अब आगे,
वही दूसरी तरफ, दिल्ली में, सिंघानिया मेंशन में,
करीब 55 वर्षीय एक आदमी सिंघानिया मेंशन के हॉल में अपने किंग साइज सोफे पर बैठ कर आराम से अखबार पढ़ रहे थे और साथ में किसी महिला को आवाज लगाते हुए कहने लगे, "अरे, ओ मानसी मेरी चाय मुझे आज ही मिलेगी न..!"
उस आदमी की आवाज सुन कर, एक महिला ने सिंघानिया मेंशन के रसोई घर से आते हुए, उस आदमी से कहा, "अरे चाय बनने में समय तो लगता ही है ना और मुझे सिर्फ आप के लिए ही चाय नही बनानी पड़ती हैं घर के बाकी लोगो के लिए भी कुछ न कुछ बनाना पड़ता है, और एक आप है कि बच्चो की तरह जिद किए जा रहे हैं..!"
उस महिला की बात सुन कर, अब उस आदमी ने उस महिला से पूछा, "अरे आज तो मेरे पिता भी सिंघानिया मेंशन मे मौजूद नही है तो फिर तुम्हे, मेरे साथ साथ और किस के लिए क्या बनाना पड़ रहा है और ये बाकी लोग है कौन मुझे भी तो पता चले..!"
उस आदमी की बात सुन कर, अब उस महिला ने उस आदमी से कहा, "अरे भई आप भूल गए क्या, आप के तीन बच्चे है और उस मे से दो आज घर पर ही मौजूद हैं और पता नही अपने कमरे मे पिछले दो घंटों से क्या कर रहे हैं कि अपने कमरे का दरवाजा ही नही खोल रहे हैं..!"
उस महिला की बात सुन कर, अब वो आदमी भी थोड़ा हैरान रह गए और अब उस महिला से पूछने लगे, "मानसी तुम सच कह रही हो क्या वो दोनो एक साथ एक ही कमरे में बैठ कर कुछ कर रहे हैं...?"
उस आदमी की बात सुन कर अब उस महिला ने उस आदमी से कहने लगी, "हां और क्या मै अब आप से झूट बोलूंगी..!"
उस महिला की बात सुन कर, अब वो आदमी कुछ सोचते हुए उस महिला से कहने लगे, "तो फिर जरूर से उन दोनो के बीच कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही है और वो फिर से साथ में मिल कर कुछ कांड करने वाले हैं..!"
हां तो ये आदमी और कोई नही बल्कि राजवीर और उस के छोटे भाई अभिमान के सगे पिता और तनवी के सौतेले पिता थे और जिन का पूरा नाम "विनोद सिंघानिया" था..!
और जिन की उम्र लगभग 55 वर्ष थी मगर ये इतने एक्टिव रहते थे कि इन को देख कर लगता ही नहीं था कि इन की इतनी उम्र हो सकती हैं..!
और ये महिला और कोई नही बल्कि तनवी की सगी मां और साथ में राजवीर और उस के छोटे भाई अभिमान की सौतेली मां थी और जिस का पूरा नाम "मानसी सिंघानिया" था..!
और इन की उम्र लगभग 50 वर्ष थी और ये अपने दोनो सौतेले बेटों को उन की सगी मां सुरभि की तरह ही प्यार करती थी, इन्होंने कभी भी अपनी सगी बेटी तनवी और सौतेले बेटे राजवीर और अभिमान मे कोई अंतर नही रखा था..!
राजवीर के सगे पिता विनोद जी और तनवी की सगी मां मानसी जी बात कर ही रहे थे कि तभी सिंघानिया मेंशन के मुख्य द्वार पर किसी के आने की आहट सुनाई दी..!
और जिसे सुन कर अब राजवीर के सगे पिता विनोद जी और तनवी की सगी मां मानसी जी सिंघानिया मेंशन के मुख्य द्वार की ओर देखने लगे..!
तो वहा से एक व्यक्ति सिंघानिया मेंशन में अंदर आ रहे थे जिन की उम्र लगभग 70 वर्ष थी और जिसे देख राजवीर के पिता विनोद जी अपने किंग साइज सोफे पर से खड़े हो गए..!
क्योंकि ज्यादातर उस किंग साइज सोफे पर विनोद जी के सामने खड़े 70 वर्षीय व्यक्ति ही बैठा करते थे और विनोद जी तो उन के सिंघानिया मेंशन मे ना होने पर ही बैठ कर अपना अखवार पढ़ा करते थे..!
अब वो 70 वर्षीय व्यक्ति ने राजवीर के पिता विनोद जी से पूछा, "तो किस के बारे मे बात हो रही है यहां पर..!"
उस 70 वर्षीय व्यक्ति की बात सुन कर, अब राजवीर के पिता विनोद जी ने उन से कहा, "पापा, वो आज तनवी और अभिमान घर में ही है और मानसी कह रही है कि वो पिछले दो घंटों से अपने कमरे का दरवाजा ही नही खोल रहे है पता नही ऐसा भी क्या कर रहे हैं ये दोनो साथ में मिल कर..!"
हां तो ये व्यक्ति और कोई नही राजवीर, उस के छोटे भाई अभिमान और उन दोनो की सौतेली छोटी बहन तनवी के दादा जी थे जिन का पूरा नाम "रघुवीर सिंघानिया" था..!
इन की उम्र लगभग 70 वर्ष थी और ये गुस्से के बहुत ही तेज थे और साथ में ये कहना गलत नही होगा कि राजवीर के दादा रघुवीर जी का सारा गुस्सा उन के बड़े पोते राजवीर को विरासत में ही मिल गया था..!
जब की राजवीर के पिता विनोद जी का स्वभाव हसमुख था और इसी वजह से राजवीर के छोटे भाई अभिमान का स्वभाव भी अपने पिता विनोद जी पर ही गया था और तनवी का स्वभाव भी ऐसा ही था, सिवाए राजवीर को छोड़ कर..!
To be Continued......
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।