अब आगे,
रूही ने अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर कुछ नही कहा था क्योंकि वो अब तक इस सब चीजों को अपने बाके बिहारी (भगवान) की मर्जी मान चुकी थी..!
रूही की चुपी देख कर रूही की इकलौती दोस्त खुशी का गुस्सा बढ़ा रही थी क्योंकि खुशी एक शॉर्ट टेंपेड है जिस का मतलब है कि उस को बहुत जल्दी ही गुस्सा आ जाता था..!
और ऊपर से उस के माता पिता दोनो ही पुलिस ऑफिसर थे और साथ में रूही की इकलौती दोस्त खुशी अपने माता पिता की इकलौती संतान थी..!
इसलिए उस के जो भी बस चाह भी था वो उस को मिल जाता था और इसी वजह से वो बहुत ही जिद्दी भी थी पर खुशी ने रूही को दिल से अपना दोस्त माना था..!
और उस की फिकर भी करती थी और साथ मे उस का बस चलता या कहो रूही उस को ये सब करने की परमिशन दे दे तो वो रूही की सौतेली मां कुसुम, सौतेली बहन रीना और सौतेले भाई राजीव को अच्छे से सबक सिखा सकती थी मगर रूही ने अपनी इकलौती दोस्त खुशी को अपनी कसम देकर चुप करवा रखा था..!
रूही की इकलौती दोस्त का पूरा नाम "खुशी श्रीवास्तव" था और उस की उम्र लगभग रूही के ही बराबर ही थी और हाइट 5"5 इंच होगी और दिखने में ये भी सुंदर है मगर रूही से थोड़ी कम और खुशी, रूही को सच्चे दिल से अपना दोस्त मानती थी..!
हां, पहले पढ़ाई के वजह से वो, रूही से बात नही करती थी क्योंकि खुशी, रूही की वजह से हमेशा 2nd रैंक ही लाती थी मगर एक दिन रूही ने अपनी जान पर खेल कर खुशी की जान बचा ली थी जिस की वजह से खुशी उस दिन से रूही को अपना सच्चा दोस्त मानने लगी..!
अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी, रूही को अपने साथ कॉलेज की डिस्पेंसरी लेकर जाने लगी और वहा पहुंच कर थोड़े तेज आवाज में वहा मौजूद डॉक्टर से अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही की तरफ इशारा करते हुए कहा, "इस को चेक करो और इस की बैंडेज कर दो..!"
रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने तेज आवाज में इसलिए भी बोला था क्योंकि उस का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था और वहा मौजूद डॉक्टर जल्दी से रूही की इकलौती दोस्त खुशी के कहने पर जल्दी से रूही के घाव को अच्छे से देखने लगे..!
और उस की मरहम पट्टी भी कर रहे थे क्योंकि रूही की इकलौती दोस्त खुशी के माता पिता दोनो ही पुलिस ऑफिसर थे और तो और रूही की इकलौती दोस्त खुशी के पिता तो यही बनारस मे पोस्टेड भी थे इसलिए भी रूही की इकलौती दोस्त खुशी की इस “प्राइवेट यूनिवर्सिटी ऑफ बनारस” में ज्यादा चलती थी..!
वही दूसरी तरफ, राजवीर का विला, बनारस में,
अब तक रूही के पिता अमर राजवीर के विला में पहुंच चुके थे मगर वो उस आलीशान बने विला के बाहर खड़े होकर ही उस को देख कर हैरान रह गए कि उस के बॉस (राजवीर) कितना बड़ा और अमीर बिजनेसमैन है जिस का इंडिया के हर कोने में एक ऐसा विला जरूर से होगा ही..!
राजवीर के पी ए दीप ने रूही के सगे पिता अमर को सीसीटीवी फुटेज में राजवीर के विला के बाहर खड़े देख लिया था तो अब उस ने अपने सामने बैठे राजवीर से कहा, "बॉस, रूही मैम के पिता अमर आप के विला के बाहर तक पहुंच चुके हैं..!"
अपने पी ए दीप की बात सुन कर अब राजवीर एक घमंड भरी आवाज के साथ थोड़े गुस्से से अपने पी ए दीप से कहा, "तो क्या कोई मूहर्त निकलवाऊ उस को मेरे विला में बुलाने के लिए, जल्दी बुलाओ उस को अंदर, मै यहां खाली नही बैठा हु और भी बहुत काम है मुझे..!"
राजवीर के गुस्से भरी आवाज सुन कर राजवीर का पी ए दीप की तो आवाज ही नहीं निकल रही थी क्यूंकि वो चाहे राजवीर के साथ पिछले सात सालों से काम कर रहा था मगर वो आज भी राजवीर के गुस्से से उतना ही डरता था जितना वो उस से पहली बार मिलने पर डरा था..!
जब राजवीर को अपनी बात का कोई जवाब नही मिला तो वो, अपने पी ए दीप को गुस्से से घूर रहा था क्योंकि उस को ये बिलकुल भी बर्दाश नही था कि कोई उस की बात को नजरंदाज करे या फिर उस की बात का कोई जवाब ही न दे..!
To be Continued......
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।