nakl ya akl - 38 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 38

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नक़ल या अक्ल - 38

38

पुलिस

 

फिल्म देखते वक्त सोना सोच रही है कि  “बड़ी देर हो गई  राजवीर नहीं आया, पता नहीं कहाँ  रह  गया,” वह काफी देर तक दरवाजे की तरफ देखती रही, मगर वह नहीं आया तो वह  पिक्चर देखने में  मग्न  हो गई ।

 

 

किशोर और राधा ने अपने माँ बाप से आशीर्वाद लिया और राजू ट्रेवल की वैन बैठकर बस अड्डे की तरफ  निकल गए। आज वे दोनों नैनीताल  जा रहें हैं । दोनों के चेहरे पर एक दूसरे के होने की ख़ुशी साफ़ झलक  रही है।

 

अब सोना ने देखा कि हाथ में ट्रे पकड़े  एक जाना पहचाना  चेहरा उसकी तरफ आ रहा है।  जब वह उसके पास आया तो उसने  देखा कि  वह कोई और नहीं बल्कि नन्हें है। “नन्हें तुम यहाँ?” अब वह उसके साथ वाली सीट पर बैठ गया। उसने ट्रे उसकी तरफ कर दी और उसे देखते हुए बोला, “तुम बर्गर खाओ,”  उसने ट्रे से बर्गर उठाया और उससे दोबारा पूछा कि” वह यहाँ क्या कर रहा है? और राजवीर कहाँ है?” उसने बताया कि उसे कोई काम पड़ गया है इसलिए वह मुझे खाने की ट्रे पकड़ाकर चला गया।

 

“अच्छा!” सोना ने उसे हैरानी से देखा। “पर तुम यहाँ क्या कर रहें हो?” “मैं भी एक दोस्त के साथ पिक्चर देखने आया था, पहले काफी देर तक उसका इंतज़ार करता रहा, मगर फिर उसने आने से मना कर दिया तो  सोचा इतनी दूर आया हूँ तो पिक्चर देख ही लूँ। उस नमूने के चक्कर में  आधी फिल्म निकल गई और जब अंदर आया तो राजवीर मिल गया और उसने मुझे यह ट्रे पकड़ा दी।“सोनाली के चेहरे पर मुस्कान आ गई। फिर दोनों  आपस में  हंसी मज़ाक  करते हुए पिक्चर देखने लगे । सोना उसे आधी निकली फिल्म की कहानी बताने लगी पर नन्हें की आँखों के सामने, एक अलग ही दृश्य उभरने  लगा, जब राजवीर अंदर जा रहा  था तो वहां पर काम कर रहें लड़के ने आकर उससे कहा,

 

सर बाथरूम में  आपका सामान  रह गया है ।

 

मेरा सामान?

 

“हाँ सर एक बार अंदर जाकर देख लो।“ उसने ट्रे उस लड़के को पकड़ाई  और खुद अंदर चल गया। जैसे ही वह अंदर गया किसी ने उसके मुँह पर रूमाल रख दिया और वह तभी बेहोश हो गया और उसे एक वाशरूम में बंद कर दिया। वह शख्स कोई और नहीं बल्कि नन्हें था, उसने उस लड़के को पैसे दिए और उस ट्रे से कोल्डड्रिंक का गिलास हटाकर अंदर चला आया। अब स्टाफ का लड़का उसे पॉपकॉर्न भी दे गया। उसने सोना को पॉपकॉर्न पकड़ायें और खुद भी पॉपकॉर्न का एक दाना मुँह में डालता हुआ मन ही मन कहता है, ‘राजवीर तू ही एक होशियार नहीं है, अगर नन्हें अपने  पर आ जाए  तो फिर किसी  की होशियारी  नहीं चल सकती । यह तो अच्छा हुआ कि उस नंदन ने मुझे सही समय पर इस पिक्चर हॉल  के बारे  में बता दिया और मैंने तुझे कोल्ड्रिंक में शराब मिलाते हुए देख लिया। अब सोनाली की आवाज  सुनकर उसका ध्यान भंग हुआ और वह उसके साथ मजे से फिल्म देखने लगा।

 

फिल्म खत्म होने के बाद, वे दोनों मॉल घूमने लगे, उसने उसकी पसंद के झुमके उसे दिलवाए और फिर सोनाली को एक आइसक्रीम पार्लर ले गया।

 

वह खुश होते हुए बोली,

 

नन्हें मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं तुम्हारे साथ फिल्म देखूँगी।

 

“फिर उस राजवीर के बारे मैं कैसे सोच लिया?” उसका चेहरा बड़ा गंभीर है। तभी वेटर ने दो आइसक्रीम रखकर चल गया । कुछ देर दोनों के बीच ख़ामोशी छायी रही, मगर फिर सोनाली ने उसे अपनी आँखों  में  झांकते हुए देखा तो वह बोली, “उसकी दो वजह है,”

 

“वो क्या?” निहाल अब भी हैरान है।

 

“पहली कि उसे राजवीर से कुछ काम था और दूसरा वह भी उसका दोस्त है और एक दोस्त के साथ घूमने में  क्या बुराई  है।“ निहाल ने सुना  तो उसकी त्योरियाँ  चढ़ गई, मगर उसने खुद को सामान्य करते हुए कहा, “क्या काम था?” “वो रिमझिम को कुछ जानना था और उसने शर्त  रखी थी कि  मैं उसके साथ फिल्म देखो और मुझे भी देखनी थी, छोड़ो न, यह कोई  इतनी बड़ी बात भी नहीं है।“ उसने अब आइसक्रीम खाने की ओर ध्यान दिया। “सोना, तुम बहुत भोली हो, तुम्हें नहीं पता कि यह राजवीर किस खेत की मूली है, वह दोस्ती करने लायक भी नहीं है।“ उसने मन ही मन  कहा।

 

अब दोनों मॉल से निकले तो सोनाली की नज़र राजवीर की बाइक पर गई तो उसने हैरान होते हुए पूछा, “इसकी बाइक तो यही है। फिर यह कहाँ चल गया।“

नन्हें ने बात को संभालते हुए कहा, “हो सकता है कि अपने किसी दोस्त के साथ चला गया हो। चलो चले,” अब दोनों ने बस अड्डे जाने तक का रिक्शा ले लिया।

 

बिरजू नहर के पास खड़ा उसी दलाल का इंतज़ार करने लगा, जिससे वो हमेशा पुड़िया लेता है। थोड़ी देर बाद वो आया तो उसने उसे पैसे पकड़ाकर वहाँ से चलता कर दिया। मगर जब वह उससे पुड़िया लेकर मुड़ा  तो उसने देखा कि उसका भाई सुधीर खड़ा है। वे सकपका गया, “कौन था वह बिरजू?” “कोई नहीं भाई, मेरा दोस्त है..” उसने सफाई दी। फिर वे दोनों साथ चलने लगें। “तूने अपने काम के लिए कोई जगह देखी?” “हाँ एक देखी तो है,” उसने जवाब दिया और फिर उनके बीच बातों का सिलसिला शुरू हो गया।

 

बस से उतरकर दोनों गॉंव के लिए अलग अलग रिक्शा लेने लगे तो नन्हें सोनाली को बोला, “कभी तेरा दोबारा फिल्म देखने का मन करें तो मुझसे कह सकती हो।“ उसने कोई जवाब  नहीं दिया, मगर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह रिक्शे पर बैठे बैठे आज के दिन के बारे में सोचने लगी। उसे मॉल में  नन्हें के साथ हँसते हुए घूमना और फिर बस में उसके आसपास ऐसे खड़ा था कि जैसे कोई हवा उसे छू भी नहीं सकती। अब वह रिमझिम के घर के बाहर उतर गई, उसने उसे कागज़ पर लिखा नीमवती का पता थमा दिया और फिर आज के दिन की कहानी सुनाने लगी। रिमझिम को यकीन नहीं हुआ कि  नन्हें सोना के लिए वहाँ तक पहुँच गया।

 

सोना, नन्हें तुझसे बहुत प्यार करता है, उसका कोई दोस्त नहीं होगा, वह तेरे लिए आया होगा।

 

अरे! नहीं, वो अपने दोस्त के लिए ही आया था।

 

रिमझिम ने उसे कुछ जवाब नहीं दिया, मगर वह मन ही मन कहने लगी, “तू भले ही न समझे, मगर मुझे पता है कि  वह तुझे बहुत  चाहता है।“

 

उधर राजवीर को होश आया तो उसने देखा कि वह हॉल के वाशरूम में  गिरा पड़ा  है और उसके आसपास कुछ लोग खड़े हैं। वह जल्दी से उठा और पूछा,

 

भाई! मैं यहाँ कैसे आया? और पिक्चर खत्म हो गई?

 

कबकी खत्म हो गई पर तू क्यों यहाँ नशा करकर पड़ा था। “चल, पुलिस के पास,” एक व्यक्ति ने  राजवीर का कॉलर पकड़ लिया।