सुमित्रा कार में स कार में सवार होकर, अपने हाथ में पहनी हुई घड़ी को देखकर मुस्कराई। यह घड़ी उसके पति ने शादी की पच्चीसवीं सालगिरह पर भेंट में दी थी। अब तो पति की यादें ही रह गई हैं उसके घर में रखे सामान के साथ।
पिछले हफ्ते ही वो, अमेरिका में अपने बेटे के पास आई है।
'मम्मी, बाहर देखो, उधर हफ्ते में दो दिन फार्मर मार्केट लगता है। ये इधर से डाउनटाउन शुरू हो जाता हैं।' अविनाश ने उसका ध्यान खींचा।
'मम्मी, आपके बर्थडे के लिए स्मार्ट वॉच ख़रीद लेते हैं। इससे आपकी हार्ट बीट, फुट स्टेप्स सब काउंट होते रहेंगे, फिर एक बढ़िया-सी वन पीस ड्रेस ख़रीदेंगे। आप अपनी किटी में पहनकर जा सकती हैं।' बहू रीता ने ठिठोली करते हुए कहा।
'अरे इंडिया में सब हंसेंगे कि बुढ़िया का अमेरिका जाकर दिमाग खराब हो गया है। रहने दो, मुझे सिर्फ घड़ी ही लेनी है।'
'हां हमें पता है कि आपको घड़ी का शौक़ है। उसके लिए आप मना नही करेंगी।' रीता ने कहा।
'वैसे कानपुर के घर में, कितनी घड़ियां होंगी, आपको याद है?' अविनाश ने पूछा।
'हूं..., अभी सोचकर बताती हूं।' सुमित्रा हंसकर बोली। 'हर कमरे में ही वॉल क्लॉक, टेबल क्लॉक, डेकोरेटिव क्लॉक तो हैं ही, इसके अतिरिक्त आपके पास हैंड वॉच का कलेक्शन भी कितना बड़ा है।' अविनाश ने कहा।
'हां, यह बात तो मैंने सोची ही नहीं। तू रहने दे ये स्मार्ट वॉच ख़रीदना।'
'नहीं मम्मी, अब स्मार्ट वॉच का ही जमाना है। इससे आपको फिटनेस अलर्ट मिलते रहेंगे। ये जरूरी है।'
जब वे घड़ी लेकर लौटे तो रास्ते में एस्टेट सेल का बोर्ड लगा हुआ था।
'मम्मी, आपको एस्टेट सेल दिखाता हूं। आज इस घर का, हर सामान सेल पर है चाहे वो फर्नीचर हो या कोई टेडी बियर, आपको कुछ पसंद आए तो ले लीजिएगा।'
किसी लिंडा विल्सन नामक महिला के घर की हर वस्तु पर मूल्य चिट चिपकी हुई थी। उसका फोटो, मार्कशीट भी एक डिब्बे में रखे थे। चार महीने पहले ही उसका देहांत हुआ था। उसका बेटा किसी से फोन पर बोल रहा था कि तीन दिन की सेल के बाद वो बचे सामान को रीसेल सेंटर को दे देगा। मकान की चाबी को ख़रीदार को सौंपकर वो वापस बोस्टन लौट जाएगा।
पूरे घर में कलात्मक वस्तुएं, फर्नीचर, शो पीस और गुलाबी, नीली, सफ़ेद, प्रिंटेड क्रॉकरी के अनेकानेक सेट सजे हुए थे।
'कुछ पसंद आया?' अविनाश ने पूछा।
'सभी बहुत सुंदर हैं लेकिन यहां से इंडिया कौन लेकर जाएगा। तुमने कुछ लिया?'
'नहीं, ज्यादा सामान भरकर भी क्या करें? सब सफ़ाई भी खुद करनी होती है। मैं तो आपको एस्टेट सेल दिखाने के लिए लाया था, जो एक व्यक्ति के निधन के बाद उसके घर के सारे सामान की बिक्री का नाम है। लगता हैं लिंडा क्रॉकरी का बहुत शौक़ रखती थी।'
कार में बैठकर सुमित्रा यह सोचकर दुःखी हो गई कि कितने शौक़ से लिंडा ने अपना पैसा, समय और श्रम देकर यह कलेक्शन जमा किया होगा। बेटे को कोई लगाव नहीं है। उसे यह सब बेचने में तीन दिन नहीं लगे। ये लोग भी मेरे घड़ी प्रेम का मजाक ही तो बनाते हैं। मेरे घर का सामान तो कबाड़ में ही जाएगा। यहां की तरह इंडिया में सेल नहीं लगती। 'क्या बात है मम्मी, आप बड़ी चुप हो?' बेटे ने पूछा?
'सोच रही हूं कि अब मुझसे भी घर का रख-रखाव ज्यादा नहीं हो पाता। धूल हर दूसरे दिन जमी दिखाई देती है। इसलिए घर से फालतू सामान निकालना शुरू कर दूं।'
'घड़ियों का क्या होगा मम्मी?' बहू ने पूछा।
'जो तुम्हें पसंद हो, बता दो, बाक़ी सब अब गिफ्ट करती जाऊंगी। वो मोती वाली घड़ी मोना को पसंद हैं। नीले डायल वाली मेरी सहेली की बेटी को...'
'ओह मम्मी समझ गया कि आपको यह सेल देखकर बुरा लगा होगा। यह भी तो सोचो, नब्बे वर्ष की जिंदगी उन्होंने अपने शौक़ को पूरा करते हुए बिता दी।' बेटे ने कहा।
'आपने वहां वो बुजुर्ग जोड़ा देखा। वे भी हर वस्तु बारीकी से जांच रहे थे।' रीता ने कहा।
'हां देखा, उन्होंने काफ़ी सारा सामान ख़रीद लिया था।' 'जीना इसी का नाम है। आप भी अपने शौक़ पूरे करिए, कल की चिंता में आज की खुशियां मत छोड़ दीजिए।' अविनाश बोल पड़ा।
'समझदार हो गया मेरा बेटा।' मां ने कहा तो सभी हंसने
लगे।