Devil Ceo Ki Mohabbat - 36 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 36

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डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 36

अब आगे,

 

आराध्या की आंखो को लाल देख कर, अब अर्जुन ने अपना हाथ उस के गालों से हटा लिया था मगर अब उस ने अराध्या से थोड़े शांत मगर डरा देने वाली आवाज में कहा, "मुझे लगता है तुम्हारे लिए आज इतनी जानकारी काफी है और अब तुम आराम करो, मै तुम से बाद में आकर मिलूंगा..!"

 

अपनी बात कह कर अर्जुन, अराध्या से थोड़ा दूर हो गया और उस को देखने लगा जैसे वो कह रहा हो कि अब हटो भी मेरे कमरे के दरवाजे से..!

 

आराध्या को जब अर्जुन की बात पूरी तरह से समझ आ गई तो वो अब अर्जुन के कमरे के दरवाजे से हट कर दूसरी तरफ खड़ी हो गईं और अब अर्जुन ने अपने कमरे से निकलने के बाद दरवाजा को बाहर से बंद कर दिया..!

 

अर्जुन की बात सुन कर, अब आराध्या वही जमीन पर बैठ गई और रोने लगी क्यूंकि अर्जुन की बाते और उस का व्यवहार आराध्या को बहुत ही ज्यादा डरावना लग रहा था..!

 

कुछ देर बाद,

 

अर्जुन के कमरे से चले जाने के बाद,

 

आराध्या ने रोते हुए उसी कमरे के दरवाजे को देखा और फिर अपने दोनो हाथो से अपने अंशु पोश लिए और अब जमीन से उठ खड़ी हो गई और धीरे धीरे कदमों से चल कर उस कमरे के दरवाजे तक पहुंच गई..!

 

जब आराध्या उस कमरे के दरवाजे तक पहुंच गई तो अब वो उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करने लगी और जब आराध्या उस दरवाजे को खोलने की कोशिश कर रही थी तो उस को पता चला कि वो दरवाजा बाहर से बंद है तो अब आराध्या उस दरवाजे को खटखटाते हुए कहने लगी, "बाहर कोई हो तो प्लीज मुझे इस कमरे से बाहर निकालो, मुझे यहां नही रहना है, प्लीज मेरी मदद करो, प्लीज कोई तो मेरी मदद करो...!"

 

आराध्या जोर जोर से दरवाजे को खटखटाता रही थी और चिल्लाते हुए अपने लिए मदद की गुहार भी लगा रही थी..!

 

आराध्या जब अपने लिए मदद की गुहार लगा रही थी तब कोई भी उस की मदद करने के लिए आगे नहीं आ रहा था और ऐसा बिलकुल भी नही था कि किसी को भी आराध्या की आवाज सुनाई नही दे रही थी..!

 

बल्कि अर्जुन के विला में मौजूद सारे नोकर, गार्ड्स और खुद अर्जुन का इकलौता दोस्त समीर को भी आराध्या के चिल्लाने की आवाजे आ रही थी..!

 

लेकिन सब मजबूर थे, वो सब लोग चाह कर भी आराध्या की कोई मदद नहीं कर सकते थे और उन को आराध्या के लिए बहुत बुरा भी लग रहा था..!

 

लेकिन वो, सब लोग यहां तक उस का इकलौता दोस्त समीर भी अपने दोस्त अर्जुन को बहुत अच्छे से जानता था कि अगर उन सब ने अर्जुन के फैसले के खिलाफ जाने की कोशिश भी करी तो अर्जुन उन सब को मारने में एक मिनट भी नही लगाएगा..!

 

वही आराध्या ने करीब आधा घंटे तक अपने लिए मदद की गुहार लगाई और अब वो अपने लिए मदद की गुहार लगाते लगाते थक चुकी थी और उस को अब तक समझ में आ गया था कि कोई भी उस की मदद करने के लिए आगे नहीं आएगा..!

 

इसलिए अब आराध्या ने अपनी कोशिश बंद कर दी और धीरे धीरे कदमों से चल कर बेड के ही पास जाकर जमीन पर बैठ गई और अपना मुंह अपने घुटनों पर रख कर धीरे धीरे रोने लगी..!

 

आराध्या बेड के साइड में बैठ कर रो ही रही थी तभी उस को याद आया तो वो कुछ ढूंढने के लिए अब दुबारा से खड़ी हो गईं और उस कमरे में इधर उधर देखने लगी..!

 

आराध्या कुछ ढूंढते हुए इधर उधर देख ही रही थी कि अब वो अपने आप में ही बड़बड़ाने लगी, "मेरा फोन...मेरा फोन कहा है..!"

 

अपनी बात कह कर आराध्या को याद आया कि उस का फोन तो वही बुक स्टोर वाले रास्ते पर ही गिर गया था..!

 

आराध्या को जब याद आया तो कि उस का फोन बुक स्टोर के रास्ते में ही गिर गया तो जो एक उम्मीद मिली थी कि वो यहां से निकल जायेगी वो भी टूट गई और उदास होते हुए अपने आप से कहने लगी, "ओ नो, मेरा फोन उस बुक स्टोर वाले रास्ते पर ही गिर गया है तो मै अब यहां से केसे निकालूंगी और अब तो मुझे जो एक उम्मीद मिली थी वो भी टूट गई है और मै अब केसे अपनी जानू को बताओ कि उस की अरु यहां पर फस चुकी हैं, हे मेरे भोले बाबा मै क्या करू और प्लीज मेरी मदद करो..!"

 

अपनी बात कह कर अब आराध्या फिर से बेड के साइड में बैठ कर रोने लगी..!

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी दूसरी नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी दूसरी नोवेल "डेविल सीईओ की मोहब्बत" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।