I can see you - 4 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan Naaz books and stories PDF | आई कैन सी यू - 4

Featured Books
Categories
Share

आई कैन सी यू - 4

मेरा पहला दिन तब तक ही बहुत अच्छा था जब तक मैं ने उस सफेद साड़ी वाली भूतनी को नही देखा था। मैं तेज़ी से चल कर जा रही थी और यही सोच रही थी के हर जगह मुझे भूत क्यों मिल जाते हैं? मेरा मन झुंझला गया था। मैं ये भी समझने की कोशिश कर रही थी के वो हसीन नौजवान कौन था? क्या वो भूतनी उसकी खूबसूरती के वजह से उसके पिछे पड़ गई होगी? 
मेरे मन में कई सवाल उठने लगे थे। मैं ने दादी से सुना था के कभी कभी किसी खूबसूरत लड़का या लड़की के पीछे भूत पड़ जाते हैं और फिर उस इंसान की शादी कभी नहीं होने देते। कभी कभी खूबसूरत होना भी गुनाह सा लगता है।

गर्ल्स लॉज पहुंचने तक मैं यही सब सोचती रही फिर सीढ़ियों में चलते हुए मैं ने अपने आप से कहा :" ना जाने दुनिया में कितने ही अजीब अजीब कहानियां होती होंगी उस से मुझे क्या ! जो भी हो मुझे सब को नज़र अंदाज़ कर के सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना होगा! उम्मीद करती हूं के मैं किसी भूत के चक्कर में पड़कर अपना समय बर्बाद नहीं करूंगी। इन भूतों की ऐसी की तैसी!"

(मैंने खिसया कर कहा)

अपने आप को समझा कर मैं अपने कमरे में गई लेकिन कमरा खुला हुआ था। अंदर गई तो देखा मेरी रूम मेट आ चुकी है और वो अपना सामान रखने में व्यस्त है। मुझे देखते ही मुस्कुरा कर मेरे पास आई और बहुत ही जोशीले अंदाज़ में हाथ आगे बढ़ा कर बोली :" हाय! मैं वर्षा शर्मा!... तुम ही मेरी रूम मेट हो ना ? मिलकर अच्छा लगा!"

मैं ने उस से हाथ मिलाकर कहा :" हेलो! मैं लूसी साइरस!... तुम से मिलकर खुशी हुई।"

वर्षा पांच फुट की गोरी चिट्टी लड़की थी। सेहतमंद और थोड़ी वजनदार थी। मैं उसकी आंखों में खुशी की चमक देख सकती थी। उसने मुझे टकटकी लगाकर देखा और फिर बोली :" तुम भी नेहरू कॉलेज में हो ना?.... यहां की आंटी ने बताया के आज तुम्हारा कॉलेज में पहला दिन था! तुम्हे कॉलेज कैसा लगा?

मैं थकी हुई जा कर बिस्तर पर लेट गई और पास में ही बैग रख दिया। लेटे लेटे ही मैं ने उसके सवाल का जवाब दिया :" हां मैं नेहरू कॉलेज में हूं और कॉलेज मुझे बहुत अच्छा लगा! सब अच्छा था। तुम्हें भी पसंद आयेगा। वैसे तुम किस क्लास में हो ?

वर्षा अब भी वोही सामने खड़ी हो कर मुझे ही देख रही थी। उसने खुशी के स्वर में कहा :" मैं भी मास्टर्स में ही हूं। तुम्हारा सब्जेक्ट क्या है?

मैं ने उसे जवाब दिया :" रूरल डेवलपमेंट!"

मेरा जवाब सुन कर वर्षा के सारे जोशीले मन में पानी फिर गया। मुंह लटका कर बोली :" ओह तुम तो अलग क्लास में बैठोगी! मेरा इंग्लिश लिटरेचर है।"

मैं ने उसके बातों को खत्म कर के कहा :" अच्छा कोई बात नही हम एक रूम में तो रहेंगे ही!.... तुम अपना काम खत्म कर लो और मैं थोड़ा आराम कर लेती हूं।"

ये कह कर मैं ने आंखे बंद कर ली। मैं कुछ देर सोना चाहती थी लेकिन जैसे ही मैं ने आंखे बंद की मुझे वोही सफेद साड़ी वाली औरत नज़र आने लगी। उसकी वो चिल की नज़रे जो उस हैंडसम लड़के को अपने शिकार की तरह देख रही थी। वो आंखें जैसे मेरी आंखों में ही तस्वीर बन कर रह गई हो। 

मुझे नींद नहीं आई और न ही मन को सुकून मिला। जब भी मेरे मन में उथल पुथल होती है तब मेरे पास एक ही ज़रिया होता है जिस से मुझे थोड़ा सा आराम महसूस होता है और वह है चाय। मैं उठी और चाय बनाने लगी। मैं ने कमरे में गैस चुलेह के बजाए इंडेक्शन चुलाह रखा था। उस पर मैं ने एक छोटा सा पैन रखा और फिर वर्षा से कहा :" क्या तुम्हे चाय पीना है?

उसने मुस्कुरा कर कहा :" हां हां ज़रूर!"

मैं चाय बना रही थी और वो अपने बिस्तर पर बैठी बैठी मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मैं उसकी कोई दिलरुबा हूं। उसका चहरा खिला हुआ था। मुझे देखते हुए उसने कहा :" चाय पीने के बाद हम बाहर टहलने चलें ?

मैं ने थके हुए लहज़े में कहा :" हां चलेंगे!"

हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे। मैं ने वर्षा से चाय की घूंट लगाकर कहा :" वैसे तुम कहां से आई हो? तुम्हारा घर कहां है?

उसने उत्सुकता से जवाब दिया :" मैं तो यहीं की हूं! यहां से पच्चीस किलो मीटर की दूरी पर मेरा गांव है। अब मैं रोज़ पच्चीस किलो मीटर का सफर तय कर के कॉलेज अटेंड तो नही कर सकती थी इस लिए यहां रहने आ गई!... तुम्हारे बारे में आंटी ने सब बता दिया। तुम कटिहार से आई हो! है ना?

मैं ने दोनों कप उठाए और सिंक में रखते हुए कहा :" हां!...चलो चलते हैं बाहर!"

हम दोनों उसी रास्ते पर चलने लगे जो कॉलेज की तरफ जाता है। हमारे लॉज से ही कॉलेज की विशाल इमारत दिखाई देती है। मैं अभी यही सोच रही थी के वो लड़का आखिर कौन था इतने में वर्षा बोल पड़ी :" तुम्हें पता है इस कॉलेज के डायरेक्टर कौन है?

मैं ने उसकी ओर देखते हुए असमंजस में कहा :" नहीं!... कौन है बताओ?"

" एक हैंडसम जवान लड़का जिसके बारे में दो तरह की अफवाएं हैं! अब उनमें से कौन सी बात सच है ये सिर्फ वोही जानते हैं।"
(वर्षा ने बताया)

हैंडसम लड़के की बात से मुझे उसी की याद आ गई लेकिन मैं ये नहीं जानती थी के वह वोही है जिसकी बात वर्षा कर रही है या वह कोई और है। मैं ने जानने की उत्सुकता जताते हुए पूछा :" कौन सी दो अफवाएं ? साफ साफ बताओ ना!"

उसने एक लंबी सांस ली और बताने लगी :" मुझे उनका नाम याद नहीं आ रहा है गूगल पर सर्च करो उनकी फोटो भी दिख जायेगी। मैं ने उनके बारे में काफी सून रखा है। कोई कहता है की वो कातिल है जिसने अपनी दो पत्नियों का खून किया है वह भी शादी के रात को ही! कोई कहता है की वह श्रापित है। उनसे जो भी लड़की शादी करेगी वो मर जायेगी!.... मुझे लगता है की वो कातिल नही श्रापित है क्यों के उन्हें कतल के जुर्म में पकड़ा तो गया था लेकिन उनका जुर्म साबित नहीं हो पाया और वह निर्दोष ठहराए गए! इस लिए उन्हें कोई सज़ा नहीं हुई। अब तुम ही बताओ अगर उन्होंने कतल किया होता तो पुलिस के छानबीन में और पोस्टमोर्डम में कत्ल साबित हो ही जाता। जब उन्होंने पहली शादी की तो शादी के रात ही लड़की ने दीवार पर सर पटक पटक कर जान दे दी और फिर उसके एक साल बाद उन्होंने दूसरी शादी की तो उस लड़की ने भी बिल्कुल वोही किया! वो भी सर पटक कर मर गई!.... अब इन बातों में कितनी सच्चाई है ऊपर वाला ही जानता है। कुछ लोग कहते हैं की वो सब कतल ही है क्यों के वह बहुत डरवाने हैं। वह किसी भी लड़की से बात नहीं करते ना ही उन्हें देखना भी पसंद करते हैं। उनकी खूबसूरती की वजह से कई लड़कियां उनके आसपास मंडराती है पर वह बहुत ही गुस्से में उन्हें डांट कर धमका देते हैं। सब कहते हैं वो एक साइको है जिसने अपनी पत्नियों को मारा है और उसे सुसाइड का नाम दे दिया है। वो कॉलेज में ही रहते हैं। उनका घर कॉलेज के एक बिल्डिंग में ही है और वो बिलकुल अकेले रहते हैं। उनका परिवार शहर में रहता है। बाप के गुज़र जाने के बाद उनकी जगह वो डायरेक्टर बन गए हैं।" 

ये सब सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। वर्षा ये सब बता रही थी और मेरी आंखों के सामने वोही मंज़र घूम रहा था जब वो तेज़ी से चलकर मेरे क़रीब से गुज़रा था और उसके पीछे वो औरत थी। 

अभी मैं सदमे में ही थी के मैं ने उन्हें हमारी तरफ आते हुए देखा। उन्होंने काला पैंट और काला टीशर्ट पहन रखा था जिस वजह से उनका गोरा रंग और ज़्यादा गोरा लग रहा था। आसपास की हरियाली काले रंग के कपड़ों को और काला बना रही थी। उन्हें देख कर मेरी आंखें चौंधिया रही थी। मैं ने धान के पत्तों को तोड़ रही वर्षा से धीरे से कहा :" वर्षा सामने देखो! क्या ये लड़का वोही डायरेक्टर हैं?

वर्षा ने जैसे ही सर उठा कर देखा उसका दिल थर्रा उठा और फुसफुसा कर कहने लगी :" हां हां ये वोही है! अरे बाप री उन्हे देख कर मुझे इतना डर क्यों लग रहा है। जैसे हम कोई हिरनी हों और वो शेर !.... क्या करें भाग चलें क्या?

मैं ने उसका हाथ पकड़ कर दबाते हुए कहा :" चुप करो और शांत हो कर जैसे चल रही थी वैसे ही चलो!... वो हमारे कॉलेज के डायरेक्टर हैं। उनसे भगोगी तो कॉलेज में एडमिशन ही क्यों लिया है।"

हमारे क़रीब आते आते उन्हें किसी का कॉल आया और वह अपने छोटे से मोबाइल में बात करते हुए चले गए। उन्होंने हमारी तरफ देखा भी नहीं। अब तक मैं उन्हें तीन बार देख चुकी हूं लेकिन इन तीनों दफा में उन्होंने एक बार भी नज़र उठा कर मुझे नही देखा था जैसे हम उनके लिए अदृश्य प्राणी हों।

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)