Kukdukoo - 19 in Hindi Drama by Vijay Sanga books and stories PDF | कुकड़ुकू - भाग 19

Featured Books
  • You Are My Choice - 41

    श्रेया अपने दोनो हाथों से आकाश का हाथ कसके पकड़कर सो रही थी।...

  • Podcast mein Comedy

    1.       Carryminati podcastकैरी     तो कैसे है आप लोग चलो श...

  • जिंदगी के रंग हजार - 16

    कोई न कोई ऐसा ही कारनामा करता रहता था।और अटक लड़ाई मोल लेना उ...

  • I Hate Love - 7

     जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 48

    पिछले भाग में हम ने देखा कि लूना के कातिल पिता का किसी ने बह...

Categories
Share

कुकड़ुकू - भाग 19

“यार हमे भी फुटबॉल खेलना है, तुम दोनो की बात सुनकर लगता है फुटबॉल खेलने मे बहुत मजा आता है।” एक बच्चे ने आगे आते हुए कहा। 

“अरे फुटबॉल खेलना चाहते हो तो अच्छी बात है, पर एक बार मंगल का घूटना देख लो, फाइनल मेच मे इसके घुटने पर कैसी चोट लगी है वो देख लो पहले।” रघु ने कहा और मंगल को अपना घुटना दिखाने का इशारा किया।

 मंगल ने जब उन सबको अपने घुटने की चोट दिखाई तो आधो ने तो उसी समय फुटबॉल खेलने से मना कर दिया। उन सबको बात सुनकर रघु और मंगल एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। “क्या यार रघु , तूने उन सबको मेरे घुटने की चोट दिखाकर डरा दिया, बेचारों ने फुटबॉल खेलने से तौबा कर लिया।” मंगल ने रघु से कहा। 

“अरे यार मंगल, थोड़ी सी चोट देख कर दर गए तो फुटबॉल कैसे खेल पाएंगे।” रघु ने मुस्कुराते हुए मंगल से कहा।

 “अच्छा ये सब छोड़, और ये बता की आज दावत मे क्या क्या बनने वाला है?” मंगल ने रघु से पूछा। 

“यार मुझे पता तो नही है, पर वही बनेगा, रोटी सब्जी और चावल, और क्या बन सकता है !” रघु ने मंगल से कहा। 

“हां यार तू सही बोल रहा है, वैसे भी दावतों मे यही सब तो बनता है। अच्छा रघु , तेरा जन्म दिन आने वाला है ना, कब है ये तो बता।” मंगल ने उत्सुक भाव से रघु से पूछा। 

“अरे यार तू कैसा दोस्त है ? अपने खास दोस्त का जन्म दिन तक तुझे याद नहीं।” रघु ने नाराजगी भरे भाव से मंगल से कहा। 

“अरे यार भूल गया, अब तू ही बता दे।” मंगल ने रघु से कहा और टकटकी लगाकर रघु की तरफ देख कर उसके जवाब का इंतजार करने लगा।

 “अभी तीन दिन बाद है, अब तू भूलना मत।” रघु ने मंगल से कहा।

वो दोनो बात कर ही रहे थे की तभी क्लास के अंदर टीचर आ गई। “चलो अपनी अपनी इंग्लिश की किताब निकाल लो।” टीचर ने बच्चों से कहा। 

सभी बच्चों ने अपनी अपनी इंग्लिश की किताब निकाल ली। टीचर ने उन सबको किताब मे से चैप्टर पढ़ाना शुरू कर दिया। पढ़ते पढ़ते कब क्लास खत्म होने का समय हो गया, किसी को पता ही नही चला। शिक्षक ने अपना बैग लिया और क्लास से बाहर चली गई। इसके बाद एक और क्लास लगी और फिर छुट्टी होने की घंटी बज गई। आज के दिन जल्दी छुट्टी होने वाली थी, इसलिए छुट्टी की घंटी जल्दी बज गई।

 सभी बच्चों ने अपने बैग लिए और क्लास से बाहर आने लगे। रघु और मंगल क्लास से बाहर आए ही थे की शिल्पा ने रघु को आवाज देकर रुकने को कहा और उसके पास आकर पूछा– “ओए रघु , आज लंच तो हुआ ही नहीं, तो तूने हलवा तो खाया ही नही होगा !”

 शिल्पा के ये बात सुनकर, रघु को थोड़ी हैरानी हुई, फिर उसने शिल्पा से कहा– “हां तो तुझे इससे क्या? तू अपने काम से काम रख।” रघु ने शिल्पा से कहा। 

रघु की ये बात सुनकर शिल्पा के चेहरे पर उदासी छा गई, और वो वहां से चली गई। “अरे यार रघु , उसने इतने अच्छे से पूछा और तूने कितने बुरे तरीके से उससे बात की, मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी यार, ये बहुत गलत किया तूने, मैं जा रहा हूं।” मंगल ने रघु से कहा और वहां से अकेला ही घर के लिए निकल गया।

मंगल की बात सुनकर रघु को एहसास हुआ की उसे शिल्पा से इस तरीके से बात नही करनी चाहिए थी। रघु सॉरी बोलने के लिए शिल्पा को देखने लगा, पर शिल्पा वहां कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। वो भागता हुआ स्कूल के गेट से बाहर आया तो उसने देखा की शिल्पा अपनी साइकिल लेकर पैदल जा रही थी। रघु ने उसको आवाज दी– “शिल्पा... अरे रूक तो सही।” पर शिल्पा नही रुक रही थी। वो चली जा रही थी। रघु भागता हुआ उसके पास गया, पर शिल्पा अभी भी नही रूक नहीं रही थी। 

“अरे यार शिल्पा बात तो सुन,” रघु ने शिल्पा से कहा। पर शिल्पा उसकी कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं थी।

 रघु अचानक से उसके आगे आकर खड़ा हो गया। जैसे ही उसने आगे आकर शिल्पा को देखा तो वो हैरान हो गाय। उसने देखा की शिल्पा की आंखों मे आंसू थे। वो समझ गया की उसकी बातो से शिल्पा को कितना बुरा लगा होगा।

 “अरे पागल, तू तो रोने लगी, इतनी सी बात पर कोई रोता है क्या?” रघु ने शिल्पा से कहा।

 “मुझे तुझसे कोई बात नही करनी, तू जा यहां से।” शिल्पा ने रघु से कहा और आगे चलने लगी। 

“अरे यार शिल्पा सॉरी यार, मुझे तुझसे ऐसे बात नही करनी चाहिए थी, माफ कर दे यार।” रघु ने अपने कान पकड़ते हुए कहा। 

रघु को ऐसा करते देख शिल्पा का मूड अच्छा हो गया। “अरे यार शिल्पा सॉरी यार, मुझे लगा तू हमेशा की तरह मजाक कर रही होगी, पर तू तो रोने लग गई, मुझे नही पता था की तुझे मेरी बातो का इतना बुरा लग जायेगा।” रघु ने इतना कहा ही था की शिल्पा ने उसे रोकते हुए कहा–“चल कोई बात नही, मैं तो उस समय यही बोलने आई थी की मुझे भी हलवा खाना है, पर तूने मेरी बात ही नही सुनी।” 

“अरे यार ऐसी बात थी तो बोलना चाहिए था ना।” रघु ने कहा। 

“अरे तू बोलने देता तब तो बोलती ना, तूने तो मेरी बात सुनी ही नही और बिना बात के मुझपर गुस्सा किया।” शिल्पा ने रघु से कहा।

 “अरे सॉरी यार, चल अब दोनो मिलकर हलवा खाते हैं।” रघु ने शिल्पा से कहा और बेग से टिफिन निकालने लगा। 

“अरे नही यार, मेरा मन नही है, तू खा ले।” शिल्पा की ये बात सुनकर रघु ने साइकिल ली और एक तरफ खड़ी कर दी और शिल्पा का हाथ पकड़कर एक चट्टान पर बिठाते हुए कहा–“देख यार शिल्पा, अगर तूने मेरे साथ हलवा नही खाया तो मैं सोचूंगा की तूने मुझे माफ नही किया।” ये सुनकर शिल्पा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने कहा–“चल टिफिन मुझे दे, अब मुझे पूरा हलवा खाना है।” 

शिल्पा की ये बात सुनकर रघु एक पल के लिए तो शिल्पा को हैरानी भरी नजरों से देखा और टिफिन शिल्पा की तरफ बढ़ा दिया। रघु को ऐसे देखकर शिल्पा हंस पड़ी और कहा–“अरे पागल, मैं तो मजाक कर रही थी।” शिल्पा ने इतना कहा और टिफिन बीच मे रख दिया। 

हलवा खाते खाते रघु ने शिल्पा से पूछा– “अच्छा शिल्पा अभी तेरा जन्म दिन आने वाला है ना, तो क्या होने वाला है जन्म दिन पर ?” 

“यार मुझे तो कुछ पता नहीं है, मम्मी पापा ने कुछ सोच रखा होगा।” शिल्पा ने कहा और हलवा खाने लगी। 
Story to be continued....
Next chapter will be coming soon....