Heer... - 15 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | हीर... - 15

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हीर... - 15

अंकिता सुबकते हुये रियो रेस्टोरेंट से चली गयी और अजीत उसके दर्द को सीधे अपने दिल पर महसूस करते हुये... उसे वहां से बस जाते देखता रह गया लेकिन उसे समझ में ही नहीं आया कि इतने बड़े धोखे को याद करके और उसकी टूटन को महसूस करके रोती हुयी रेस्टोरेंट से गयी अंकिता से क्या कहकर वो उसे ये भरोसा दिलाये कि "राजीव की धमकियों के डर के बीच.. अब तुम अकेली नहीं हो अंकिता, मैं तुम्हारे साथ हूं!!" 

अंकिता के वहां से जाने के करीब पांच मिनट बाद अजीत भी अपनी नम आंखें और भारी दिल लेकर वहां से चला तो गया लेकिन वहां से जाने के बाद अपने घर में भी अंकिता का बार बार रोता हुआ और राजीव के धोखे को याद करके सुबकता हुआ चेहरा उसकी आंखों के सामने से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था... 

अजीत.. अंकिता से बहुत प्यार करता था और अजीत तो क्या इस दुनिया का कोई भी इंसान अपनी आंखों के सामने अपने प्यार को इस तरीके से कमजोर पड़कर रोते देखेगा तो उसके दिल में वैसी ही दुखन होगी जैसी आज अजीत.. अंकिता के लिये महसूस कर रहा था!! 

रात के करीब आठ बज चुके थे... अंकिता अपने कमरे में उदास सी होकर बैठी अपने लैपटॉप पर ऑफिस का कोई काम कर ही रही थी कि तभी उसे डोरबैल बजने की आवाज़ आने लगी, अंकिता ने ये सोचकर डोरबैल की उस आवाज़ को इग्नोर कर दिया कि "मम्मी गेट खोल देंगी!!".. लेकिन जब दो तीन बार किसी ने डोरबैल बजायी तो अंकिता झल्ला गयी और अपना लैपटॉप साइड में रखकर "ओह्हो लग रहा है मम्मी फिर सो गयीं, इनकी नींद के आगे तो कुम्भकर्ण भी फेल है और ये कामवाली के जाने के बाद ही हर किसी को क्यों आना होता है, होंगी पड़ोस वाले फ्लैट वाली आंटी... देखने आयी होंगी कि दोनों मां बेटी क्या कर रही हैं!!".. बड़बड़ाते हुये गेट की तरफ़ चली गयी... 

गुस्से से झल्लाते हुये पड़ोस वाली आंटी का सोचकर अंकिता ने जैसे ही गेट खोला तो वो चौंक गयी क्योंकि उसके सामने एक लड़का खड़ा था और उसने अपना चेहरा एक बड़े से बुके से ढका हुआ था... 

कुछ सेकेंड्स तक अपने सामने इस तरीके से खड़े उस लड़के को देखने के बाद अंकिता अपनी कमर पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुये बोली- अज्जीत... पागल!! 

वो अजीत था... अंकिता के ये बात बोलते ही उसने वो बुके अपने चेहरे के सामने से हटाया और हंसते हुये अंकिता से बोला- मैंने तो अपना फेस ढका हुआ था.. तुमने पहचाना कैसे? 

अंकिता ने कहा- तुम्हारी अंगूठी से इडियट... इसे तो छुपा लेते, कम इन.. और तुम इस टाइम यहां... कैसे? 

अजीत ने अंदर आकर थोड़ा संजीदगी से कहा- अंकिता तुम जिस तरीके से आज रोयीं, मुझे तुम्हारा रोता हुआ चेहरा बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.. कुछ चेहरे मुस्कुराते हुये ही अच्छे लगते हैं, मुझे तुम्हारे जाने के बाद से ही तुम्हारे बारे में सोचकर बहुत अजीब सा फील हो रहा था, कितना कुछ सहा है तुमने लेकिन अब नहीं.. हम्म्!! अब उस गुंडे से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि अब तुम अकेली नहीं हो... मैं तुम्हारे साथ हूं और वो भी जिंदगी के हर उतार चढ़ाव में!! 

अपनी बात कहते कहते अजीत.. अंकिता से थोड़ा दूर हुआ और हाथ में पकड़े बुके को पास ही रखी टेबल पर रखकर बड़े रोमांटिक अंदाज़ में अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपना एक हाथ आगे बढ़ाते हुये वो बोला- हमारी बात अधूरी रह गयी थी अंकिता इसलिये Will you be my Valentine for the rest of my life?

अजीत के इस अंदाज़ को देखकर अंकिता का चेहरा किसी ताजे फूल की तरह खिल गया और उसने ब्लश करते हुये अजीत का हाथ पकड़ा और बड़ी मासूमियत से अपना सिर हां में हिला दिया... अंकिता से मिले अपने प्रपोजल के एक्सेप्टेंस को देखकर अजीत अपनी जगह से खड़ा हुआ और उसने अंकिता को साइड से हग कर लिया लेकिन इससे पहले कि वो उसका माथा चूम पाता... निर्मला अपने कमरे से अपना चश्मा पहनते हुये बाहर आयीं और बोलीं- कौन है अंकिता?

अजीत से थोड़ा दूर हटते हुये अंकिता ने कहा- मम्मी... अजीत!! आपसे मिलने के लिये अजीत आया है...

इसके बाद अजीत हाथ में बुके लेकर नमस्ते करते हुये निर्मला के पास गया और उनसे बहुत ग्रेसफुली बोला- हैप्पी वैलेंटाइंस डे टू द मोस्ट प्रिटियेस्ट लेडी और आपको पता है आंटी इस बुके का एक एक फ्लावर मैंने खुद अपने सामने खड़े होकर लगवाया है और मैंने साफ़ बोल दिया कि ये बुके मैं इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लेडी को देने जा रहा हूं इसलिये इसका एक एक फ्लावर बिल्कुल फ्रेश, खुशबूदार और खूबसूरत होना चाहिये...

अजीत का अंदाज़ देखकर और उसकी बातें सुनकर निर्मला हंसने लगीं, इसके बाद अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये अजीत ने कहा- और मैं आपके साथ डिनर डेट पर जाना चाहता हूं!! क्या आप मेरे साथ डिनर डेट पर चलना पसंद करेंगी? 

अजीत की बात सुनकर निर्मला ने अंकिता की तरफ़ देखा तो अंकिता ने हां में सिर हिला दिया, अंकिता से सहमति मिलने के बाद निर्मला भी अजीत की बात मान गयीं और फिर थोड़ी देर बाद तैयार होकर अंकिता और निर्मला दोनों अजीत के साथ डिनर करने के लिये चली गयीं।

रात के करीब नौ बज चुके थे और जहां एक तरफ़ अंकिता... अजीत और निर्मला के साथ डिनर करने के लिये रेस्टोरेंट पंहुच चुकी थी वहीं दूसरी तरफ़ दोपहर दो बजे टैक्सी से कानपुर से दिल्ली के लिये अपने पापा अजय के साथ निकली चारू भी राजीव के दिल्ली के मयूर विहार स्थित अपार्टमेंट के बाहर पंहुच चुकी थी...

चारू.. रास्ते भर राजीव को कॉल करती रही लेकिन राजीव ने फोन रिसीव नहीं किया, चारू उसकी चिंता करते हुये इतनी जादा परेशान हो चुकी थी कि उसने रास्ते में पानी पीने तक के लिये ड्राइवर को टैक्सी नहीं रोकने दी थी और वो खुद भी भूखी प्यासी ही दिल्ली आयी थी...

राजीव की चिंता करते हुये मन में पचास चिंतायें लिये हुये आखिरकार चारू लिफ्ट से होते हुये अजय के साथ उस फ्लोर पर पंहुच चुकी थी जिस फ्लोर पर राजीव का स्टूडियो फ्लैट था...

लिफ्ट से बाहर निकलकर चारू किसी अनहोनी की आशंका के डर से सहमते हुये अपने ठिठके हुये कदमों से जैसे जैसे राजीव के फ्लैट के नज़दीक पंहुच रही थी वैसे वैसे उसकी घबराहट और जादा बढ़ती चली जा रही थी.. इतनी जादा कि घबराहट की वजह से उसके पैर जैसे जाम होने लगे थे, उसका चेहरा लाल होना शुरू हो गया था और दिल की धड़कनें बढ़ने के साथ-साथ उसकी सांसे भी बहुत तेज़ तेज़ चलने लगी थीं और मन.. भगवान से बस यही प्रार्थना किये जा रहा था कि "हे भगवान... राजीव ठीक हो!!"

खुद को जैसे तैसे संभालते हुये अजय के साथ राजीव के फ्लैट के बाहर पंहुचते ही चारू ने जैसे ही डोरबेल बजायी... अंदर से बैल की कोई आवाज़ नहीं आयी शायद डोरबेल खराब थी!!

जब अंदर से डोरबेल की आवाज़ नहीं आयी तो अजय ने कहा - शायद डोरबेल काम नहीं कर रही, चारू तुम गेट पर नॉक करो!!

अजय की बात मानते हुये चारू ने जैसे ही थोड़ा जोर लगाकर गेट को नॉक किया वैसे ही... गेट हल्का सा खुल गया!!

गेट अंदर से बंद नहीं था इसलिये गेट खुला देखकर अजय और चारू दोनों को ये अंदाजा तो हो गया था कि राजीव अंदर ही है!! गेट के हल्का सा खुलने पर जैसे ही चारू ने जोर से धक्का देकर गेट को पूरा खोला वैसे ही शराब की तेज़ बदबू बाहर तक आने लगी.... अजय शायद नहीं समझ पाये इस बदबू के पीछे छुपी बात को लेकिन चारू को पूरा मामला समझते देर नहीं लगी और वो इतनी बदबू के बाद भी बौखलाते हुये, खिसियाते हुये बहुत तेज तेज चलकर अंदर चली गयी और "राजीव... राजीव कहां हो तुम, प्लीज कह दो कि तुम ठीक हो प्लीज एक बार आवाज़ लगा दो मुझे!!".. चारू रोती जा रही थी और लगातार राजीव को आवाज़ लगाये जा रही थी लेकिन राजीव की तरफ़ से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी....

कमरे के इस माहौल में एक अजीब सी खामोशी को महसूस करके अब अजय को भी घबराहट होने लगी थी और वो भी चारू की तरह ही "राजीव... बेटा राजीव!!" चिल्लाते हुये फ्लैट के हर कोने में बौखलाते हुये राजीव को ढूंढे जा रहे थे कि तभी बिस्तर के दूसरी तरफ उन्हें जमीन पर पड़ा एक हाथ दिखाई दिया जिसे देखकर वो बहुत बुरी तरह से घबरा गये और चारू से उस तरफ़ इशारा करते हुये वो बोले- च.. चारू, चारू व... वो हाथ, वो हाथ!!

अजय के इस तरीके से इशारा करते हुये अपनी बात कहने के बाद चारू ने जब जमीन पर पड़े दिख रहे उस हाथ को देखा तो वो जोर से चीखते हुये "राजीssssssssव!!"... बिस्तर के दूसरी तरफ़ गयी और वैसे ही चीखकर राजीव को पुकारते हुये जमीन पर घुटनों के बल गिरकर... जमीन पर अभी तक औंधे मुंह पड़े राजीव को जोर जोर से हिलाने लगी...

दोपहर में पूरी बोतल शराब पीने की वजह से राजीव को अभी तक होश नहीं आया था लेकिन जब चारू ने उसे जोर से हिलाया तब उसके शरीर में थोड़ी हलचल हुयी और वो बस "अssssहा... अsssssहा!!" की आवाज़ निकालते हुये वैसे ही औंधे मुंह पड़ा रहा...

राजीव के शरीर में हो रही इस हरकत को देखने और अलसायी हुयी ही सही मगर उसकी आवाज़ सुनने के बाद चारू और अजय को जब ये यकीन हो गया कि राजीव के साथ कुछ गलत नहीं हुआ तब उन दोनों ने ही राहत की सांस ली...

इसके बाद अजय की मदद से चारू ने अपनी पूरी ताकत लगाकर जैसे ही राजीव को सीधा किया वैसे ही उसके पास से पेशाब की बहुत तेज़ बदबू आने लगी... शराब के नशे में बेसुध होकर जमीन पर पड़े राजीव को इस बात का होश ही नहीं था कि.. उसने अपने कपड़ों में ही पेशाब कर दी है!!

राजीव को आज इस गंदी हालत में देखने के बाद मर्द होने के बावजूद अजय ने अपनी नाक बंद कर ली थी लेकिन चारू... ऐसा लग रहा था जैसे उसे राजीव के पास से आ रही इतनी जादा बदबू महसूस ही नहीं हो रही थी, वो राजीव को आज इस हालत में देखकर बहुत दुख करके बस रोये जा रही थी और लगातार उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरे जा रही थी, उसका गला इतना भर चुका था कि वो कुछ बोलने की सिर्फ कोशिश कर पा रही थी लेकिन एक अदना सा लफ्ज भी उसके मुंह से बाहर नहीं निकल पा रहा था..!!

जमीन पर पड़े तड़प से रहे राजीव के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुये उसे एकटक देख रही चारू ने जैसे तैसे करके खुद को संभाला और अपने रुंधे हुये गले से वो बेहोश सा होकर अपने सामने पड़े राजीव से फफकते हुये बोली- राजीव... यू आर माई सुपर हीरो, तुम ऐसे कैसे कमजोर पड़ सकते हो!!

क्रमशः