Bepanaah Mohabbat - 15 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बेपनाह मोहब्बत - 15

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बेपनाह मोहब्बत - 15

अब तक :

शिवाक्ष ने अंजली को एकदम से आकर सीने से लगा लिया था जिससे अंजली हैरान थी ।

अब आगे :

अंजली शिवाक्ष की पकड़ में ज्यों की त्यों खड़ी थी । शिवाक्ष के हाथ उसकी कमर और पीठ पर कसे हुए थे ।

शिवाक्ष किसी बच्चे की तरह उसे अपने सीने से लगाए हुए था । वहीं अंजली भी उसकी बाहों में पूरी तरह से समाई हुई थी ।

अंजली हिलने लगी तो शिवाक्ष अपनी पकड़ मजबूत करते हुए बोला " stay... "

अंजली ने उसकी भारी भरकम आवाज सुनी तो वैसे ही खड़ी रही । शिवाक्ष की आंखों से आंसू की कुछ बूंदें उसके गाल पर लुढ़क आई और फिर अंजली की गर्दन पर गिर गई ।

अंजली को भी उसके गिरते आसूं महसूस हुए थे । अपने आप ही उसका हाथ शिवाक्ष की पीठ पर चला गया । क्या वो वाकई में रो दिया था।

कुछ देर तक शिवाक्ष यूंही आंखें बंद किए उसे सीने से लगाए खड़ा रहा । उसे खुद भी समझ में नही आया कि वो क्या कर गया था । शायद उसकी बातें ही ऐसी थी कि शिवाक्ष ने उसी को गले से लगा लिया था।

शिवाक्ष ने कोशिश की थी कि वो अपने इमोशंस न दिखाए लेकिन अंजली के बार बार कहने पर वो खुद को रोक नहीं पाया । वहीं वो इसी रास्ते पर आकर क्यों बैठा था ये बात भी उसकी समझ से बाहर थी। शायद उसे उम्मीद थी कि वहां अंजली उससे जरूर बात करेगी जिससे उसका ध्यान बंट जाएगा । और ऐसा ही कुछ हुआ था ।

दोपहर की तपती धूप में पेड़ों की छांव के नीचे खड़े अंजली और शिवाक्ष एक दूसरे को hug किए हुए थे । हवा के झोंके आकर दोनो को छू रहे थे ।

कुछ वक्त में शिवाक्ष को एहसास हुआ कि अब वो वाकई में पहले से अच्छा महसूस करने लगा है । उसके दिल पर जो एक बोझ सा था वो उतर सा रहा था । उसे अब राहत का एहसास था । जो घुटन उसके दिल में थी अब वो नही रही थी ।

अंजली ने महसूस किया कि शिवाक्ष का तेज़ी से धड़कता दिल भी अब नॉर्मल हो चुका था ।

अगले ही पल शिवाक्ष ने उसे छोड़ दिया और एक कदम पीछे जाकर खड़ा होते हुए बोला " thank you "

अंजली के गालों पर हल्की लाली सी आ चुकी थी वो यहां वहां नजरें घुमाते हुए बोली " मैने कहा था किसी अपने के गले लगना चाहिए "

" Whatever , मुझे अभी भी अच्छा लग रहा है । फिर कोई अपना हो या पराया क्या फर्क पड़ता है और वैसे भी इस वक्त मैं किसको ढूंढता फिरूंगा । यहां सबसे नजदीक तुम ही थी । तो मिल लिया गले "

अंजली ने कोई जवाब नही दिया । शिवाक्ष ने उसके उतरे हुए चेहरे को देखा तो उसे एहसास हुआ कि वो बिना पूछे ही उसके गले लग गया था और ये बात शायद उसे पसंद नही आई थी । और आती भी क्यों , कोई अंजान इस तरह से आकर गले लगा ले तो अजीब तो लगेगा ही ।

" sorry " बोलकर शिवाक्ष यहां वहां देखने लगा ।

अंजली उसकी बात से हैरान थी । उसने उसकी तरफ देखा और बोली " क्या कहा आपने ? "

" I said , i am sorry.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने उसकी आंखों में देखा । अंजली ने महसूस किया कि शिवाक्ष ने उसे इतना परेशान करने के लिए सॉरी नही कहा था लेकिन एक बार बिना पूछे गले लगाने के लिए सॉरी कह रहा था ।

अंजलि ने उसकी आंखों में देखा पर कुछ नहीं बोली और अपना सिर नीचे करके हल्का सा हिला दिया ।

" अब मैं चलती हूं "

" क्यों ? अभी तक तो मेरे भेजने पर भी नही जा रही थी । और अब जाने का खयाल आ गया । भाषण तो अच्छा दिया लेकिन जब तुम्हारे ही गले लग गया तो अब तुम्हे मुझे कंसोल नही करना "

अंजली उसकी बात का कोई जवाब नही दे पाई । शायद उसके पास जवाब था भी नही । उसने सिर झुका लिया ।

" सुनो " शिवाक्ष ने कहा तो अंजली उसकी तरफ देखने लगी ।

" मुझे भूख लग रही है । एक और चॉकलेट है क्या ? "

" नही " बोलकर उसने इंकार में सिर हिला दिया ।

" Ohk " बोलकर वो जाने लगा तो अंजली बोली " रूकिए "

शिवाक्ष के कदम ठहर गए ।

" थोड़ी आगे मेरा रूम है । अगर आप चाहें तो मैं आपको वहां चलकर खाना खिला दूंगी "

शिवाक्ष ने सुना तो उसके होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट बिखर गई । उसने पहली बार देखा था कि वो किसी के उपर इतना चिल्लाया था और इतना परेशान किया था लेकिन फिर भी वो उसकी मदद करती जा रही थी ।

हालांकि वो पास के रेस्टोरेंट में जाकर खाने वाला था लेकिन अब जब अंजली ने ये कह दिया था तो ना चाहते हुए भी उसने अंजली की तरफ उल्टे कदम बढ़ा लिए और उसके पास आकर बोला " सच में खाना खिलाओगी क्या ? "

" जी " कहकर अंजली ने सहजता से सिर हिला दिया । शिवाक्ष को इस वक्त वो बहुत मासूम नजर आ रही थी । एक छोटे बच्चे की तरह जिसको किसी से दुश्मनी नही होती , जो समझता नही है बुरे के बदले बुरा किया जाना ।

" तो चलें ! " शिवाक्ष ने पूछा तो अंजली ने सिर हिला दिया ।

शिवाक्ष ने जाकर पास ही में खड़ी अपनी गाड़ी को स्टार्ट किया और अंजली के सामने लाकर रोक दी । वो पिछली सीट पर बैठने लगी तो शिवाक्ष बोला " में तुम्हारा ड्राइवर नही हूं । आगे बैठो "

उसने टोका तो अंजली आगे जाकर बैठ गई । शिवाक्ष ने उसके रूम की तरफ गाड़ी बढ़ा दी ।

अंजली के रूम के नीचे शिवाक्ष ने गाड़ी रोकी तो अंजली गाड़ी से उतर गई । शिवाक्ष ने स्टेरिंग पर उंगलियां बजाने लगा ।

अंजली ने गाड़ी की खिड़की से उसे देखा और बोली " माफ कीजिएगा पर मैं आपको रूम में नहीं ले के जा सकती.. । आप बिल्डिंग के पीछे बने पार्क में इंतजार कीजिए.. मैं अभी कुछ बनाकर लाती हूं.. " ।

" hmm it's fine.. मैं पार्क में इंतजार कर लूंगा... " बोलते हुए शिवाक्ष ने उससे नजरें हटा ली और सामने की ओर देखने लगा ।

अंजली अपने रूम की सीढ़ियों को चढ़ने लगी । शिवाक्ष उसे जाते हुए देखता रहा फिर गाड़ी को सड़क के किनारे पर लगाकर गाड़ी से टिककर खड़ा होते हुए बोला " कुछ तो बात है तुममें जो तुमने शिवाक्ष राजवंश को रुला दिया । मैं रो कैसा पड़ा मुझे तो खुद भी समझ में नहीं आया " बोलकर शिवाक्ष हल्का हंसा और फिर जेब में हाथ डाले पार्क की ओर चला गया ।

रूम में आकर अंजली ने देखा तो कुछ भी बना हुआ नहीं था ।

" अब इनको क्या खिलाऊं.. ?? " सोचते हुए वो किचन में पड़े हुए खाली बर्तनों को देखने लगी ।

" एक काम करती हूं.. खिचड़ी ही बना लेती हूं.. इतनी जल्दी में एक वही चीज बन सकती है.. " बोलते हुए उसने सिर हिलाया और कुकर में खिड़की बनने के लिए गैस पर चढ़ा दी ।

शिवाक्ष पार्क में इधर उधर घूमने लगा । फिर एक बेंच पर आकर बैठ गया । सामने देखा तो कुछ बच्चे रस्सा कस्सी का गेम खेल रहे थे ।

शिवाक्ष को अपने बचपन के दिन याद आ गए । वो मुस्कुराते हुए उन्हें देखने लगा ।

कुछ ही देर में अंजलि एक प्लेट में खिचड़ी लेकर वहां पर आ गई और शिवाक्ष की ओर प्लेट बढ़ाते हुए बोली " लीजिए खा लीजिए.. " ।

शिवाक्ष ने प्लेट ली और खाने लगा ।

" आपने लंच नहीं किया क्या ? " अंजली ने पूछा तो शिवाक्ष हंसते हुए बोला " नाश्ता भी नही किया "

" मतलब आप अभी तक भूखे ही थे । आप घर नही गए क्या ? "

शिवाक्ष ने कुछ सोचा फिर इनकार में सिर हिला दिया । वो ज्यादा बातें बताना भी नही चाहता था क्योंकि फिर अंजली के सवाल भी बढ़ते ही जाते।

" लेकिन क्यों ? "

शिवाक्ष ने कुछ सोचा और फिर बोला " वो मैने सोचा कि अपने घर का थोड़ा राशन save कर लूं.. इसलिए घर जाकर नही खाया " ।

उसका जवाब सुनकर अंजली उसे घूरने लगी ।

पास से बच्चों के जोरों से चीखने की आवाज़ें आने लगी तो अंजलि ने उस ओर देखा । रस्साकसी के गेम में एक पलड़ा दूसरे पलड़े पर भारी पड़ रहा था ।

अंजली उन्हें देखते हुए बेंच पर बैठ शिवाक्ष से थोड़ी दूर बैठ गई ।

जल्दी ही एक टीम ने दूसरी टीम को हरा दिया ।

उनके मैच को और बीच बीच में अंजलि को देखते हुए शिवाक्ष ने भी खिचड़ी खतम कर ली ।

शिवाक्ष अंजलि से कुछ कहने की लगा था कि इतने में एक छोटा बच्चा भागते हुए उसके पास आया और बोला " भैया भैया आप हमारे साथ चलो ना.. यह दूसरी टीम के लोग बहुत बड़े-बड़े हैं और यह चीटिंग करके हम लोगों को हरा रहे हैं.. । प्लीज आप हमारी तरफ से खेलो ना... " ।

शिवाक्ष ने उस बच्चे को देखा तो जमीन पर लोटने की वजह से उसके कपड़े गंदे हो गए थे । शिवाक्ष ने उसके सिर पर हाथ रखा और बोला " मैं खेल तो लूंगा लेकिन फिर क्या ये उन लोगों के साथ चीटिंग नहीं होगी.. ?? क्योंकि मैं तो तुम सबसे बड़ा हूं " ।

शिवाक्ष की बात सुनकर बच्चा सोच में पड़ गया । फिर अंजली की तरफ देखते हुए बोला " तो ठीक है आप हमारी तरफ से खेलो और दीदी उन लोगों की तरफ से खेल लेंगी... " ।

अंजली एक टक उसे देखने लगी । तभी एक दूसरी टीम का बच्चा भी वहां पर आया और बोला " हान.. आप भी चलो... अगर ये भैया इनकी तरफ से खेलेंगे तो आपको हमारी तरफ से खेलना होगा.. " बोलते हुए उसने अंजली का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ ले जाने लगा ।

वहीं पहला बच्चा शिवाक्ष को अपने साथ ले गया ।

शिवाक्ष और अंजली जमीन पर खींची एक लाइन के दोनो तरफ खड़े हो गए । दोनो एक दूसरे के बिल्कुल सामने सामने खड़े थे । एक बच्चे ने आकर दोनो के हाथों को आपस में मिलाया और बोला " चलो अभी अपनी अपनी रस्सियों को कसकर पकड़ लो. जब मैं सीटी बजाऊंगा तब गेम शुरू होगा.. " । अंजली और शिवाक्ष उस बच्चे को देखने लगे फिर दोनो ने सिर हिला दिया ।

शिवाक्ष ने अंजली को उपर से नीचे तक देखा और फिर हंस दिया । वो इतनी दुबली पतली थी कि शिवाक्ष एक झटके में उसको हराकर अपनी तरफ खींच सकता था ।

अंजली ने उसे हंसते हुए देखा तो ध्यान से उसके चेहरे को देखने लगी । उसके गालों में पड़ रहा डिंपल अंजली को दिखाई दिया । हल्की दाढ़ी में शिवाक्ष गाल पर पड़ रहा वो डिंपल उसे और भी ज्यादा चार्मिंग बना रहा था ।

अंजली और शिवाक्ष थोड़ा थोड़ा पीछे की ओर गए और अपनी अपनी टीम के साथ मिल गए । अंजली और शिवाक्ष सबसे आगे खड़े थे और उन दोनो के पीछे रस्सी पकड़े सात सात बच्चों की लंबी लाइनें थी ।

जहां अंजली की तरफ थोड़े बड़े बच्चे थे तो शिवाक्ष की तरफ छोटे छोटे बच्चे थे ।

अंजली ने शिवाक्ष को देखा तो वो उसे देखते हुए अभी भी हंसे ही जा रहा था । अंजलि ने उसे घूरा और रस्सी पर अपनी पकड़ कस ली फिर अपने पीछे खड़े बच्चों से बोली " इस बार भी हमे ही जीतना है.. पूरा जोर लगाकर खींचना... " बोलकर अंजली ने सबको thumps up का इशारा किया। बाकी सबने भी उसे thumps up कर दिया ।

वहीं शिवाक्ष ने पीछे मुड़कर देखा तो वही छोटा बच्चा जो उसे लेकर आया था उसकी ओर देखते हुए उम्मीद से बोला " भैया हम इस बार नही हारेंगे न.. " ।

शिवाक्ष मुस्कुराया और बोला " don't worry champ.... हमे हरा दे इतना सामने वाली पार्टी में दम नहीं है... । इस बार तो हम ही जीतेंगे.. " । बोलते हुए शिवाक्ष की आवाज ऊंची हो गई थी और वो तिरछी नजरों से अंजली को देख रहा था । अंजली और बाकी सब भी उसकी बात सुन सकते थे ।

अंजली उसे घूरकर देखने लगी और बोली “ हम भी पूरी ताकत लगा देंगे… “ ।

शिवाक्ष हंसते हुए बोला “ जहां तुम्हारी ताकत खतम हो जाती है । हमारी ताकत तो उससे भी कहीं ज्यादा आगे से शुरू होती है.. । तो हारने के लिए तैयार रहो miss Anjali Arya … “ बोलकर शिवाक्ष ने आंख मार दी ।

साइड में खड़े लड़के ने सीटी बजाई तो दोनो टीम्स पूरी जान लगाकर रस्सी को खींचने लगी ।

शुरुवात में शिवाक्ष ने रस्सी को बस हल्के से पकड़ा हुआ था वो बिल्कुल भी नही खींच रहा था वहीं सामने वाली टीम रस्सी को अपनी ओर खींचे जा रही थी ।

शिवाक्ष ने देखा तो अंजली ने पूरी ताकत लगा दी थी । वो उसके स्ट्रगल को देखे जा रहा था । अंजली के बाल उसके चेहरे को चूमे जा रहे थे जिनसे अंजली को परेशानी हो रही थी लेकिन उनको साइड करने से ज्यादा जरूरी उसके लिए अभी रस्सी को खींचना था ।

खींचते खींचते अंजली की टीम शिवाक्ष की टीम को लाइन के पास तक ले आई थी । शिवाक्ष के पैर लाइन से बस एक कदम की दूरी पर थे ।

छोटे से बच्चे ने उदासी से भरकर कहा " भैया हम फिर से हार जायेंगे क्या.... ? " ।

शिवाक्ष मुस्कुराया और बोला " चलो.. खींचो जोर से.. इस बार कोई माई का लाल या लाली नहीं हरा सकते हमें... " बोलते हुए शिवाक्ष ने रस्सी को कसकर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचने लगा । उसके एक बार में खींचने से ही अंजली की टीम 3 से 4 कदम तक झटके से आगे आ गई ।

देखते ही देखते शिवाक्ष ने आधे से ज्यादा रस्सी अपनी ओर खींच ली थी ।

अंजली लाइन के पास पहुंची तो पूरी ताकत से रस्सी को खींचती रही और लाइन से दूर जाने की कोशिश करने लगी । शिवाक्ष रस्सी को पकड़ते हुए लाइन के बिल्कुल पास आ गया । और फिर उसने झटके के साथ रस्सी को खींच लिया । अंजली और उसकी पूरी टीम झटके से लाइन के दूसरी तरफ आ गए ।

अंजली शिवाक्ष के उपर को लड़खड़ा गई तो शिवाक्ष ने उसके हाथ को पकड़कर उसे थाम लिया । शिवाक्ष की टीम के बच्चे खुशी से उछलने लगे थे । वहीं अंजली की टीम के बच्चों का चेहरा उतर सा गया ।

अंजली और शिवाक्ष रस्सी को पकड़े हुए एक दूसरे को देखने लगे । अंजली का चेहरा पूरा लाल पड़ चुका था ।

शिवाक्ष ने हंसते हुए पूछा " तो कैसा लगा हार का स्वाद... ?? " ।

" बोहोत अच्छा था.. कभी आप भी चखिए… " बोलते हुए अंजली ने रस्सी को छोड़ दिया ।

शिवाक्ष दांत दिखाकर हंस दिया और बोला " आज तक तो नही चखा…. आगे भी नही चखूंगा… “ ।

तभी वही छोटा बच्चा शिवाक्ष के पास आया और उससे लिपटते हुए बोला " ये.. हम लोग जीत गए.. । थैंक यू भैया.... " ।

शिवाक्ष ने उसके सिर पर हाथ फेरा और बोला " वेल्कम चैंप... " । बोलते हुए शिवाक्ष ने उसे गोद में उठा लिया और मुस्कुराने लगा ।

अंजली एक टक उसकी मुस्कान को देखने लगी । आज से पहले जितनी भी बार वो दोनो मिले थे तो शिवाक्ष उसके सामने ऐसे नही हंसा था । उसने हमेशा शिवाक्ष को उसे घूरते हुए ही देखा था । लेकिन अब शिवाक्ष का मुस्कुराना अंजली को अच्छा सा लगने लगा था ।

शिवाक्ष ने बच्चे को गोद से नीचे उतारा तो वो हंसते हुए वहां से चला गया ।

अंजली ने शिवाक्ष से नजरे घुमाई और बेंच की ओर चल दी और प्लेट उठाए जाने लगी ।

शिवाक्ष भी उसके पीछे ही चल दिया । अंजली अपने रूम की सीढियां चढ़ने लगी । शिवाक्ष अपनी गाड़ी के पास आकर खड़ा हुआ और बोला " सुनो.... " ।

उसकी आवाज से अंजली रुक गई ।।

" खिचड़ी अच्छी बनी थी... " ।

शिवाक्ष ने कहा तो अंजली के चेहरे पर स्माइल आ गई । उसने सिर हिला दिया और उपर की ओर चल दी ।

शिवाक्ष भी गाड़ी में बैठा और वहां से निकल गया ।

चेहरे पर एक स्माइल लिए अंजली अपने रूम में आई और फिर किचन में चली गई । शिवाक्ष के compliment से उसके चेहरे पर स्माइल बनी हुई थी ।

" क्या सच में अच्छी बनी थी.. ? मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मैं कुछ भूल गई थी... " सोचते हुए उसने प्लेट में अपने लिए खिचड़ी निकाली और खाने लगी । पहला निवाला खाते ही उसका मुंह बन गया ।

उसने प्लेट में निकाली खिचड़ी की ओर देखा और फिर उदासी से बोली " इसमें तो नमक ही नही है.. " बोलते हुए उसके चेहरे के रंग उड़े हुए थे ।

" तभी सोचूं कि कुछ भुला भुला सा क्यों लग रहा है.. ये नमक ही भुला हुआ था... । ये तूने क्या किया अंजली... ! बेचारे मिस्टर राजवंश कल से भूखे थे । उन्होंने तुझसे कुछ खाने का मांगा तो तूने उन्हें ये बिना नमक वाली खिचड़ी खिला दी.. । और भूख में वो खा भी गए । पता नही अब क्या सोच रहे होंगे वो तेरे बारे में और जाते जाते जो बोलकर गए वो कोई compliment नहीं बल्कि ताना था " बोलते हुए उसे खुदपर ही गुस्सा सा आ रहा था। साथ ही साथ शिवाक्ष के लिए उसे बुरा भी लग रहा था ।

अंजली ने प्लेट में निकाली हुई खिचड़ी खतम की और फिर सोने चल दी।

पिछली रात को ठीक से न सो पाने के कारण वो अभी बोहोत थकावट महसूस कर रही थी ।

बेड पर लेटते हुए भी उसे शिवाक्ष के लिए गिल्टी महसूस हो रहा था । उसी बारे में सोचते हुए वो जल्दी ही नींद के आगोश में चली गई ।

अगर खिचड़ी में नमक नहीं था तो शिवाक्ष उसे अच्छा कहकर क्यों चला गया ? शिवाक्ष की स्माइल देखकर अंजली क्यू खोने सी लगी थी ?


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