Bepanaah Mohabbat - 21 in Hindi Love Stories by Anjali Vashisht books and stories PDF | बेपनाह मोहब्बत - 21

Featured Books
Categories
Share

बेपनाह मोहब्बत - 21

अब तक :

अंजली के कंधे का निशान और श्वेता की उंगली में पहनी अंगूठी का डिजाइन आने लगा ।

दोनो बिल्कुल एक जैसे थे । इतना तो उसे साफ हो गया था कि श्वेता का हाथ भी अंजली के कंधे पर लगा था जो बहुत जोरों से मारा गया था । वहीं ये समझने में भी उसे देर नही लगी थी इन सबमें पहल श्वेता की तरफ से ही हुई थी ।

अब आगे :

मालविका अंजली को लेकर प्रिंसिपल के ऑफिस में जा चुकी थी । वहीं श्वेता के झूठे इल्जामों का सिलसिला भी शुरू हो चुका था ।

प्रिंसिपल ने अंजली को देखा कर बोली " क्या ये सच कह रही हैं.. ? क्या तुमने इसे धक्का मारा है "

अंजली को महसूस हुआ मानो उसे किसी कटघरे में खड़ा कर दिया गया था । जहां बारी बारी से उससे सवाल पूछे जा रहे थे और उन्हें सबका जवाब देना था ।

" मैंने इन्हें धक्का नहीं मारा है मैम " अंजली ने सहजता से इंकार कर दिया ।

" तुमने नही मारा है तो श्वेता इतना रो क्यों रही है ? " ।

अंजली ने श्वेता को देखा और बोली " ऐसे तो मैं भी रो सकती हूं मैम , तो क्या इसका ये मतलब समझा जायेगा कि इन्होने मुझे मारा । किसी का दर्द सिर्फ उसके आंसू बयां नही करते । इनके ढेर सारे दोस्त हैं जिनसे इनके आसूं नही देखे जा रहे और इसलिए सब मुझे गलत बोलने पर सवार हैं । लेकिन अकेला इंसान ही गलत हो ये ज़रूरी तो नहीं "

Principal शांत भाव से अंजलि की ओर देखती रही और फिर बोली " तो तुम कहना चाहती हो कि श्वेता ने तुम्हें धक्का मारा है ? " ।

" मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि चोट तो मुझे भी लगी है और दर्द मुझे भी है । इन्होने जानबूझकर मारा या गलती से मैं नही जानती । लेकिन मेरा इनको मारने का कोई इरादा नहीं था " अंजली में सीधे शब्दों में स्पष्टता से अपनी बात रख दी ।

श्वेता ने उसे घूरा और बोली " ये अपनी मीठी मीठी सत्यवादी बातों से सबको बहला रही है mam । आप भी जानती है , मैं जबसे कॉलेज में आई हूं सबसे प्यार से रही हूं और ये लड़की कुछ दिन पहले आकर मुझे ही गलत बोल रही है । अरे मेरा तो चलना तक मुश्किल था "

माही और अक्षत ने सुना तो दोनों एक दूसरे की ओर देखने लगे ।

माही धीरे से बोली " श्वेता झूठ क्यों बोल रही है ? मैं खुद देखा वह तकरीबन भागते हुए यहां को आई थी "

अक्षत ने भी उसकी बात में हामी भरी और बोला " मैने भी देखा था माही । पता नही इतनी उल्टी हरकतें क्यों करने लगी है "

तभी शिवाक्ष भी अंदर आया तो अक्षत से उसकी नजरें मिल गई । दोनो ने आपस में look exchange किए तो अक्षत वहां से बाहर चला गया ।

प्रिंसिपल बोली " देखो , मैं श्वेता को काफी अच्छे से जानती हूं.. । कॉलेज में भी और पर्सनली भी । और मुझे नहीं लगता कि श्वेता झूठ बोल सकती है.. । she is a very nice girl " ।

श्वेता की आंखों में चमक आ गई ।

खुशी बोली " मैम , मैं उस वक्त वहीं पर थी और मैं और अंजली अपनी क्लास की ओर जा रहे थे। अंजली ने इन्हें नही मारा " ।

खुशी को बोलता देख आकाश भी राजीव से नजरें चुराते हुए बोला " yes mam , मैंने भी देखा था " बोलकर हुए आकाश चुप हो गया ।

राजीव उसे घूरे जा रहा था तो उसने आगे बोलना ठीक नही समझा ।

श्वेता बोली " तुम तो अपनी दोस्त का ही साथ दोगी खुशी । फैसला प्रिंसिपल mam को करने दो "

प्रिंसिपल ने सिर हिलाया और बोली " देखो ये सब गलत है । यहां मार पीट बिल्कुल भी नही चलेगी । अगर ऐसा हुआ है तो तुम्हे हफ्ते भर के लिए रस्टीकेट किया जाता है अंजली "

अंजली ने सुना तो उसकी आंखों में आसूं भर आए । गलती नही थी तो सजा किस बात की ?

तभी अक्षत ऑफिस के अंदर आया और बोला " एक मिनट , अभी कैमरा की रिकार्डिंग बची हुई है "

श्वेता ने देखा तो उसके चेहरे का रंग उतर गया । इस बारे में तो वो सोचना ही भूल गई थी । उसके माथे पर पसीना आने लगा था ।

प्रिंसिपल ने pendrive को अपने लैपटॉप में लगाया और फुटेज देखने लगी ।

फुटेज देखकर उन्होंने श्वेता और अंजली को देखा फिर बोली " मुझे लगता है कि इसमें अंजली की कोई गलती नही है । और ये बहुत छोटी सी बात हुई है तो इसका बड़ा मामला नही बनाना चाहिए । आप लोग जाकर अपनी क्लासेज लगाइए "

श्वेता मन में कुढ़ते हुए बोली " ये अक्षय का बच्चा । हमेशा काम बिगाड़ना ही आता है इसे । Bloody hell "

सब लोग बाहर जाने लगे तो प्रिंसिपल ने श्वेता को रोक लिया । बाकी सब बाहर निकल गए । अंजली को राहत थी कि अंदर उसे झूठा नही ठहराया गया था ।

अंजली खुशी और आकाश तीनों की क्लास अब छूट चुकी थी इसलिए वो तीनो music room की तरफ चले गए थे ।

" मैं वाशरूम होकर आती हूं " बोलकर अंजली वहां से बाहर निकल आई । वाशरूम जाते हुए वो प्रिंसिपल रूम के सामने से गुजरने लगी तो उसी वक्त श्वेता वहां से बाहर निकली ।

दोनो आमने सामने आए तो अंजली भी रुक गई । श्वेता गुस्से से दांत पीसते हुए बोली " प्रिंसिपल मैम ने तो छोड़ दिया लेकिन ये मत सोचना कि हम लोग छोड़ेंगे । हमारा हिसाब अलग होगा और वो अभी बाकी है " बोलकर वो उसे आंखें दिखाते हुए चली गई ।

अंजली वाशरूम की तरफ चली गई । वापिस आई तो कुछ सोचते हुए प्रिंसिपल ऑफिस के अंदर चली गई ।

अंदर आकर देखा तो वहां पर कोई नही था। अंजली ने प्रिंसिपल को आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब नही आया ।

" ये कहां चले गए ? मैं तो थैंक यू बोलना तक भूल गई । अगर मामला यहां नही आता तो पता नही वो लोग कितना बवाल मचा देते " बोलते हुए उसकी नजर सामने खुले लैपटॉप की तरफ चली गई ।

अभी भी उसमे पेनड्राइव लगा हुआ था और स्क्रीन पर वही सीसीटीवी फुटेज निकली हुई थी । अंजली ने फुटेज को चला दिया और उस प्वाइंट पर देखा जब दोनो की आपस में टक्कर हुई थी ।

श्वेता सामने से अंजली को देखते हुए आ रही थी । करीब आकर उसके मुट्ठी बनाई और अंजली के कंधे में जोर से पंच किया । सब इतना जल्दी था कि समझ पाना मुश्किल था और यही उस वक्त अंजली के साथ भी हुआ था । वो नही समझ पाई थी कि टक्कर हुई कैसे थी और उसके कंधे में दर्द कैसे उठा था।

अगली ही पल श्वेता खुद का कंधा पकड़कर जमीन पर बैठ चुकी थी । अंजली ने वीडियो देखी तो उसे अपनी आंखों पर यकीन नही था ।

क्या ये सब देखने के बाद भी प्रिंसिपल ने श्वेता की साइड ली थी और उसकी कोई गलती सामने नहीं लाई थी ।

एक पल में अंजली की आंखें भीग गई । उसे महसूस हुआ कि principal ने भी उसके साथ भेदभाव किया था ।

" ये सब क्या है ? प्रिंसिपल mam ऐसा कैसे कर सकते हैं ? इन सब लोगों का समझ आता है लेकिन मैम !!!! अगर वही ऐसा करती हैं तो मैं किसी और से क्या उम्मीद कर सकती हूं । इस बात में कोई शक नही है कि इन लोगों के खिलाफ यहां कोई कार्यवाही क्यों नही की जाती । कोई आता भी होगा तो भी इन लोगों को निर्दोष बता दिया जाता होगा " बोलते हुए आसूं उसके गाल पर लुढ़क आए थे ।

तभी प्रिंसिपल अंदर आई और अंजली को वहां देखकर ऊंची आवाज में बोली " तुम यहां पर क्या कर रही हो ? "

अंजली ने प्रिंसिपल की तरफ देखा तो प्रिंसिपल उसकी तरफ चली आई । उसने लैपटॉप को देखा फिर जल्दी से बंद करते हुए बोली " ये क्या बदतमीजी है ? "

अंजली एक टक उसकी आंखों में देखने लगी । प्रिंसिपल उसकी नजरें अपने उपर पाकर एक पल को ठिठक सी गई थी । उसकी चोरी पकड़ी गई थी और अंजली की घूर उसे ये बताने के लिए काफी थी कि वो अब शांत नही रहने वाली थी ।