एक नाई की कहानी में ऐसा क्या है की आज हरकोई उनकी बात कर रहा है? एक कचरे के डिब्बे की चोरी की पुलिस कंप्लेंट हो सकती है क्या? फिल्म धीरे से एक सुई की तरह आपकी चमड़ी की नासिकाओं में प्रवेश करेगी और एक ज्वालामुखी बनके आपके दिलोदिमाग को जिंझोड कर रख देगी। अभी तक नहीं देखी तो नेटफ्लिक्स पर देख लें। देखने से पहले दो मिनिट रिव्यू पढ़ लें तो हमें भी सुकून मिल जाएगा।
महाराजा नाम का एक नाई पुलिस स्टेशन आता है और उसे एक शिकायत दर्ज करवानी है। उसके घर में चोरी हो गई है। उसने जिस तरह से अपने घर हुई चोरी को पुलिस वालों को बताया, लगता था की किसी राजा का राजपाट लुट गया हो या फिर किसी गरीब की पूरी जिंदगी की कमाई किसी ने लूट ली हो। 10–15 मिनिट के उस स्क्रीन प्ले में कॉमेडी, एक्शन, इमोशन सब कुछ एक साथ दिखा दिया है जैसे की भेल पूरी, पिज्जा और पकोड़े किसी ने एक साथ टेबल पर परोस दिए हों। अब सच में चोरी क्या हुआ था? बात सामने आई की महाराजा का कचरे का डिब्बे चोरी हो गया है जो करीब 15 साल पुराना है। पुलिस क्या इस चोरी की क्मप्लेंट लेगी?
फिल्म की एडिटिंग एक बहुत बड़ा पहलू है जिसने इस फिल्म को अंत तक रोमांचक बनाए रखने में बहुत क्रिएटिव काम किया गया है। कहानी कब वर्तमान में है और कब भूतकाल में, यह दिमाग को व्यायाम कराने वाली बात थी। करीब ७०% फिल्म खतम हुई तब तक कहानी किस काल में है यह जानते जानते 5–10 मिनिट निकल जाते थे और फिर तब तक पुलिस स्टेशन का शॉट आता जहां महाराजा एक पुलिस वाले को अपने घर में हुई कचरे के डिब्बे की चोरी की आपबीती सुना रहे थे, वैसे कचरे के डिब्बे का नाम था लक्ष्मी। विश्व में पहली ऐसी फिल्म बनी है जिसमे एक कचरे के डिब्बे को नाम से बुलाया जा रहा हो। इस डिब्बे को महाराजा और उसकी बेटी बहुत सम्मान से रखते थे और हर सप्ताह उसकी सफाई दुलाई भी सम्मान से होती थी।
फिल्म में बहुत ही अधिक मार पीट है, तमिल फिल्मों में अतिशय मारपीट सामान्य बात है पर हिंदी प्रेक्षक मारपीट में भी रोने धोने वाली फीलिंग देखने की इच्छा रखते हैं पर यहां क्रूरता है बहुत ही ज्यादा क्रूरता। इस क्रूरता की वजह आप अंत तक जानेंगे तो शायद कुछ मिनटों के लिए आप भी क्रूर बन जाएं। सच में नहीं तो विचारो से। यही इस फिल्म का मेसेज भी है जो अंत तक जाते जाते स्पष्ट होता है।
विजय सेतुपति (सेथू पथी) जाने माने तमिल एक्टर हैं जिन्होंने अपनी एक्टिंग से कुछ सालों में हिंदी फिल्मों के प्रेक्षकों के मन में अपनी जगह बना ली है। इस फिल्म में शायद उनके कैरियर का बेस्ट एक्ट देख सकते हैं। सीरियस रोल में उनको सिनेमा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। और एक जाना माना चेहरा इस फिल्म में है अनुराग कश्यप। अनुराग को देखो और आपको गैंग्स ऑफ वासीपुर याद न आए ऐसा नहीं हो सकता। हिंदी सिनेमा की कल्ट हिट फिल्म थी गैंग्स ऑफ वासीपुर जिसे अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट किया था। अनिल कपूर की नायक फिल्म अनुराग ने लिखी थी और 1998 में आई सत्या भी अनुराग कश्यप ने लिखी थी। महाराजा फिल्म में एक बहुत ही शातिर और क्रूर चोर की भूमिका में अनुराग कश्यप ने उम्दा अदाकारी दिखाई है। अन्य कलाकारों के नाम नहीं लिख रहा, उन्हें हिंदी में लिखना और पढ़ना दोनो कठिन काम हैं।
खबरों के अनुसार फिल्म का बजेट केवल 20 करोड़ रूपए था और फिल्म 100 करोड़ से अधिक कमा चुकी है। शायद और भी अधिक कमाएगी क्योंकि आज कल नेटफ्लिक्स पर यह फिल्म टॉप 5 में अपनी जगह बनाई हुई है। एक्शन , इमोशन, निर्देशन और स्टोरी टेलिंग में महाराजा अपने झंडे गाड़ चुकी है। आप देखें और बताएं आपको कैसी लगी और साथ ही कैसा लगा आपको मेरा रिव्यू।
– महेंद्र शर्मा