Devil se Mohhabat - 7 in Hindi Love Stories by aruhi books and stories PDF | Devil se Mohhabat - 7

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Devil se Mohhabat - 7

जिसे सुन वह लड़की क्या तूने अब तो किस ही नहीं किया ,,,,,तूने सच में उसे अब तक किस,,, नहीं किया तो तू कहां उसे प्यार करती है,,,,,प्यार का सबसे पहला स्टेप ,,,,उसे किस करना ,,,,,अगर तूने उसे किस कर लिया ,,,,,,तभी तो उसे पता चलेगा ,,,,,कि तू उससे प्यार करती है,,,,,

क्या सच में अगर मैं मेरा विवेक को किस कर लूंगी ,,,,तो उसे पता चलेगा,,,,कि मैं उससे प्यार करती हूं,,,, 

और क्या पागल लड़की ,,,,,क्योंकि जो इंसान प्यार करते हैं ,,,,,वही तो किस करते हैं,,,,,तुझे इतना भी नहीं पता ,,,,,विधि कंफ्यूज होते हुए,,,,,,सच्ची पर मुझे नहीं पता था ,,,,,और फिर चाहकते हुए ,,,,,खुश हो तो ठीक है,,,,,मैं आज विवेक को किस करूंगी,,,,यह कह ,,, विधी,,, अब अपना बैग पकड़ खुश होते हुए,,,,वहां से निकलने लगती है,,,,कि तभी पीछे से ,,,,अरे विधि आज के पूरे लेक्चर तो लगने जा,,,, 

जिससे विधि ,,,,,,नहीं आज तो मुझे अपने प्यार का मिशन पूरा करना है ,,,,फिर कल पूरे लकचर लगाऊंगी ओके बाय ,,,,,यह कह विधि ,,,वहां से दौड़ते हुए चली जाती है

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Aab aage___________________

क्या कहा तूने कि तुम मुझे चकमा दे यहां से भाग निकलेगी  ,,,तुझे ऐसा लगता है ,,,कि तू अब मेरी इस कैद से भाग निकलेगी ,,,तो ऐसा कभी नहीं होगा ,,,,अब तू जिंदगी भर,,,,यही कैद  रहेगी ,,, यह कहते हुए विराज,,,,अपने कदम अंजलि की तरफ बढ़ाई जा रहा था  ,, 

जिसे सुन अंजलि पर क्यों,,,,तुम मुझे यहां क्यों ,,,,जबरदस्ती रखना चाहते हो,,,,,और फिर अपने आंसू पूछते हुए ,,,रखो रखो मुझे ,,,जितना दिन भी रखना है ,,,,,,,लेकिन एक न एक दिन ,,,,,मेरे डैड मुझे तुमसे बचा ही देंगे ,,,,,और मैं आजाद हो जाऊंगी तुमसे,,, 

जिसे सुन विराज हंसते हुए ,,, ओ तो यह बात है,,,,तुम मुझे आजाद होना चाहती हो,,,,,तो ऐसा कभी नहीं होगा,,,,रही बात तेरे बाप की ,,,,क्यों,,,,तुझे मुझसे छुरा लेगा,,,,तो ऐसा कभी नहीं होगा ,,,,,यह कह विराज कुछ सोच वहां से जाते हुए ,,,,,देख  अब मैं  क्या करता हूं,,,,,कि तेरा बाप चाह कर भी,,,तुझे मुझसे अलग नहीं कर पाएगा ,,,,,यह कहे विराज वहां से चला जाता है ,,, 

और वही अंजलि विराट को जाता हुआ देखते रह जाती है ,,,,,और उसके दिमाग में,,,आब भी विराज की बातें चल रही थी ,,   कि देखो अब मैं क्या करता हूं ,,,,,जिसे सोच सोच,,,आजली रोने लगती है,     ,क्योंकि अब उसे डर लग रहा है,,,,,, विराज की बातों से ,,   ,, की कही वह,,, कुछ जैसा ना कर दे,, ,,कि वह चाह कर भी ,,,अपने घर वापस ना जा पाए

जिसे सोचा,,,अजली,,,मुझे समझ नहीं आ रहा था ,,,कि अब हम करें तो करें क्या,,,, लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था,,,,जिससे वह दोबारा बेड पर बैठ,,,,जोर-जोर से रोने लगती है क्योंकि वह अब,,रोने के सिवा ,,,,कुछ नहीं कर सकती थी  , 

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और वही विधि  चाहकते हुए भी,,,घर के अंदर आती है,,,,कि तभी उसकी नजर दाई मां पर पड़ती है ,,,,,जिसे देख विधि दौड़ते हुए,,,दाई मां से,,,,दायमा विवेक कहां होगा,,, 

जिसे सुन,,,,वह पीछे मुड़ देखी है,,,,,तो विधि उसके सामने खड़ी थी ,,,,उसे अपने सामने देख ,,,,यहां क्या कर रही है,,,,,इस वक्त तुझे कॉलेज होना चाहिए,,,,,,दो दिन तो हुए थे,,कॉलेज जाते हुए ,,,,,तो क्या फिर से डाट सुनना चाहती है,,,, 

जिसे सुन विधि दाई मां के गले लगते हुए,,,,,क्यों दायमा आप तो मुझे आते ही सुनाने लग गयी,,,,आपने तो मुझसे पूछा भी नहीं ,,,,,कि मैं यहां क्यों आई ,,,,आपको पता है ,,,,,मुझे कितनी भूख लगी है,,,, 

जिसे सुंन दाई,,,अपनी आंखें छोटी कर ,,,,,क्या कहा तुझे भूख लगी है,,,,,,क्यों तेरे कॉलेज में कोई कैंटीन नहीं था ,,,,,जहां से तू कुछ लेकर खा सकती थी,,,, 

जिसे सुन विधि अपने दांतों तले अपनी जीभ कर देती है,,,,,और सिर्फ जबरदस्ती मुस्कुराते हुए ,,,,था ना,,,,,पर मुझे आपके हाथ से खाना था ,,,इसलिए,, 

जिसे सुंन दई,,,,विधि को खुद से दूर कर ,,,,उसके कंधे दबाते हुए ,,,,तू नहीं सुधरेंगी विधि,,,,चल ठीक है ,,,,फिर तेरे लिए कुछ बना देता हूं ,,,

और विवेक अपने कमरे में होगा ,,,,और कहां होगा,,,,,यह कहे वह विधि के लिए कुछ बनने लगती,,,,,और वही विधि अपना बैग सोफे पर फेक ,,,,,वह दौड़ते हुए विवेक के कमरे की तरफ जाने लगती है,,,, 

और विधि बगैर डोर नोक किया,,,,वह सिद्धा कमरे के अंदर चली जाती है ,,,,,तो विवेक उसे सिर्फ डॉल में दिखता है,,,,,,जिसे देख विधि की आंखें बड़ी हो जाती है,,,,,और इसी के साथ विधि की चीख भी निकल जाती है ,,,,, 

और वही विवेक विधि की चीख सुन,,,,पीछे मुड़ देखा है ,,तो विधि अपने मुंह पर हाथ रख ,,,,आंखें फाड़े उसी को देख रही थी 




जिसे देख विवेक गुस्से से,,,, तुम किसी के भी कमरे में नोट किए बगैर चली जाती हो,,,,,, विधि विधि बड़ी हो गई हो अब तुम बच्ची नहीं हो,,,,जो तुम बगैर किसी की परमिशन में किसी के भी कमरे में जा सकती हो ,,,,, क्या तुम दिमाग नहीं चला सकती,,,बेवकूफ लड़की

और वही विधि विवेक की बात सुन,,,,,अपने गालों को फुल गुस्से से क्या कहा मैं बेवकूफ हूं,,,, में आपना दिमाग नहीं चलती,,,

यह कहते हुए अपनी कदम  विवेक की तरफ बढ़ाने लगती हैं,,,,, और अभी आपने क्या कहा,,,कि मैं अब बड़ी हो गई हूं ,,,,,, लेकिन कल तो तुम मुझे ,,,,,छोटी-छोटी कह रहे थे,,,,,,मुझे तो यह समझ नहीं आता ,,,,मैं हूं क्या ,,,,,कभी मैं तुम्हारे लिए बड़ी हो जाती हूं,,,,,कभी छोटी,,,,,साफ-साफ बताओ ना,,,कंफ्यूज करके रखा है,,, 

और वही विवेक विधि को बोलते हुए,,,,,खुद की तरफ आता देख ,,,,पहले तो देखो,,,,तुम वहीं रुको,,,,,और फिर कुछ सोच ,,,,नहीं नहीं ,, तुम जाओ यहां से  ,,,,जाओ ,,,

तुम्हें दिख रहा है ना ,,,,कि मैं कपड़े नहीं पहने,,,,तब भी तुम,,,जाओ यहां से

जिसे सुन विधि कुछ सोच ओके ,,,,,पर मैं नहीं जाऊंगी,,,,,तुम्हें मैं 5 मिनट देती हूं,,,,,तुम जल्दी से ड्रेस अप हो कर आओ,,,,,,क्योंकि मैं तुम्हें किस,,,,यह कहे विधि अपने दांतों तले अपने होठों को दबा लेती है,,, 

जिसे विवेक कंफ्यूज नजरों से विधि को घुरते हुए ,,,,किस मतलब ,,,,तुमने क्या मैं समझा नहीं,,,साफ-साफ बोलो,, 

जिसे सुन विधि,,,,,जबरदस्ती मुस्कुराते हुए ,,,,,अपने दिमाग के घोड़े चलाने लगती है,,,,,और फिर कुछ सोच ,,,,,में कहने वाली थी,,,,,कि मुझे तुमसे किसी किसी किसी  टॉपिक पर बात करना है,,, हां किसी टॉपिक पर बात करेंगे

जिसे सुन विवेक अपनी तिरछी नजरों से ,,,,विधि को घूरते हुए,,,,,फिर यह तुम दांत क्यों दिखा रही हो ,,,,,मुझे ऐसा क्यों लगा ,,,,तुम्हारा दिमाग में कुछ और चल रहा है,,, 

जिसे सुन विधि,,,,फिर से मुस्कुराते हुए,,,,अरे विवेक तुम तो कुछ ज्यादा ही सोचते हो ,,,,मैं बस चलती हूं ,,,,तुम अच्छे से रेडी हो जाओ यहां के हैं विधि उल्टे पैर वहां से भाग जाते हैं,,, 

आज के लिए बस इतना तो देखते हैं कि अब आगे क्या हंगामा होगा क्या ऐसे ही विधि की बचकानी हरकतें विवेक समझ पाएगा और किसके नसीब में होगी विधि की मोहब्बत