nakl ya akl-43 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 43

The Author
Featured Books
Categories
Share

नक़ल या अक्ल - 43

43

थप्पड़ 

 

बिरजू नशा करकर अपनी ही दुनिया में खोया हुआ है, इस बात से बेख़बर कि उसका भाई सुधीर मुंशी  के साथ उसे इस हाल में देखने आ रहा है। दरअसल जमींदार ने तो मुंशी के साथ जाने से मना कर दिया और उन्होंने सुधीर को भेज दिया, मुंशी भी बड़ी फुर्ती से उसको अपने साथ ला रहा है। अब जब वो गोदाम के पीछे कुएँ के पास पहुँचे तो उन्हें बिरजू कहीं दिखाई नहीं दिया। उन दोनों ने अच्छे से आसपास देखा, मगर फिर भी वह नहीं मिला और जब गोदाम के बाहर ताला देखा तो सुधीर मुंशी पर चिल्ला पड़ा

 

 

अगर मैंने पिताजी को आपके इस झूठ के बारे में  बता दिया तो वह आपको धक्के मारकर निकाल देंगे। 

 

बेटा !! मैंने खुद बिरजू को यहाँ देखा था, उसने अपनी बात पर ज़ोर देकर  कहा। 

 

मगर यहाँ तो कोई नहीं है और गोदाम पर भी ताला लगा है । 

 

अब पता नहीं वो कहाँ चला गया।  मुंशी का सिर घूमने लगा। 

 

“दोबारा ऐसी हरकत न करें, समझे!!” यह कहकर, वह वहाँ से चला गया।  कुछ मिनटों तक मुंशी वहीं  खड़ा रहा मगर फिर सिर  धुनते  हुए वहाँ से निकल गया।

 

उसके वहाँ से जाते ही नन्दनं भागता हुआ आया और उसने गोदाम का ताला खोला तो उसमे से बिरजू और नन्हें निकले। 

 

“धन्यवाद नन्हें!!” वह अभी भी नशे में  है।  उसके सामने कुछ देर पहले का दृश्य आ गया, जब वो और नंदन ज्योति से मिलकर वापिस अपने घर की ओर  जा रहें थें तो उन्हें रास्ते में बिरजू  पड़ा दिखा।  वह दोनों लपककर उसके पास गए। 

 

बिरजू भैया!! आप ठीक तो है?

 

नन्हें, मुझे लगता है कि  यह नशे में  है। 

 

मगर शराब की गंध तो नहीं आ रही,  फिर उसकी नज़र पास रखें पैकेट पर गई तो वह बोला, ज़रूर यह इसकी करामात है।

 

यह क्या है?

 

इसे चरस गांजा और पता नहीं क्या क्या कहते हैं।  फिर नंदन ने दूर से मुंशी और सुधीर को आते देख लिया, बिरजू  भैया!! उठिये आपका भाई आ रहा है। बिरजू को अब जैसे होश आया, “मुझे छुपा  दो, जल्दी करो।“

 

पर कहाँ ? नन्हें ने सवाल किया।

 

बिरजू ने अपनी जेब से गोदाम की चाभी  निकाली और उन्हें  देता  हुआ बोला, “मुझे गोदाम में  छुपा दो। नंदन ने जल्दी से दरवाजा खोला और नन्हें उन्हें  पकड़ता हुए गोदाम के अंदर ले गया, उनके अंदर जाते ही उसने बाहर से ताला लगा दिया और ख़ुद भी कोई कोना ढूंढकर छिप गया।

 

बिरजू को कुएँ से पानी निकालते देखकर निहाल वापिस वर्तमान में आया और बिरजू की मदद करने लगा, कुएँ के निकले पानी से बिरजू ने अपना चेहरा धोया और फिर ज़मीन पर बैठ गया। 

 

भैया !! आप इन चक्करो में कबसे पड़  गए।

 

तुम मेरी छोड़ो, अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और कुछ बन जाओ। 

 

मगर नन्हें के सवालात अभी भी ज़ारी है,  “भैया, यह गॉंव में  नशे का सामान कौन दे रहा है? आपके साथ और कौन कौन नशा कर रहा है?”

 

अरे ! तुम तो अभी से पुलिस की तरह सवाल करने लगे।  तुमसे तो बचकर रहना पड़ेगा पर मुझे लगता है कि  तुम्हारे पुलिस में  भर्ती होने से पहले मैं भगवान को प्यारा हो जाऊँगा। 

 

ऐसे क्यों बोल रहें हो? भैया? अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, आप यह नशा छोड़ दें। 

 

नन्हें!! मैं नशे को नहीं, नशा मुझे नहीं छोड़ सकता अच्छा!! आज के लिए धन्यवाद।  हो सके तो किसी को बताना मत।  उसने अब पुड़िया का पैकेट उठाया और धीरे धीरे वहाँ से जाने लगा।  उनको जाता देखकर नंदन के मुँह से निकला, “इस नशे ने तो न जाने कितनी ज़िंदगियाँ बर्बाद कर दी है।“  तू सही कह रहा है, मगर बिरजू भैया ऐसी ज़िन्दगी नहीं जी सकते।

 

“मगर यह ज़िन्दगी उन्होंने खुद चुनी है।“ उसने नन्हें को देखा तो उसने हल्का सा सिर हिला दिया और अब  दोनों अपने घर की ओर जाने लगे। 

 

निर्मला से उसके पिता गिरधर ने पूछा, “बता भी दो, वापिस कब जाना है?” उसने मुँह बनाते हुए कहा, “दो चार दिन रहकर चली जाऊँगी।“  यह कहकर वह रसोई में  चली गई। 

 

रात के बारह बजे हैं, चाँद और तारे हमेशा की तरह आसमान में चमकते हुए अच्छे लग रहें हैं।  निहाल छत पर अपनी बहन के साथ सो रहा है। उसकी बहन तो काजल सो चुकी है, मगर नन्हें की आँखों में  नींद का नाम नहीं है। वह बिरजू के बारे में ही सोच रहा है, ‘पता नहीं भैया को ऐसा क्या गम है, जिसके चलते वह नशा करने पर मजबूर है, कुछ तो हुआ है, उनकी ज़िन्दगी में, जिसकी वजह से उनकी यह हालत हो गई है, इस राजवीर को देखो, दुनिया भर के मामले में  टाँग  अड़ाता फिरता है, मगर अपने भाई की ज़िन्दगी में क्या कलेश है, इसका उसे ज़रा सा भी एहसास नहीं है।‘

 

बिरजू भी खाना खाने के बाद छत पर बिछी चारपाई पर पसरा हुआ है । थोड़ी देर की नींद के बाद उसका फ़ोन बजता है, वह नींद में ही फ़ोन उठाता है,

 

बिरजू !! यार मैंने सुना है तुझे पुड़िया मिल गई।

 

हाँ, ठीक सुना है।

 

मुझे भी दे दे यार!! मेरी हालत ख़राब हो रही है।

 

कल ले लियो। अब बहुत रात हो चुकी है।

 

मैं तेरे घर के बाहर खड़ा हूँ, जल्दी से आकर पकड़ा जा ।

 

तू पागल हो गया है, क्या !!! किसी ने देख लिया तो !! अब उसकी नींद पूरी तरह खुल गई।

 

यार !! मैं पुड़िया लिए बिना नहीं जाऊँगा।

 

अच्छा रुक!! उसने फ़ोन बंद किया और फिर धीरे कदमों से वह छत से उतरकर नीचे गया और बरामदे में रखी चाभी उठाई और धीरे से ताला खोला और फिर बाहर जाकर उसे एक पुड़िया देने लगा तो उस जुनैद ने पूरा पैकेट ही छीन लिया। “क्या कर रहा है!! मेरा क्या होगा।“ अब दोनों में  छीनाझपटी शुरू  हो गई। जुनैद ने जल्दी से दो पुड़िया निकालकर मुँह में डाल लीं। इससे पहले वो तीसरी पुड़िया डालता, बिरजू ने उसे अपने मुँह में डाल लिया, अब दोनों के ऊपर नशा हावी होने लगा। तभी एक आवाज़ ने दोनों के होश उड़ा दिए। बिरजू ने मुड़कर देखा तो उसके हाथ से पैकेट नीचे गिर गया और इससे पहले जुनैद भागता, उसे घर के मुलाजिम ने पकड़ लिया और उसके मुँह पर दो चार चाटे रसीद कर दिए।