अब आगे,
अब राजवीर का गुस्सा बढ़ चुका चुका था और अब उस ने अपने पी ए दीप पर लगभग चिल्लाते हुए कहा, "मैने तुम से कुछ कहा है, तुम्हे सुनाई नही दे रहा है क्या..?"
राजवीर का गुस्सा देख राजवीर के विला में मौजूद सब नोकर और बॉडीगार्ड थर थर कांप रहे थे क्योंकि राजवीर अपने गुस्से में कुछ भी कर सकता था..!
और वो, राजवीर के साथ साथ राजवीर के गुस्से को अच्छे से जानते थे कि वो, कब किसी की अच्छी खासी जिंदगी को नर्क से भी बत्तर बना देगा ये कोई नही बता सकता था..!
अब राजवीर ने अपने गुस्से में आकर अपने पी ए दीप से पूछा, "जो मैंने तुम से कहा क्या वो तुम्हे समझ मे आया..?"
राजवीर के गुस्से को देखते हुए अब उस के पी ए दीप ने थर थर कांपते हुए अपना सिर हां मे हिला दिया..!
वही राजवीर ने अपने पी ए दीप को लगभग खा जाने वाली नजरो से देखते हुए अब अपने पी ए दीप से कहा, "क्यू जबान नही है मुंह में...!"
राजवीर की बात सुन कर, उस के पी ए दीप ने पहले तो अपना सिर हां मे हिला दिया तो राजवीर ने अपनी एक आईब्रो ऊपर उठा कर अपने पी ए दीप को देखा जिस को देख कर अब राजवीर के पी ए दीप ने अपना सिर ना मे हिला दिया..!
अब राजवीर अपने पी ए दीप को कुछ बोलने ही वाला था कि वहा रूही के सगे पिता अमर अब तक राजवीर के विला के अंदर हॉल में आ चुके थे..!
वही राजवीर ने अब अपनी आंखो को छोटा कर के अब रूही के सगे पिता अमर को ही देख रहा था क्योंकि रूही के सगे पिता अमर राजवीर के विला में मौजूद हर एक एक्सपेंसिव चीजों को देख रहे थे और साथ में अपने सामने बैठे राजवीर को पूरा इग्नोर ही कर दिया था..!
अब अपने बॉस राजवीर की नजरो का पीछा करते हुए राजवीर के विला में मौजूद सारे नौकर और बॉडीगार्ड ने देखा कि सामने रूही के सगे पिता अमर मौजूद थे और अब सब की नजर अब बस रूही के सगे पिता अमर पर ही थी..!
राजवीर के एक नोकर तो अपने साथी से ये तक कह दिया, "लगता है कि इस को अपनी जिंदगी से प्यार ही खतम हो गया है तभी तो खुद यहां "राजवीर सिंघानिया" के विला में ही खड़े होकर उन को ही अनदेखा कर के अपनी ही मौत को बुलावा दे रहा है..!"
फिर कुछ देर बाद,
रूही के सगे पिता अमर के फोन पर एक नोटिफिकेशन आया जिस को पढ़ने के बाद अब रूही के सगे पिता अमर के तो पसीने ही छूट गए और वो अब जल्दी से भाग कर राजवीर के सामने पहुंच गए और डरते हुए राजवीर से कहने लगे, "सॉरी बॉस, मै पहली बार यहां आया हूं इसलिए ऐसा हो गया, प्लीज मुझे माफ कर दीजिए..!"
रूही के सगे पिता अमर की बात सुन कर, अब तक राजवीर का जो गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ था वो दुबारा भड़क चुका था और अब अपने उसी गुस्से से राजवीर ने रूही के सगे पिता अमर से कहा, "अच्छा, किस का मैसेज पढ़ कर तुम्हे याद आया कि मैं भी यहां पर मौजूद हु..!"
राजवीर के विला में बनी हाईटेक किचेन के साइड दो नोकर खड़े हुए थे जिन में से एक को अब रूही के सगे पिता अमर देख रहे थे क्योंकि जब पहले नोकर ने अपने साथी से कहा था कि अब रूही के सगे पिता अमर को राजवीर के गुस्से से कोई नही बचा सकता तो..!
वही दूसरा साथी ने किचेन की तरफ जाकर रूही के सगे पिता अमर को मैसेज कर दिया, "वीरे अगर तुम्हे अपनी जान बचानी है तो जाकर बॉस (राजवीर) से माफी मांग लो नही तो आज तू इन के विला से जिंदा वापस नही जा पायेगा..!"
और वही मैसेज पढ़ कर रूही के सगे पिता अमर को होश आ गया और वो बिना वक्त गंवाए अब राजवीर से अपनी गलती की माफी मांगने के लिए पहुंच गए..!
वही ये सब रूही के सगे पिता अमर से कहने वाले और कोई नही उन के ही कॉलेज का एक दोस्त था जिस का पूरा नाम "सुखविंदर सिंह" था और वो, राजवीर के विला में यहां शेफ का काम करता था..!
राजवीर की बात सुन कर, रूही के सगे पिता अमर से कुछ बोला नहीं जा रहा था क्योंकि अगर उन्हें कुछ कहा तो ना तो उन के दोस्त सुखबिंदर की जान बच पाएगी..!
और न ही उन की और अब इसलिए ही उन्होंने आप अपने से अपने मन में कहा, "कुछ ऐसा सोच अमर, जिस से साप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे..!"
रूही के सगे पिता अमर अपने मन में अपनी बात बोल कर अब कुछ देर सोचने के बाद, राजवीर से कहने लगे, "वो.. वो मेरी सगी बेटी रूही का मैसेज आया था, वही देख रहा था..!"
रूही के सगे पिता अमर को रूही का नाम सब से पहले याद इसलिए भी आया था क्योंकि वो अभी उस को ही उस के कॉलेज छोड़ कर आए थे..!
To be Continued......
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।