from yes sir to yes but in Hindi Human Science by Review wala books and stories PDF | यस सर से येस बट तक

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यस सर से येस बट तक

यस सर से येस बट तक 

मैं एक काल्पनिक स्थिति का वर्णन करूंगा जिसमें एक कर्मचारी अपने बॉस के आदेशों का पालन करता है और कभी-कभी "नो सर" कहने की स्थिति में होता है।

कर्मचारी जीवन में, बॉस के आदेशों का पालन करना एक सामान्य बात है। कई बार, कर्मचारी अपने बॉस के कहे अनुसार काम करते हैं, चाहे वह आदेश कितना भी असामान्य क्यों न हो। उदाहरण के लिए, बिना टेंडर के ऑर्डर देना, बिना इंटरव्यू के नियुक्ति पत्र जारी करना, या फिर व्यक्तिगत काम जैसे बॉस की पत्नी को शॉपिंग करवाना। 

ऐसी स्थिति में, कर्मचारी अक्सर "यस सर" कहने के लिए मजबूर होते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि वे अपनी नौकरी और प्रोमोशन को सुरक्षित रखना चाहते हैं। "नो सर" कहने का मतलब हो सकता है कि वे अपने बॉस की नाराजगी मोल लें, जो उनके करियर के लिए हानिकारक हो सकता है।

हालांकि, कुछ कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हैं और गलत आदेशों का पालन नहीं करते। वे "नो सर" कहने का साहस रखते हैं, चाहे इसके परिणामस्वरूप उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़े। ऐसे कर्मचारी अपने आत्म-सम्मान और नैतिकता को प्राथमिकता देते हैं।

एक उदाहरण के रूप में, एक कर्मचारी को बिना टेंडर के ऑर्डर देने का आदेश मिलता है। वह जानता है कि यह कंपनी की नीतियों के खिलाफ है और इससे कंपनी को नुकसान हो सकता है। वह अपने बॉस से विनम्रता से कहता है, "सर, यह आदेश कंपनी की नीतियों के खिलाफ है और इससे हमें कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।" इस पर बॉस नाराज हो सकता है, लेकिन कर्मचारी अपने सिद्धांतों पर अडिग रहता है।

दूसरी ओर, कुछ कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो अपने बॉस के हर आदेश का पालन करते हैं, चाहे वह कितना भी गलत क्यों न हो। वे सोचते हैं कि "यस सर" कहने से उन्हें प्रोमोशन मिलेगा और वे अपने बॉस की नजरों में अच्छे बने रहेंगे। लेकिन लंबे समय में, यह रवैया उनके करियर के लिए हानिकारक हो सकता है। 

कर्मचारी जीवन में संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। बॉस के आदेशों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन गलत आदेशों का पालन करना नैतिकता के खिलाफ है। कर्मचारियों को अपने आत्म-सम्मान और नैतिकता को बनाए रखना चाहिए और गलत आदेशों का विरोध करना चाहिए। 

अगर आप कभी ऐसी स्थिति में हों, तो सोच-समझकर निर्णय लें। अपने सिद्धांतों पर अडिग रहें और गलत आदेशों का पालन न करें। इससे न केवल आपका आत्म-सम्मान बढ़ेगा, बल्कि आप अपने सहकर्मियों के लिए भी एक उदाहरण बनेंगे।

क्या आपने कभी अपने बॉस को "नो" कहा है? अगर हाँ, तो वह अनुभव कैसा रहा?
खराब ही रहा होगा, क्योंकि इगो सबकी हर्ट होती है, बॉस की कुछ zyada ही. कभी नो सर बोला आपने? 
नही, तो क्यों नही? 
प्रोमोशन नही मिलती? 
ओह, तो यस but ही बोल देना था? 
कोई बात नही अब तो आप retire हो गए है
कुछ नही हो सकता 

(सरकारी कर्म चारि मुझे क्षमा करेंगे
किसी पार्टी आदि से मुझे कुछ लेना देना नही है)क्या देश को आप देख रहे है? 
आप ही इसे चलाने का दम भरते है न? 
नही नही चलाते भी होंगे, बुरा न मानिये जी। 
ज़रा मुहफट हू न बोल गया ज्यादा
पर पूछूँगा जरूर
बुरा लगे तो लगे