40
दोस्त
अब सोनाली और रिमझिम आख़िरी मकान के पास खड़े हैं और यह देखक दोनों ही हैरान है कि मकान के बाहर ताला है, अब रिIमझिम का मुँह उतर गया, उसने हताशा से माथे पर हाथ फेरते हुए कहा, “यार !! यह सब क्या है?” “तू परेशान मत हो, हम आसपास पता करते हैं।“ अब दोनों ने आसपड़ोस में पूछा तो उन्होंने बताया कि “ये लोग कुछ दिनों के लिए बद्रीनाथ की यात्रा पर गए हैं, दरअसल नीमवती की माँ सरगम ने बद्रीनाथ पर जाने की मन्नत माँगी थी, मगर उससे पहले ही वह स्वर्ग सिधार गई। अब अपनी मरी माँ की इच्छा को पूरी करने के लिए पूरा परिवार बद्रीनाथ गया हैं।“ “कब तक आएंगे ?” रिमझिम ने उत्सुकता से पूछा । “बेटा दस दिन तो कहीं नहीं गए।“
अब दोनों वापिस अपने गाँव मालपुरा की ओर जा रही है। सोना ने रिमझिम के उदास चेहरे को देखकर कहा, “दस-पंद्रह दिन में कौन सी आफत आ जाएगी। जहाँ इतना सब्र किया है थोड़ा और सही।“ यह सुनकर रिमझिम ने हाँ में सिर हिला दिया।
राजवीर ने रघु और हरिहर को नन्हें की सिनेमा वाली हरकत बताई तो वे दोनों उसे उकसाते हुए बोले, “यार !! इस नन्हें को सबक सिखाना पड़ेगा, ज़रूर इसने वो नक़ल वाली बात का बदला लिया है।“
“रघु! तू ठीक कह रहा है, मगर मेरा नाम भी राजवीर है, मैं आसानी से हार मानने वालो में से नहीं हूँ।“ राजवीर की त्योरियॉँ चढ़ गई।
“अगर इसका वो पुलिस का पेपर क्लियर हो गया तो यह तो हमारे सिर पर ही चढ़ जायेगा। यह हरिहर की आवाज़ है।“
वैसे रिजल्ट कब है? राजवीर ने पूछा ।
बस आने वाला है। रघु ने बताया।
सोनाली के घर पर निर्मला को वापिस ससुराल भेजने की बात हो रही है, उसके पिता ने उससे पूछा कि “कब जाना है,” तो वह मंदिर का बहाना बनाकर घर से निकल गई।
आज जमींदार ने बिरजू से दोबारा उसके काम का पूछा तो उसने बताया कि “उसने गाँव में जो नाई की दुकान है, उसके पास ही अपनी दुकान देखी है, एक बार शहर जाकर कम्प्यूटर का भी पता कर लो, उसके बाद ही दुकान खरीदने की बात आगे बढ़ाऊँगा।“ बिरजू ने तो सोच लिया कि ‘वह पैसे लेकर शहर जायेगा और वहाँ से वापिस ही नहीं आएगा, यहाँ रहूँगा तो बापू मुझे ब्याह के चक्कर में फँसा ही देंगें।‘ अभी वह यह सोच ही रहा है कि उसके बापू ने उसे फिर पूछा, “शहर कब जायेगा? अभी बहुत गर्मी है, बापू, थोड़ी बरसात हो जाए।“ उसने फ़िलहाल बात को टालना ही ठीक समझा।
शाम का समय है, नन्हें सोमेश और नंदन के साथ वही अपनी मनपसंद जगह नदी के किनारे बैठा हुआ है कि तभी वहाँ पर सोना और रिमझिम भी आ गए। “ये सवारी कहाँ से आ रही है।“ नंदन ने पूछा। “अभी तो घर से ही आ रहें हैं। सोना ने ज़वाब दिया तो सोमेश ने उन्हें छेड़ते हुए कहा, “मुझे लगा आज भी कोई पिक्चर देखकर आ रहें हो।“ सोना चिढ़ गई। “नन्हें तुमने क्या पूरे गॉंव को बता दिया है?:” “अरे नहीं !! यह तो पागल है।“ अब उसने सोमेश को एक कंकड़ मारा तो वह हँसते हुए दूर भागने लगा।
अच्छा नन्हें, तुम उस कुल्चे छोले वाले के पास गए थे। रिमझिम की आवाज है।
हाँ गया था।
कुछ पता चला?
उसकी माँ का देहांत हो गया है, पता नहीं कब तक आएगा।
मगर हमने उसे आज ही देखा है, क्यों सोना? सोना ने भी हाँ में सिर हिला दिया।
तुम दोनों ने कहाँ से देख लिया?
कहीं से वापिस आ रहें थे तो देख लिया।
लगता है, तुम्हारे और सोना के बीच कोई खिचड़ी पक रही है। नंदन ने तंज किया तो वह बोली, “तुम्हें क्या करना है?”
अच्छा !! ये सब छोड़ो, चल नंदन उससे मिलकर आते हैं।
अब दोनों वहाँ से निकलर छोले कुल्चे वाले के पास पहुँच गए।
और भाई हमने सुना कि तुम्हरी माँ का देहांत हो गया?
हाँ भैया, दिल का दौरा पड़ गया। उसके चेहरे पर उदासी है।
हमें लगा, तुम दस-बारह दिन से पहले नहीं आओंगे?
भैया! हम तो चौथा करकर ही वापिस आ गए, गरीब आदमी को तो दुःख मनाने का भी अधिकार नहीं है। अब नन्हें ने सहानुभूति प्रकट करते हुए, उसके कंधे पर हाथ रखा फिर उसने उसे एडमिट कार्ड दिखाया तो उसने याद करते हुए कहा, “यह हमें एक लड़का लड़की देकर चले गए थें, वे लोग अक्सर आते है और कभी कभी वो अपने दोस्तों के साथ भी आता है।“
भाई तू उन्हें पहचान लेगा ?
भैया! मुझे किसी लफड़े में नहीं पड़ना। उसने डरते हुए कहा तो नन्हें बोला, “कोई लफड़ा नहीं है। बस यह बताना कौन है वो ?”
वो अगली बार आएंगे तो मुझे कॉल करेगा?
मेरे पास फ़ोन नहीं है।
अब क्या करे? नन्हें ने बालो में हाथ फेरते हुए कहा।
भैया !! आप थोड़ी देर रुक जाओ, वो लोग शनिवार एतवार आते हैं, आज शनिवार है वो आने ही वाले होंगे। यह सुनकर दोनों खुश हो गए और दूर एक पेड़ की ओट में छिपकर खड़े हो गए।
काफी देर इंतज़ार करने के बाद भी छोले कुल्चे वाले ने उन्हें कोई ईशारा नहीं किया तो वह समझ गए कि वो अभी तक नहीं आये हैं । अब थक हारकर
नंदन के कहा,
यार कल आएंगे।
और वो कल भी न आये तो? हमें कुछ और ही सोचना पड़ेगा। अब नंदन ने दिमाग पर ज़ोर देते हुए कहा,
इस बात का तो हमें शख ही है कि यह किसी कॉलेज के लड़के की हरकत है।
तो ?? नन्हें ने उसे सवालियां नज़रो से देखा ।
मैं फेयरवेल में अपनी बहन का फ़ोन ले गया था उसके फ़ोन में हमारी क्लॉस के लड़कों की ग्रुप फोटो है,” उससे मदद मिल सकती है, यह सुनकर नन्हें के चेहरे पर मुस्कान आ गई। “दिमाग तो तेरा भी लोमड़ी की तरह चल रहा है,” अपनी तारीफ सुनकर नंदन ख़ुश हो गया । तभी कुलचे वाले ने उन्हें ईशारा किया तो वह सतर्क होकर पेड़ की ओट से उसके ठेले को देखने लग गए। अब उन्होंने जिन दो लड़कों को वहाँ देखा तो उन्हें देखकर दोनों के होश उड़ गए। “तो यह है वो आस्तीन के साँप?” नंदन के मुँह से निकला। “मैं तो इसे अपना दोस्त समझता था,” निहाल को अभी भी यकीन नहीं आ रहा है।