Devil Ceo's Sweetheart - 44 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 44

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 44

अब आगे,

 

दूसरी तरफ, शर्मा निवास, रूही का घर,

 

रूही को अपनी गर्दन में बहुत तेज दर्द हो रहा था क्योंकि उस की सौतेली मां कुसुम ने काला टीका लगाने के चक्कर मे बहुत तेज से उस की गर्दन को दबा दिया था बस इसी पहली वजह से अब रूही से नाश्ता नही किया जा रहा था...!

 

रूही को नाश्ता न करते देख कर अब रूही के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही पर थोड़ा गुस्सा करते हुए उस से कहने लगे, "क्या हुआ रूही अभी तक तुम ने अपना नाश्ता खतम क्यू नही करा है जबकि तुम्हे पता तो है कि मुझे तुम्हारे कॉलेज का काम निपटा कर फिर अपने काम पर भी जाना है क्योंकि मेरे बॉस अभी तक दिल्ली नही गए हैं..!"

 

रूही को पूरे घर की साफ सफाई और पोछा करने में ही एक घंटा लग गया था फिर नहा धोकर अपने जो कपड़े और थोड़े बहुत और कपड़े धोकर सुखा दिए थे जिस मे आधा घंटा और लग गया फिर तैयार होने और सारा सामान अच्छे से रखने में 15 मिनट लग गए..!

 

और अब साढ़े आठ हो चुके थे फिर दोनो को रूही के कॉलेज भी पहुंचना था और वहा कितना समय लगे ये तो किसी को नही पता था और उस के बाद रूही के सगे पिता अमर को अपनी सगी बेटी रूही को घर छोड़ कर फिर अपने बॉस (राजवीर) के विला में भी समय तक पहुंचना था..!

 

और वही रूही के सगे पिता अमर को अपनी सगी बेटी रूही के नाश्ता धीरे धीरे करने से परेशानी नही थी बस वो, राजवीर के गुस्से को दुबारा नहीं देखना चाहते थे क्योंकि अब उन्हे राजवीर के गुस्से से ज्यादा उस के चेहरे से भी डर लग रहा था..!

 

अपने सगे पिता अमर का गुस्सा देख कर वही रूही से डर के मारे कुछ बोला नहीं जा रहा था और ना ही अपनी सौतेली मां कुसुम की वजह से खाया जा रहा था तो अब रूही बस कुछ देर वही बैठी रही और फिर अपनी भरी खाने की प्लेट को लेकर रसोई घर की ओर जाने लगी...!

 

जब रूही के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही को अपने खाने से भरी प्लेट को रसोई घर की तरफ जाते हुए देखा तो उस को रोकते हुए अपनी सगी बेटी रूही से कहने लगे, "मैने तुम्हे खाने से नही रोका है बस जल्दी खाने के लिए बोल रहा था और उस की वजह तुम्हे मैने पहले ही बता दी है...!"

 

अपने सगे पिता अमर की बात सुन कर रूही बस खड़ी हुई थी वो कुछ भी बोल नही रही थी तो रूही के सगे पिता अमर ने अब अपने गुस्से मे अपनी सगी बेटी रूही से कहा, "क्या तुम्हे सुनाई नही दे रहा है कि मै तुम से ही कुछ कह रहा हु...?"

 

अपने सगे पिता अमर का गुस्सा देख कर रूही थर थर कांप रही थी पर अब अपने सगे पिता अमर की तरफ मुंह कर के फिर थोड़ी सी हिम्मत कर के अपने सगे पिता अमर से लगी, "वो...वो मुझे भूख नही है...!"

 

अपनी सगी बेटी रूही की बात सुन कर अब रूही के सगे पिता अमर ने अपने गुस्से में अपनी सगी बेटी रूही से पूछा, "और वो क्यू नही है, जरा बताओगी तुम मुझे...?"

 

अपने सगे पिता अमर का गुस्सा देख कर ही रूही की हालत खराब हो रही थी वही वो किसी तरह अपने आप को संभालते हुए अपने सगे पिता अमर से कहने लगी, "वो..वो क्या है ना कि सुबह सुबह इतनी जल्दी खाने की आदत...!"

 

रूही आगे बोल पाती उस से पहले ही उस की सौतेली मां कुसुम वहा पहुंच गई और रूही की सौतेली मां कुसुम ने अब अपनी सौतेली बेटी रूही का हाथ पकड़ लिया और साथ मे अब उस को आंखे दिखा रही थी जिस से रूही जो आगे बोलने ही वाली थी वो अपने सौतेली मां कुसुम की आंखे देख कर चुप हो गई..!

 

अब रूही की सौतेली मां कुसुम ने अपनी सौतेली बेटी रूही की झूठी तरफदारी करते हुए और अपने आप को बचाते हुए, अपने दूसरे पति अमर से कहा, "अरे वो क्या है ना आज कल के बच्चे कहा सुबह सुबह इतनी जल्दी खाना चाहते हैं और सुबह इतनी भूख भी नही लगती है बस इसलिए ही, ये कह रही होगी...!"

 

असल बात तो ये है कि रूही जब तक पूरे घर की झाड़ू पोछा, कपड़े, बर्तन, साफ सफाई और भी बहुत सारे काम और उस के बाद सुबह का नाश्ता और दुपहर का खाना नही बना लेती थी तब तक उस को खाने का एक निवाला तो क्या पानी भी पीना नसीब नही होता था...!

 

साल के 365 दिन में से 250 दिन को उस को अपनी सौतेली मां कुसुम, सौतेली बहन रीना और सौतेले भाई राजीव के अत्याचार ही देखने को मिलते और सहने पड़ते थे..!

 

और रूही के सगे पिता अमर बाकी बचे दिनों में घर आते थे तो थोड़ी बहुत इज्जत अपनी सगी बेटी रूही को दिला जाते थे और उन के जाते ही रूही के साथ उस से भी बत्तर व्यवहार किया जाता था, बस इसी दूसरी वजह से रूही से खाना नही खाया जा रहा था..!

 

अपनी दूसरी पत्नी कुसुम की बात सुन कर, रूही के सगे पिता अमर ने अब खुश होते हुए अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहा, "तुम ने ही बिगाड़ कर रख दिया है मेरी बच्ची रूही को और वैसे भी तुम पूरी दुनिया में इकलौती सौतेली मां होगी जो अपनी सौतेली बेटी के साथ अपनी सगी बेटी जैसा व्यवहार करती हो, रूही तो बहुत खुशनसीब वाली है जिसे अपनी सगी मां सरस्वती को खोने के बाद तुम्हारी जैसी दूसरी मां मिल गई है...!"

 

रूही के सगे पिता अमर की बात सुन कर, रूही की सौतेली मां कुसुम ने अब रूही के सगे पिता अमर को झूठी मुस्कान दिखा रही थी और वही रूही के हाथ को बहुत जोर से पकड़ा हुआ था जिस से उस की आंखो में आंसुओ आ चुके थे...!

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।