अब तक :
" just shut your mouth... पहले मारने की कोशिश करो और फिर ये महानता की देवी बनकर भाषण दो.. । मुझे तुम्हारे ये भाषण नही सुनने हैं.. । बल्कि तुमने जो किया है उसकी सजा तुम्हे देनी है.. । Now just wait and watch... " बोलते हुए श्वेता ने चुटकी बजाते हुए इंडेक्स फिंगर से उसकी ओर प्वाइंट आउट कर दिया ।
अंजली उसकी उंगली को देखने लगी । खुशी ने अंजली के हाथ को पकड़ लिया और आकाश भी उसके साथ आकर खड़ा हो गया ।
श्वेता तीनो को घूरने लगी ।
अब आगे :
खुशी ने श्वेता को अंजली पर चिल्लाते हुए देखा तो बोली " आप ऐसे नही बोल सकती । जब अंजलि कह रही है कि उसने आपको धक्का नहीं मारा तो आप मान क्यों नहीं लेती । और मालविका दी ने भी कुछ नही देखा.. वो भी सिर्फ आपके कहने पर ही मान रही हैं.. । तो आखिर है कौन जो ये बोले कि अंजली ने आपको मारा है... आप अकेली ही हैं जो ये कह रही हैं " । ।
" तुम चुप रहो खुशी , बीच में मत बोलो " बोलकर श्वेता अंजली को देखकर दांत पीसते हुए बोली " तुम जानती नही हो कि ये कितनी चालाक लड़की है । मुंह पर मीठी मीठी बातें करती है लेकिन इसके दिल में खोट भरा हुआ है । हमसे बदला लेने के लिए हमे मारने तक को तैयार है , और इसका एग्जांपल इसने अभी अभी दिया है "
अंजली हैरानी से श्वेता को देखने लगी । उसे कंधे में दर्द हो रहा था इसलिए उसका एक हाथ अपने कंधे पर चला गया था । श्वेता ने बहुत ज़ोर से मारा था ।
खुशी अंजली का कंधा सहलाते हुए बोली " अंजली को भी लगी है श्वेता दी वो तो आपकी तरह हंगामा नही कर रही । और मुझे नहीं लगता कि आपकी बात जरा सी भी सच है "
श्वेता ने आई रोल की ओर बोली " तुम मेरे दोस्त की बहन हो खुशी.. और मैं तुम्हें पहले से जानती हूं ।तुम्हे इसकी बजाए मेरा साथ देना चाहिए । ये ऐसी लड़की है कि वक्त आने पर तुम्हे भी नही छोड़ेगी । और मै नही चाहती कि तुम इसकी चालों का शिकार बनकर रह जाओ । इसीलिए कह रही हूं । दूर रहो इससे "
आकाश को श्वेता पर गुस्सा आ रहा था । वो बस अंजली के खिलाफ उल्टी बातें किए जा रही थी । जबकि आकाश और खुशी दोनो ही जानते थे कि वो सच नही थी ।
" आप मुझे मत बताइए कि किसके दिल में खोट है और किसके दिल में नही । मुझे भी अच्छे से पता है कि अंजली कैसी है " खुशी ने बेबाकी से जवाब दिया जो श्वेता को बिल्कुल पसंद नहीं आया।
" तुम हमसे बहस करने लगी हो खुशी ? क्या सच में दो दिन की दोस्त तुम्हारे भाई के दोस्तों से ज्यादा बड़ी हो गई तुम्हारे लिए " मालविका ने कहा तो खुशी ने चेहरा फेरते हुए कहा " भाई के दोस्त हैं भाई के ,मेरे अपने भी दोस्त हैं जिनका साथ मैं दूंगी " बोलकर उसने कसकर अंजली का हाथ पकड़ लिया ।
खुशी और आकाश को अपने साथ खड़ा देखकर अंजली के बहुत अच्छा लग रहा था। कॉलेज में आते ही उसे दो बहुत अच्छे दोस्त मिले थे जो उसे अभी से समझने लगे थे ।
" हम अंजली को जानते हैं कि वो कैसी है मैने खुद देखा है कि अंजली ने आपको धक्का नहीं मारा.. । बल्कि कहीं न कहीं आप खुद ही उसकी ओर आई.. " आकाश की बात सुनकर श्वेता का खून गुस्से से खौलने लगा ।
" How dare you" बोलकर वो चिल्लाई और आकाश को उंगली दिखाने लगी । वो उसपर बरसने ही वाली थी कि फिर एकदम से बेचारा सा चेहरा बनाकर और आंखों में आंसू लाकर रोती हुई आवाज में बोलने लगी " तुम सब दुश्मन बने बैठे हो । इसने मुझे मारा और अब मेरे उपर ही इल्जाम भी कहा रहे हो ।
और तुम अंजली ? क्या तुममें अब कोई दया का भाव नहीं है ? अरे मैंने तो तुम्हें आज तक कभी ऐसी चोट पहुंचाने की कोशिश नहीं की थी , बस थोड़ा बहुत परेशान ही किया था । और तुम तो अपना बदला लेने के लिए मुझे चोट तक पहुंचाने पर उतर आई । अब क्या अपाहिज बनाने पर उतर आई हो ? "
ऐसा बोलते ही श्वेता की आंखों से आंसू टपक पड़े और वो जोर से सिसकने लगी ।
अंजली हैरान सी उसे देखने लगी । एक ही पल में श्वेता के हाव भाव बदल चुके थे । उसे समझ नही आया कि श्वेता एकदम से ऐसे बेचारी कैसे बन गई ।
वहीं आकाश और खुशी भी इस बात से हैरान थे ।
मालविका ने श्वेता को बाजुओं से पकड़ा और बोली " शांत हो जाओ श्वेता.. इसने जो किया है उसका जवाब तो इसे मिलेगा.. "
श्वेता ने सिर हिला दिया । और तिरछी नजरों से सामने से आते माही शिवाक्ष अक्षत और राजीव को देखने लगी ।
जैसे ही वो नजदीक आए तो श्वेता झट से जाकर शिवाक्ष के सीने से लिपट गई ।
शिवाक्ष बिलकुल सीधा खड़ा रहा । श्वेता सिसकते हुए बोली " शिवाक्ष, इस लड़की ने मुझे धक्का मारा । मुझे जमीन पर गिरा दिया । हम सबने जो किया उसके बदले ये मुझे अपना निशाना बना रही है और अब ये सब मुझे ही गलत बोलने लगे हैं " बोलते हुए वो उसकी बाहों में सिमटती जा रही थी ।
शिवाक्ष ने अंजली को देखा जो बिना किसी भाव के उसे देख रही थी । उसका एक हाथ उसके अपने कंधे पर भी था ।
शिवाक्ष ने ध्यान से देखा तो उसका कंधा लाल पड़ चुका था जो उसके स्लीवलेस कमीज में दिखाई दे रहा था ।
शिवाक्ष ने श्वेता को खुद से अलग किया और अंजली की तरफ बढ़ गया । श्वेता के होठों पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई ।
" अब आएगा मजा । इसकी असली औकात इसको अब नजर आएगी जब शिवाक्ष का गुस्सा इसको दिखाई देगा "
शिवाक्ष ने अंजली के सामने आकर उसके कंधे को देखा फिर बाजू से पकड़कर उसे करीब किया और बोला " क्या हरकत है ये ? " बोलते हुए उसने अंजली की आंखों में झांका जो नम थी ।
" जो आपकी दोस्त आपको बता रही है मान लीजिए । मेरे कहने से क्या होगा । आपका पूछना बर्बाद है " अंजली ने शालीनता से जवाब दिया ।
शिवाक्ष को उसकी बेरुखी खल सी रही थी ।
" भाषण अच्छा देती हो । पर मैं तुम्हारा भाषण सुनने नही आया । अगर ये बात सच निकली तो मुसीबत में फंस जाओगी "
शिवाक्ष अंजली को घूरने लगा तो अंजली बोली " मेरी कही बात तो आपको भाषण ही लगेगी ना "
" आखिरी बार पूछ रहा हूं । सच बता दो "
शिवाक्ष ने कहा तो राजीव बोला " भाई तू पूछ क्यों रहा है । श्वेता ने कहा है तो झूठ थोड़ी कहा होगा । इस लड़की से पूछने की जरूरत ही क्या है । वैसे भी इसकी आंखों में बगावत साफ नजर आती है "
शिवाक्ष सिर टेढ़ा किए अंजली को देखने लगा और बोला " बोलो "
" मैने धक्का नही दिया । बल्कि ऐसा ही लगा जैसे ये खुद आकर टकराई हैं । यूं तो मुझे भी बहुत जोर से लगी है पर मैं इनकी तरह चिल्लाकर या रोकर ढिंढोरा नही पीट रही और ना ही इनको बुरा बुरा बोल रही हूं "
तभी आकाश थोड़ी दबी सी आवाज में बोला " हान ,वो सही कह रही है । अंजली ने कुछ भी नही किया है । आपकी दोस्त ने ही उसे धक्का मारा था " आकाश ने कहा ही था कि तभी राजीव ने आकर उसे कॉलर से पकड़ लिया और गुस्से से अपनी तरफ खींचते हुए बोला " तुझे किसी ने बोलने को कहा था क्या ? "
" न नही " आकाश ने घबराए हुए कहा तो राजीव चिढ़कर बोला " तो अपनी टिपण्णी क्यों दे रहा है "
खुशी उसके पास आई और आकाश को छुड़ाते हुए बोली " भाई ये क्या कर रहे हैं आप ? छोड़ो उसको "
आकाश राजीव से अलग हुआ तो अपने गले पर हाथ रखकर गहरी सांसें लेने लगा ।
" ज्यादा नही बोलने लग गया तू.. " बोलते हुए राजीव उसे गुस्से से घूरने लगा ।
" म म म मैं व वो... " आकाश हकलाते हुए बोलने लगा तभी राजीव ने उसे घुसा दिखा दिया । अगले ही पल वो खामोश हो गया ।
मालविका बोली " हम सब जानते हैं कि श्वेता इस तरह की लड़की नही है । आज तक इसने कभी भी किसी को भी हाथ लगाकर मारने की कोशिश नही की है । और रही इस लड़की की बात.. तो इसे हम जानते ही कितना हैं.. ये तो कुछ भी कर सकती है ना " मालविका की गुस्से से भरी नजरों अंजली को घूरे जा रही थी ।
इसपर राजीव बोला " और क्या ? श्वेता झूठ भी नही बोलती । लेकिन इसने तो अपने दोस्त पर और मेरी बहन पर भी ऐसा जादू किया है कि दोनो ही इसके तोते बने घूम रहे हैं "
अंजली ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया। शिवाक्ष अभी भी उसे पकड़े ही खड़ा था । उसके हाथ अंजली की बाजुओं पर ही थे और आंखें उसके चेहरे पर ।
श्वेता से उनकी इतनी नजदीकी भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी । शिवाक्ष ने अंजली के कंधे से उसका हाथ हटाया और देखा तो कंधे पर कोई चीज चुभने का निशान सा बना हुआ था जिसकी शेप बन गई थी और कंधा भी हल्के से काफी लाल था जो उसके गोरे रंग पर साफ नजर आ रहा था ।
शिवाक्ष का हाथ अपने आप ही कंधे पर चलने लगा था । श्वेता ने मुट्ठी बनाई और मन में बोली " नही नही नही शिवाक्ष , don't touch her . ये लड़की ऐसा भी क्या कर रही है जो शिवाक्ष इसे डांटते के बजाए इतने आराम से पास जाकर खड़ा हो गया है " मन में बोलते हुए उसके हाथ और होठ दोनो गुस्से से कांप रहे थे ।
शिवाक्ष ने पलटकर श्वेता के कंधे को देखा । श्वेता ने उसकी नजर अपने ऊपर पाई तो फिर से रोनी सूरत बना ली ।
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