अब तक :
शिवाक्ष को बिना नमक की खिचड़ी खिलाने के बाद अंजली को मन ही मन में बोहोत बुरा लग रहा था । उसके बारे में सोचते सोचते ही वो नींद के आगोश में चली गई । |
अब आगे :
शाम का वक्त :
चारों तरफ पक्षियों के चहचहाने से शांति को चीरता हुआ एक मधुर शोर सुनाई दे रहा था । इसी शोर को सुनते हुए शिवाक्ष सड़क किनारे अपनी गाड़ी के बोनट के उपर लेटा हुआ था और आसमान को देखे जा रहा था । वो अभी तक घर नहीं गया था ।
तभी एक गाड़ी जोरों से वहां आकर हॉर्न बजाने लगी ।
" गाड़ी किनारे पर है । सड़क पर काफी जगह है वहां से निकल जाओ.. " शिवाक्ष ने थकी सी आवाज में कहा और हाथ से आगे की ओर इशारा कर दिया ।
अक्षत गाड़ी से बाहर निकला और शिवाक्ष की गाड़ी के पास खड़ा होते हुए बोला " साइड से क्यों निकल जाऊं ? । जब तुझे यहां से निकालने आया हूं , तो तुझे ही निकालकर जाऊंगा " ।
शिवाक्ष ने अक्षत की आवाज सुनी तो आंखें बंद कर ली ।
अक्षत... बोलते हुए उसने गहरी सांस छोड़ी और उठकर बैठ गया फिर अक्षत को देखने लगा ।
" यहां क्या कर रहा है.. ? " पूछते हुए अक्षत ने अपनी भौहें तान दी ।
" थोड़ा सुकून तलाश रहा हूं.. । कुछ कुछ दिन बोहोत बुरे निकलते हैं यार.. । ऐसा लगता है जैसे सारी मुसीबतें और सारी इरिटेटिंग चीजें बस मेरे साथ ही होनी हैं और मुझे ही झेलनी हैं.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने अक्षत की ओर हाथ बढ़ा दिया ।
अक्षत ने अपनी जेब में हाथ डाला और एक सिगरेट उसे पकड़ा दी । फिर लाइटर भी उसकी ओर बढ़ा दिया। शिवाक्ष के बिना बोले ही वो समझ गया था कि शिवाक्ष क्या मांग रहा है ।
" मतलब आज फिर घर में तेरे dad की वजह से तेरी मॉम और तेरी बहस हुई.. । राइट ? " पूछते हुए अक्षत ने उसके चेहरे को देखा ।
शिवाक्ष ने लाइटर से सिगरेट जलाते हुए कहा " आज बात बहस से बोहोत ज्यादा आगे निकल गई अक्षत.. । और ये सब कुछ मेरी समझ से बाहर है " ।
" मतलब आज उन्होंने तूझपर हाथ तक उठा दिया.. ?? " पूछते हुए अक्षत ने शिवाक्ष के हाथ से लाइटर वापिस ले लिया ।।
शिवाक्ष ने सिगरेट होठों से लगाई और हां में सिर हिलाते हुए बोला " hmm... पता नहीं वो हमेशा मेरे अगेंस्ट क्यों चली जाती हैं.. । इतना सहने के बाद भी पता नही वो क्यों उसको भगवान समझती हैं ? " बोलकर वो कुछ पल रुका फिर आगे बोला " क्या समाज में पति को इतना ऊंचा समझा गया है कि वो कुछ भी करे गलत नही समझा जायेगा । क्यों एक पत्नी अपने पति की हर गलती को छुपाने में लगी रहती है । क्या कभी उनका दिल नही करता कि अपने लिए बोले "
अक्षत ने गहरी सांस ली और बोला " प्वाइंट है , ये बात मुझे भी समझ में नही आती । मुझे नही लगता कि पति को इतना ऊंचा समझा जाना चाहिए। इसकी आड़ में ज्यादातर तो अपने आप को भगवान समझने लग जाते हैं । कुछ भी करो कोई रोक टोक नही है । मैं तो ऐसा पति कभी नही बनूंगा "
" मुझे नफरत है ऐसे लोगों से । Mom को देखता हूं तो लगता है कि सजा काट रही हैं उस घर में । लेकिन फिर भी पतिव्रता बनना है उनको । अब कोई कितना ही समझा लेगा । उनको मनाना मुश्किल है " बोलते हुए वो बहुत निराश था ।
अक्षत ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला " शिव , ज़माना बदल रहा है यार । और अब सब लोगों को सही गलत नजर भी आ रहा है । जैसी हमारी सोच है वैसी ही अब सबकी बदल रही है । तू देखना , एक दिन तेरी mom भी इस बात को समझेंगी " बोलकर उसने आसमान की ओर देखा तो अंधेरा होने लगाना ।
उसने शिवाक्ष का हाथ पकड़ा और उसे गाड़ी की छत से नीचे उतारने लगा । शिवाक्ष उसके खींचने पर नीचे उतर आया ।
अक्षत ने उसके हाथ से सिगरेट लेते हुए कहा " चल घर चल.. तेरी मॉम से तेरी लड़ाई जरूर होती है लेकिन उससे कहीं ज्यादा उन्हें तेरी चिंता रहती है.. । " ।
शिवाक्ष ने इंकार में सिर हिलाया और बोला " नही... । आज उनके पति घर आयेंगे.. । और उनसे मिलकर मैं और दिमाग खराब नही करना चाहता.. । वो तो आते ही इसलिए हैं ताकि मुझे मॉम के सामने नीचा दिखा सकें.. ये दिखा सकें कि वो चाहे कुछ भी कहें और करें.. लेकिन मॉम कभी उनका साथ नहीं छोड़ेंगी... ।
आज मेरे अंदर ताकत नही है कि मैं उनसे बहस कर सकूं.. । तो वहां मैं नहीं जा रहा.. । तू अपने घर जा.. । मैं गाड़ी में ही सो जाऊंगा... " बोलकर शिवाक्ष गाड़ी की पिछली सीट पर बैठने लगा ।
अक्षत ने उसे दरवाजा खोलने से रोकते हुए कहा " और तुझे लगता है कि मेरे होते हुए तू गाड़ी में सो सकता है.. । तू गाड़ी में नही सोएगा.. बल्कि मेरे साथ मेरे घर चलेगा.. । चल... तू आगे चल मैं पीछे से आता हूं.. । " बोलकर अक्षत ने उसके लिए ड्राइविंग सीट का दरवाजा खोल दिया ।
शिवाक्ष ने उसे देखकर ना में सिर हिलाया तो अक्षत ने हान में सिर हिलाकर उसे अंदर बैठा दिया ।
शिवाक्ष ने गाड़ी चला दी । अक्षत भी अपनी गाड़ी में बैठा और अपने घर की ओर गाड़ी चला दी ।
कुछ देर बाद दोनो गाडियां राणा हाउस की पार्किंग में आकर रूकी ।
अक्षत और शिवाक्ष गाड़ियों से बाहर निकले और घर के अंदर चले गए ।
अक्षत के मॉम डैड तीर्था जी और सुयश जी सामने सोफे पर ही बैठे हुए थे ।
अक्षत ने आकर दोनो को नमस्ते कर दी ।
तीर्था जी उसे देखकर मुस्कुराते हुए बोली " अरे शिव... । आओ बेटा.. बोहोत दिनों बाद आए.. ! " ।
शिवाक्ष " hmm... दिन तो बोहोत हो गए थे । आज अक्षत जबरदस्ती ले आया । " बोलते हुए शिवाक्ष अक्षत को देखने लगा ।
सुयश जी बोले " हान भाई अक्षत नही बोलता तो तुम कहां से आते.. । आओ बैठो इधर.. " ।
उनकी बात सुनकर शिवाक्ष उनके पास सोफे पर बैठ गया ।
अक्षत तीर्था जी से बोला " मॉम.. खाना तैयार है तो खा लेते हैं.. । शिवाक्ष को भी भूख लगी होगी.. " ।
" हान हान.. हम तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे अक्षत.. । मैं अभी खाना लगवाती हूं...." बोलकर तीर्था जी उठी और रसोई की ओर चल दी ।
सुयश जी ने शिवाक्ष को देखा और मजाकिया अंदाज में बोले " और बताओ.. मारपीट का धंधा कैसा चल रहा है.. ? अभी किसी गुंडे को पीटा या नहीं... ? " ।
शिवाक्ष हल्का मुस्कुराया और बोला " अभी तो काफी वक्त से कोई नही मिला.. " ।।
" हान.. लगता है पूरा शहर अब सुधर गया है.. । हम officers की तो अब जरूरत ही नही रही... " सुयश जी ने हंसते हुए कहा ।
" कुछ लोगों को सबक सिखाने से आपको नौकरी खतरे में नही पड़ती अंकल.. आपकी जरूरत तो इस शहर को और स्टेट को बोहोत ज्यादा है... " शिवाक्ष ने सहजता से जवाब दिया ।
सुयश जी मुस्कुरा दिए ।।
तभी तीर्था जी की आवाज आई । ।
" आ जाइए सब लोग.. खाना लगवा दिया है.. " बोलते हुए तीर्था जी आकर डाइनिंग टेबल के पास चेयर खींचकर बैठ गई ।
सब जाकर dinning टेबल के पास बैठ गए तो तीर्था जी ने सबको खाना परोस दिया ।
" अपने हाथ से खिला भी दीजिए तीर्था जी.. " बोलते हुए सुयश जी ने तीर्था जी को देखा तो तीर्था जी बोली " पहले आप ही खिला दीजिए ias साहब... " ।
तीर्था जी ने कहा तो सुयश जी ने उनकी ओर एक निवाला बढ़ा दिया ।
तीर्था जी ने खाया और फिर सुयश जी को भी एक निवाला खिला दिया ।
" the evergreen romantic couple... " बोलते हुए अक्षत मुस्कुराया और अपने फोन में दोनों की फोटो खींच ली ।
उन्हें देखकर शिवाक्ष के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई । दोनो कितने प्यार से एक दूसरे के साथ रहते थे । वहीं उसके घर में तो हमेशा उसकी मां की आंखों में आसूं ही रहते हैं । उसने अपने फोन में अपनी मॉम की फोटो देखी और फिर सुयश जी और तीर्था जी को देखने लगा । कितना फर्क था उनकी जिंदगियों में ।
सबने खाना खाया और फिर अक्षत और शिवाक्ष अक्षत के कमरे में सोने चले गए ।
अक्षत शिवाक्ष को देखते हुए बोला " तूने खाना कम क्यों खाया.. ? " ।
" ज्यादा भूख नहीं थी... " शिवाक्ष ने जवाब देते हुए कहा ।
" तूने पहले कुछ खा लिया था क्या... ? " अक्षत ने पूछा तो शिवाक्ष जल्दी से बोला " हान वो दोपहर में अंजली ने खिचड़ी खिलाई थी.. " ।
" कौन अंजली... ?? " पूछते हुए अक्षत ने शिवाक्ष को घूरा ।
शिवाक्ष को एहसास हुआ कि को उसने जो अभी बोला वो उसे नही बोलना था। अक्षत की घूरती हुई सवालिया नजरों को देखकर वो अपने बालों में हाथ घुमाने लगा । " वो... " बोलते हुए शिवाक्ष ने कुछ सोचा और फिर झट से कंबल को अपने ऊपर ओढ़ते हुए बोला " मुझे नींद आ रही है अक्षत.. good night... " ।
अक्षत आंखें छोटी करके उसे घूरने लगा ।
" अरे ऐसी कैसी good night.. " बोलते हुए अक्षत ने उसके उपर से कंबल खींच दिया और बोला " पहले जो पूछा है वो बता... कौन है ये अंजली.... ? " ।
शिवाक्ष उठकर बैठ गया पर कुछ नही बोला ।
" एक सेकंड.. कहीं ये वही लड़की तो नही जिसकी हम रैगिंग ले रहे हैं आज कल.. ! । उसको भी उसका दोस्त इसी नाम से बुलाता है ना.. " बोलते हुए अक्षत शिवाक्ष के एक्सप्रेशंस को देखने लगा ।
शिवाक्ष ने नजरें यहां वहां घुमाई और धीरे से बोला " हान वही है.. । " ।
अक्षत मुंह खोले हैरानी से उसे देखने लगा ।
" really shiv.... !! तू तो कभी किसी लड़की से सीधे मुंह बात तक नहीं करता था.. और उसके हाथ से खिचड़ी तक खा गया.. ! चल क्या रहा है महाराज... ?? " बोलते हुए अक्षत ने उसके चेहरे को पकड़कर अपने सामने किया ।
" फिलहाल आंखों में नींद चल रही है और दिमाग में सोने का खयाल चल रहा है.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने अपने चेहरे से उसके हाथ को हटाया और आगे बोला " तो सो और सोने दो.. " बोलकर शिवाक्ष फिर से लेट गया और कंबल ओढ़ लिया ।
अक्षत ने कुछ देर उसे घूरा और फिर कुछ सोचते हुए हल्का मुस्कुरा दिया।
" कुछ तो गड़बड़ है.. " बोलते हुए अक्षत ने सिर हिलाया और फिर लेटकर ceiling को देखने लगा। कुछ ही देर में उसे भी नींद आ गई ।
अगली सुबह :
अंजली सोकर उठी तो पाया कि वो बिल्कुल बेड के किनारे पर लेटी हुई थी और थोड़ा सा खिसकने पे ही बेड से नीचे भी गिर सकती थी । वो बेड के किनारे से हटी और हाथ जोड़ते हुए बोली " जय हो भोलेनाथ... । बस ऐसे ही कृपा रखिए और ये नींद में पैर मारने वाली और बेड से नीचे गिरने वाली आदत छुड़वा दीजिए... । "
कहते हुए वो बेड से उठी और अपना बिस्तर सही करके कॉलेज निकलने की तैयारी करने लगी ।
फिर कुछ वक्त बाद जब तैयार हुई तो मकान मालकिन के फोन से अपनी मां से भी फोन पर कुछ देर बात की ओर फिर कॉलेज के लिए निकल गई ।
दूसरी ओर शिवाक्ष जब सुबह उठा तो अपने घर के लिए निकल गया । घर पहुंचा तो उसे प्रेरणा जी वहां नही दिखाई दी ।
उसने घर की मेड सारिका से पूछा तो वो बोली " शिव सर.. सर और मैडम दोनो वॉक पर गए हैं... । आपको क्या खाना है बता दीजिए.. मैं बना देती हूं.. " बोलते हुए सारिका शिवाक्ष को एक टक निहारे जा रही थी ।
सारिका एक 23 साल की लड़की थी जो शिवाक्ष के घर में कुछ महीने पहले ही काम पर आई थी । और पहली नजर से ही वो शिवाक्ष को पसंद करने लगी थी । पर शिवाक्ष कभी उसे कोई भाव नहीं दिया था ।
हर रोज उसकी कोशिश रहती थी कि वो किसी भी तरह से शिवाक्ष का ध्यान अपनी ओर खींचे ।
शिवाक्ष ने अपने फोन में देखते हुए कहा " एक कप कॉफी बना दो... " बोलकर शिवाक्ष अपने कमरे की ओर चला गया ।
सारिका उसे देखती रही और फिर किचन में चली गई ।
कुछ देर बाद शिवाक्ष तैयार होकर नीचे आया तो सारिका उसके लिए कॉफी ले आई और साथ में कुछ नाश्ता भी ले आई ।
"no thanks... " बोलकर शिवाक्ष ने कॉफी का कप उठा लिया और बाकी सब उसे वापिस ले जाने का इशारा कर दिया ।
सारिका मुंह लटकाए नाश्ता वापिस ले जाने लगी । " इतने प्यार से ये बनाया था लेकिन कितनी आसानी से मना कर दी.. और एक बार भी मेरी तरफ नहीं देखा । लेकिन मैं भी इतनी आसानी से हार नही मानूंगी.. । कभी न कभी तो आप नोटिस करेंगे ही... " बोलते हुए वो वापिस से किचन में चली गई ।
शिवाक्ष अपना बैग लिए घर से निकल गया ।
कॉलेज कैंपस :
अंजली आज क्लास के लिए लेट हो गई थी तो जल्दी जल्दी चलते हुए वो कॉलेज के अंदर जा रही थी ।
वहीं सामने से राजीव फोन पर बात करते हुए आ रहा था ।
" माया डार्लिंग.. कल ही तो तुमने शॉपिंग की थी.. और आज फिर से तुम्हे शॉपिंग पर जाना है.. " बोलते हुए राजीव फोन को कंधे और कान के बीच में टिकाए हुए था और अपने shoe की लेस बांध रहा था।
सामने से माया की आवाज आई " अरे हान बेबी.. कल शॉपिंग की थी लेकिन कल कुछ समान रह गया था । और वो मुझे घर आकर याद आया तो आज फिर से जाना है.... " ।
" अच्छा ठीक है चली जाओ... बिल मैं पे कर दूंगा... " बोलते हुए राजीव ने लेस को बांध दिया था और फोन को हाथ में पकड़ लिया था ।
" और हां.. " बोलते हुए जैसे ही राजीव पीछे मुड़ा तो पीछे से आ रही अंजली से टकरा गया । दोनो के सिर आपस में टकरा गए ।
अंजली गिरने को हुई तो राजीव ने उसे पकड़ लिया ।
अंजली के कुछ बाल उसके चेहरे पर बिखर गए । राजीव की नजर उसके उपर पड़ी तो ठहर सी गई । बड़ी बड़ी पलकों वाली काली आंखें , पतले पतले गुलाबी होंठ और ध्यान खींच रही माथे पर लगी छोटी सी काली बिंदी ।
अंजली ने जल्दी से बालों को चेहरे से हटाया और अपना सिर सहलाते हुए सामने देखने लगी ।
अंजली ने खुद को सीधा खड़ा किया और राजीव से दूर हो गई ।
राजीव ने आंखें छोटी करके घूरा और फिर शरारती अंदाज में बोला " क्या बात है.. ? तुम्हारा दिन मेरे बिना शुरू नही होता ना.. । मतलब जब तक तुम मुझे देख न लो मुझे छू न लो और मुझसे उलझ ना लो.. तब तक तुम्हारे दिल को शांति भी नही मिलती.. । और इसी वजह से रोज सुबह मुझे भी तुम्हारा चेहरा देखना ही पड़ता है... " ।
" देखिए हम एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं... तो अगर आपको रोज मेरा चेहरा दिख जाता है तो इसमें मेरी गलती नही है.. आप मुझे देखकर अपना रास्ता बदल सकते हैं.. " अंजली ने सहजता से जवाब दिया ।
" ओह.. हां ये सही तरीका है लेकिन मैं किसी को इग्नोर नही कर सकता.. । अच्छा अब चलो सॉरी बोलो और निकलो यहां से.. " बोलकर राजीव ने अपना एक कान आगे कर दिया।
अंजली ने उसे घूरा और फिर बोली " मैं क्यों सॉरी बोलूं.. । इसमें मेरी क्या गलती है.. ? आप ही अचानक से घूमे और मुझसे टकराए... मैं तो सीधे सीधे अपने रास्ते से जा रही थी.. । बल्कि सॉरी तो आपको मुझे बोलना चाहिए.. एक तो मैं पहले से ही क्लास के लिए लेट हो रही हूं और उपर से आप और ज्यादा लेट करवाए जा रहे हैं... "।
राजीव ने अपनी कमर पर हाथ रखा और उसकी ओर हल्का झुकते हुए बोला " ऐसा क्या.. ?? पर अगर ऐसा है भी तो भी मैं तो सॉरी बोलने से रहा.. । लेकिन तुम्हे सॉरी बोलना ही पड़ेगा.. । और अगर तुमने नही बोला तो तुम आज कोई भी क्लास नही लगा पाओगी. और तुम्हे मुझसे कोई नही बचा पाएगा.. " बोलते हुए राजीव ने दांत पीसते हुए उसकी आंखों में देखा ।
अंजली छोटा सा मुंह बनाए उसे देखने लगी ।
क्या अंजली सॉरी बोलेगी ? या फंस जायेगी राजीव की शरारतों में ?