वफादार
वर्तमान समय में वफादार होना बहुत दुर्लभ हो गया है। एक वृत्तांत से आपको अवगत करा रहा हूँ। यह शिक्षापूर्ण, रोमांचक एवं जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण प्रदान करता है। नर्मदा नदी के किनारे स्थित बरगी नामक गांव में रामदास नामक व्यक्ति रहता था जो कि पशु पक्षी प्रेमी था। वह अकेले ही अपने पालतू कुत्ते भोलू, एक बंदर शेरू एवं एक कबूतर के साथ रहता था वही उसका परिवार था।
एक बार वर्षा ऋतु के समय रात्रि में अचानक ही नदी में बाढ आ जाने के कारण वे अचानक ही विपत्ति में फंस गये जिसकी कल्पना भी उन्होंने नही की थी। अचानक नदी में जलवृद्धि होने पर शेरू और भोलू आने वाली विपत्ति को भांपकर जोर जोर से चिल्लाने लगे जिससे रामदास की निद्रा भंग हो गयी और उसने अपने आसपास बहने वाले जल में वृद्धि देखकर आगे आने वाली विपत्ति से बचने का उपाय खोजने के लिये चारों दिशाओं में गर्दन उठाकर देखा और यह पाया कि वह गंभीर संकट में है और नदी में बढते हुए जलस्तर के कारण बचाव का कोई उपाय नजर नही आ रहा था। उसने अपने तीनों साथियों को अपने पास बुलाकर उनको अपने हृदय से चिपका लिया और मन में अंतिम अवस्था की कल्पना से कांप गया।
वे सभी अभी भी विकट परिस्थितियों केा देखते हुए घबराये नही थे। बल्कि बचाव के लिये प्रयास करने का रास्ता खोजने का इशारा कर रहे थे। तभी एक तेज प्रवाह नदी के जल मंे आया और वे सब उसमें बह गये। शेरू और भोलू यह देखकर बहुत परेशान और दुखी हो गये थे और वे अपने मालिक को कैसे बचाये इसके लिये प्रयासरत हो गये। दोनो तैरते हुये रामदास के पास पहुँच गये और उसे सहारा देकर वे प्रयासरत थे कि उनका मालिक डूब ना जाये। उपर उडता हुआ कबूतर भी किसी प्रकार की मदद प्राप्त करने के लिये प्रयासरत था। उस कबूतर ने देखा की थोडा आगे कुछ लोग रस्सी के माध्यम से लोगों बचाने का प्रयास कर रहे है। वह तुरंत वापिस आकर शेरू और भोलू को उस दिशा में मुडने के लिये इशारा करने लगा। वे भी इसे समझ गये और उन्होंने अपने मालिक को उस दिशा में मोड दिया और वे भी रस्सी के निकट पहुँच गये।
रामदास को रस्सी के निकट पहुँचाने के प्रयास में शेरू और भोलू बहुत थक गये थे किंतु फिर भी उन्होंने अपने मालिक को रस्सी तक पहुँचा दिया। रामदास को तो बचा लिया गया परंतु शेरू और भोलू को बचाने के प्रयास विफल हो गये और वे अत्यंत थक जाने के कारण नदी के तेज प्रवाह में विलीन हो गये। यह देखकर रामदास अत्यंत व्यथित हो गया और पुनः शेरू और भोलू को बचाने के प्रयास में नदी में कूदने की कोशिश करने लगा जिसे वहाँ पर उपस्थित लोगों ने रोक लिया और उसे समझाया कि तुम्हारे वे दोनो पालतू जानवर कितने महान थे कि तुम्हें बचाने के लिये उन्होंने अपनी जान कुर्बान कर दी। यह करूण दृश्य देखकर वहाँ पर उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम हो गयी और अपने मालिक प्रति ऐसा समर्पण और वफादारी देखकर सभी हतप्रभ हो गये। इस विलक्षण घटना ने सभी गांव वासियों के मन में पशुओं एवं पक्षियों के प्रति प्रेम जाग्रत कर दिया।