nakl ya akl-41 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 41

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नक़ल या अक्ल - 41

41

सच

 

निहाल और नंदन ने उन्हें  घूरकर देखा  तो वह कोई और नहीं बल्कि अंकुश और अंकुर थें,  गुस्से में  उबलते हुए दोनों  उनके पास गए, उन्हें यूँ अचानक आया हुआ देखकर, अंकुश थोड़ा हैरान हुआ और बोला,  “नन्हें तू ? तेरा पैर  ठीक है?” “मेरा तो ठीक है पर अब तेरा ज़रूर खऱाब हो जायेगाI” इतना कहते ही नन्हें ने उसका कॉलर पकड़ लिया तो वह घबरा गया I “अरे!! नन्हें यह क्या कर रहा हैI” अब अंकुर भी बोल पड़ा तो उसे नंदन ने घेर लिया, “क्यों रे!! दोस्ती के नाम पर इतनी बड़ा धोखा, मेरा एडमिट कार्ड तूने चुराया और मुझे लगता है, मुझे पिटवाया भी तूने हैंI” अब उसने उसका गला दबाया तो अंकुश ने उसे पीछे की ओर धक्का माराI वह फिर चिल्लाते  हुए बोला,

 

तेरा दिमाग तो ठीक है?

 

बिल्कुल ठीक है!! अब वह उसे मारने के लिए उसकी ओर दौड़ा I

 

अब अंकुर उसे रोकने लगा तो नंदन ने उसे पकड़ लियाI

 

उधर अंकुश उस पर चिल्लाने लगा, “तेरे पास कोई सबूत है?”

 

नन्हें  ने जेब से अपना मैला कुचला  पुराना एडमिट कार्ड निकालकर दिखाया, “यह रहा सबूतI”

 

इससे क्या होता है?

 

तुझे इस पर छोले के निशान दिखाई नहीं दे रहें  हैंI

 

तो इससे यह तो साबित नहीं होता कि मैंने यह सब किया हैI नन्हें, अंकुश ठीक कह रहा है, यार !! इसने ऐसा कुछ नहीं किया I यह अंकुर की आवाज़ हैI

 

अच्छा!! फिर इस छोले कुल्चे वाले भैया से ही पूछ लेते हैंI नन्हें के साथ साथ, वे चारों अब छोले कुल्चे वाले भैया की तरफ बढ़ने लगेंI

 

बिरजू ने जग्गी को फ़ोन करकर पुड़िया के पैकेट के बारे में पूछा तो उसने बताया कि “बहुत जल्द  आपको पुड़िया मिल जाएगीI” बिरजू झुंझलाते हुए बोला, “कम से कम वो नकली पुड़िया कुछ तो असर कर रहीं  थींI अब तो मेरा बुरा हाल हो रहा हैI” अब वह रसोई में पानी पीने गया तो देखा कि उसकी मधु  भाभी  किसी से फ़ोन पर बतिया रही हैI “अरे! देवर जी आप!!! मुझे कह दिया होता तो मैं पानी दे जातीI” “नहीं !! कोई बात नहीं, आप बात करिए” मधु ने एकदम से फ़ोन रख  दियाI “आपने फ़ोन क्यों रख दिया?” “बस हो गई बात, अब खाना भी बनाना हैI” उसने कढ़ाई  गैस पर चढ़ाते हुए कहाI पानी का गिलास रखकर  बिरजू वहाँ से चला गयाI

 

मधु ने माथे पर आया पसीना पोंछा और खाना बनाने लग गई और जब दोबारा कॉल आया तो वह बोली, “मैं तुमसे बाद में बात करती हूँI अभी मुझे खाना पकाना है और हाँ हम बहुत जल्द मिलेंगेI यह कहकर उसने फ़ोन रख दियाI उसके चेहरे पर मुस्कान है, वह गुनगुनाते हुए खाना बना रही हैI”  सुधीर ने उसे खुश देखा तो उसके पास आकर बोला, “तुम्हें खुश देकर, मैं भी खुश हूँ,” अब उसने उसके पेट पर हाथ  रख  दिया I  “हम दो से तीन होने जा रहें है और यह ख़ुशी की तो बात हैI” “हाँ वो तो है," अच्छा मैं खेतो पर जा रहा हूँ, तेरे लिए बाजार से कुछ लेकर आओ?”  “कुछ फल  और बादाम लेते आना, ये  दोनों ही खत्म हो गए हैं I”  मधु  ने उसे प्यार से देखा तो उसने उसके गाल को चूम लियाI धत्त! उसने उसे पीछे कर दिया और कढ़ाई में घी डालने लगी, फिर उसके जाते ही उसने अपने गाल को पानी से धोयाI  "मेरा गाल ख़राब कर दिया, पागल कही का" उसने चिढ़ते हुए कहाI

 

रिमझिम नीमवती के बारे में सोचकर परेशान हो रही है, ‘मैं बार बार सोनाली को अपने साथ नहीं ले जा सकती, मुझे अब अकेले  ही उनसे मिलने होगाI अब  इसकी भी क्या उम्मीद है कि  वह  दस दिन में  वापिस आ जायेंगेI अबकि बार  पद्रह  दिन तो रुकना ही पड़ेगाI’  उसने मन मसोसते  हुए कहा I तभी उसके नाना की आवाज आई कि वह थोड़ी  देर के लिए दुकान पर जाकर बैठ जाएI

 

कुल्चे वाले ने चारों को अपने पास आता देखकर हड़बड़ा  गयाI  निहाल ने उसके पास आकर कहा, “देखो!! भैयाI घबराने की ज़रूरत नहीं है, आप सच बताओ कि इस लडकें ने आपको यह एडमिट कार्ड दिया है और इसके साथ एक लड़की भी थी,” “कौन सी लड़की?” अब अंकुश फिर चिल्ला पड़ाI “शांत हो जा !! बात कर रहें हैं न" यह नंदन  की आवाज़  हैI

 

कुल्चे वाले ने अंकुश और बाकी तीनों को भी घूरकर देखा, जब कुछ देर तक वह नहीं बोला तो अंकुश  गुस्से में बोला, “क्यों बे!! हमारा समय ख़राब न कर, अगर तूने कुछ देखा है बता और अगर गलत  बताएगा तो तुझे पुलिस के हवाले कर देंगेI” यह सुनकर, उसकी जबान लड़खड़ाने लगी, वह चाहकर  भी कुछ  नहीं बोल सका, निहाल ने उसे प्यार से कहा, “बता भाई, डर मत!!” “मुझे कुछ भी नहीं पता, मैं नहीं जानताI”  वह ज़ोर से बोला और अपना ठेला लेकर आगे बढ़ने लगा, नन्हें उसके पीछे भागा, मगर उसने हाथ जोड़ते  हुए कहा,

 

“भाई!! मुझे माफ़ करो, मुझे कुछ नहीं पता,’ वह  अब आगे निकलता गयाI  हारकर नन्हें उन तीनों के पास वापिस लौटकर  आ गयाI 

 

अंकुश ने निहाल को अकड़कर कहा, “क्यों, निकल गई  सारी हेकड़ीI” अब उसने निहाल का कॉलर पकड़  लिया,  “नन्हें तेरी यह हकरत, मैं इतनी आसानी से नहीं भूलंगाI” निहाल ने कॉलर  छुड़ाते हुए कहा,

 

 

तूने डरा दिया वरना वो सच बोलने ही वाला थाI

 

बकवास बंद  कर और जा यहाँ सेI उसने उसे घूराI

 

अब अंकुर भी बोल पड़ा, “नंदन, नन्हें, तुम्हें ज़रूर कुछ गलतीफहमी हुई  है, अंकुश ऐसी हरकत  नहीं कर सकता,” उसने नन्हें के कंधे पर हाथ  रखाI 

 

कुछ सोचते हुए उसने, अंकुश को घूरा और फिर अंकुर का हाथ हटाया और नंदन को साथ लेकर वहां से जाने लगाI 

 

अंकुश ने गुस्से में थूक ज़मीन पर फ़ेंक दीI अभी नन्हें कुछ ही दूर चला होगा कि  उसे किसी ने ज़ोर से पुकारा, “नन्हें! तुम्हारा एडमिट कार्ड अंकुश के कहने पर ही चोरी हुआ था और तो और तुम्हें इसी अंकुश ने पिटवाया थाI” दोनों ने मुड़कर देखा तो उनकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहाI अंकुर भी बाकी सब की तरह कुछ समझ नही पा रहा हैI अंकुश के तो पैरो तले  ज़मीन खिसक गयी, उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके साथ यह होगा, उसकी सच्चाई लोगों के सामने आ जाएगीI