Bepanaah Mohabbat - 25 in Hindi Love Stories by Anjali Vashisht books and stories PDF | बेपनाह मोहब्बत - 25

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बेपनाह मोहब्बत - 25

अब तक :

श्वेता की कड़वाहट भरी बातें सुनकर माही चुप हो गई । उसका चेहरा उदासी से घिर गया ।

अब आगे :

अक्षत ने माही की उदासी देखी तो बोला " कोई ड्रेसिंग सेंस या हैसियत से बड़ा या छोटा नहीं होता है श्वेता । ये तो सोचने वाले की सोच पर निर्भर है । मानो तो पत्थर में भी भगवान हैं और न मानो तो वो मंदिर में भी नही हैं ।

और रही बात माही की.. तो भले ही एक बार किसी गलत इंसान के साथ चली गई हो । लेकिन इससे तुम ये नही कह सकती कि इसे किसी भी इंसान की परख नही है । गलतियां हर एक इंसान करता है पर इसमें कोई गलत बात नहीं है , उससे इंसान सीख ही लेता है “ बोलकर अक्षत चुप हुआ तो श्वेता अजीब सा मुंह बनाकर उसे इग्नोर करते हुए अपने फोन में देखने लगी।

वो अक्षत को कुछ कहकर शिवाक्ष को नाराज नहीं करना चाहती थी ।

" वैसे, तेरा उसके बारे में क्या खयाल है शिव ? " अक्षत ने स्टेयरिंग पर उंगली से tap करते शिवाक्ष को देखते हुए पूछा ।

अक्षत के चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट थी ।

" वही खयाल है जो शेर का बकरी के बारे में होता है" बोलकर वो रियर मिरर से पीछे खड़े राजीव को देखने लगा ।

अक्षत ने बैक मिरर से माही को देखा तो उसके दिल में एक अजीब सा एहसास हो आया । माही अभी भी उदास थी और उसको ऐसे देखकर उसे अच्छा नहीं लगा ।

" वैसे माही मेहरा.. मुझे नहीं पता था कि तुम लड़कियों में interested हो.. । मतलब वो तुम्हे प्यारी भी लगती है ,क्यूट भी कहती है । ऐसा तो किसी लड़के को होना चाहिए ना। वैसे अगर मुझे तुम्हारी पसंद का पता पहले चल जाता तो मैं तो अभी तक अपना gender change करवा चुका होता । और फिर मेरे भी अंजली की तरह लंबे लंबे बाल लहराते और सलवार सूट ही पहनता "

" अक्षत , क्या बोले जा रहे हो" बोलते बोलते माही को हंसी आ गई थी ।

अक्षत आगे बोला " सही कह रहा हूं । यहां हमारा लड़का शेर और बकरी पर अटका है और तुम हो कि उसको प्यारा बोलने लगी हो "

बोलकर उसने शिवाक्ष को देखा तो वो उसे घूरने लगा । अक्षत ने बत्तीसी दिखा दी ।

माही ने सुना तो अक्षत को घूरने लगी और उसे झूठ - मूठ का मारने का नाटक करते हुए बोली " shut up अक्षत। बस मजाक उड़वा लो तुमसे मेरा । जो तुम लोग समझ रहे हो मेरा वो मतलब नही था " । बोलकर माही अपनी सीट पर ठीक से बैठ गई ।

अक्षत पीछे घुमा और उसके चेहरे को देखकर जीभ दिखाते हुए बोला " हम तो यही मतलब समझेंगे मिस माही मेहरा.. । जो कर सकती हो कर लो " ।

माही ने उसे देखा तो उल्टी उसे जीभ दिखाकर बोली " अपना मुंह बंद रखो अक्षत राणा.. " बोलकर माही मुंह बनाए बैठ गई । लेकिन अभी उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी ।

अक्षत भी सीधा होकर आगे घूमकर बैठ गया ।

शिवाक्ष ने अक्षत को देखा तो मंद मंद मुस्कान उसके चेहरे पर थी । फिर बैक मीरर से माही को देखा तो वो भी ऐसे ही मुस्कुरा रही थी । दोनो को देखकर शिवाक्ष भी मुस्कुरा दिया ।

वहीं श्वेता उनकी बातों से ऊब रही थी । उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और बाहर निकल गई । फिर राजीव के पास आकर बोली " वो stupid लड़की दिखी क्या ? कहां मर रही है.. ? " ।

राजीव ने ना में सिर हिलाते हुए कहा " नही श्वेता.. । पता नहीं उसे धरती निगल गई , या आसमान खा गया । अभी तक नहीं दिखी " बोलकर वो रुका और फिर बोला " मुझे नहीं लगता कि वो अभी तक यहां पर होगी.. । वैसे भी बोहोत तेज़ भागती है । अभी तक तो अपनी bullet train वाली speed से , भागते - भागते हिमालय पहुंच गई होगी । पर तारीफ तो करनी पड़ेगी.. । पहली बार कोई टक्कर की लड़की मिली है जिसकी रैगिंग में भी मजा आ रहा है.. । इतना कोई नहीं टिक पाया । सब हाथ जोड़े घूमते नजर आते हैं लेकिन ये आंखें दिखाती नजर आती है " बोलकर राजीव तिरछा मुस्कुरा दिया ।

श्वेता उसकी बात से चिढ़ते हुए बोली " तारीफ my foot... । उसका हमसे बच के चले जाना कोई मजाक नहीं है राजीव । तो तुम इस तरह के जोक मारना बंद करो समझे.. " । कहकर श्वेता बाल झटककर वापिस से गाड़ी की ओर चली गई ।

राजीव हैरान परेशान सा खड़ा उसे जाते देखता रहा ।

" इसे ऐसा क्या हो गया.. ! मुझपर क्यों भड़क रही है.. । पहले तो हर जोक पर हंस देती थी तो अभी नाक क्यों फुला रही है " बोलते हुए राजीव अपना सिर खुजाने लगा ।

राजीव ने एक झलक सड़क को देखा और फिर वह भी गाड़ी की ओर वापस आ गया ।

सब गाड़ी में बैठे तो शिवाक्ष ने गाड़ी वहां से चला दी ।

राजीव बोला " पता नहीं यार वो लड़की कहां चली गई ? इतनी जल्दी तो बिजली भी गुल नहीं होती जितनी जल्दी वो गायब हो गई " ।

शिवाक्ष खामोशी से गाड़ी चलाता रहा ।

अक्षत बोला " उसका गायब होना तो ठीक है लेकिन वो किसी मुसीबत में ना पड़ जाए । पता नहीं कहां भागी होगी... " ।

श्वेता ने सुना तो मुंह बनाकर खिड़की से बाहर देखने लगी और मन में बोली " खुद एक चलती फिरती मुसीबत और किस मुसीबत में फंसेगी । पर अगर ऐसा कुछ हो तो मैं तो चाहूंगी कि हमेशा के लिए हमारी लाइफ से निकल ही जाए । बला टले हमारे सिर से भी " ।

शिवाक्ष मन ही मन बोला " कहां चली गई होगी । जंगल घना है । अंदर जाना खतरनाक हो सकता है । जानवर कम भूखे भेड़िए ज्यादा मिलते हैं " सोचते हुए उसके माथे पर लकीरें बन आई थी ।

राजीव बोला " कहां गई वो तो वही जाने । लेकिन गई कैसे वो नही पता चल रहा । कहीं भूत वूत तो नही होगी ना " ।

तभी माही ने कहा " she is like a smart butterfly राजीव । beautiful to see but hard to catch । बोहोत समझदारी के साथ बचकर निकलना जानती है और इसीलिए हमारे हाथ आकर भी हाथ नही आई "

श्वेता ने गुस्से से मुट्ठियां बना ली थी लेकिन कुछ कह नहीं रही थी ।

राजीव ने माही के माथे पर हाथ रखा और पूछा " माही.. तू ठीक तो है ना बेटा.. " ।

माही ने उसके हाथ को हटाया और चिढ़ते हुए बोली " क्या कर रहा है ? मैं बिल्कुल ठीक हूं मुझे क्या होगा.. ? और ये बेटा बेटा मत बोल समझा " ।

राजीव ने उसके गले में बाजू डाली और उसे अपनी ओर करते हुए बोला " अरे कैसी बात कर रही हो बेटा.. । अपने बच्चे को बच्चा ना बोलूं तो क्या बोलूं.. । और तू ये बता कि , तुझे कैसे इतनी details पता है । कहीं कोई लड़की का चक्कर तो नही है ना.. । क्योंकि इतना तो मैं 12 से 15 अफेयर्स में भी नही जान पाया.. " बोलते हुए राजीव भौहें सिकोड़कर माही को देखने लगा ।

माही ने उसकी बाजू को अपने गले से हटाया और बोली " मैं खुद भी लड़की ही हूं राज.. । अब अपना मुंह बंद रख.. पागल आदमी.. " बोलते हुए माही ने उसके कंधे पर धीरे से मार दिया । राजीव हंसा और फिर चुप होकर बैठ गया ।

अक्षत ने शिवाक्ष को चुप देखा तो पूछा " तू किस सोच में डूबा हुआ है शिव । किसके हसीन खयाल आ रहे हैं.. ? " ।

शिवाक्ष ने सामने देख कर गाड़ी चलाते हुए जवाब दिया " सोच रहा हूं कि जाते जाते वो हम सब को जंगली सूअर बोल के चली गई.. । How insulting... " ।

शिवाक्ष की बात सुनकर सबको realise हुआ तो सब एक दूसरे के चेहरे देखने लगे ।

सबको एहसास हुआ कि उनके पीछे कोई सुअर नही थे तो वो उसने उन लोगों की तरफ इशारा करते हुए ही कहा था । सबने मुंह बनाया और चुप चाप बैठ गए और कार में सन्नाटा पसर गया ।

शिवाक्ष ने सबको उनके घर छोड़ा । आखिर में उसने मालविका को उसके घर के बाहर उतारा और गाड़ी आगे चला दी । अब बस गाड़ी में वो और अक्षत बचे थे ।

थोड़ी आगे जाकर शिवाक्ष ने गाड़ी रोकी । शिवाक्ष और अक्षत दोनो एक दूसरे को देखने लगे और फिर दोनों ही जोरों से हंसने लगे ।

ऐसा लग रहा था मानो दोनों ने ही बोहोत देर से अपनी हंसी रोकी हुई थी ।

अक्षत अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए बोला " huh.. जंगली सुअर " बोलते ही इसे दुबारा से हंसी आ गई ।

दोनो काफी देर तक हंसते रहे । अक्षत हंस ही रहा था कि तभी उसकी नज़र बैक मिरर पर गई । उसके चेहरे से हंसी एक दम से गायब हो गई ।

वो मुंह खोले हुए देखता रहा फिर जल्दी से बोला "। नीचे झुको.. " ।

शिवाक्ष ने भी हंसी रोकते हुए कहा " नीचे क्यों झुकूं.. ? "

शिवाक्ष और अक्षत एक दूसरे को देख रहे थे और डिक्की में बैठी अंजली छुपकर उन दोनो को । अंजली ने अक्षत का नीचे झुको सुना तो समझ गई कि ये उसके लिए ही कहा गया था । वो जल्दी से नीचे झुक गई ।

अक्षत ने शीशे में देखा तो अब अंजली नीचे झुक गई तो लंबी सांस भरी ।

अक्षत को डर था कि कहीं शिवाक्ष अंजली को देख न ले । अक्षत ने शिवाक्ष को देखा तो वो अभी भी सवालिया नजरों से उसे देखे जा रहा था ।

" क्या हुआ है तुझे... ? बोल कुछ.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने अक्षत के कंधे पर हाथ रख दिया । अक्षत हिचकियां लेने लगा " हिच.. हिच.. " फिर अपने गले पर हाथ रखते हुए बोला " वो मुझे हिचकियां आ रही हैं तो पानी लेने के लिए तुझे झुकने का बोला था । " बोलकर अक्षत आगे भी हिचकियां लेने लगा ।

शिवाक्ष ने सिर हिलाया और बोला " अच्छा तो ऐसी बात है.. पर यहां कोई बॉटल नही है.. एक बॉटल थी पर वो खाली हो चुकी है.. । पीछे डिग्गी में जो बॉटल है उसमे पानी है । रुक मैं लाता हूं... " बोलकर शिवाक्ष गाड़ी से उतरने लगा ।

अक्षत का मुंह खुला का खुला रह गया । अब तक तो वो हिचकी लेने का नाटक कर रहा था पर अब उसे असली में हिचकियां आने लगी थी ।

वो जोरों से हिचकियां लेते हुए कहा " नहीं शिव.. हिच.. अब ठीक है हिच.. अब बंद हो गई है हिच.. अब रहने दे.. और घर चल.. हिच" बोलकर अक्षत ने अपने मुंह के उपर हाथ रख दिया ।

शिवाक्ष ने उसे घूरा और बोला " पागल हो गया है क्या.. ? इतनी जोर से हिचकियां ले रहा है और बोल रहा है कि ठीक है.... । तेरा दिमाग हिल चुका है ।एक पागल लड़की सबको पागल कर सकती है । तू बैठ मैं पानी निकालता हूं.. " । बोलकर शिवाक्ष गाड़ी से उतर गया ।

" अरे शिव रुक तो.. " बोलते हुए अक्षत भी गाड़ी से नीचे उतर गया ।

लेकिन इससे पहले कि अक्षत उसे रोक पाता शिवाक्ष ने गाड़ी की डिक्की को खोल दिया । अंजली उनकी सारी बातें सुन सकती थी । जैसे ही उसने देखा कि शिवाक्ष गाड़ी की डिक्की खोलने उतर चुका है तो उसने कसकर आंखें मूंद ली और आंखों के उपर अपने हाथ रख दिए । मानी अपनी आंखे ढक लेने से वो भी छुप जायेगी ।

अक्षत ने भी आंखें कसकर बंद कर ली और दूसरी ओर देखने लगा ।

शिवाक्ष ने डिक्की खोली तो सामने देखकर कुछ पल को ठहर सा गया । उसकी आंखें पलक झपकाना तक भूल गई थी । वो खोया हुआ सा सामने देखने लगा ।

कुछ Seconds बाद चेहरे पर हवा के बजने से शिवाक्ष ने पलकें झपकाई तो उसे होश आया ।

उसने गुस्से से भौहें तानते हुए पूछा " तुम.. ? तुम यहां क्या कर रही हो.. ? " ।

अंजली ने सुना तो मन ही मन बोली " लगता है आज यमराज मेरे ऊपर ही मेहरबान हुए पड़े हैं । इतनी कृपा मत कीजिए प्रभु... " बोलते हुए अंजली ने एक आंख पर हाथ हटाया और थोड़ी सी आंख खोलकर झांकते हुए देखने लगी ।

सामने खड़ा शिवाक्ष बस एक - टक उसे ही देखे जा रहा था । शिवाक्ष ने गुस्से से सांस ली और बोला " बाहर निकलो... । come out" ।

अंजली ने सुना तो जल्दी से बाहर निकल गई । शिवाक्ष ने डिक्की बंद की और गाड़ी से टिककर खड़ा हो गया । फिर अक्षत को देखते हुए बोला " तो ये थी तेरी हिचकी की वजह.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने बाजुएं आपस में बांध ली ।

और अक्षत और अंजली दोनो को एक एक करके घूरने लगा ।

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