मैं गुस्से में उस सफेद साड़ी वाली औरत को देख रही थी लेकिन डायरेक्टर सर को ऐसा लग रहा था कि मैं उन्हें घूर रही हूं। वह हैरान थे और हैरानी से वह बस मुझे घूर रहे थे लेकिन उनसे ज़्यादा हैरान वह चुड़ैल थी जिससे नज़रे मिलाकर मैं खड़ी थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं उसी से बात कर रही हूं। उसने अचंभित हो कर कहा :" क्या तुम मुझे देख सकती हो?
मुझे उस पर बेहद गुस्सा आ रहा था। जितना गुस्सा मुझे उस पर आ रहा था उससे ज़्यादा गुस्सा डायरेक्टर सर को मुझ पर आ रहा था इसलिए डायरेक्टर सर ने गुस्से में आकर कहा :" यह क्या बकवास कर रही हो तुम!... जानती भी हो किस से बात कर रही हो? तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है हां!...क्या तुम पागल हो ?"
मैं ने डायरेक्टर सर की बात नहीं सुनी क्यों के वहां से स्टूडेंट्स बात चीत करते हुए जा रहे थे जिस वजह से मुझे उनकी आवाज़ सुनाई नही दी और फिर मैं ने उस औरत से सख्ती से कहा :" मैं तुम्हें देख भी सकती हूं और मार भी सकती हूं इसलिए अगर अपनी जान की परवाह है तो मेरे नज़रों के सामने मत आना।"
मेरी इन बातों ने डायरेक्टर सर को अचंभे में डाल दिया। उन्हें इस बात पर शक होने लगा की कहीं सच में मेरा दिमाग तो खराब नहीं है क्योंकि उन से इस कॉलेज में किसी भी शख्स को इस तरह बात करने की हिम्मत तो नहीं हुई होगी।
मेरे धमकाने से वह औरत डर गई। पहली बार मैंने उसका डरा हुआ चेहरा देखा। मेरे आंखों में शोले भड़कते हुए देख कर कुछ ही पल में वह खामोशी से वहां से गायब हो गई। उसके गायब होते ही मुझे डायरेक्टर सर का गुस्से और हैरत के मिले जुले भाव वाला चहरा दिखा। मुझे घूरते हुए वो बिलकुल मेरे सामने दोनों हाथों को जेब में डाले हुए खड़े हुए।
अब मेरे चेहरे की रंगत उड़ चुकी थी। गुस्सा तो पता नहीं कहां भांप बनकर उड़ गया था और मेरे पैर जैसे ज़मीन में गड़कर जम गए हों। ना मैं वहां से हिल पा रही थी ना ही मेरे गले से आवाज़ निकल रही थी क्यों के अब मुझे इस बात का एहसास हो गया था के जो बातें मैं ने उस औरत से कही वो बातें सर ने सुन ली है। उनके सामने मैं किसी खरगोश की तरह लग रही थी जो शेर से डर कर खड़ा खुद का अंत शेर के आंखों में देख रहा हो।
उन्होंने चिड़चिड़े मन से मुझे देखते हुए कहा :" क्या तुम्हारी दिमागी हालत ठीक नहीं है या यह सब तुम मेरा अटेंशन पाने के लिए कर रही हो?.... आज मैं तुम्हें माफ कर रहा हूं क्योंकि मुझे शक है कि तुम्हारा मेंटल हेल्थ ठीक नहीं है! लेकिन इसके बाद अगर तुम मुझे कोई भी बेहूदी हरकत करती हुई दिख गई तो अपना बैग उठाना और सीधा निकल जाना फिर दोबारा मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।"
यह सब का कर हो मुझे ब्लैक पैंथर की नज़रों से देखते हुए चले गए लेकिन इस बार मैं उन्हें कुछ भी नहीं कह पाई क्योंकि उनका नाराज़ होना जायेज़ था। उनके चले जाने के बाद मुझे उनकी कही हुई एक बात चुभ गई और वह यह बात थी "यह सब तुम मेरा अटेंशन पाने के लिए कर रही हो"
इस दौरान वर्षा और रूमी मुझे ढूंढते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गई थी और मुझसे पूछ रही थी कि मैं वहां से भाग क्यों आई लेकिन मैं तो मूर्ति बनाकर खड़ी थी।
अब जा कर मेरे गले से आवाज़ निकली और मैं वहीं खड़ी होकर बिना रुके बड़बड़ाने लगी :" attention my foot !... समझते क्या है अपने आप को जैसे उनके जैसा इस दुनिया में कोई है ही नहीं!.... उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं कि मैं उनसे ज़्यादा खूबसूरत हूं उनकी खूबसूरती भाड़ में जाए ऐसे साइको को मैं अच्छे से ठिकाने लगाने जानती हूं। इनके बारे में जो भी अफवाहें फैली है वह बिल्कुल सही है। एक नंबर के मेंटल, पागल,साइको हैं। एक बूंद भी भाव न दूं मैं इन्हें और मुझे पागल कह कर चले गए!... रोवन नही रावण है ये रावण!"
मेरा बड़बड़ाना सुनकर वर्षा ने मेरे कंधों पर हाथ रखते हुए चिंतित हो कर कहा :"क्या हुआ तुम्हें किसी से बहस हो गई क्या ? किसकी बात कर रही हो ?"
लेकिन रूमी मुझे टकटकी लगा कर नाराज़गी से देख रही थी। उसने अपनी एक आईब्रो उठाते हुए कहा :" क्या तुम डायरेक्टर रोवन सर की बात कर रही हो ?
मैं ने झट से कहा :" और है ही कौन यहां पर उनके जैसा पागल और सनकी! खुद को वर्ल्ड का मोस्ट हैंडसम मैन समझते हैं। बड़े आए हैंडसम हुंह!"
वर्षा कुछ बोलने ही जा रही थी के रूमी ने कहा :" वो मेरे मामा हैं।"
उसके इस बात से मैं और वर्षा कुछ देर के लिए सन्नाटे में चले गए। हम दोनों ही हक्का बक्का हो कर उसका मुंह तक रहे थे। हमारे अचंभित चहरे को देख कर उसने फिर से दोहरा कर कहा :" डॉक्टर रोवन पार्कर मेरे सगे मामा है।"
हैरानी में मैने वोही बात दोहरा कर पूछा जो रूमी ने कहा था :" डॉक्टर रोवन पार्कर तुम्हारे मामा हैं?
उसने अकड़ कर कहा :" जी हां! और जो तुमने अभी उनके बारे में इतनी सारी तारीफें की है ना मैं ये सब उन्हें बिलकुल भी नहीं बताऊंगी don't worry about it..... क्यों के उन्हें इन बातों से कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता की कोई उनके बारे में क्या बोलता है। वो अच्छी तरह जानते हैं की वो क्या है।"
मैं ने चिढ़ कर कहा :" तो वो इतना तीखा क्यों बोलते हैं? उन्हें आखिर लड़कियों से प्रोब्लम क्या है?"
रूमी ने जवाब दिया :" उन्हें लड़कियों से कोई प्रॉब्लम नहीं है। उन्हें बस डर है!"
उसके इतना कहते ही वहां उसका ड्राइवर आ गया और रूमी ये कहते हुए चली गई के " मेरे मामा अच्छे इंसान हैं बस उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि कोई लड़की उन्हें लाइन मार रही है!....अब मैं चलती हूं अपना ख्याल रखना! कल मिलते हैं... बाय!"
"हां तो मैं कौन सा उन पर लाइन मार रही थी। जो भी हो उन्हें अपने ज़बान पर लगाम बिलकुल नहीं है।"
मैने बिदबिदा कर कहा।
मैं ने रूमी के चहरे की मायूसी को नोटिस किया जब उसने ये कहा के वो डरते हैं। मेरे समझ से ये बात बाहर थी के वो किस से डरते हैं। लड़कियों से, उस सफेद भूतनी से या अपने आप से? क्या उन्हें पता भी है के उनके पिछे पिछे एक भूतनी हमेशा घूमती रहती है। क्या वो मेरे धमकाने से सच में डर गई या मैं ने उसे धमका कर कोई बड़ी गलती कर दी?
कई तरह के डर और सवाल मेरे दिमाग में घूमने लगे थे।
(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)