भाग 1: प्राचीन हवेली
हरिद्वार के पास बसे छोटे से गांव गंगापुर में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग 'प्रेत की हवेली' के नाम से जानते थे। हवेली के बारे में कई कहानियां प्रचलित थीं, लेकिन कोई भी उसे सच मानने के लिए तैयार नहीं था। कुछ लोग कहते थे कि वहां एक प्रेत का वास है, जो रात के समय हवेली में घूमता है।
कई सालों से हवेली खाली पड़ी थी। उसका दरवाजा टूटा हुआ था और खिड़कियों के कांच बिखरे हुए थे। दिन के समय भी हवेली के आसपास का वातावरण अजीब सा लगता था। गांव के लोग रात को हवेली के पास जाने से डरते थे, क्योंकि कई बार रात में हवेली से अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती थीं।
भाग 2: नए आगंतुक
एक दिन, शहर से एक लेखक, राहुल, उस गांव में आया। राहुल रहस्यमय और डरावनी कहानियों का लेखक था और उसे सुनने में आया था कि इस हवेली के बारे में कई रहस्य छुपे हुए हैं। वह गांव के एक पुराने पुजारी से मिला, जिसने उसे हवेली के बारे में बताया। पुजारी ने राहुल को वहां न जाने की सलाह दी, लेकिन राहुल ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया।
राहुल ने हवेली के अंदर जाने का फैसला किया। वह अपने साथ एक कागज, कलम और एक टॉर्च लेकर हवेली के अंदर चला गया। हवेली के अंदर कदम रखते ही उसे अजीब सी ठंडक महसूस हुई। हवेली के अंदर की दीवारों पर गहरे निशान थे, जैसे कि किसी ने अपने नाखूनों से उन्हें खरोंच दिया हो। हवेली की दीवारों पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी, और फर्श पर जगह-जगह पत्ते और टूटे हुए फर्नीचर पड़े थे।
भाग 3: छुपी हुई सच्चाई
रात गहराने लगी, और हवेली में एक अजीब सी चुप्पी छा गई। राहुल ने अपनी टॉर्च जलाकर हवेली के कोनों में झांकना शुरू किया। तभी उसे ऊपर के कमरे से हल्की सी सरसराहट की आवाज सुनाई दी। राहुल ने अपनी हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे सीढ़ियों की ओर बढ़ा।
जैसे ही वह ऊपर पहुंचा, उसे एक पुराने कमरे का दरवाजा बंद दिखाई दिया। दरवाजे के पीछे से किसी के हंसने की आवाज सुनाई दी। राहुल का दिल जोर से धड़कने लगा, लेकिन वह डर के आगे झुकने वाला नहीं था। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि वहां कोई नहीं था।
कमरे के अंदर केवल एक पुराना बिस्तर था, जिस पर एक धूल भरी चादर पड़ी थी। बिस्तर के पास एक पुरानी अलमारी थी, जिसका एक दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था। राहुल ने अलमारी का दरवाजा खोला, तो उसे अंदर एक पुरानी डायरी मिली। डायरी पर धूल की मोटी परत थी, लेकिन वह अब भी सही स्थिति में थी।
भाग 4: डायरी का रहस्य
राहुल ने डायरी को उठाया और उसके पन्ने पलटने लगा। डायरी में लिखा था, "यह हवेली पहले महाराज रणवीर सिंह की थी। उनकी पत्नी, रानी माधवी, बहुत सुंदर और समझदार थीं। लेकिन एक दिन, महाराज को शक हुआ कि रानी का संबंध किसी और के साथ है। गुस्से में आकर उन्होंने रानी को इस हवेली में बंद कर दिया और उन्हें यहां तड़पने के लिए छोड़ दिया।"
रानी की आत्मा इस अन्याय से बेहद दुखी थी और उन्होंने हवेली में ही प्राण त्याग दिए। उनकी आत्मा इस हवेली में फंसी रह गई। उनके बाद से हर कोई जो इस हवेली में आया, वह किसी न किसी भयानक घटना का शिकार हो गया। हवेली में रानी माधवी की आत्मा अभी भी अपने पति के किए गए अन्याय का बदला लेना चाहती है।"
भाग 5: सामना
राहुल ने डायरी पढ़ते हुए सारा सच जान लिया। तभी उसे अचानक से कमरे के कोने से किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने टॉर्च की रोशनी उस ओर घुमाई, तो देखा कि एक सफेद साड़ी में लिपटी एक स्त्री उसकी ओर बढ़ रही थी। राहुल का खून जम गया, वह स्त्री कोई और नहीं बल्कि रानी माधवी की आत्मा थी।
रानी की आत्मा ने राहुल की ओर अपनी नज़रें उठाईं। उसकी आंखों में दर्द और गुस्सा साफ झलक रहा था। वह धीरे-धीरे राहुल के करीब आ रही थी। राहुल का शरीर पसीने से तर हो गया, और उसकी सांसें तेज़ हो गईं। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर जड़ हो गए थे।
रानी की आत्मा ने उसे कहा, "मैंने वर्षों से इंतजार किया है कि कोई आए और मेरा बदला पूरा करे। अब तुम ही मेरे इस दर्द का अंत कर सकते हो।"
भाग 6: अंतिम निर्णय
राहुल ने अपने अंदर की सारी हिम्मत जुटाई और रानी की आत्मा से पूछा, "मैं क्या कर सकता हूँ?"
रानी की आत्मा ने कहा, "मुझे मुक्ति चाहिए। मुझे इस दर्द से आजाद करो। जाओ, महाराज रणवीर सिंह के परिवार के किसी सदस्य से कहो कि वे अपने किए का प्रायश्चित करें, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिले।"
राहुल ने बिना समय गंवाए वहां से बाहर निकलने का फैसला किया। वह जैसे-तैसे हवेली से बाहर भागा और गांव के पुजारी के पास पहुंचा। उसने पुजारी को सारी बात बताई। पुजारी ने उसे बताया कि महाराज रणवीर सिंह के वंशज अब भी शहर में रहते हैं और उन्हें ही इस प्रेत को मुक्ति दिलाने का उपाय करना होगा।
राहुल ने पुजारी के साथ जाकर महाराज रणवीर सिंह के वंशज से मुलाकात की और उन्हें सारी घटना बताई। महाराज के वंशज ने रानी माधवी की आत्मा के शांति के लिए हवेली में एक बड़ा यज्ञ करवाया।
भाग 7: प्रेत की मुक्ति
यज्ञ के बाद रानी माधवी की आत्मा प्रकट हुई और उसने सबके सामने आकर कहा, "अब मुझे शांति मिल गई है। मैं इस धरती से विदा लेती हूं।" इतना कहकर वह अदृश्य हो गई और हवेली के अंदर एक अजीब सी शांति छा गई।
उस दिन के बाद से हवेली में किसी प्रकार की कोई अजीब घटना नहीं हुई। गांव के लोग अब उस हवेली को एक शांतिपूर्ण स्थान मानने लगे, और राहुल ने इस घटना को अपने अगले उपन्यास का विषय बना लिया।
रानी माधवी की आत्मा को अंततः मुक्ति मिल गई थी, और हवेली का रहस्य सदा के लिए दफन हो गया।