अब तक :
लड़का अपना सिर खुजाते हुए उसे जाते हुए देखता रहा फिर बोला “ कमाल है.. । कौन है ये लड़की जिसके लिए शिवाक्ष भाई नया फोन खरीदवा रहे हैं ? बहन होगी क्या ? “ बोलते हुए उसकी सवालिया नजरें जाते हुए शिवाक्ष का पीछा कर रही थी ।
अब आगे :
छोटा लड़का भागते हुए अंजली के पास पहुंचा और बोला " दीदी.. आपका फोन चाहिए... । भैया उसे मंगा रहे हैं... " ।
" लेकिन क्यों.. अब इसका क्या करेंगे.. ? ये तो अब ठीक नही हो सकता ना... "
" वो अब हो जाएगा.. भैया ने बोला तो सब होगा.. । उनकी बात कौन टाल सकता है.. । आप अपना फोन दे दो.. " बोलकर लड़के ने अपने हाथ आगे कर दिए ।
" लेकिन आपके भैया ने ही तो अभी मना किया ना.. " बोलकर अंजली उसे देखने लगी ।
" अरे उनके बोलने से कुछ नहीं होता । अपना हीरो कुछ भी कर सकता है... आप फोन दे दो... । " लड़के ने कहा तो अंजली ने फोन उसके हाथ में रख दिया ।
" आप कल आना.. " बोलकर लड़का भागते हुए वहां से निकल गया ।
अंजली ने खुशी और आकाश को देखा और फिर असमंजस से सिर हिला दिया । तीनो अपने अपने घरों को निकल गए ।
रूम पहुंचकर अंजली ने मकान मालकिन से फोन लेकर पूनम जी को फोन मिला दिया।
सामने से फोन उठा तो अंजली ने उन्हें फोन के बारे में बताया ।
पूनम जी बोली " कोई बात नही गुड़िया.. वैसे भी वो फोन कुछ ज्यादा खास अच्छा नही था.. । तू दूसरा फोन ले लेना.. " ।
" नहीं मां , अगर टूट गया तो दुख होगा । पर अगर सही हो गया तो कितना अच्छा होगा " बोलते हुए अंजली की आवाज में उदासी थी । कहीं ना कहीं उसे डर था कि वो सही नही होने वाला ।
" अरे उदास क्यों हो रही हो.. तो क्या हुआ अगर टूट भी गया तो.. । अब नए वाला लोगी तो वो उससे भी अच्छा होगा.. " बोलते हुए पूनम जी ने उसे दिलासा दिया ।
" बात अच्छे बुरे की नही है मां.. । वो बाबा ने कितने प्यार से लिया था । कम से कम पांच साल तो चलता ना " बोलते हुए अंजली का गला बैठ गया ।
" अंजली... " पूनम जी ने प्यार से कहा। ।
" जी.. " कहकर अंजली ने जवाब दिया ।
" बेटा फोन रहे न रहे लेकिन तुम्हारे बाबा का आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा.. और वैसे भी एक दिन तो उसे टूटना ही था ना... तो फिर वो दिन आज आ गया.. " बोलते हुए पूनम जी उसका मन बहलाने लगी ।
" hmm.. कुछ ज्यादा ही जल्दी वो दिन आ गया... " बोलते हुए अंजली ने एक गहरी सांस ली और फिर कुछ देर और बात करके अपने रूम में आ गई । उसने शाम के लिए खाना बनाया और कुछ देर किताब खोलकर पढ़ने लगी ।
दूसरी तरफ शिवाक्ष जब अपने घर पहुंचा तो अपनी mom को living room में ही बैठा पाया । उन्हें देखकर शिवाक्ष कुछ पल खड़ा उन्हें देखता रहा । वो उन्हें hug करने आगे बढ़ा तो उसे पिछले कल की बात याद आ गई । उसने उनकी और बढ़ते कदमों को रोक लिया । और अपने रूम की ओर उपर जाने वाली सीढियां चढ़ने लगा ।
प्रेरणा जी ने उसे बिना कुछ कहे जाते देखा तो बोली " रूको शिव.. " ।
शिवाक्ष ने सुना तो उसके कदम ठहर गए ।
प्रेरणा जी उसके पास आई और बोली " तुम ठीक तो हो ना. ? "
" क्या फर्क पड़ता है mom.. ? " बोलते हुए शिवाक्ष ने उन्हें देखा ।
" i am sorry शिव.. मैं हाथ नही उठाना चाहती थी बेटा... "
" पर आपने हाथ उठा दिया मॉम... तो अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है... "
प्रेरणा जी ने नजरें झुका ली और बोली " तुम कहां थे कल रात.. ? " बोलते हुए प्रेरणा जी की आंखें नम हो आई ।
" अक्षत के घर था.. । वही है एक जो कभी साथ नही छोड़ता " शिवाक्ष ने सपाट लहजे में जवाब दिया ।
" और , कैसे हो का जवाब नही दिया तुमने.. " बोलकर प्रेरणा जी उसकी आंखों में देखे जा रही थी ।
" एक थप्पड़ खाकर कोई कैसा होगा.. । मैं भी बिल्कुल वैसा ही हूं.. । एकदम मजे में " बोलकर शिवाक्ष वापिस से सीढियां चढ़कर उपर जाने लगा तो प्रेरणा जी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके गले से लग गई ।
शिवाक्ष ने उन्हें खुद से दूर किया तो प्रेरणा जी की आंखें छलक उठी ।
" mom.. " कहते हुए शिवाक्ष ने उनके चेहरे को हाथों में भरा और फिर उन्हें गले से लगा लिया ।
प्रेरणा जी सिसकने लगी तो शिवाक्ष बोला " आप क्यों रो रही हैं ? मारा तो आपने मुझे था । अच्छा मैं बिल्कुल ठीक हूं और मुझे कुछ नही हुआ है.. । बस अब रोना बंद कर दीजिए प्लीज... " बोलकर शिवाक्ष उनसे अलग हुआ और उनकी आंखें पोंछने लगा ।
प्रेरणा जी ने उसके चेहरे को हाथों में भरा और बोली " तूमने कल से ठीक से खाया भी नहीं होगा ना.. मैने तेरी पसंद का सब कुछ बनवाया है और कुछ खुद भी बनाया है.. आजाओ खिलाती हूं तुम्हे.. " बोलते हुए प्रेरणा जी उसे हाथ पकड़कर डाइनिंग टेबल तक ले आई और चेयर पर बैठाकर खुद अपने हाथों से उसे खिलाने लगी ।
शिवाक्ष भी उनके हाथों से खाने लगा ।
प्रेरणा जी की आंखों से आंसू तपकने लगे तो शिवाक्ष उन्हें पोंछते हुए बोला " खाने में नमक काफी है mom.. । और नमक की जरूरत नहीं है.. तो इसे अभी आंखों में स्टोर रखिए "
उसकी बात सुनकर प्रेरणा जी हल्का सा हंस दी और शिवाक्ष के गाल पर प्यार से हाथ रख दिया ।
शिवाक्ष ने प्रेरणा जी को भी अपने हाथों से खिलाया और फिर अपने कमरे में चला आया ।
कमरे में आया तो एक अजीब सा एहसास दिल में था ।
" शिवाक्ष राजवंश को कोई डांट सके या कुछ सुना सके आज तक ऐसी कोई नही आई । फिर चाहे मैने किसी की रैगिंग की हो या किसी से दोस्ती की हो.. , इतनी हिम्मत किसी में नही थी कि मुझे उल्टा कुछ भी सुना सके... । " बोलते हुए शिवाक्ष खिड़की के पास खड़ा हो गया और बाहर देखने लगा ।
हालांकि शिवाक्ष को अंजली पर गुस्सा नहीं आ रहा था क्योंकि कहीं न कहीं वो जानता था कि अंजली ने जो कुछ भी कहा वो सही था । लेकिन इस तरह का कोई उससे पहली बार टकराया था इसलिए शिवाक्ष के लिए ये एहसास थोड़ा अलग था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो इसपर कैसा रिएक्शन दे ।
कुछ देर तक खिड़की से बाहर देखने के बाद शिवाक्ष ने गहरी सांस ली और बोला " किसी की डांट सुनने का ठेका नहीं लिया मैने.... । चाहे जो भी हो इसका भुगतान तो तुम्हे करना पड़ेगा अंजली आर्य... " बोलकर शिवाक्ष खिड़की से हटा और कॉलेज के लिए तैयार होकर कॉलेज निकल गया ।
दूसरी ओर अंजली जब कॉलेज पहुंची तो सबसे पहले मोबाइल रिपेयर की शॉप पर चली गई ।
दुकान वाले लड़के ने उसे देखा तो एक फोन उसकी ओर बढ़ा दिया और बोला " ये लीजिए आपका फोन.. बिल्कुल ठीक हो गया है... " ।
अंजली ने फोन को हाथ में लिया तो वो उसे बिल्कुल नया लगा । अंजली फोन को पलटते हुए देखने लगी और फिर बोली " पर ये तो मेरा फोन नही लग रहा । शायद आप किसी और का फोन मुझे दे रहे हैं... " ।
दुकानदार ने उसे देखा और फिर बोला " अरे नही नही.. ये आपका ही फोन है " ।
" पर " बोलते हुए अंजली फोन को गौर से देखने लगी फिर आगे बोली " पर आपने तो बोला था कि मेरा फोन पूरी तरह से टूट गया है और अब बिल्कुल ठीक नही हो सकता.. लेकिन ये तो बिल्कुल नया फोन लग रहा है... " बोलते हुए अंजली हैरान सी उसे देखने लगी ।
" हान वो मैने बोला था.. । लेकिन वो किसी और के फोन के लिए कहना था और गलती से आपको कह दिया । आपके फोन में तो बस थोड़ा सा ही काम था और अब आपका फोन एकदम ठीक हो गया है.. । पर इसका सारा डाटा चला गया है वो बात अलग है... " बोलकर दुकानदार हल्का सा मुस्कुरा दिया ।
" क्या ? डाटा चला गया.. !! " अंजली ने उदासी और हैरानी से भरे भावों से कहा । दुकानदार ने सिर हिला दिया ।
" अच्छा , ठीक है.. कितने रुपए हुए.. ? " बोलते हुए अंजली अपने बैग से पैसे निकालने लगी ।
" आपके 100 रुपए हो गए । "। दुकानदार ने कहा तो अंजली थोड़ी सी हैरान रही फिर उसे 100 रुपए दे दिए और दुकान से बाहर आ गई ।
शॉप से बाहर निकली और फोन को चलाने लगी तो वो अब काफी अच्छा चल रहा था । अंजली ने उसमे sim डाली और पूनम जी को कॉल करके फोन ठीक हो जाने के बारे में बता दिया । फिर कॉल कट करके अंजली कॉलेज के अंदर जाने लगी तो उसे आकाश आता हुआ दिख गया । अंजली ने उसे देखकर हाथ हिला दिया तो आकाश जल्दी से उसकी ओर आ गया ।
" फोन ठीक हो गया क्या ?? " आकाश ने उसके हाथ में पकड़े हुए फोन को अपने हाथ में लेकर देखते हुए कहा ।
" हान ठीक तो हो गया । लेकिन इसका सारा डाटा डिलीट हो गया । और मुझे कुछ इनका समझ में नहीं आया " बोलते हुए अंजली कुछ सोचने लगी ।
" क्या समझ में नहीं आया तुम्हे... ? " आकाश ने पूछा तो अंजली बोली " मतलब ये कि फोन तो एक दम नया बना दिया है लेकिन मुझसे सिर्फ सौ रुपए ही लिए.. । मुझे तो लग रहा है कि इसमें उससे ज्यादा का खर्चा आया होगा " ।
आकाश ने फोन को अपने हाथ में लिया और फिर देखते हुए बोला " hmm.. लग तो नया रहा है पर अगर कम खर्च में ठीक हो गया तो अच्छी बात है ना... तुम अब ज्यादा मत सोचो... फोन ठीक हो गया और वो भी 100 रुपए में... तो इससे अच्छी बात और क्या होगी.. " । बोलकर आकाश ने अंजली को फोन वापिस दे दिया ।
अंजली ने फोन लिया और बोली " सही कह रहे हो... । ठीक हो गया इससे ज्यादा क्या चाहिए... " बोलकर अंजली फोन को देखकर मुस्कुरा दी ।
" चलो क्लास लगाते हैं.. " अंजली ने कहा तो दोनो कॉलेज के अंदर चले गए।
अंदर कॉरिडोर में आकर खुशी भी उन लोगों को मिल गई ।
क्लास शुरू होने की bell बजी तो खुशी बोली " oh no... लेट हो गए " बोलते हुए खुशी ने अंजली का हाथ पकड़ा और भागने लगी । अंजली उसके पीछे खींची चली गई ।
" खुशी ट्रेन नही छूट रही है " बोलते हुए आकाश भी उनके पीछे ही भाग गया ।
सामने कॉरिडोर से आई हुई श्वेता ने अंजलि और खुशी को अपनी ओर भागते हुए आते देखा तो तिरछा मुस्कुरा दी । उसके साथ में मालविका भी थी । उसने अंजली को देखा तो मुंह बना लिया ।
अंजलि श्वेता के बगल से गुजरने लगी तो श्वेता ने जानबूझकर जोर से उसके कंधे में अपना कंधा दे मारा ।
" ouch... " अंजली कराह उठी और अपने कंधे पर हाथ रख दिया । श्वेता अंजली को टक्कर मारकर खुद जल्दी से नीचे गिर पड़ी । और अपने कंधे को पकड़ कर कराहने लगी ।
खुशी ने अंजलि को संभाला और फिर नीचे बैठी श्वेता को देखने लगी। मालविका ने सहारा देकर श्वेता को उठाया ।
" you bloody bitch.. how dare your to hit me... ? " चिल्लाते हुए श्वेता अंजली को घूरने लगी ।
अंजली हैरानी से उसे देखने लगी ।
मालविका ने अंजलि को देखा और बोली " अंधी हो क्या ? सामने से आती लड़की दिखाई नहीं देती... " ।
" अंधी नहीं है मालविका , इसीलिए तो जानबूझकर मारा है और बहुत जोर से मारा है... " श्वेता ने अंजली गुस्से से कहा ।
श्वेता को अंजली पर चिल्लाता देख बाकी स्टूडेंट्स भी वहां इकट्ठे होने लगे थे।
" मैने आपको जान बूझकर नही मारा है.. । ये जो भी हुआ गलती से हुआ.. " अंजलि ने सहजता के साथ कहा ।
" वाह वाह वाह... झूठ बोलना तो कोई तुमसे सीखे. । मुझे साफ साफ दिखाई दिया कि तुम आगे से लेकर मुझे देखते हुए आ रही थी और तुमने जान बूझकर मुझे चोट पहुंचाने के लिए मारा है... "
" मेरा आपको चोट पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है । मैं क्यों आपको मारूंगी.. ? "
श्वेता ने फिर से चिल्लाते हुए कहा " झूठ बोलना... तो कोई तुमसे सीखे , तुमने जान - बूझकर ही मुझे मारा है, तभी तो.... मुझे इतनी जोर से लगी है... कि मैं नीचे तक गिर गई थी । और तुम खुद सीधी खड़ी रही... तो इससे साफ पता चल रहा है कि तुम मुझे गिराने के लिए ही मुझसे टकराई थी..." बोलकर उसने मालविका की तरफ देखा और बोली " मालविका तुमने भी देखा ना कि इसने कैसे मुझे धक्का मारा... ? " ।
मालविका ने श्वेता को देखा और बोली " मैने देखा तो नही श्वेता लेकिन अगर तुम कह रही हो तो इसने जरूर मारा होगा.. " बोलकर मालविका भी अंजली को गुस्से से देखने लगी ।
" लेकिन मैं आपको क्यों मारूंगी.. । इस तरह के काम मैं नही करती.. और ना ही चाहती हूं कि कोई और भी करे.. । मैने आप लोगों को कभी धमकी नही दी कि मैं आप लोगों के साथ कुछ करूंगी और न ही कुछ करने की सोची । जबकि आप लोग हर दिन कुछ न कुछ करने की धमकी देते रहते हैं.. । और रही बात अभी की तो मैने तो आपको देखा तक नहीं था.. धक्का मारकर गिराना तो बोहोत आगे की बात है.. ।
" just shut your mouth... पहले मारने की कोशिश करो और फिर ये महानता की देवी बनकर भाषण दो.. । मुझे तुम्हारे ये भाषण नही सुनने हैं.. । बल्कि तुमने जो किया है उसकी सजा तुम्हे देनी है.. । Now just wait and watch... " बोलते हुए श्वेता ने चुटकी बजाते हुए इंडेक्स फिंगर से उसकी ओर प्वाइंट आउट कर दिया ।
अंजली उसकी उंगली को देखने लगी । खुशी ने अंजली के हाथ को पकड़ लिया और आकाश भी उसके साथ आकर खड़ा हो गया ।
श्वेता तीनो को घूरने लगी ।
जारी है.........
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