Heer... - 16 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | हीर... - 16

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हीर... - 16

चारू शायद ये बात जानती थी कि आज राजीव जिस हालत में है उसके पीछे क्या रीज़न है लेकिन उसे ये सोच सोचकर डर भी लग रहा था, बुरा भी लग रहा था और बेचैनी भी महसूस हो रही थी कि... "आज पापा को राजीव को इस हालत में नहीं देखना चाहिये था, पता नहीं वो कैसे रियेक्ट करेंगे, कहीं ऐसा ना हो जाये कि वो गुस्से में मुझे यहां से लेकर चले जायें और राजीव... राजीव इसी हालत में यहां पड़ा रह जाये!!"  

नशे में धुत्त होकर जमीन पर पड़े और शायद नशे में गिरने की वजह से लगी किसी चोट के दर्द को महसूस करके होश में आने की कोशिश करते हुये तड़प रहे राजीव के सिर पर हाथ फेरते हुये चारू खुद भी सुबकती जा रही थी और यही बात सोच सोचकर परेशान होती जा रही थी "कि पापा कैसे रियेक्ट करेंगे!!" कि तभी अजय ने जो कहा उसे सुनकर उनकी तरफ़ देखते हुये चारू सुबकते सुबकते बहुत दुख करके रोने लगी... 

अजय ने कहा - चारू बेटा.. आज राजीव जिस हालत में है, उस हालत में उसे किसी ऐसे शख्स के साथ की ज़रूरत है जिससे वो खुलकर अपने दिल की बात कर सके, जब से राजीव हमें मिला है तब से लेकर आजतक हर मौके पर उसने हमारा खुद आगे आकर साथ दिया है... आज उसे तुम्हारी ज़रूरत है!! 

चारू की सोच से बिल्कुल उलट करी गयी अजय की बात को सुनकर ही चारू बहुत इमोशनल हो गयी थी... 

अपनी बात बहुत संजीदगी से कहकर अजय अपनी जगह से उठे और उठने के बाद वो चारू से बोले- मैं नीचे टैक्सी में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं, एक घंटा लगे चाहे दो घंटे या चाहे पूरी रात.... तुम राजीव को अपने साथ लेकर ही नीचे आना और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम उसे साथ लेकर ही आओगी, मैं जा रहा हूं... तुम राजीव का ध्यान रखना!! 

अपनी बात कहकर अजय जैसे ही कमरे से बाहर जाने के लिये मुड़े वैसे ही...अपनी जगह से उठने के बाद रोते हुये चारू ने उनको पीठ की तरफ़ से हग कर लिया... 

अपनी आंखों के सामने अपने दिल के टुकड़े को इस तरीके से रोते देख अजय पीछे घूमे और चारू के आंसू पोंछते हुये बोले- ऐसे मौकों पर कमजोर नहीं हुआ जाता है चारू बल्कि और मजबूत होकर इस तरीके की परिस्थितियों का सामना किया जाता है और रही बात राजीव की... तो होता है कभी कभी कि इंसान अंदर से टूट जाता है, आज राजीव किस वजह से टूटा है ये तो मुझे नहीं पता और ना ही मुझे ये बात जानने में कोई दिलचस्पी है लेकिन हां...मैं इतना ज़रूर जानता हूं कि आज तुम्हें इस टूटे हुये राजीव को फिर से जोड़ना है, इसे फिर से वैसे ही मजबूती से खड़ा करना है जैसा ये हमेशा रहता है!! 

अजय की बात और उस बात में भरे विश्वास ने राजीव की हालत देखकर टूटन महसूस कर रही चारू को बहुत हिम्मत दी थी, खुद अपने पिता से मिली इतनी हिम्मत के बाद चारू ने अपने आंसू पोंछते हुये अपने भरे गले से कहा- पापा अ.. आपको मुझ पर भरोसा है ना? मैं ये कर पाउंगी ना पापा? 

अजय ने चारू के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुये कहा- मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है लेकिन... तुमसे जादा भरोसा मुझे राजीव पर है, दोस्ती एक बहुत बड़ा फर्ज होती है बेटा और राजीव जैसा दोस्त हर किसी के नसीब में नहीं होता लेकिन तुम्हारे नसीब में है, तो जाओ एक दोस्त के लिये एक दोस्त होने का फर्ज निभाओ.. तुम कर लोगी!! 

चारू ने अपने एक हाथ से अजय की हथेली थामकर दूसरे हाथ से राजीव की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- लेकिन... पापा, ये सब..!!

अजय ने कहा- ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच में रहेगी कि मैं भी यहां तक आया था और मैंने भी राजीव को इस हालत में देखा था, मैं यहां तक नहीं आया और मैंने कुछ नहीं देखा.. हम्म्!! तुम भी राजीव के होश में आने के बाद उसको ये बात मत बताना वरना उसे गिल्ट फील होगा... जाओ और इस उल्लू के पट्ठे को जल्दी से ठीक करके नीचे लाओ!! 

अपनी बात कहने के बाद अजय ने चारू के माथे पर प्यार किया और फिर उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुये वहां से चले गये.... 

अंकिता ने तो अजीत से कहा था कि राजीव बहुत गंदा आदमी है और चारू उसकी रखैल है फिर ऐसा कैसे संभव है कि एक पिता जिन्होंने अपनी जवान बेटी को अकेले दिल्ली तक नहीं भेजा वो पिता अभी अपनी जवान बेटी को एक ऐसे शख्स को ठीक करने की जिम्मेदारी देकर वहां से चले गये जो नशे में धुत्त होकर ज़मीन पर पड़ा है और जिसे ये तक होश नहीं कि नशे की वजह से उसके कपड़ों में ही निकल चुकी उसकी पेशाब की उस जगह पर कितनी गंदी बदबू आ रही है!! 

अंकिता की बातों से राजीव और चारू की अभी की सिचुवेशन बिल्कुल भी मैच नहीं कर रही है लेकिन जो कुछ भी है वो आंखों के सामने है और उसे बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता..!! 

क्रमशः