Shadow Of The Packs - 16 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Shadow Of The Packs - 16

Featured Books
Categories
Share

Shadow Of The Packs - 16

विक्रांत की पूरी बात सुन लेने के बाद सुप्रिया सोचने लगी की अब उसका क्या होगा? उसके पापा इसके बिना कैसे रह पाएंगे? यही सब सोचते हुए सुप्रिया ने विक्रांत की तरफ देखते हुए पूछा–“इसका मतलब मुझे अब इंसानों का खून पीना होगा? नही...! ऐसा कभी नही हो सकता। मुझे अपने पापा से बात करनी है। वो मेरी चिंता कर रहे होंगे। उन्हे तो पता भी नही होगा की तुम मुझे यहां लेकर आ गए हो।” 

विक्रांत समझ सकता था की अभी सुप्रिया को कैसा महसूस हो रहा होगा। पर फिर भी वो सुप्रिया को उसके पापा से मिलने नही दे सकता था। “सुप्रिया मेरी बात को समझो। अभी जब तक तुम खुदपर काबू नही कर पाती तब तक हम किसी को कुछ नही बता सकते। ना ही तुम अपने पापा से मिल सकती हो। अगर तुम अपने पापा से मिली और तुम खुदपर काबू नहीं कर पाई तो तुम अपने पापा को नुकसान पहुंचा सकती हो।” विक्रांत ने दुबारा सुप्रिया को समझाते हुए कहा।

दूसरी तरफ सुप्रिया के पिता और अमित हॉस्पिटल में ये सोच सोचकर परेशान हो रहे थे की आखिर सुप्रिया गई तो गई कहां? सुप्रिया के पापा को कुछ समझ नही आ रहा था इसलिए उन्होंने पवन कुमार को फोन लगाकर इस बारे मे खबर कर दी।

सुप्रिया के पापा से सुप्रिया के हॉस्पिटल से गायब हो जाने के बारे मे सुनकर पवन कुमार हॉस्पिटल आए और सुप्रिया के पापा और डॉक्टरों से बात की। पर उन्हे भी इस बारे मे कुछ पता नहीं था। 

पवन कुमार ने डॉक्टर से बात करके हॉस्पिटल के सी सी टीवी की फुटेज देखी पर उसमे कुछ नही मिला। हॉस्पिटल के कॉरिडोर में कैमरे लगे हुए थे पर कमरों में कैमरा ना होने के कारण पता नही चल पा रहा था की सुप्रिया के कमरे में क्या हुआ और वो अचानक कहां और कैसे गायब हो गई? उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात ये थी की कमरे में कैमरा नही था तो कुछ दिखा नही समझ आता है। पर कॉरिडोर में तो हर जगह कैमरे थे। कोई भी हॉस्पिटल में आता या बाहर जाता तो कॉरिडोर के कैमरे में तो नजर जरूर आता। पर सुप्रिया के हॉस्पिटल से बाहर जाने का कोई फुटेज नही था।

 पवन कुमार ने हॉस्पिटल के बाहर लगे सी सी टीवी कैमरे की भी फुटेज देखी पर उससे भी कुछ पता नहीं चल पाया। इसके बाद पवन कुमार ने सुप्रिया के पापा से सुप्रिया की फोटो ली और मिसिंग रिपोर्ट लिखवाने को कहा। सुप्रिया के पापा ने भी पवन कुमार की बात मानकर सुप्रिया की लापता होने की रिपोर्ट लिखवा दी। रिपोर्ट लिखवाने के बाद पुलिस सुप्रिया की तलाश में लग चुकी थी।

इसके बाद पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स को फोन लगाते हुए कहा, “हेलो जोसेफ सर...! यहां एक गड़बड़ हो गई है। वो जंगल में अभी जिन लड़के लड़कियों के ग्रुप पर हमला हुआ था, उनमें से एक लड़की यहां सिटी हॉस्पिटल में एडमिट थी। वो अचानक हॉस्पिटल से हॉस्पिटल से कहीं गायब हो गई है। मैने यहां के सी सी टी वी फुटेज भी देखे पर उसमे उस लड़की के हॉस्पिटल से बाहर जाने का कोई फुटेज नही है। समझ नही आ रहा की वो गई तो गई कहां?” पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स को सारी बात बता दी। 

पवन कुमार की सारी बात सुनने के बाद जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार से कहा की वो सुप्रिया के पापा से बात करके उनसे सुप्रिया की मिसिंग रिपोर्ट लिखवाने को कहा। फिर पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स को बताया की उसने पहले ही सुप्रिया के पापा को बोलकर उसकी मिसिंग रिपोर्ट लिखवा दी है। 

“पवन जी...! मुझे समझ नही आ रहा की ये सब हो क्या रहा है? पहले उन लड़के लड़कियों पर हमला होना, फिर उस लड़की का हॉस्पिटल से अचानक गायब हो जाना...! कोई तो राज जरूर है इन सब मामलो के पीछे...? पवन जी एक काम कीजिए, इस लड़की के दोस्तो को पुलिस स्टेशन बुलवाइये। हो सकत है उसके दोस्तों से हमे उसके बारे मे कुछ जानकारी मिल जाए।” जोसेफ गोम्स ने कुछ सोचते हुए पवन कुमार से कहा। 

एक तरफ जहां ये सब हो रहा था। वहीं दूसरी तरफ एक बड़े जंग की तैयारी चल रही थी। सिंगोरी कबीला भेड़ियों को मारने के लिए जाल बिछा चुका था। पर उन्हे अंदाजा भी नहीं था की उनके बीच एक गद्दार है, जिसने पृथ्वीराज को सिंगोरी काबिले के प्लानिंग के बारे में सब कुछ बता दिया है। और सिंगोरी कबीले के लोगो की पहचान जो की उनके शरीर पर गुदा हुआ तारे का निशान था, इसके बारे में भी बता दिया था।

दूसरी तरफ पृथ्वीराज ने विक्रांत को फोन कर दिया। “हेलो विक्रांत...! बेटा तुम्हे वापस आना होगा। हमारे दुश्मन हमसे जंग लड़ने की तैयारी करने में लगे हुए हैं। हमे भी जंग के लिए तैयार रहना होगा। इसलिए तुम्हे हमारा साथ देने के लिए आना होगा।” पृथ्वीराज ने विक्रांत को सब कुछ बताते हुए कहा।

 “पर पापा मैं यहां फंसा हुआ हूं। मैं सुप्रिया को ऐसे छोड़कर नही आ सकता।” विक्रांत ने अपने पापा से कहा। अगर वो सुप्रिया को ऐसी हालत मे छोड़कर अपने परिवार के पास दिल्ली चला जाता तो यहां सुप्रिया का ध्यान कौन रखता। वो सुप्रिया को अकेले भी नही छोड़ सकता था। इसलिए सुप्रिया को यहां अकेला छोड़कर जाना उसके लिए मुमकिन नही था।

पृथ्वीराज भी विक्रांत की सिचुएशन समझ सकते थे पर उन्हे हालात को देखते हुए विक्रांत को अपने घर बुलाना सही लग रहा था। “बेटा मैं तुम्हारी सिचुएशन समझ सकता हूं। मैं तुम्हे एक फोटो भेज रहा हूं। उसमे जो तारे का निशान है, वो हमारे दुश्मन सिंगोरी कबीले के लोगो की पहचान है। अगर ये निशान वाला कोई इंसान तुम्हारे आस पास दिखे तो तुम सावधान रहना। और ये ध्यान रखना की तुम्हारी पहचान का उन्हे पता न चले, नही तो वो तुम्हे मारने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए अपना ध्यान रखना। और हो सके तो जल्द से जल्द यहां आने की कोशिश करना।” विक्रांत के पापा पृथ्वीराज ने उसे आगाह करते हुए कहा।

अपने पापा की पूरी बात सुनने के बाद विक्रांत कुछ सोचते हुए बोला–“पापा मैंने ये निशान शायद कहीं तो देखा है! अरे हां याद आया। ऐसा ही निशान मेरे दोस्त अमित की गर्दन पर भी है।” विक्रांत ने अपने पापा से कहा। 

“इसका मतलब ये हुआ की अमित सिंगोरी कबीले से है! पापा क्या आप मुझे इस कबीले के लोगों के बारे में कुछ और जानकारी भेज सकते हो हो?” विक्रांत ने अपने पापा से पूछा। 

“ठीक है मैं जानकारी जुटाकर तुम्हे भिजवाता हूं। हां एक बात और, तुमने जिस लड़के के बारे में बताया उससे थोड़ा सावधान रहना। ध्यान रखना की उसे तुम्हारे बारे में कुछ पता न चले।” विक्रांत के पापा ने उसे आगाह करते हुए कहा। 

“ठीक है पापा, मैं ध्यान रखूंगा, और मैं जल्द से जल्द वहां आने की कोशिश करूंगा।” विक्रांत ने अपने पापा से कहा। “ठीक है बेटा, तुम अपना ध्यान रखना।” कहकर पृथ्वीराज ने फोन रख दिया।

Story to be continued.....
Next chapter will be coming soon.....