The description of Modern Songs App in Hindi Short Stories by ABHAY SINGH books and stories PDF | आधुनिक गीत का वर्णन

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आधुनिक गीत का वर्णन

जी खोल के नाच ले गोरी
शैमपेन के शावर मे,
यार तेरे का फैन मिनिस्टर,
बैठा है जो पावर मे

देखिए। कवि पहले तो अपनी हैसियत इस्टाब्लिश कर रहा है। वह खासोआम को अपनी औकात गिना रहा है।

याने जहां आम आदमी, वह 8 हजार की बोतल भी निचोड़ कर पी जाए, वहाँ गोरी के शैम्पेन शावर पर पैसा वेस्ट कर देने का विचार ही कितना एक्सपेंसिव है।
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वो ये भी कन्फर्म कर देता है कि स्टेट के मन्त्री से उसका खासा गहरा सम्बन्ध है।

अतएव किसी ने, डांस के दौरान गोरी से छेड़छाड़ की, तो मिनिस्टर से कहकर, उस छेड़कर्मी को तत्काल अन्दर करवा दिया जाएगा।

जहां उसकी भुरकुस पिटान होने की प्रबल संभावना है।
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दरअसल इसके पूर्व गोरी ने, डीजे वाले बाबू से निंरतर अपना गीत बजाने बावत, कातर निवेदन किया है।

वाल्यूम को उंचा करके, बेस का बढाने का भी बारंबार आग्रह किया। मगर जब किसी अडियल सरकारी बाबू की तरह ..

डीजे बाबू उसका गीत नहीं बजाया, सो मजूबरी मे गोरी के यार को मामला अपने हाथों मे लेना पड़ा।
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डीजे वाले बाबू से उसका गाना बजवाते हुए, बालिका की सुरक्षा की भी गांरटी लेता हैं। वह गोरी को आश्वस्त करता है कि -

ऐसा गोरी काम करा दू,
डांस फ्लोर तेरे नाम करा दूँ
घूर के देखे जो कोई तुझको,
कान पे उसके चार लगा दूँ

इन वचनों को सुनकर गोरी को काफी तसल्ली हुई होगी, और वह डांस फ्लोर पर झूमकर नाची होगी।
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दरअसल स्टेट का लॉ एंड ऑर्डर जब निकम्मा हो जाये, तो मन भर नाचने का अवसर, केवल पैसेवालों की बेटियों, या उनके गुंडानुमा बेटों की गर्लफ्रैंड को रह जाता है।

मै इस गीत का फैन हूँ, और इसमे गम्भीर दर्शन की गहराई पाता हूँ।
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देखिये, मर्द दो तरह के होते है।

एक वो जो घर के बाहर की दुनिया पर राज करते हैं. उनकी पहुँच, पकड , हैसियत है, पावरफुल हैं।

उनकी- “चलती है”

तो उनके घर की औरत डांस फ्लोर पर शैम्पेन से नहा भी ले, तो भी आम आदमी की हिम्मत नहीं की आँख उठाकर देख ले। तत्काल वे मिनिस्टर से कहकर अंदर करवा देंगे।

और दूजे किस्म के भी मर्द हैं।

उनके घर की औरते मुँह पर कपडा बांधकर चलती हैं। डांसफ्लोर तो बहुत दूर की बात, साड़ी पहन कर सब्जी भी लेने जाये, तो छिड़ कर आने का पूरा चांस है।
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ऐसे मर्द “काँण के नीचे चार लगा दूं” वाली मर्दानगी तो दिखाते हैं,

मगर छेड़ने वाले पर नही।
अपनी ही बहू बेटियों पर।

अगर वो जींस पहन कर निकल जाये तो,
अगर ड्रेस जरा ग्लेमरस पहन जाये तो,

अगर खुश होकर किसी ओकेजन में दो ठुमके लगा दिए तो..

कान के नीचे चार लगा देते है।
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दूजे किस्म के मर्द..
भी आखिर मर्द हैं।

मर्द अपनी कमजोरी नहीं स्वीकारते। वे इसी व्यवस्था के हामीदार हैं, सिपाही हैं।

वे पार्टी के हरकारे भी हैं,
और भीतर से हारे हुए भी हैं।

वे जानते है, तमाम बरियारी दिखाने के बावजूद, उनकी हैसियत नहीं की अपने घर की औरत को दुनिया की ललचाई नजरो से सुरक्षा दे सकें।

उन्हें पता है कि “जिसकी लाठी-उसका बुलडोजर” वाली सरकारें, और सोसायटी जो उन्होंने बनायीं है, वक्त आने पर उन्हें संरक्षण और न्याय नही दिलाएंगी।

बल्कि किसने क्या ट्वीट किया, किसने बयान नही दिया, किस पार्टी सरकार है, नेता कौन है - बहस उस पर होगी। मरी, अपमानित बेटी तो किसी पर फेकने के लिए, महज एक पत्थर बनकर रह जायेगी।
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लिहाजा उनकी पहली कोशिश की बेटी पैदा ही न हो। गर्भ में ही जांच की सुविधा का इस्तेमाल उन प्रदेश में होता है, जहां के मर्द "मजबूत" होते है।

फिर भी बेटी अगर पैदा हो ही गयी..
तो ढंककर, ओढ़कर, छिपकर,
सात तालो में बंद रहे।

निकलना मजबूरी ही हो तो नकाब लगा ले।
घूंघट, हिजाब, बुरका डाल ले।
यही बचाव है।
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दूसरों को डराने वाला, बलात्कार की संस्कृति में गौरव खोजने वाला मर्द, असल मे बेहद डरपोक मर्द होता है।

ये कायर और मजबूर मर्द, अपने भीतर का भय "संस्कृति" "कल्चर" "लोकलाज" के कलेवर में पेश करता हैं।

घोषणा करता है-

“हमारे घर में ऐसा नही होता”
" हमारे खानदान में ये नही चलता"
" हमारे धर्म मे ये हराम है"..

तो कहने का मतलब यह कि बरसो से पूरा घर डरा हुआ है, दशकों से खानदान डरा हुआ है। सदियों से धर्म डरा हुआ है।

अपने ही लड़को से, मर्दों से।

और जिस घर मे, जिस समाज और धर्म मे लड़को को यह शिक्षा मिलती है, बाहर जाकर ललचाई नजर से औरतें देखते हैं। मौका मिलते ही हाथ भी मार देते हैं।
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तो क्या मस्ती से नाचती हुई बेटी, आपके दिल में भय का संचार करती है???

अगर हाँ, तो आप वही दूजे किस्म के मर्द हैं।अर्थात आपकी मर्दानगी संदिग्ध है। ऐसे मर्दों, ऐसी सरकारों को, अपने इलाज हेतु बादशा का ये रैप सुनना चाहिए.

ऐसा "बेटी" काम करा दूँ,
डांस फ्लोर तेरे नाम करा दूँ

घूर के देखे जो कोई तुझको,
कान पे उसके चार लगा दूँ

❤️