Savan ka Fod - 24 in Hindi Crime Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | सावन का फोड़ - 24

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सावन का फोड़ - 24

समरेंद्र प्रताप सिंह मीटिंग समाप्त होते ही सब इंस्पेक्टर बुरहानुद्दीन से मिले बुरहानुद्दीन ने समरेंद्र प्रताप सिंह को सारी सच्चाई बताई कर्मा के जिला चिकित्सालय कटियार भर्ती होने से लेकर गौरांग शमरपाल जोगेश और जिमनेश द्वारा करोटि के दाहिने हाथ जंगेज  को कर्मा से मिलते समय धर दबोचना कर्मा को  कटियार अस्पताल से बवाल समझकर मुक्त कर देना कर्मा का इलाज के लिए कलकता जाना डॉ मित्रा के अस्पताल में भर्ती होंना उसी दौरान शामली का इलाज के लिए कलकता पहुचना डॉ मित्रा के अस्पताल में भर्ती होने और अस्पताल में कर्मा और शामली का आमने सामने वार्डो में भर्ती होना तक तो संयोग है लेकिन कर्मा के तिमारदारो नवी बरकत जोहरा एव शामली के तिमारदारो अद्याप्रसाद रजवंत मुंनक्का सुभाषिनी से मिलना एव घुल मिल जाना एक दूसरे के करीब आना कोशिकीपुर सुभाषिनी अपहरण  घटना का क्लू हो सकता है ।समरेंद्र प्रताप सिंह की समझ मे अब कुछ सवाल ऐसे थे जिसका उत्तर वह सब इंस्पेक्टर बुरहानुद्दीन से जानना चाहते थे जैसे डॉ मित्रा के अस्पताल में कर्मा और शामली के तीमारदारों के बीच मिलना जुलना और परिचय का लाभ कौन उठाने की कोशिश कर सकता है  जंगेज खान का तो कोशिकीपुर से दूर दूर तक कोई रिश्ता नही है उसका रिश्ता तो सिर्फ अपराध और उसके बादशाह करोटि से है एका एक समरेंद्र प्रताप का माथा ठनका जब उन्हें यह याद आया कि करोटि तो कोशिकीपुर का ही निवासी है और उसे कोशिकीपुर कि पंचायत ने ही दस वर्षों  के लिए गांव बदर कर दिया था और करोटि को गांव बदर कराने में अद्याप्रसाद की महत्वपूर्ण भूमिका थी समरेंद्र प्रताप सिंह के समझ मे पूरा माजरा ही आ गया वह कर भी क्या सकते थे ?करोटि को पकड़ने भारत के न जाने कितने राज्यो की सरकारें संयुक्त अभियान चला रही थी तो देश कि सरकार भी अपने स्तर से प्रयास कर रही थी।आलम यह था की करोटि नाम कि पहेली कोई सुलझा सकने के लिए अकेले तो सक्षम नही था ।जोहरा नवी नसीर के जाने के बाद कर्मा रणचंडी की तरह सुभाषिनी को गोद मे लिए उठी और अपने मकान में मिट्टी का तेल एव जो भी ज्वलनशील पदार्थ उपलब्ध थे  पर्याप्त मात्रा में फर्श पलंग फर्नीचर परदों आदि जगहों पर डाल दिया और रात के अंधेरे होने का इंतज़ार करने लगती है ।उधर करोटि को पता लग चुका होता है की जोहरा उसके दूसरे मिशन को अंजाम दे चुकी है और दुश्मन कि बेटी सुभाषिनी को लेकर कर्मा बाई तक पहुंच चुकी है लेकिन वह खुद जाने में सक्षम ही नही था उसका स्वास्थ बहुत खराब था वह अतिसार जैसी बीमारी से पीड़ित था उसने दूसरे जगीर जो बहुत खास जंगेज जैसा ही या यूं कहें जंगेज से अधिक खूंखार ताकतवर था और विश्वसनीय भी को कर्मा और  सुभाषिनी को साथ लाने के लिए भेजा जोहरा लगभग तीन बजे दिन में सुभाषिनी को लेकर कर्मा के कोठे पर पहुंची थी और कुछ ही समय मे वह नसीर बरकत नवी के साथ निकल चुकी थी कर्मा बिना किसी देरी के सुभाषिनी को लेकर जल्दी से जल्दी ऐसी जगह निकल जाना चाहती थी जहां सुभाषिनी और वह सुरक्षित रहे ज्यो सूरज आसमसन में छीपा कर्मा ने बाहर निकली उसे निकलते किसी ने नही देखा सुभाषिनी उसके कंधे पर बेसुध सो रही थी सुभाषिनी ने निकलते समय घर में आग लगा दिया और बहुत तेजी से आगे निकल गयी कुछ दूरी जाने के बाद पीछे मुड़कर देखा की घर धूं धूं करके जलने लगा की ओर ऊंची ऊंची आग कि लपटे उठने लगी आस पास अफरा तफरी मच गई और लोग इकठ्ठा हो गए आग बुझाने की कोशिश करने लगे तभी भीड़ में एक कड़क आवाज़ गूंजी आग किसने लगाया कर्मा कहां है ?आग बुझा रहे लोंगो ने कहा सवाल जबाब मत करो हो सके तो हम लोंगो के साथ आग बुझाने कि कोशिश करो शायद कर्मा जोहरा को बचाया जा सके जागीर ने और कड़क आवाज में पूछा आग कैसे लगी अब उसकी किसी बात पर कोई ध्यान ही नही दे रहा था भीड़ का बच्चा बुढ़ा जवान औरतें सभी सिर्फ इसीलिए आग पर काबू पाने बुझाने कि कोशिश कर रहे थे शायद उनकी मेहनत से कर्मा और जोहरा कि जान बचाई जा सके।