हां तो फैमिली कैसा लगा आज का पार्ट कॉमेंट में बताइए और अगर पसंद आया तो लाइक करें ❣️कॉमेंट करे और शेयर करे अपने जैसे नॉवेल लवर्स के साथ और अपनी फैमिली को बड़ा करे ये आपकी भी जिम्मेदारी है 🙂और हो कोई सजेशन कहानी से रिलेटेड तो कॉमेंट में बताइए आपके सजेशन का तहे दिल से स्वागत है 🙏 लव यू फैमिली ❣️❣️❣️
✍️ शालिनी चौधरी