Devil Ceo Ki Mohabbat - 45 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 45

Featured Books
Categories
Share

डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 45

अब आगे,

 

अर्जुन को अपने कमरे की तरफ जाता देख कर, अब समीर भी अपने कमरे की तरफ बढ़ गया और वहा से अपना कोट उठाते हुए एक गहरी सांस लेते हुए अपने आप में ही बड़बड़ाने लगा, "पता नही अर्जुन तुम कब समझोगे कि ये सब जो तुम आराध्या के साथ कर रहे हो वो सब कुछ गलत है और पता नही तुम्हारे इस जुनून के चलते उस मासूम सी आराध्या को क्या क्या सहना पड़ेगा...!"

 

अपनी बात कह कर अब समीर भी अपने कमरे को लॉक कर के बाहर आ गया और फिर शेखावत विला से बाहर निकल गया..!

 

गर्ल्स हॉस्टल, जानवी का कमरा, सुबह का समय,

 

आराध्या का इंतजार करते करते जानवी की कब आंख लग गई उस को पता ही नही चला था फिर उस के फोन मे पहले से ही लगा हुआ उस का अलार्म बजने लगा..!

 

जिस की आवाज सुन कर जानवी की आंख खुल गई और अब उस ने अपने बेड से उठ कर अपने फोन के अलर्म को बंद कर दिया..!

 

फिर जब उस की नजर अपने फोन मे बज रहे सुबह के समय पर गई तो वो अपने फोन को ही देख कर अपने आप मे बड़बड़ाने लगी, "अरे सुबह के 7 बज गए हैं और मेरी अरु का कुछ अता पता नही है पता नही कहा होगी मेरी अरु और किस हाल में होगी...!"

 

अपनी बात कह कर ही अब जानवी कुछ तह करते हुए अपने आप से ही कहने लगी, "अब बहुत हो चुका है जरूर से मेरी अरु किसी मुसीबत में ही फंस चुकी है इसलिए अब मुझे उस की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करवाने पुलिस स्टेशन ही जाना पड़ेगा और मैं आज ही पुलिस स्टेशन जाऊंगी..!"

 

अपनी बात कह कर अब जानवी ने अपने फोन को चार्जिंग पर लगा दिया और अपने अलमीरा से अपने कपड़े निकाल कर नहाने के लिए बाथरूम में चली गई..!

 

करीब 15 मिनट बाद,

 

जानवी नहा कर बाथरूम से बाहर आ गई और अब अपने बैग में आराध्या का एक फोटो, उस का और अपना भी आधार कार्ड रख लिया और कुछ रुपए लेकर अब जानवी पूरी तरह से तैयार हो गई..!

 

जानवी बस अब अपने फोन को चार्जिंग से हटा कर अपना फोन उठा ही रही थी कि उस के कमरे का दरवाजा किसी के द्वारा खटखटाने की आवाज आई और अपने कमरे के दरवाजे को खटखटाने की आवाज सुन कर जानवी जल्दी से अपने कमरे के दरवाजे के पास जाकर जल्दी से दरवाजा खोलने लगी..!

 

क्योंकि उस को लग रहा था कि आराध्या वापस आ चुकी हैं और जानवी ने जैसे ही दरवाजा खोला तो बिना सामने देखे की कौन खड़ा हुआ है वो, एक दम से बोल पड़ी, "कहा चली गई थी तू अरु, तुझे पता है कि मै कितना परेशान हो गई थी, तूने आज के बाद ऐसा कभी किया ना तो मै तुझ से बात नही करूंगी, समझ में आया तुझे...!"

 

अपनी बात कह कर जैसे ही जानवी अब सामने देखा तो वो उदास हो गई क्योंकि वहा सामने खड़ी आराध्या नही बल्कि उस के हॉस्टल की वॉर्डन ही थी और वो हॉस्टल की वॉर्डन जानवी को देखे ही जा रही थी..!

 

अब जानवी, अपने हॉस्टल की वॉर्डन को देखते हुए उन से कहने लगी, "मै.. मै, मैम आप के पास ही आने वाली थी क्योंकि वो अराध्या कल सुबह से अभी तक हॉस्टल वापस नही आई है..!"

 

जानवी की पूरी बात सुन कर अब हॉस्टल की वॉर्डन ने जानवी को शांत कराते हुए उस से कहा, "जानवी, पहले तुम शांत हो जाओ और तुम्हारी आंखों को देख कर ही लग रहा है कि तुम रात को ठीक से सोई नही हो और मैं जानती हूं कि अराध्या कल सुबह से हॉस्टल वापस नही आई है और तुम उस की वजह से ही इतना परेशान हो रही हो लेकिन तुम परेशान मत हो, क्योंकि मुझे पता है कि आराध्या इस समय कहां पर है...!"

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी दूसरी नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी दूसरी नोवेल "डेविल सीईओ की मोहब्बत" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।