Ardhangini - 45 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 45

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अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 45

जतिन के कहने पर मैत्री आराम करने के लिये लेट तो गयी लेकिन प्यार की चाशनी मे डूबी जतिन की बातो का रस मैत्री को एक अलग ही खुशी दे रहा था, उसकी आंखो से नींद और शरीर से थकान पूरी तरह जा चुकी थी... सोने के लिये आंखे बंद करते ही उसे वो दिन याद आने लगा जब रवि से शादी से पहले उसके लिये लड़के देखे जा रहे थे.... चूंकि मैत्री स्वभाव से सीधी और अपने मम्मी पापा की हर बात मानने वाली उनकी प्यारी, संस्कारी और सुलझी हुयी लड़की थी इसलिये वो उनके किसी भी फैसले का विरोध नही करती थी, उसने अपनी भावनाओ और जीवनसाथी के गुणों को लेकर अपनी इच्छायें दिल मे ही दबा रखी थीं लेकिन एक दिन "मैत्री की मम्मी सरोज ने उससे पूछा - बेटा हम तो तेरे लिये अच्छे से अच्छा लड़का देखने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन तू भी तो अपने जीवनसाथी के लिये अपनी इच्छाये, अपेक्षायें हमें बता... तू भी तो हमें सलाह दे...

अपनी मम्मी सरोज के इस सवाल पर मैत्री ने कहा था- मम्मी मेरी ऐसी कोई खास अपेक्षायें और इच्छायें नही हैं... आप लोग जहां मेरी शादी तय कर दोगे मै वहीं शादी कर लूंगी... मै बस इतना चाहती हूं कि मेरा जीवनसाथी भी मेरी तरह भगवान भक्त, पूजा पाठ करने वाला और शांत स्वभाव का हो... जो मुझे समझे, मुझे सम्मान दे... जो मेरे आत्मसम्मान का पूरा ध्यान रखे, जो मेरे कहने से पहले ही मेरे मन की बातो को समझ जाये, जिसके साथ मै खुश रह सकूं... जो मुझे कभी ना रुलाये... "

आज जतिन की बाते सुनकर मैत्री को अपनी मम्मी से कहे अपने वही शब्द याद आ रहे थे, मैत्री समझदार थी और शादी नाम के इस पूरे के पूरे गठबंधन से होकर वो पहले भी  गुजर चुकी थी वो जानती थी कि सुहागरात के दिन एक पति का अपनी इंद्रियो पर जतिन की तरह नियंत्रण रखकर अपनी पत्नी की भावनाओ और आत्मसम्मान की खातिर उसके साथ शारीरिक संबंध ना बनाना कोई छोटी बात नही है... ये अपने आप मे ही बहुत बहुत बड़ी बात है  और ये बात मैत्री बहुत अच्छे से समझती थी, यही सोच कर आज दूसरी शादी के बाद ये पहला ऐसा मौका था जब उसका मन बहुत प्रफुल्लित था वो आंखे बंद किये लेटी जरूर थी पर वो जतिन के बारे मे सोच सोच के अकेले मे ही मुस्कुराये जा रही थी..... जतिन के बारे मे सोचते सोचते मैत्री को कब नींद आ गयी उसे पता ही नही चला...

मैत्री ने पहले से ही सोचा हुआ था कि वो सुबह सबसे पहले जाग कर और नहा धोकर सबके खाने के लिये कुछ मीठी चीज बनायेगी और उसी हिसाब से मैत्री सुबह सुबह ठीक 6 बजे जाग गयी....

अपने नये घर के अपने नये कमरे के नये बिस्तर से उठकर मैत्री ने जतिन के प्यार की खुश्बू को अपनी सांसो मे महसूस करते हुये जब बिस्तर के उस तरफ देखा जहां जतिन रात मे लेटा था तो उसने पाया कि जतिन अपनी जगह पर नही है, मैत्री ने सोचा कि हो सकता है जतिन वॉशरूम गया हुआ हो लेकिन जब अपने कमरे मे ही बने वॉशरूम की तरफ उसने देखा तो वॉशरूम का दरवाजा खुला हुआ था और उसके कमरे के बाहर से कुछ हलचल की सी आवाजे आ रही थीं, मैत्री जल्दी से बिस्तर से उठी और वॉशरूम जाकर नहा धोकर फटाफट से तैयार होकर जब अपने कमरे से बाहर आयी तो उसने देखा कि ज्योति के पति सागर सामने ही सोफे पर बैठे हैं और ज्योति अपनी अटैची खोलकर उसमे कुछ सामान रख रही है....

कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर अटैची मे सामान रखते रखते ज्योति रुक गयी और पलट के मैत्री की तरफ देखकर मुस्कुराते हुये बोली- गुड मॉर्निंग भाभी...

ज्योति के गुड मॉर्निंग का जवाब देते हुये मैत्री ने भी मुस्कुरा कर कहा- गुड मॉर्निंग दीदी....

इसके बाद पास ही सोफे पर बैठे अपने सास ससुर बबिता और विजय के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेने के बाद मैत्री ने वहीं बैठे सागर से नमस्ते करी.... मैत्री की नजरें परिवार के बाकी सदस्यो के बीच मे जतिन को ढूंढ रही थीं पर वो कहीं नजर नही आ रहा था... मैत्री ने जब दो तीन बार नजर घुमा कर इधर उधर देखा तो ज्योति जो उसकी तरफ ही देख रही थी वो समझ गयी कि भाभी के मन मे क्या चल रहा है, मैत्री की मनस्थिति को समझते हुये ज्योति उसके पास आयी और बोली- भाभी.. भइया मंदिर गये हुये हैं, हम बस उनका ही इंतजार कर रहे हैं... उनके आते ही हम घर के लिये निकलेंगे....

ज्योति के अपने ससुराल जाने की बात को सुनकर मैत्री थोड़ा चौंकते हुये बोली- अरे दीदी इतनी जल्दी अभी तो हमारी ठीक से बात भी नही हुयी... एक दो दिन तो रुक जातीं आप...

मैत्री की बात सुनकर ज्योति ने मुस्कुराते हुये कहा- हां भाभी मन तो मेरा भी था कि मै आपके साथ एक दो दिन बिताऊं पर आप तो जानती ही हैं कि मुझे तबियत की वजह से जाना होगा... वैसे भी शादी की तैयारियो के कारण थोड़ी बहुत लापरवाहियां मुझसे भी हो गयी हैं और डॉक्टर ने पहले से ही मुझे आराम करने के लिये कहा हुआ है.... इसलिये मजबूरी है मुझे जाना होगा...

अपनी बात कहते कहते ज्योति भावुक हो गयी और उसे ऐसे भावुक होते देख मैत्री ने उसे ढांढस बंधाते हुये उसका हाथ पकड़ कर कहा- कोई बात नही दीदी... आपकी और बच्चे की सेहत भी जरूरी है...

ज्योति ने कहा- हां भाभी... वैसे भी मुझे यहां रहते हुये एक महीने से जादा का समय हो गया है उधर घर पर मम्मी पापा भी अकेले हैं और मामा जी के यहां से लौटने के बाद से उनकी तबियत भी ठीक नही है इसीलिये वो शादी मे भी नही आ पाये और उन्हे भी मेरी फिक्र हो रही है, ऐसे मे मेरा जाना और भी जरूरी है... और अब तो मै कम से कम पांच महीने यहां नही आ पाउंगी...

ज्योति की भावुक लहजे मे कही गयी बात सुनकर मैत्री ने कहा- कोई बात नही दीदी आप नही आ पायेंगी तो क्या हुआ मै तो आपसे मिलने जरूर आउंगी आपके भइया के साथ...

मैत्री की बात सुनकर ज्योति तपाक से बोली- और और हम रोज घंटो घंटो वीडियो कॉल पर बात करेंगे...

मैत्री ने मुस्कुराते हुये घर के एक बड़े और जिम्मेदार सदस्य की तरह ज्योति को प्यार से गले लगाते हुये उससे कहा- हां दीदी पक्का... हम वीडियो कॉल पर जरूर बात करेंगे...

चूंकि ज्योति एक महीने से भी जादा समय अपने मायके मे रहने के बाद अपनी ससुराल वापस जा रही थी तो वो बहुत भावुक थी, उसकी आंखो मे आंसू थे और इसी भावुकता मे ज्योति ने मैत्री की बात का जवाब देते हुये कहा- कितनी अजीब बात है ना भाभी कि अभी दो दिन पहले आप अपने मायके से विदा हो रही थीं तब आपको रोना आ रहा था... आज मै अपने मायके से विदा हो रही हूं तो मुझे रोना आ रहा है, ये विदाई की रस्म होती ही ऐसी है...

ज्योति की इतनी भावुक बात सुनकर मैत्री ने उसे प्यार से गले लगा लिया और बोली- दीदी... आप दो मिनट के लिये मेरे साथ आइये...

इसके बाद मैत्री... ज्योति को लेकर अपने कमरे मे चली गयी, मैत्री के कपड़े अभी भी सूटकेस मे ही रखे थे... कमरे मे जाकर मैत्री ने अपना एक सूटकेस खोला और उसमे से एक बैग निकालकर उसमे रखे एक बॉक्स को बाहर निकाल लिया.... उस बॉक्स को ज्योति को देते हुये मैत्री ने कहा- दीदी ये मै खास आपके लिये लेकर आयी हूं... उम्मीद है आपको अच्छा लगेगा...

वो बॉक्स हाथ मे लेकर ज्योति ने जब उसे खोला तो हतप्रभ सी होकर मुंह खोलते हुये वो बोली- अरे भाभी ये क्या ये तो बहुत महंगा तोहफा है, ये मै नही ले सकती...

असल मे उस बॉक्स मे सोने के कंगन, कान के बुंदे और एक सोने की चेन थी...

ज्योति की बात सुनकर मैत्री ने कहा- मै आपसे बड़ी हूं ना... और बड़े प्यार से कुछ दें तो मना नही करना चाहिये उसे आशीर्वाद और प्यार समझ के रख लेना चाहिये.... इतना हक तो है ना आपकी भाभी का आप पर....

मैत्री के इतने प्यार से अपनी बात समझाने पर ज्योति उस गिफ्ट के लिये मना नही कर पायी और मैत्री को गले लगाते हुये बोली- आपका पूरा पूरा हक है मुझपर भाभी... थैंक्यू सो मच... आपने बहुत प्यारा गिफ्ट दिया है, भाभी सच बोलूं तो आपको देखकर मुझे इतना सुकून मिलता है ना कि मै बता नही सकती, मेरे सीधे सच्चे भइया के लिये आपसे बेहतर कोई हो ही नही सकता था और भाभी ये रिश्ता खुद भगवान ने ही बनाया है आप नही जानती भाभी पर भइया को राजेश भइया ने आपकी फोटो जब पहली बार दिखायी थी तब से ही वो आपको लेकर बहुत सीरियस हो गये थे, उन्हे आपके साथ एक अलग ही लगाव महसूस हो रहा था और आपको पता है भाभी राजेश भइया ने जिस दिन जतिन भइया को आपकी फोटो दिखाई थी तब भइया की शादी की बात किसी और से चल रही थी... भइया ने आपकी फोटो देखने के बाद उस लड़की से शादी के लिये मना कर दिया...

ज्योति की ये बात सुनकर मैत्री अफसोस सा करती हुयी बोली- हॉॉॉ... मतलब मेरी वजह से उस बेचारी का दिल टूट गया... ये तो गलत हुआ...

मैत्री की बात सुनकर ज्योति हंसते हुये बोली- अरे नही भाभी.... उस लड़की को भी किसी और से शादी करनी थी जतिन भइया से नही और ये बात आपका फोटो देखने के बाद भइया और हम सबको पता चली...

ज्योति अपनी बात कह ही रही थी कि तभी उसकी मम्मी बबिता कमरे के दरवाजे पर आकर मुस्कुराते हुये बोलीं- मै भी आ जाऊं... डिस्टर्ब तो नही होगा तुम दोनो को...!!

बबिता की बात सुनकर मैत्री ने कहा- अरे नही मम्मी जी इसमे डिस्टर्ब होने की क्या बात है... आइये ना प्लीज!!

बबिता के अंदर आते ही ज्योति ने उन्हे मैत्री का दिया गिफ्ट दिखाते हुये कहा- मम्मा ये देखो भाभी ने कितना प्यारा गिफ्ट दिया है मुझे... मम्मा मै रख लूं इसे??

ज्योति के इस सवाल पर बबिता ने कहा- भई ये तुम दोनो ननद भौजाई के बीच का मामला है इसमे मुझसे क्या पूछना, मैत्री बड़ी है तुझसे और अगर प्यार से कुछ दे रही है तो रख ले बाकि बहुत सुंदर गिफ्ट है.... और सबसे सुंदर तो मुझे तब लगता है जब मै तुम दोनो ननद भौजाई के बीच इतना अच्छा तालमेल और प्यार देखती हूं... हमेशा ऐसे ही एक दूसरे का सम्मान करना...

तीनो औरतें आपस मे बात कर ही रही थीं कि तभी जतिन भी मंदिर से वापस घर आ गया और अपने कमरे मे अपनी मम्मी, ज्योति और मैत्री तीनो को एक साथ देखकर मजाकिया अंदाज मे बोला- क्या प्लानिंग हो रही है आप तीनो के बीच....

जतिन की बात सुनकर ज्योति ने कहा- कोई प्लानिंग नही हो रही भइया बस जाने की तैयारी हो रही है... और जाने से पहले भाभी ने देखिये मुझे कितना प्यारा गिफ्ट दिया है...

मैत्री का दिया गिफ्ट देखकर जतिन ने कहा- अरे वाह ये तो बहुत सुंदर है....

ऐसा कहते हुये जतिन ने मैत्री की तरफ देखकर बड़े प्यार से ऐसे मुस्कुराया मानो वो मैत्री का अपनी प्यारी बहन ज्योति के लिये प्यार देखकर मन ही मन उसपर गर्व कर रहा हो... इसके बाद ज्योति को विदा करने से पहले बबिता और विजय ने ज्योति और सागर का टीका किया और ज्योति को एक खूबसूरत साड़ी और सागर को एक कोट पैंट और एक शर्ट का कपड़ा, मिठाई का डिब्बा और दोनो को इक्यावन इक्यावन सौ रुपय का लिफाफा देकर बहुत सम्मान के साथ घर से विदा कर दिया....

क्रमशः