mast ram dreams of justice in Hindi Short Stories by Review wala books and stories PDF | मस्त राम के न्याय के सपने

Featured Books
Categories
Share

मस्त राम के न्याय के सपने

मस्त राम के न्याय के सपने 

रात का समय था और मैं गहरी नींद में था। अचानक, मेरे सपनों में एक अद्भुत दृश्य उभर आया। "ओह, वाह, फलाने एम पी को जेल हो गई पांच साल," किसी ने कहा। मैंने सोचा, "क्या किया था, गबन किया था।" यह सुनकर मुझे एक अजीब सी खुशी हुई। पर यह खुशी न्याय के संदर्भ में थी न कि किसी को सजा मिलने पर.. खेर अब आगे. 

फिर किसी ने कहा, "ओह फलाने मंत्री को भी हो गई जेल।" मैंने पूछा, "क्यों?" जवाब मिला, "वो जा रहा है रेप का दोषी फांसी पर।" यह सुनकर मुझे लगा कि न्याय की जीत हो रही है। 

फिर मैंने देखा, "वो देखो तो सड़कों की मरम्मत न करवाई, वही इंजीनियर पे एक लाख का फाईन हो गया।" यह सुनकर मुझे लगा कि अब सब कुछ सही हो रहा है। दिल में खुशी अभी भी कायम थी. पर न्याय मिलने वाली खुशी थी य़ह भी. 

ऐसे मस्त सपने देखते-देखते सुबह हो गई। मेरी पत्नी राम प्यारी ने मुझे जगाया और कहा, "उठो न, आज उस केस के बारे में आपने लेख लिखना है जो चौबीस साल से चल रहा है।" 

मेरे हसीन सपने को तोड़ने वाली राम प्यारी, मैंने उससे कहा, "बस चाय पिला दो।" जेसे मैं उसको हमेशा कहता हूं.. 

चाय की चुस्की लेते हुए, मैंने सोचा कि सपनों की दुनिया कितनी अलग होती है। वहाँ सब कुछ सही होता है, न्याय होता है, और हर कोई खुश होता है। लेकिन वास्तविकता में, चीजें इतनी सरल नहीं होतीं। आजकल य़ह कहीं दिखता नहीं. 

चौबीस साल से चल रहे केस के बारे में सोचते हुए, मैंने अपने लेख की शुरुआत की। यह केस एक बड़े घोटाले का था, जिसमें कई बड़े नेता और अधिकारी शामिल थे। इस केस ने समाज में भ्रष्टाचार और अन्याय की जड़ों को उजागर किया था। 

इस केस की शुरुआत तब हुई थी जब एक छोटे से गाँव के किसान ने अपनी जमीन के लिए न्याय की मांग की थी। उसकी जमीन को जबरदस्ती छीन लिया गया था और उसे मुआवजा भी नहीं दिया गया था। इस मामले ने धीरे-धीरे एक बड़े घोटाले का रूप ले लिया, जिसमें कई बड़े नाम शामिल थे। 

इस केस की जांच में कई कठिनाइयाँ आईं। कई बार सबूत गायब हो गए, गवाहों को धमकाया गया, और जांच अधिकारियों पर भी दबाव डाला गया। लेकिन, इस सब के बावजूद, न्याय की लड़ाई जारी रही। 

इस केस ने समाज में एक बड़ा संदेश दिया कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, न्याय की लड़ाई कभी नहीं रुकनी चाहिए। यह केस उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बना जो न्याय की तलाश में हैं। 

चाय की आखिरी चुस्की लेते हुए, मैंने अपने लेख को समाप्त किया। मैंने सोचा कि सपनों की दुनिया और वास्तविकता में कितना अंतर है। लेकिन, अगर हम सब मिलकर प्रयास करें, तो एक दिन सपनों की दुनिया को वास्तविकता में बदल सकते हैं। 

राम प्यारी ने मुझे मुस्कुराते हुए देखा और कहा, "आपका लेख बहुत अच्छा होगा।" मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, पर यह न्याय की लड़ाई की बात सिर्फ सपना है, वास्तव में कुछ और ही होता है सपने तो सपने ही होते हैं. 

---