a shadow of a deception in Hindi Fiction Stories by Abhishek Chaturvedi books and stories PDF | एक छलावे की परछाईं

Featured Books
  • ભીતરમન - 58

    અમારો આખો પરિવાર પોતપોતાના રૂમમાં ઊંઘવા માટે જતો રહ્યો હતો....

  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

Categories
Share

एक छलावे की परछाईं



 अध्याय 1: अतीत की परछाईं

रात के गहरे सन्नाटे में, जब पूरा गाँव नींद की आगोश में था, सूरजगढ़ के पुराने हवेली में एक हलचल थी। हवेली की खिड़कियों से छनकर आती हल्की पीली रोशनी अजीब सा सन्नाटा बिखेर रही थी। हवेली के बारे में कहा जाता था कि वहां वर्षों पहले एक ऐसी प्रेम कहानी घटी थी, जो आज तक अधूरी रह गई थी। हवेली के हर कोने में उस अतीत की एक गूंज थी, जो आज भी समय-समय पर महसूस होती थी।

उस रात, अनाया हवेली के पास से गुज़र रही थी। उसका दिल हमेशा की तरह बेचैन था। वह एक जवान लड़की थी, जिसका दिल प्रेम के रंगों से भरा हुआ था, लेकिन उसकी ज़िंदगी में एक ऐसा रहस्य था, जिसने उसकी खुशियों पर काले बादल छा दिए थे। अनाया का जन्म इसी गाँव में हुआ था, लेकिन उसे अपनी माँ की मौत के बाद उसे यहाँ से दूर शहर भेज दिया गया था। अब, वर्षों बाद, वह गाँव लौटी थी, अपने बीते हुए दिनों की सच्चाई से सामना करने के लिए।

अनाया के कदम अपने आप हवेली की ओर बढ़ने लगे। यह वही हवेली थी, जहाँ उसकी माँ ने आखिरी सांसें ली थीं। उसके दादा, जो उस समय के जाने-माने जमींदार थे, ने उस दिन के बाद से हवेली को ताला डाल दिया था। किसी को भी उस हवेली के पास जाने की इजाज़त नहीं थी, लेकिन अनाया के दिल में कुछ और ही था। उसे लगा जैसे वह इस जगह के बारे में जितना जानने की कोशिश करेगी, उतना ही वह अपनी माँ के करीब पहुंचेगी।

हवेली के दरवाजे पर पहुँचते ही अनाया ने देखा कि वहाँ एक वृद्ध व्यक्ति खड़ा था, जिसकी आँखों में अनुभव की झलक थी। यह वही बूढ़ा चौकीदार था, जिसने हवेली की देखरेख की ज़िम्मेदारी ले रखी थी। उसने अनाया को पहचानते हुए कहा, "बिटिया, तुम यहाँ क्यों आई हो? यह जगह अब भी वैसी ही है, जैसी पहले थी... खतरनाक और रहस्यमयी।"

अनाया ने दृढ़ता से उत्तर दिया, "बाबा, मैं अपनी माँ के बारे में जानने आई हूँ। मुझे मालूम है कि इस हवेली में कुछ तो ऐसा है जो अभी भी छुपा हुआ है।"

चौकीदार ने एक लंबी साँस ली और कहा, "यह हवेली रहस्यों से भरी है, बिटिया। यहाँ हर कोने में एक कहानी है, और कुछ कहानियाँ इतनी दर्दनाक हैं कि उन्हें भुला देना ही बेहतर है।"

अनाया ने चुपचाप उस बड़े, पुराने लोहे के दरवाजे को देखा। उसका मन उसे भीतर जाने के लिए प्रेरित कर रहा था। उसने हिम्मत करके चौकीदार से कहा, "बाबा, मुझे अंदर जाने दीजिए। मुझे अपनी माँ से जुड़े रहस्य जानने हैं।"

चौकीदार ने अनिच्छा से दरवाजे की चाबी निकाली और हवेली का दरवाजा खोल दिया। अनाया अंदर दाखिल हुई और उसकी आँखें हवेली की पुरानी दीवारों और छतों पर घूमने लगीं। हवेली में अजीब सी ठंडक थी, जैसे यहाँ सालों से कोई नहीं आया हो। हर चीज़ पर धूल की मोटी परत जमी थी। अनाया ने देखा कि हवेली के एक कोने में एक पुरानी तस्वीर टंगी थी, जिसमें एक खूबसूरत महिला थी। यह महिला उसकी माँ ही थी।

तस्वीर के सामने खड़ी होकर अनाया के दिल में तरह-तरह के सवाल उठने लगे। उसकी माँ की मौत कैसे हुई? उसे क्यों इतने सालों से इस हवेली से दूर रखा गया? अनाया के दिमाग में उलझनें और बढ़ गईं।

अचानक, हवेली के एक कमरे से हल्की आवाज़ आई। अनाया ने उस दिशा में कदम बढ़ाया। वह कमरे के अंदर गई और देखा कि वहाँ एक पुराना बक्सा पड़ा हुआ था। बक्सा आधा खुला था और उसमें से कुछ पुराने कागज झाँक रहे थे। अनाया ने बक्से के पास जाकर कागजों को निकाला। उनमें कुछ पत्र थे, जो उसकी माँ ने लिखे थे, लेकिन कभी भेजे नहीं गए।

अनाया ने पहला पत्र खोला और पढ़ना शुरू किया:

"प्रिय अनिरुद्ध,  
यहाँ हवेली में सब कुछ अजीब सा लगता है। मुझे ऐसा लगता है जैसे कोई हमारी हर हरकत पर नज़र रख रहा हो। मैंने कई बार सोचा कि यह सिर्फ मेरा वहम है, लेकिन रात के अंधेरे में जो चीजें मैंने देखी हैं, वे सचमुच डरावनी हैं। तुम्हारे बिना यहाँ रहना अब असंभव हो रहा है। मैं तुमसे जल्द मिलने की उम्मीद कर रही हूँ, क्योंकि इस हवेली में रहस्य बहुत गहरे हैं और मुझे नहीं लगता कि मैं इसे अकेले सहन कर पाऊंगी।"

अनाया के हाथ काँपने लगे। पत्र पढ़कर उसे समझ में आया कि उसकी माँ किसी गंभीर परेशानी में थी, और यह परेशानी केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि उससे कहीं अधिक थी। वह बक्से के अन्य पत्रों को भी पढ़ने लगी, जिनमें उसकी माँ ने हवेली में हो रही अजीबोगरीब घटनाओं का उल्लेख किया था। उन पत्रों में बार-बार 'अनिरुद्ध' का जिक्र था। अनाया के लिए यह नाम नया था। उसने अपने परिवार में इस नाम को कभी नहीं सुना था।

तभी, अनाया की नज़र बक्से के कोने में रखी एक छोटी सी डायरी पर पड़ी। उसने डायरी उठाई और उसे पढ़ना शुरू किया। उसमें उसकी माँ के निजी विचार और भावनाएँ दर्ज थीं। डायरी के पन्नों पर अजीब सा डर और बेचैनी झलक रही थी।

एक पन्ने पर लिखा था:

"अनिरुद्ध और मैं एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते, लेकिन इस हवेली की दीवारों में कुछ ऐसा है जो हमें एक-दूसरे से दूर कर रहा है। मैं रात में अजीब परछाइयाँ देखती हूँ, जो मेरे कमरे के बाहर मंडराती रहती हैं। मुझे लगता है कि यह हवेली हमें साथ नहीं देखना चाहती।"

अनाया की सांसें तेज़ हो गईं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या था। वह उस अनजान प्रेम कहानी का हिस्सा बन चुकी थी, जिसके बारे में उसे पहले कुछ पता नहीं था। उसकी माँ और अनिरुद्ध की कहानी ने उसके दिल में एक अजीब सी हलचल मचा दी थी।

तभी, कमरे की खिड़की अचानक तेज़ी से बंद हो गई। अनाया चौंक गई। उसे लगा जैसे हवेली खुद उसे कोई संदेश देने की कोशिश कर रही थी। उसे महसूस हुआ कि यहाँ कुछ ऐसा है जिसे वह समझ नहीं पा रही है। उसने फैसला किया कि वह इस रहस्य को सुलझाने के लिए किसी भी हद तक जाएगी। हवेली के हर कोने में छिपी कहानी को उजागर करना अब उसका मकसद बन गया था।

 अध्याय 2: छुपे हुए पन्ने

अगली सुबह अनाया ने गाँव के बड़े बुजुर्गों से हवेली के इतिहास के बारे में पूछताछ की। लेकिन किसी ने भी उसे स्पष्ट जवाब नहीं दिया। सबने एक ही बात कही: "हवेली में जो हुआ, उसे भूल जाना ही बेहतर है।"

लेकिन अनाया का दिल उसे चैन से बैठने नहीं दे रहा था। वह बार-बार अनिरुद्ध और उसकी माँ के बारे में सोच रही थी। उसने तय किया कि वह गाँव की पुरानी लाइब्रेरी में जाकर कुछ जानकारियाँ इकट्ठा करेगी।

लाइब्रेरी में अनाया ने पुराने अखबारों और रिकॉर्ड्स को खंगालना शुरू किया। वहाँ उसे एक पुराना लेख मिला, जिसमें हवेली से जुड़ी कुछ घटनाओं का जिक्र था। लेख में बताया गया था कि अनिरुद्ध नाम का एक युवक, जो उस समय गाँव में नया-नया आया था, अचानक गायब हो गया था। लोगों ने उसके बारे में कई अटकलें लगाई थीं, लेकिन उसका कभी कोई सुराग नहीं मिला। 

लेख में अनिरुद्ध और उसकी माँ के बीच के रिश्ते का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं था, लेकिन अनाया को यह यकीन हो गया था कि उसकी माँ और अनिरुद्ध के बीच कुछ गहरा संबंध था। लेख में यह भी लिखा था कि अनिरुद्ध के गायब होने के बाद हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगी थीं, जिससे गाँव के लोग डरने लगे थे। 

अनाया ने गाँव के एक बुजुर्ग व्यक्ति से भी बात की, जिन्होंने अनिरुद्ध के बारे में कुछ जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अनिरुद्ध एक रहस्यमयी व्यक्ति था, जिसने गाँव में बहुत कम समय बिताया था, लेकिन उसकी और अनाया की माँ की दोस्ती गाँव में चर्चा का विषय बन गई थी। 

अनाया को यकीन हो गया कि अनिरुद्ध का गायब होना और उसकी माँ की मौत किसी न किसी तरह से जुड़े हुए थे। उसने तय किया कि वह इस गुत्थी को सुलझाने के लिए हवेली में और भी गहराई से खोजबीन करेगी। 

हवेली में वापस पहुँचने के बाद, अनाया ने उन कमरों की जाँच शुरू की, जिन्हें उसने पहले नहीं देखा था। उसने हवेली में वापस पहुँचने के बाद, अनाया ने उन कमरों की जाँच शुरू की, जिन्हें उसने पहले नहीं देखा था। उसने हवेली के पुराने गलियारों में कदम रखा, जिनकी दीवारों पर समय की मार साफ दिख रही थी। हर दरवाजा, हर खिड़की उसे एक नया रहस्य खोलने के लिए बुला रहा था। हवेली का यह हिस्सा शायद ही कभी खुला हो, और इसीलिए वहाँ का माहौल और भी रहस्यमय था।

अचानक, एक कमरे के कोने में उसे एक पुराना तिजोरी जैसा बक्सा दिखा, जिसके ऊपर धूल की मोटी परत जमी हुई थी। उसने उसे खोलने की कोशिश की, लेकिन बक्सा बहुत भारी था और ताले से बंद था। ताले पर एक अजीब सी आकृति बनी थी, जो अनाया ने पहले कहीं नहीं देखी थी। आकृति में एक गुलाब का फूल बना हुआ था, जिसके चारों ओर नागिन के आकार की बेलें लिपटी हुई थीं।

अनाया के मन में फिर से सवाल उठने लगे। यह बक्सा यहाँ कैसे आया और इसमें क्या छुपा हो सकता है? क्या यह बक्सा उसकी माँ के जीवन के उन रहस्यों को उजागर करेगा, जो इतने वर्षों से दफन थे?

वह तिजोरी को खोलने की कोशिश कर ही रही थी कि उसकी नज़र एक पुरानी कुर्सी पर पड़ी, जिस पर एक मोटी किताब रखी हुई थी। किताब पर काले चमड़े की जिल्द चढ़ी थी और उसके पन्ने पुराने होने के कारण पीले पड़ चुके थे। अनाया ने वह किताब उठाई और उसे खोलते ही उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। किताब में वह ही आकृति बनी थी जो बक्से के ताले पर थी—गुलाब का फूल और उसके चारों ओर लिपटी नागिन की बेलें।

अनाया ने ध्यान से किताब के पहले पन्ने को पढ़ा। उस पन्ने पर लिखा था:

"यह किताब उन रहस्यों को संजोए हुए है, जिन्हें केवल एक सच्चा प्रेमी ही समझ सकता है। हवेली की दीवारों के पीछे छुपे हुए सच को जानने के लिए इसे पढ़ो, लेकिन सावधान रहो, क्योंकि यहाँ हर सच एक नई चुनौती लाएगा।"

अनाया के दिल की धड़कनें तेज हो गईं। वह समझ गई थी कि यह किताब और बक्सा किसी न किसी तरह से उसकी माँ और अनिरुद्ध के बीच की कहानी से जुड़ा हुआ है। उसने धीरे-धीरे किताब के पन्ने पलटने शुरू किए। हर पन्ना एक नई कहानी को बयां कर रहा था, जिसमें हवेली के पुराने मालिकों, उनके प्रेम संबंधों और अजीबोगरीब घटनाओं का विवरण था।

किताब के एक पन्ने पर अनाया ने देखा कि हवेली में छुपी हुई एक गुप्त सुरंग का उल्लेख था। यह सुरंग हवेली के तहखाने में कहीं खुलती थी और गाँव के पास स्थित पुराने मंदिर तक जाती थी। कहा जाता था कि इस सुरंग का इस्तेमाल हवेली के मालिक अपने गुप्त कामों के लिए करते थे।

अनाया ने सोचा कि इस सुरंग का पता लगाना ही अगला कदम होगा। अगर सुरंग का अस्तित्व सच में है, तो हो सकता है कि अनिरुद्ध के गायब होने का रहस्य इसी से जुड़ा हो। उसने हवेली के तहखाने की ओर जाने का फैसला किया।

 अध्याय 3: तहखाने का राज़ 

तहखाने का दरवाज़ा भारी लकड़ी का बना था, जिस पर जंग लगी हुई थी। अनाया ने थोड़ी मशक्कत के बाद उसे खोला और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी। तहखाने में घना अंधेरा था, लेकिन अनाया ने अपने साथ लाई हुई टॉर्च जलाकर आगे का रास्ता देखा।

तहखाना बहुत बड़ा था, और वहाँ का माहौल और भी डरावना था। हर कदम के साथ अनाया को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह किसी अनदेखे खतरे की ओर बढ़ रही है। तहखाने की दीवारों पर कुछ अजीबोगरीब निशान बने हुए थे, जिनका कोई मतलब समझ में नहीं आ रहा था। कुछ दीवारों पर पुराने समय की वस्तुएँ टंगी हुई थीं—जंग लगे हथियार, पुरानी पेंटिंग्स, और अजीब सी मूर्तियाँ।

तहखाने के एक कोने में, अनाया ने देखा कि एक पत्थर की दीवार के पीछे कुछ हलचल हो रही थी। उसने दीवार के पास जाकर ध्यान से देखा। वहाँ पत्थर की ईंटें थोड़ी ढीली हो गई थीं, जिससे हवा अंदर बाहर हो रही थी। अनाया ने एक ईंट को निकालने की कोशिश की और उसे निकालने में सफल रही। 

जैसे ही ईंट निकली, उसके पीछे एक छोटा सा दरवाजा दिखा, जो उस सुरंग का प्रवेश द्वार था, जिसका जिक्र किताब में किया गया था। अनाया ने दरवाजे को खोलने के लिए उसे धक्का दिया। दरवाजा बहुत पुराना और जर्जर था, लेकिन थोड़ी मेहनत के बाद वह खुल गया। 

सुरंग का अंदर का हिस्सा बहुत संकरा और अंधकारमय था। वहाँ की हवा भारी थी, और हर कदम पर अजीब सी आवाज़ें गूँज रही थीं। अनाया ने अपनी टॉर्च को मजबूत पकड़ते हुए सुरंग में प्रवेश किया। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी, जबकि उसके मन में कई सवाल उठ रहे थे—क्या वह सही दिशा में जा रही है? क्या उसे इस सुरंग में वो सब जवाब मिलेंगे, जिनकी वह तलाश कर रही है?

सुरंग में चलते-चलते उसे एक दीवार पर कुछ लिखा हुआ मिला। दीवार पर अजीब सी भाषा में कुछ संकेत थे, लेकिन उनके नीचे किसी ने हिंदी में लिखा हुआ था: "प्रेम और दर्द, जीवन और मौत—यहाँ सब कुछ जुड़ा है। आगे बढ़ो, लेकिन सावधान रहो।"

अनाया ने आगे बढ़ने का फैसला किया। सुरंग बहुत लंबी थी और उसके हर मोड़ पर उसे लगता था कि कोई उसका पीछा कर रहा है। लेकिन वह अपनी माँ के रहस्य को सुलझाने के लिए दृढ़ संकल्पित थी। 

चलते-चलते, सुरंग में एक जगह पर उसे पुराने समय के कुछ गहने और वस्त्र मिले। ये चीज़ें देखकर उसे महसूस हुआ कि यह सुरंग केवल एक रास्ता नहीं, बल्कि उन रहस्यों का भंडार थी, जो सालों से छिपे हुए थे। सुरंग के अंत में उसे एक छोटी सी कुटिया जैसी जगह दिखी। वहाँ एक पुरानी चौकी और कुछ पत्र रखे हुए थे। 

जब अनाया ने उन पत्रों को उठाकर पढ़ा, तो वह स्तब्ध रह गई। यह पत्र अनिरुद्ध के थे। उसने पत्रों को ध्यान से पढ़ना शुरू किया:

"प्रिय प्रिया,  
मैं जानता हूँ कि हमारे बीच के हालात बहुत कठिन हैं। लेकिन इस हवेली के अंदर जो राज छुपा है, वह हमें कभी चैन से जीने नहीं देगा। मैं तुम्हें इस सब से दूर ले जाना चाहता हूँ, लेकिन यह सुरंग ही हमारी आखिरी उम्मीद है। मैं तुम्हारे लिए यहाँ इंतजार कर रहा हूँ। अगर तुम यह पत्र पढ़ रही हो, तो समझो कि मैं तुम्हारे पास हूँ, लेकिन हो सकता है मैं अब इस दुनिया में न रहूँ।"

अनाया की आँखों में आँसू आ गए। यह पत्र उसकी माँ के नाम था। उसने समझ लिया कि अनिरुद्ध और उसकी माँ एक-दूसरे से बेहद प्रेम करते थे, लेकिन उनकी प्रेम कहानी हवेली के रहस्यों में उलझकर रह गई थी।

अनिरुद्ध की बातें पढ़कर अनाया को महसूस हुआ कि हवेली में छुपे हुए राज उससे भी कहीं गहरे थे, जितना वह सोच रही थी। उसने अपनी माँ के पत्रों और इस सुरंग के संकेतों को जोड़ते हुए एक बड़ी सच्चाई को महसूस किया। उसे अब हवेली के उस कमरे में लौटना था, जहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था।

अध्याय 4: सच्चाई का सामना

हवेली के उस कमरे में वापस आकर, अनाया ने दीवारों पर बने निशानों और तस्वीरों को ध्यान से देखा। उसे समझ में आया कि हवेली की दीवारों में छुपे हुए संकेत उसे एक खास जगह की ओर इशारा कर रहे थे। 

उसने दीवार पर बने गुलाब के फूल और नागिन के चिन्हों को देखा। उसने वह किताब भी उठाई, जिसे उसने पहले देखा था। किताब के अंतिम पन्ने पर एक छोटा सा ताला था, जिसे उसने बक्से की चाबी से खोलने की कोशिश की। चाबी ने ताले को खोल दिया, और किताब के भीतर से एक और पत्र निकला।

इस पत्र में अनिरुद्ध ने अपनी आखिरी इच्छा व्यक्त की थी:

"अगर किसी दिन इस किताब को कोई पढ़े, तो मेरी और प्रिया की प्रेम कहानी को समझे। हमारी आत्माएं इस हवेली में हमेशा के लिए बंधी रह गई हैं। हमें मुक्ति की ज़रूरत है। अगर तुम सच्चे प्रेम के प्रतीक हो, तो हमें इस दर्द से आज़ाद कर दो। यह हवेली तब तक शापित रहेगी, जब तक हमारी आत्माएं मुक्त नहीं होतीं।"

अनाया को अब सच्चाई का सामना करना था। उसने यह समझ लिया कि उसकी माँ और अनिरुद्ध की आत्माएं हवेली में बंधी हुई थीं, और उन्हें मुक्ति की तलाश है।
अनाया ने महसूस किया कि उसकी माँ और अनिरुद्ध की आत्माओं को मुक्त करने के लिए उसे कुछ करना होगा। हवेली में उनकी आत्माएं किसी अज्ञात कारण से बंधी हुई थीं, और जब तक यह रहस्य सुलझ नहीं जाता, उनकी आत्माएं मुक्ति नहीं पा सकती थीं। लेकिन सवाल यह था कि अनाया इस समस्या का समाधान कैसे निकाले?

उसने हवेली के चारों ओर छानबीन करने का फैसला किया, यह सोचते हुए कि शायद कहीं और कोई सुराग मिल जाए। कमरे के कोने में एक पुरानी अलमारी खड़ी थी, जिसमें समय की मार की वजह से लकड़ी के कुछ हिस्से सड़ चुके थे। अनाया ने अलमारी के दरवाजे को खोला तो उसे अंदर कुछ पुराने कपड़े, किताबें और एक पुरानी, धूल से भरी माला मिली। वह माला देखने में साधारण थी, लेकिन उस पर बंधी हुई धागों में कुछ विशेष था—माला के बीचोंबीच एक छोटा सा ताबीज़ बंधा हुआ था, जिसमें एक छोटा सा कागज रखा हुआ था।

अनाया ने ताबीज़ को ध्यान से देखा और उसे खोलने की कोशिश की। जैसे ही उसने कागज को बाहर निकाला, उस पर लिखा हुआ एक मंत्र दिखा। यह मंत्र संस्कृत में था, और उसमें आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना थी। अनाया को तुरंत एहसास हुआ कि यह वही वस्तु हो सकती है, जिससे उसकी माँ और अनिरुद्ध की आत्माओं को शांति मिल सकती है।

लेकिन अनाया को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि केवल एक ताबीज़ और एक मंत्र से सब कुछ ठीक हो सकता है। उसने किताब के अंतिम पन्नों को फिर से पलटा, जिसमें अनिरुद्ध ने इस ताबीज़ के महत्व के बारे में लिखा था। उसने बताया था कि यह ताबीज़ किसी पुराने साधु ने बनाया था, जिसने हवेली के शाप को तोड़ने का प्रयास किया था। लेकिन अनिरुद्ध और प्रिया की समयपूर्व मौत के कारण यह ताबीज़ उपयोग में नहीं आ सका।

अनाया ने हिम्मत जुटाकर ताबीज़ को अपने हाथ में लिया और हवेली के उस कमरे में जाने का फैसला किया, जहाँ उसकी माँ की आखिरी सांसें ली गई थीं। उसे यकीन था कि वही स्थान उन आत्माओं के बंधन का केंद्र होगा।

 अध्याय 5: मुक्ति की प्रार्थना

अनाया उस कमरे में पहुँची, जहाँ उसकी माँ का जीवन समाप्त हुआ था। कमरे की दीवारों पर अब भी वही पुरानी तस्वीरें थीं, और एक अजीब सी ठंडक पूरे कमरे में फैली हुई थी। उसने ताबीज़ को अपनी माँ की तस्वीर के सामने रखा और मंत्र को पढ़ना शुरू किया।

मंत्र पढ़ते ही कमरे की हवा भारी हो गई, जैसे हवेली के भीतर कुछ बदल रहा हो। दीवारों पर हल्की-हल्की कंपन होने लगी, और अनाया को ऐसा महसूस हुआ जैसे कमरे में उसकी माँ और अनिरुद्ध की आत्माएं मौजूद हों। उसने आँखें बंद कीं और मंत्र को पूरे विश्वास के साथ पढ़ती रही। 

कुछ ही क्षणों में, कमरे में हल्की रोशनी फैल गई। यह रोशनी ताबीज़ से निकल रही थी, और धीरे-धीरे पूरे कमरे में फैलने लगी। अनाया ने महसूस किया कि उसकी माँ और अनिरुद्ध की आत्माएं अब ताबीज़ की रोशनी की ओर आकर्षित हो रही थीं। 

तभी, उसे अपनी माँ की आवाज सुनाई दी। आवाज में दर्द भी था, और एक प्रकार की शांति भी। उसकी माँ ने कहा, "अनाया, तुम्हारे साहस ने हमें वह मुक्ति दी है, जिसकी हमें वर्षों से प्रतीक्षा थी। हमारे प्रेम की कहानी अधूरी रह गई थी, लेकिन तुमने इसे पूरा कर दिया। अब हम शांति से जा सकते हैं।"

अनाया की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने अपनी माँ की आवाज़ को महसूस किया, और उसे यकीन हो गया कि उसकी माँ और अनिरुद्ध की आत्माएं अब मुक्ति की ओर जा रही थीं। हवेली में फैलती रोशनी और हल्के से कंपन के साथ, दोनों आत्माएं हवेली से निकलकर ऊपर की ओर चली गईं, और कुछ ही पलों में हवेली फिर से शांत हो गई।

 अध्याय 6: नई सुबह

अगली सुबह, हवेली में एक नया सवेरा था। अनाया ने महसूस किया कि हवेली में अब वह डरावना और रहस्यमयी माहौल नहीं था। हवेली के हर कोने में एक नयी ऊर्जा थी, जैसे हवेली ने भी एक नई शुरुआत की हो। 

गाँव के लोग जो पहले इस हवेली से डरते थे, अब उसे एक पवित्र स्थान मानने लगे थे। अनाया ने तिजोरी में रखे बाकी पत्रों को एकत्र किया और उन्हें जलाकर अपनी माँ और अनिरुद्ध की याद में एक छोटे से मंदिर में विसर्जित कर दिया। 

अब अनाया ने फैसला किया कि वह गाँव में ही रहेगी और हवेली को एक संग्रहालय में बदल देगी, जहाँ लोग उसकी माँ और अनिरुद्ध की प्रेम कहानी के बारे में जान सकें। उसने हवेली के बारे में गाँव के बच्चों को बताने का एक कार्यक्रम शुरू किया, जिससे गाँव के लोग भी इस कहानी को जान सकें और इस हवेली के शापित होने की अफवाहों से मुक्त हो सकें।

अनाया को अब यकीन हो गया था कि उसके जीवन का उद्देश्य केवल अपने परिवार की कहानी को जानना नहीं था, बल्कि उसे लोगों के सामने लाना और उन रहस्यों को उजागर करना था, जो सालों से छुपे हुए थे। उसने अपनी माँ और अनिरुद्ध की कहानी को जीवित रखने का फैसला किया और अपने जीवन को उनके प्रेम की याद में समर्पित कर दिया।

हवेली में एक नई सुबह की शुरुआत हो चुकी थी, और अनाया के दिल में एक नई उम्मीद जाग उठी थी। वह जानती थी कि उसकी माँ और अनिरुद्ध की आत्माएं अब शांति से आराम कर रही थीं, और उनकी प्रेम कहानी अब पूरी दुनिया के सामने थी—एक ऐसी कहानी, जिसमें प्रेम, दर्द, और रहस्य का मेल था, लेकिन अंत में शांति और मुक्ति का संदेश भी था।

 अंत

यह कहानी बताती है कि सच्चे प्रेम में शक्ति होती है, जो किसी भी रहस्य और बाधा को पार कर सकती है। अनाया की साहसिक यात्रा ने उसे न केवल अपनी माँ की विरासत से जोड़ा, बल्कि एक नई पहचान भी दी। उसकी यात्रा ने यह सिद्ध किया कि कभी-कभी सबसे गहरे और सबसे दर्दनाक रहस्य भी हमें जीवन की सच्चाई और प्रेम की अनंत शक्ति का एहसास दिला सकते हैं।