Towards the Light – Reminiscence in Hindi Moral Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

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स्नेहिल नमस्कार मित्रो

मैं आपसे कई विषयों पर चर्चा करती हूँ। कभी अपने अनुभवों को लेकर तो कभी दूसरे के अनुभवों को बाँटकर।

मेरे पास यह आलेख किसी ने भेजा और मैं इसे आप सब मित्रों के साथ साझा करने से नहीं रोक पाई।

आशा है आप सभी को यह आलेख उपयोगी लगेगा। कृपया इसे पढ़कर मित्रों अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दीजिएगा। धन्यवाद |

प्लेट में खाना छोड़ने से पहले रतन टाटा का ये संदेश ज़रूर पढ़ें!

दुनिया के जाने-माने industrialist Ratan Tata ने अपनी एक Tweet के माध्यम से एक बहुत ही inspirational incident share किया था। आज मैं उसी ट्वीट का हिंदी अनुवाद आपसे शेयर कर रही हूँ :

पैसा आपका है लेकिन संसाधन समाज के हैं!

जर्मनी एक highly industrialized देश है। ऐसे देश में, बहुत से लोग सोचेंगे कि वहां के लोग बड़ी luxurious लाइफ जीते होंगे।

रत्न टाटा अपने अनुभव कुछ इस प्रकार साझा करते हैं :

जब हम हैम्बर्ग पहुंचे, मेरे कलीग्स एक रेस्टोरेंट में घुस गए, हमने देखा कि बहुत से टेबल खाली थे। वहां एक टेबल था जहाँ एक यंग कपल खाना खा रहा था। टेबल पर बस दो dishes और beer की दो bottles थीं। मैं सोच रहा था कि क्या ऐसा सिंपल खाना रोमांटिक हो सकता है, और क्या वो लड़की इस कंजूस लड़के के साथ रहेगी या उसको छोड़ देगी!?

एक दूसरी टेबल पर कुछ बूढी औरतें भी थीं। जब कोई डिश सर्व की जाती तो वेटर सभी लोगों की प्लेट में खाना निकाल देता, और वो औरतें प्लेट में मौजूद खाने को पूरी तरह से ख़तम कर देतीं।

चूँकि हम बहुत भूखे थे तो हमारे लोकल कलीग ने हमारे लिए काफी कुछ आर्डर कर दिया था । जब हमने खाना ख़तम किया तो भी लगभग एक-तिहाई खाना टेबल पर बचा हुआ था।

जब हम restaurant से निकल रहे थे, तो उन बूढी औरतों ने हमसे अंग्रेजी में बात की, हम समझ गए कि वे हमारे इतना अधिक खाना waste करने से नाराज़ थीं।

” हमने अपने खाने के पैसे चुका दिए हैं, हम कितना खाना छोड़ते हैं इससे आपका कोई लेना-देना नहीं है।”, मेरा कलीग उन बूढी औरतों से बोला।

वे औरतें बहुत गुस्से में आ गयीं। उनमें से एक ने तुरंत अपना फ़ोन निकाला और किसी को कॉल की। कुछ देर बाद, Social Security Organisation का कोई आदमी अपनी यूनिफार्म में वहाँ पहुंच गया । मामला समझने के बाद उसने हमारे ऊपर 50 Euro का fine लगा दिया। हम चुप थे।

ऑफिसर हमसे कठोर आवाज़ में बोला, “उतना ही order करिए जितना आप consume कर सकें, पैसा आपका है लेकिन संसाधन सोसाइटी के हैं। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। आपके पास संसाधनों को बर्वाद करने का कोई कारण नहीं है।”

इस rich country के लोगों का mindset हम सभी को लज्जित करता है। हमें सचमुच इस पर सोचना चाहिए। हम ऐसे देश से हैं जो संसाधनों में । समृद्ध नहीं है। शर्मिंदगी से बचने के लिए हम बहुत अधिक मात्रा में आर्डर कर देते हैं और दूसरों को treat देने में बहुत सा food waste कर देते हैं।

The Lesson Is – अपनी खराब आदतों को बदलने के बारे में गम्भीरता से सोचें। Expecting acknowledgement, कि आप ये मैसेज पढ़ें और अपने कॉन्टेक्ट्स को फॉरवर्ड करें।_

Very True- “MONEY IS YOURS BUT RESOURCES BELONG TO THE SOCIETY / पैसा आपका है लेकिन संसाधन समाज के हैं।”

दोस्तों! कोई देश महान तब बनता है जब उसके नागरिक महान बनते हैंऔर महान बनना सिर्फ बड़ी-बड़ी achievements हासिल करना नहीं है…महान बनना हर वो छोटे-छोटे काम करना है जिससे देश मजबूत बनता है और आगे बढ़ता है। खाने की बर्बादी रोकना, पानी को waste होने से बचाना, बिजली को बेकार ना करना…ये छोटे-छोटे कदम हैं जो देश को मजबूत बनाते हैं।

आइये Ratan Tata जी द्वारा share किये गए इस inspirational incident से हम एक सबक लें और अपने-अपने स्तर पर देश के बहुमूल्य resources को बर्वाद होने से बचाएं और ये बात हमेशा याद रखें कि भले पैसा हमारा है पर संसाधन देश के हैं !

जब हम शादियों, पार्टियों में खाने, पीने की बर्बादी देखें तब चाहे हम नहीं कोई दूसरा ही कर रहा हो, अपने कर्तव्य से पीछे न हटेंगे और अपने उस वर्ग के बारे में सोचें जो खाने के लिए सुबह से रात तक एड़ियां रगड़ता है फिर भी उनके परिवार को दो समय ठीक से भरपेट खाना नहीं मिल पाता।

यह बहुत महत्वपूर्ण व संवेदनशील विषय है जिस पर हम सबको मिलकर ध्यान देना होगा।

सधन्यवाद

आपकी मित्र

डॉ. प्रणव भारती