Bepanaah Mohabbat - 13 in Hindi Love Stories by Anjali Vashisht books and stories PDF | बेपनाह मोहब्बत - 13

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बेपनाह मोहब्बत - 13

अब तक :

लड़का बोला “ अभी पता चल जायेगा कि कौन किसपर रहम खायेगा…. “ । बोलते हुए वो शिवाक्ष को घूरने लगा ।

अक्षत ने सिर हिला दिया और बोला " विपरीत बुद्धि विनाशकाले.... । अब जो होगा उसके जिम्मेदार तुम लोग खुद ही होंगे.. " । |

अब आगे :

शिवाक्ष ने अपनी स्लीव्स उपर चढ़ाई और लड़की को चुटकी बजाते हुए उंगली के इशारे से पीछे जाने के लिए कह दिया । लड़की पीछे जाकर अक्षत के साथ में खड़ी हो गई और शिवाक्ष को देखते हुए बोली " ये इतने सारे लोगों से लड़ तो लेगा ना.. । कहीं ऐसा ना हो कि ये सब लोग इसे मारकर इसकी चटनी बना दें.. और हीरो गिरी दिखाने के चक्कर में ये खुद ही हॉस्पिटल पोहोंच जाए.... " ।

अक्षत हंसा और बोला " इसमें मुझसे क्या पूछ रही हो.. खुद ही देख लो कि कौन हॉस्पिटल पहुंचता है... " बोलते हुए अक्षत ने सामने की ओर इशारा कर दिया ।

लड़के ने शिवाक्ष को मारने के लिए bat घुमाया तो शिवाक्ष नीचे झुक गया और उसके पेट में खींचकर घुसा दे मारा । लड़का सड़क पर स्लाइड करता हुआ पीछे जा गिरा । और अपने पेट पर हाथ रखकर कराहने लगा ।

बाकी लड़के भी आकर शिवाक्ष को मारने की कोशिश करने लगे लेकिन एक भी बार कोई भी उसे हाथ तक नहीं लगा पाया.. ।

लड़की आंखें फाड़े शिवाक्ष को देखने लगी । फाइट करते वक्त उसकी हवा में लहराती जुल्फें उसे एक अलग ही charm दे रही थी । गुस्से से भरा उसका चेहरा लड़की को उसे देखते रहने पर मजबूर सा कर रहा था । लड़की उसी में कहीं खो सी गई ।

कुछ ही देर में सारे लड़के सड़क पर पड़े पड़े कराह रहे थे । शिवाक्ष उस लड़के के पास गया और पंजों के बल बैठते हुए बोला " चलो उठो अभी तो लड़ना बाकी है.. " ।

लड़के ने मुश्किल से हाथ जोड़े और बोला " नही भाई... बक्श दो.. अब से ऐसा नही करेंगे.. कभी भी नही करेंगे.. । किसी भी लड़की को आंख उठाकर भी नही देखेंगे.. छेड़ना और छूना तो बोहोत दूर की बात है.. । बस आज जिंदा छोड़ दो.. " ।

" अब जिंदा छोड़ने लायक बचा ही क्या है.. " बोलते हुए अक्षत उनके पास आया और नीचे पड़े लड़के को देखते हुए बोला " पहले ही कहा था ना.. सुन लेते तो शायद अभी अपने पैरों पर खड़े होते... । पर नही एक तो गलती करनी है और उपर से लड़ाई भी करनी है " ।

" माफ कर दो.. और जल्दी एंबुलेंस को बुला दो.. बोहोत दर्द हो रहा है.. "। बोलते हुए लड़का रोने लगा ।

" आज के बाद यहां कहीं नजर मत आना.. वर्ना जहां दिखाई दिए वहीं पीट दिए जाओगे.. " बोलते हुए अक्षत ने उसे वार्निंग दी.. ।

लड़के ने सिर हिलाया और बोला " अरे अम्मा कसम दूर दूर तक नजर नहीं आएंगे.. । हम तो यहां के हैं भी नही.. घूमने आए थे. और अब वापिस चले जायेंगे.. और दुबारा कभी इस जगह नही आयेंगे.. " बोलकर वो दर्द से कराह उठा ।

" गलती से भी शिवाक्ष का नाम नही आना चाहिए कि इसने तुम्हारा ये हाल लिया है । अगर पुलिस केस बना तो हमारा तो कुछ नही होगा पर तुम्हे जेल की चक्की पिसाएंगे... " बोलते हुए अक्षत ने एम्बुलेंस को फोन लगा दिया ।

" अरे नही होगा भैया.. सारा इल्जाम अपने उपर ही डाल देंगे.. । अभी हमको भेज दो.. " बोलकर वो बेहोश हो गया ।

अक्षत ने उनके लिए एंबुलेंस बुलवा दी ।

अक्षत ने शिवाक्ष को देखा और उसका कंधा थपथपाते हुए बोला " वाह मेरे शेर.. क्या कहने तेरे... " ।

शिवाक्ष अपनी स्लीव्स ठीक करने लगा । तभी लड़की आकर उसके सीने से लिपट गई और रोने लगी ।

अक्षत और शिवाक्ष दोनो एक दूसरे को देखने लगे ।

लड़की ने रोते हुए कहा " थैंक यू सो मच.. । तुमने मुझे बचाया.. । वर्ना मैं तो बोहोत ज्यादा डर गई थी.. और ये लोग बोहोत बदतमीजी भी कर रहे थे.. । तुम नही आते तो पता नही मैं क्या करती.. " बोलते हुए लड़की ने उसे और कसकर पकड़ लिया ।

शिवाक्ष बोला " it's okay.. । Thank you की जरूरत नहीं है.. । और अगर ऐसा कुछ होता है तो डरने की जरूरत नही होती... ऐसे लोगों को अच्छे से सबक सिखाना चाहिए... । ताकि दुबारा ऐसी हरकत न करें... । " बोलते हुए शिवाक्ष ने उसे खुद से दूर किया और उससे दो कदम दूर हटकर खड़ा हो गया । फिर आगे बोला " Be strong.. कमजोर लोगों का ज़माना नहीं है.. । जो अपनी मदद नहीं करता.. उसकी मदद कोई नहीं करता... " ।

अक्षत ने लड़की को देखा और पूछा " वैसे.. तुम्हारा नाम क्या है.. ? " ।

" श्वेता तिवारी... " बोलते हुए लड़की मुस्कुरा दी और शिवाक्ष की ओर अपना हाथ बढ़ा दिया ।

शिवाक्ष ने उसके हाथ को देखा और फिर उससे हाथ मिला लिया ।

श्वेता के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई । वो एक टक शिवाक्ष के चेहरे को देखती रही । पर शिवाक्ष ने उससे अपनी नजरें घुमा ली थी.. । वो नीचे सड़क को देखे जा रहा था ।

फ्लैश बैक एण्ड ।

प्रेजेंट डे :

श्वेता अपने फोन में शिवाक्ष की तस्वीर को घूरते हुए देखे जा रही थी । उसने अपना दूसरा हाथ देखा तो नाखून चुभाने से उसकी हथेली से खून निकलने लगा था ।

" मेरे होते हुए तुम किसी और को नही देख सकते शिवाक्ष.. । मैं जानती हूं कि तुम भी मुझे पसंद करते हो । और उस दिन तुमने ही तो मुझे बचाया था , कोई यूंही किसी को नही बचाता ।

और इतना मेरे लिए काफी है , मैं किसी और को तुम्हारे नजदीक नही आने दूंगी.. " बोलकर श्वेता भी म्यूजिक रूम से बाहर निकल गई और सिक्योरिटी रूम में चली गई ।

अंदर जाकर उसने रात की रिकॉर्डिंग दुगनी तेजी से चला दी । रिकॉर्डिंग देखते हुए उसका गुस्सा और भी बढ़ गया । उसने अपने हाथ में पकड़े माउस को खींचा और जोर से जमीन पर पटक दिया ।

शिवाक्ष और अंजली को फोन के लिए लड़ता देख और फिर शिवाक्ष को उसे अपनी जैकेट ओढ़ाता देख श्वेता गुस्से से आग बबूला हो चुकी थी ।

उसने दीवार पर हाथ मारा और बोली " शिवाक्ष को मुझसे कोई अलग नही कर सकता.. " बोलते हुए श्वेता ने नीचे पड़े माउस को लात मारी और वहां से बाहर निकल गई ।

अंजली अपने रूम पहुंची तो नीचे आकर मकान मालकिन से फोन लेकर अपनी मां को फोन लगा दिया ।

फोन पिक हुआ तो अंजली बोली " हेलो मां.. " ।

" गुड़िया.. । बेटा कहां है तू और फोन कहां है तेरा कल से कितनी कॉल्स की तुझे.. लग क्यों नहीं रहा... ? तू ठीक तो है ना.. कुछ हुआ तो नही.. मुझे बता मैं आऊं क्या.. ?? " । पूनम जी ने एक ही सांस में सब बोल दिया और सवालों की बौछार लगा दी ।

" शांत जो जाइए मां.. मै बिल्कुल ठीक हूं... और कुछ नही हुआ है मुझे.. । " बोलते हुए अंजली ने उन्हें शांत कराया और आगे बोली " वो मेरा फोन खराब हो गया है इसलिए नही लग रहा है.. बाकी सब ठीक है.. । " ।

पूनम जी में सुना तो कन्फर्म करते हुए पूछा " सच बोल रही है ना.. ! " ।।

" बिल्कुल सच बोल रहीं हूं मां.. । आपको फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है । मैं अपना फोन ठीक कराने की कोशिश करती हूं.. अगर ठीक हो गया तो इसी से आपको कॉल करूंगी... । " बोलते हुए अंजली ने उन्हें समझाया और आगे बोली " अच्छा अभी मैं रखती हूं.. । कॉलेज जाने की तैयारी कर लेती हूं वर्ना लेट हो जाऊंगी... " ।

" ठीक है संभल कर जाना और शाम को फिर से फोन करके बताना.. " बोलते पूनम जी ने उसे bye कह दिया ।

अंजली ने भी bye कहकर फोन रख दिया और मकान मालकिन को फोन लौटकर अपने रूम में चली गई ।

रूम में आकर अंजली खुद को शीशे में देखने लगी ।

" अक्सर हसीन चीजें सबको नजर आ ही जाती हैं.. " ये आंखों की चमक.. ये बातों की महक... कहां से चुराई है आपने.... " शिवाक्ष के बोले हुए शब्द अंजली के दिमाग में घूमने लगे । वो गोल गोल घूमते हुए अपने आप को देखने लगी । फिर कुछ सोचकर मुस्कुरा दी । काफी देर तक खुद को मुस्कुराते हुए देखने के बाद बाहर से सुनाई दिए गाड़ी के हॉर्न से उसका ध्यान टूटा ।

" ये तू क्या सोच रही है अंजली... । कुछ भी चलने लगा है तेरे दिमाग में.. अब सोचना बंद कर और तैयार हो जा.. " बोलते हुए उसने कपड़े लिए और नहाने चली गई ।

दूसरी ओर शिवाक्ष घर पंहुचा तो प्रेरणा जी हॉल में ही दिख गई ।

प्रेरणा जी ने उसके सामने आकर पूछा " कहां घूम रहे थे पिछली रात को शिव... ? " ।

" बाहर था मॉम.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने उन्हें गले से लगा लिया ।

" hmm.. " बोलते हुए प्रेरणा जी ने उसकी पीठ पर हाथ रख दिया और आगे बोली " तुम्हारे dad , तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे ! वो गुस्सा हो गए थे जब उन्हें पता चला कि , तुम फिर से घर नही आए हो । " ।

" उन्हें मेरे यहां होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है । जो इंसान खुद भी हफ्ते या महीने में एक बार घर का चक्कर लगाए । उन्हें मुझसे इस बारे में कुछ भी पूछने का कोई हक नही है... " । शिवाक्ष ने ऊबे हुए लहजे में कहा ।

" ऐसे नही कहते शिव.. वो तुम्हारे पापा है.. । उन्हें फिक्र रहती है तुम्हारी " बोलते हुए प्रेरणा जी उससे अलग हुई ।

" मुझे अब इस बात से कोई मतलब नही है कि उन्हें मेरे यहां होने से फर्क पड़ता है या नही , मेरी फिक्र होती है या नही । जब मुझे उनकी जरूरत थी तब उन्हें मुझसे कोई मतलब नहीं था । और अब मुझे उनकी कोई जरूरत नहीं रही तो मेरे पास आने की कोशिश ना ही करें तो अच्छा होगा ।

मेरे लिए वो सिर्फ नाम के पिता है । मेरी जिंदगी में उनकी इंपॉर्टेंस बस इतनी है कि मेरे नाम के पीछे उनका नाम जुड़ा है । इससे ज्यादा अब वो मेरे लिए कुछ नही हैं । तो अब बेहतर होगा कि ये फिक्र का दिखावा वो ना करें.. " ।

बोलकर शिवाक्ष जाने लगा तो प्रेरणा जी ने उसे रोकते हुए कहा " शिव. वो तुम्हारे dad है । उनके लिए इतना सख्त हो जाना और दिल में इतनी कड़वाहट भर लेना सही नही है.. । उनका फोन आया था और तुम्हे उनसे बात करनी चाहिए.. " ।

" mom.. " बोलते हुए शिवाक्ष एक उदासी भरी नजरों और थकी हुई मुस्कुराहट चेहरे पर लाकर उनकी ओर देखते हुए आगे बोला " आप हमेशा क्यों mr. Rajvansh को defend करने में लगी रहती हैं , उन्होंने आपके साथ भी तो गलत किया है ना.... । आप भी जानती हैं , वो इंसान हमारे प्यार और फिक्र का हकदार नहीं है । बल्कि वो अब हमारी जिंदगी में , exist ही नहीं करने चाहिए " । शिवाक्ष ने इतना कहा ही था कि प्रेरणा जी ने एक ज़ोर दार चांटा उसके गाल पर जड़ दिया । पूरे हॉल में उस थप्पड़ की आवाज गूंज उठी ।

शिवाक्ष की आंखें गुस्से से लाल हो आई थी। और साथ ही साथ उनमें नमी भी भर आई थी।
प्रेरणा जी उसके उपर हाथ उठा देंगी , उसने बिलकुल नहीं सोचा था। वो हैरानी से उनकी ओर देखने लगा ।

" आपने मुझपर हाथ उठाया mom.. "

प्रेरणा जी कुछ पल को खामोश सी हो गई । फिर अपने हाथ को देखने लगी । वो शिवाक्ष पर हाथ नहीं उठाना चाह रही थी लेकिन उसकी कही बात से उनका हाथ अपने आप ही उसपर उठ गया था ।

शिवाक्ष ने नम आंखों से उन्हें देखा और फिर अपने कदम पीछे की ओर लेने लगा ।

" शिव.. बेटा मेरी बात सुनो.. " बोलते हुए प्रेरणा जी शिवाक्ष का हाथ पकड़कर रोकने लगी पर वो जल्दी से पीछे हट गया ।

" आप कभी उनके बारे में गलत सुन ही नहीं सकती ना mom । पता नहीं क्यों लेकिन आप हमेशा उनमें से और मुझमें से उन्हें ही चुनती है । उस आदमी ने आपके साथ इतना गलत किया लेकिन फिर भी आपको हमेशा वही सही लगते हैं । " बोलते हुए शिवाक्ष अपने कदम पीछे की ओर लेता रहा ।

" तुम भी मेरे लिए जरूरी हो शिव । जितना बुरा तुम अपने पापा को समझते हो इतने बुरे वो नहीं है । काश तुम कभी ये बात समझ पाओ । बोलते हुए प्रेरणा जी उस की ओर जाने लगी और शिवाक्ष को गले लगाने की कोशिश करने लगी तो शिवाक्ष ने हाथ दिखाकर रोकते हुए कहा " आप रहने दीजिए mom । आप हमेशा मुझसे कहती हैं कि मैं समझू.. लेकिन मुझे समझना क्या चाहिए ये आज तक मुझे नही समझाया है ।

हर बार बस आप यही कह कर टाल देती है कि मैं समझता नहीं हूं लेकिन आप कभी यह नहीं बताती कि मैं समझूं क्या ? । क्या मैं ये समझूं कि उनका घर से बाहर आपको छोड़कर किसी और के साथ रहना सही है ।

या फिर मैं ये समझूं कि उनका मेरे हर छोटी बड़ी खुशी में शामिल ना होना भी सही है या फिर ये समझूं कि उनकी वजह से आपकी आंखों से आंसू बहना सही है । आप उनकी गलतियों को बार-बार सही कैसे बता सकती है जबकि ये बात साफ दिखाई देती है कि वो गलत है ।

आपको मैं आज तक नहीं समझ पाया mom । पर अगर मुझे उनके बारे में ये सब समझना है तो सॉरी.. मैं ये नही समझ सकता... " बोलकर शिवाक्ष तेज कदमों से बाहर निकल गया ।

" काश मैं तुम्हे सब बता पाती शिवाक्ष.. । पर हालात ही ऐसे हैं कि तुम्हे कुछ भी बताने की हिम्मत और ताकत मुझमें नहीं है.. । पर एक दिन शायद तुम अपने dad को ज़रूर समझोगे.... " बोलते हुए उन्होंने अपनी आंखों से बहते आंसुओं को पोंछा और अपने कमरे में चली गई ।

अंजली कॉलेज पहुंची तो खुशी और आकाश गेट के पास ही उसे मिल गए । खुशी ने उसे hug किया और पूछने लगी " तुम्हारा फोन क्यों नहीं लग रहा था अंजली.. ? कल जब मैने तुम्हारा call देखा तो, उसके बाद मैंने तुम्हे बहुत. सारे calls और messages किए , पर तुमने ना वो देखे और ना ही किसी का reply दिया " । बोलते हुए खुशी उससे शिकायत कर रही थी ।

अंजली बोली " सॉरी खुशी वो.. मेरा फोन गिरकर टूट गया था और फिर चला ही नही.. । इसीलिए तुम्हारा फोन नहीं लग रहा है.. " ।

" oh.. तभी कल से लेकर स्विच ऑफ बता रहा है.. " बोलते हुए आकाश ने अंजली को देखा ।

अंजली ने सिर हिला दिया ।

कॉलेज की bell बजी तो अंजली बोली " शाम को वापिस जाते वक्त फोन रिपेयर के लिए दे जाऊंगी.. अभी क्लास लगा लेते हैं.. " ।

अंजली ने कहा तो तीनो अंदर चले गए ।

आखिर क्यों अंजली के दिमाग में शिवाक्ष की कही बातें चलने लगी हैं.. ? और क्यों वो उसकी बातों को सोचते ही मुस्कुराने लगी है ? क्या कुछ है जो उसके दिल में जगह बनाने लगा है.. ? और आखिर क्यों शिवाक्ष अपने dad से इतना दूर हो गया है..?? ।