Hotel Haunted - 67 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 67

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 67

तेज चलनेवाले गिले रास्तों से गुजरते हुए मैने अपनी कार मेरे घर के सामने आकर रोक दी,बारिश इतनी तेज थी के सामने देखना मुश्किल था,पूरा शहर इस वक्त बारिश के फुहार में भीगा हुआ था,मैं गाड़ी से बाहर निकाला और गेट के सामने आकर खड़ा हो गया।मैंने बैल बजाई तो थोड़ी देर के बाद रमण ने आकर गेट खोला,मुझे इतनी रात को पूरे भीगे हुए कपड़ों में देखकर वो हैरान रह गया, अभी वो आगे कुछ बोलता उससे पहले मैं तेज कदमों से चलते हुए सीधा अंदर घुस गया,घर के हॉल मैं पहुंचा तो दिल को जंजोडकर रख देने वाली वही ख़ामोशी दिखाई दी,जो घर कभी ममता के प्यार से भरा हुआ रहता था वो आज सुना पड़ा है इस बात से दिल में एक दर्द उभर आया और मां की फिर याद सताने लगी जिसे बीते दिनों मैं यहां पर छोड़ गया था,पर मैं तभी उन ख्यालों से बाहर आया और पूछा,"क्या पापा इस वक्त जाग रहे थे?" मैं भीगे कपड़ों में हॉल के बीचोंबीच में खड़ा हुआ था, कपड़ों से गिरती पानी की बूंदे फर्श को भीगो रही थी तभी ऊपर से पापा की आवाज सुनाई दी,"अरे बेटा श्रेयस तुम इस वक्त?!!" उनकी आवाज सुनकर मैंने ऊपर देखा तो उनकी नजर मेरे सिर पे लगे घाव पे चली गई और वो तेजी से चलते हुआ नीचे आ गए,"तुम तो college tour पर गए थे तो फिर यह चोट कैसे लग गई? तुम इतनी जल्दी वापस कैसे आ गए और हर्ष कहा है? पापा ने एक के बाद एक सवालों की बौछार शुरू कर दी।

"मैं आपको सब बताता हूं पापा पर उससे पहले कुछ बहुत जरूरी बात है जो मुझे आपसे पूछनी है"
"वो सब बाद मैं पहले तुम जाकर change कर लो और फ्रेश हो जाओ" पापा ने रमण की ओर देखकर कहा जो मेरे पीछे ही खड़ा था,"रमण तुम जाकर जल्दी से 2 गर्म कॉफी बनाकर लाओ।" यह सुनकर रमण वहा से चला गया।
"पापा मेरे पास अभी इतना वक्त नहीं है"
"क्यों आखिर ऐसा क्या हो गया है जो तू इतना परेशान दिख रहा है?" मेरी हालत देखकर उन्होंने पूछ लिया।
"पापा हम लोग एक Dark Haunted Night Resort नाम की जगह पर tour के लिए गए थे।"
"हां बेटा,शिल्पी के गुजर जाने के बाद मैने खुदको काम मैं इतना busy कर लिया की मैं तुमको पूछना ही भूल गया कौनसी सिटी मैं है ये रिजॉर्ट?"
"ऊंटी.....हम लोग ऊंटी गए थे क्या आप पहले कभी वहा गए है काफी खूबसूरत जगह है" मेरा सवाल सुनकर वो जैसे सोच मैं पड़ गए।
"न....नही....मैं कभी ऊंटी नही गया पर तू अचानक यह सब क्यों पूछ रहा है?" उनकी बात सुनकर मैने अपनी tshirt उतार दी और सोफे पर आकर बैठ गया,जिसकी वजह से मेरी chest पर लगे चाकू के घाव सामने आ गए,जिस पर पट्टी बंधी हुई थी और इन भाग-दौड़ की वजह से वहा से हल्का खून बहने लगा था जो पानी के साथ मिलकर फर्श पर गिर रहा था।यह देखकर पापा सीधे मेरे पास आ गए,"श्रेयस इतना गहरा घाव कैसे? किसने किया ये?" मैने एक गर्म सांस छोड़ी और कहा,"वो रिजॉर्ट जहा हम रुके है वो हॉन्टेड है,लोग कहते है कि वहा पहले एक बहुत पुरानी हवेली हुआ करती थी" मेरी बात सुनकर पापा को सांसे तेज़ होती गई मानो बीते कल के दर्दनाक लम्हे उनकी आंखों के सामने तैर रहे हो,"वो वापस आ गई है पापा,वो मौत का खेल फिर शुरू हो गया है जिसमें मेरी एक दोस्त की जान भी चली है,उसने आंशिका के शरीर को भी अपने कब्जे मैं कर लिया है और भाई के साथ मेरे सभी दोस्तो की जान खतरे मैं है।"

दूसरी तरफ रिजॉर्ट में हॉल की दीवार पर लगी हुई घड़ी के 'टिक-टिक' की आवाज पूरे सन्नाटे में साफ सुनाई दे रही थी,जैसे ही बड़ी सूई 12 पर आकर रुकी रात के 3:00 बजने की वजह से उसके टकोरे की आवाज रूम में बंद सभी लोगों के कानों में पड़ी जो मुश्किल से अपना हर लम्हा बिता रहे थे, बाहर गिरती बारिश की आवाज और आसपास खड़े बड़े पेड़ों की परछाई बिजली की रोशनी में किसी राक्षस जैसे लग रहे थे तभी शांति को तोड़ते हुए अभिनव बोल पड़ा,"श्रेयस को गए कितना वक्त बीत चुका है पक्का वह मदद लाने के लिए ही गया है या फिर मौका देखकर कहीं भाग गया?"
"अपनी जबान को संभालो किसी को अकेले में छोड़कर भागना तेरा काम है हर कोई तेरी तरह नहीं होता" अभी की बात सुनकर ट्रिश ने भी सामने जवाब दिया,पर शंका की लकीर हर किसी के मन में खींच चुकी थी इसलिए मिलन ने भी कहा,"वैसे बात तो ठीक है ट्रिश,उसे सिर्फ ऊटी में बाबा से मिलने जाना था पर 4 घंटे से ऊपर बीत चुके हैं फिर भी श्रेयस का कोई पता नहीं है।"
"मिलन उसका दोस्त होते हुए भी तू ऐसी बातें कर रहा है? जरा बाहर मौसम तो देख कितनी बारिश हो रही है,ऐसी बरसात में वो अकेला गया है वह ठीक होगा या नहीं यह पूछने की वजह है तुम सब उस पर शक कर रहे हो।"
"नहीं ट्रिश ऐसी बात नहीं है तू मुझे गलत....." वह आगे कुछ बोलता है उससे पहले ही ट्रिश उसे रोक दिया और सब लोग आपस में बहस करने लगे पर अविनाश की नजर कैमरे में मौजूद सभी लोगों पर घूम रही थी और जब उसने गौर किया तो उसका दिमाग ही घूम गया,उसने तुरंत सबको रोकते हुए कहा,"Hey Guys श्रेयस के कहने के मुताबिक हम सबको एक ही रूम में रुकना है Right?"
"हां उसने तो यही कहा था पर तू अचानक यह सब क्यों पूछ रहा है?" विवेक ने कहा।
"तो फिर हर्ष कहां पर है?" अविनाश की बात सुनकर सब लोग हक्का-बक्का हो गए और सब लोगो ने आसपास देखा पर हर्ष वहां पर मौजूद नहीं था,कोई कुछ पूछता उससे पहले ही किसी ने बाहर से दरवाजे पर जोर से दस्तक दी,जैसे कोई जोरों से दरवाजे को पीट रहा हो,सब लोग यह देखकर पीछे हो गए क्योंकि पूरा दरवाजा हिल रहा था जैसे अभी टूटकर बिखर जाएगा तभी बाहर से,"अवि खोल.....खोल......जल्दी दरवाजा खोल यार" हर्ष के चिल्लाने की आवाज आई,यह आवाज सुनकर सब लोग एक दूसरे की शक्ल देखने लगे।

"अवि भाई प्लीज दरवाजा खोल मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दे रही है वह मुझे नहीं छोड़ेगा।"यह आवाज सुनकर अविनाश दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ा तभी ट्रिश ने पीछे से आकर उसके हाथ को पकड़ लिया,"क्या कर रहा है अवि भूल गया श्रेयस ने कहा कहा था? ये गलती मत करना" अविनाश ने अपना हाथ छुड़ाने हुए कहा,"तू पागल हो गई है क्या? वहां हर्ष बाहर अकेला है उसे कुछ हो जाएगा तो तू श्रेयस को क्या जवाब देगी?"
"जरा खुद सोचो अवि श्रेयस ने बाहर से दरवाजे को बंद किया है, अगर हर्ष होता तो वह बाहर से डोर खोलकर अब तक अंदर आ चुका होता।"
"पर ट्रिश अगर सच में हर्ष बाहर हुआ तो? रूम दोनों तरफ से लॉक है शायद उसने बाहर से लॉक खोल दिया हो और हमे पता न चला हो,उसे एक बार खोल कर चेक तो कर लेने दे" मिस ने भी अवि का साथ दिया।
"मिस यह पागल हो गई है इसलिए यह सब बकवास कर रही है" इतना बोलकर अवि ने थोड़ा लॉक खोला ही था कि विवेक ने जाकर उसका कॉलर पकड़ लिया और उसे पीछे धकेल दिया,"एक बार सुना नही क्या? यह गेट नहीं खुलेगा....मतलब नहीं खुलेगा" यह सुनकर फिर बाहर से आवाज आई,"वह मेरे पास आ गया है कोई तो मदद करो....आआआहह......." हर्ष की एक दर्दभरी चीज पूरे कमरे के अंदर फैल गई और लाल खून की धार कमरे के डोर से बहती हुई कमरे के अंदर आने लगी जिसे देखकर सब सहम उठे।

आधी रात बीत चुकी थी पर इस काली अंधेरी रात में बरसात रुकने का नाम नहीं ले रही थी जैसे वह भी आने वाले तूफान के बारे में चेतावनी दे रही हो,बाहर से गरजते बादलों की आवाज हॉल के सन्नाटे में दिल तक दस्तक दे रही थी,डर की वजह से पापा के चेहरे पर पसीना उभर आया था,"नही....आखिर ये कैसे हो सकता है? इतनी जाने गवाने और कुर्बानियां देने के बाद हमने उसे कैद किया था तो फिर वो कैसे वापस आ सकता है?" उनकी बात सुनकर मैं समझ गया की जरूर कोई बात है जो उन्होंने हमसे छुपा रखी है।
"पापा कौन है वो जिसके बारे मैं आप बात कर रहे है और आखिर क्यों आपने और मां ने हमसे इतनी बड़ी बात छिपाई।"
"शिल्पा की वजह से....." इतना कहकर उन्होंने मेरी ओर देखा तो उनकी आंखों मैं आंसू की कुछ बूंदे उभर आई थी,"हां श्रेयस जब तुम्हारी असली मां श्रेया की जब मौत हुई तो उसके पहले उसने शिल्पा से वादा लिया था की वो तुम दोनो मैं से किसी को भी उनके अतीत के बारे मैं नही पता चलना चाहिए, जिन बातों को हम अतीत में छोड़कर आगे बढ़ गए थे वह तुम्हारे मुझे सुनकर ऐसा लग रहा है मानो वक्त कभी आगे बढ़ा ही नहीं जैसे उनसे फिर हमें वहां लाकर खड़ा कर दिया है।"
 

20 साल पहले.......

अस्पताल में बेड पर लेटे हुए श्रेया ने शिल्पा का हाथ पकड़ा हुआ था,उसके पास में ही ध्रुव खड़ा हुआ भीगी आंखों से श्रेया की और ही देख रहा था। 3 साल का श्रेयस बार-बार बस रोते हुए अपनी मां को पुकार रहा था, श्रेया ने तेज चलती सांसों के साथ शिल्पी से कहा,"मेरा प्यार तो मुझे पहले ही छीन चुका है और अब यह शरीर भी मेरा साथ छोड़ रहा है।" इतना बोलते हुए श्रेया की सांसे तेज चलने लगी साथ ही उसकी आंखों से गिरते आंसू उसके कानों को भिगो रहे थे,यह देखकर शिल्पा ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया,"ऐसा मत कहो श्रेया तुम्हें कुछ नहीं होगा तुम्हें लड़ना होगा तुम इतनी कमजोर नहीं पढ़ सकती।"
"थक चुकी हूं मैं इस जिंदगी से शिल्पी.......मेरी जिंदगी तो तभी खत्म हो चुकी थी जब मेरे प्यार ने मेरे हाथों में दम तोड़ा था, मैं तो बस हमारे प्यार की निशानी को देखकर ही जिंदा थी,पर लगता है भगवान को अब यह भी मंजूर नहीं है,उस हादसे की वजह से मेरा पूरा शरीर कमजोर पड़ चुका है।" यह सुनकर शिल्पी ने रोते हुए श्रेया के हाथों पर अपनी गर्दन झुका दी।
"शिल्पी,मेरे बेटे अब अकेले हो जाएंगे,अनाथ कहलाएंगे अपने पिता का साथ तो पहले ही खो चुके हैं पर लगता है....." श्रेया अभी कुछ आगे बोलने वाली थी की तभी शिल्पा ने उसे रोकते हुए कहा,"यह तुम कैसी बातें कर रही हो हमारे होते हुए तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो? मैं उसकी मां बनूंगी हम उसका ख्याल रखेंगे, उनके दिल की हर ख्वाहिश पूरी करूंगी, उसे वो प्यार दूंगी की उसे कभी तुम्हारी महसूस नही होगी" इतना सुनकर श्रेया के चेहरे पर मुस्कान उभर आई,"मुझसे एक और वादा करोगी?" इस बात पर शिल्पा ने सिर्फ हां मैं गर्दन दिला दी।
"एक मां के लिए उसका बेटा ही उसकी दुनिया होता है पर मैं नहीं चाहती कि मेरा बेटा मुझसे नफरत करें, जिस दर्द और तकलीफ से हम गुजरे हैं उसका साया भी हमारे बच्चों पर नहीं पढ़ना चाहिए, हमारे अतीत में जो कुछ हुआ है उसके बारे में कभी श्रेयस को पता नहीं चलना चाहिए, मुझसे वादा करो शिल्पा....." इतना सुनकर शिल्पा श्रेया से लिपटकर रोने लगी,"तुम मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंप रही हो, मुझे नहीं पता शायद मैं इसे निभा पाऊंगी या नहीं?"
 
ध्रुव और श्रेयस इस वक्त एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे,बीते वक्त की कुछ दर्दनाक यादों के बारे में सुनकर श्रेयस की आंखों से आंसू निकलकर उसके गालों को भिगो रहे थे तभी ध्रुव खड़ा हुआ और अपने कमरे की और बढ़ने लगा,उसे ऊपर जाते हुए देखकर श्रेयस भी उसके पीछे चलने लगा,उसने हल्का सा धक्का देकर अपना रूम खोला और एक Drawer के पास आकर रुक गया,उसने कुछ तस्वीरें श्रेयस के सामने रखते हुए कहा,"यही है तुम्हारे असली माता-पिता" उन तस्वीरों में उसके माता-पिता की कुछ खुशी के लम्हों की एक झलक थी जो एक शैतान के आने से बिखर चुकी थी,श्रेयस की आंखों से एक कतरा फिसल कर उस तस्वीर पर गिरा और उन तस्वीरों को श्रेयस ने अपने गले से लगा लिया।
"पापा वह कौन सी कड़वाहट की बात थी जिसके बारे में मां बात कर रही थी?" इतना सुनकर ध्रुव ने अपने गर्दन झुका ली क्योंकि इस बात को बताने के लिए वह झिझक रहा था।
"प्लीज पापा मुझे बताइए क्योंकि एक छोटी से छोटी बात भी मेरे लिए बहुत जरूरी हो सकती है।" आखिरकार एक भारी सांस छोड़कर ध्रुव ने कहा,"श्रेया ने खुद अपने हाथों से हर्षित का अंत किया था।"

23 साल पहले.......

भयानक काली रात में,मूसलधार गिरती बारिश में लड़खड़ाते कदमों के साथ ध्रुव आगे बढ़ रहा था, उसके घाव से निकला हुआ खून पानी में मिलकर जमीन पर जैसे कहीं खो रहा था,उसे इस वक्त सिर्फ अपने दोस्तों की फिक्र थी,आखिर ध्रुव वहां पहुंच गया और उसने सामने का मंजर देखा तो जैसे उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा बिखर गया हो, वह वही अपने घुटनों के बल बैठ गया और जमीन पर अपना हाथ मरते हुए जोरों से रोने लगा। सामने पूरे हवेली में आग लग चुकी थी,वह पूरी तरह से टूट कर बिखर रही थी और उसके बाहर कुछ ही दूरी पर श्रेया ने अपने हाथों में एक त्रिशूल कसकर पकड़ा हुआ था, जो हर्षित के शरीर के आरपार हो चुका था, दोनों के घायल शरीर से निकलकर बहते खून से जैसे तालाब बन चुका था आखिरकार हर्षित ने अपनी आखिरी सांस छोड़ी और वह नीचे जमीन पर गिर गया।

आखिरकार इस कहानी का Season 1 यही पर खत्म होता है,दोस्तों इस कहानी को इतना प्यार देने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.....क्या हर्ष मर चुका है? आखिर श्रेया ने हर्षित की जान क्यों ली? और क्या श्रेयस आंशिका को बचा पाएगा? इन सब सवालों के जवाब लेकर जल्दी Season 2 में लेकर आऊंगा,अगले Season में कई ऐसे राज होंगे जो इस कहानी को एक नया मोड़ देंगे,तब तक थोड़ा इंतज़ार कीजिए,जल्द मिलेंगे......

The End of Season 1