Sunahari Titaliyo ka Vaatarlu - 5 - last part in Hindi Fiction Stories by Pradeep Shrivastava books and stories PDF | सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 5 (अंतिम भाग)

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सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 5 (अंतिम भाग)

भाग-5

जितनी देर वह तेल लगाती रही उतनी देर उसके आँसू निकलते रहे। वह सोचती रही कि, क्या यह अपनी इस विचित्र स्थिति के कारण कई दिन से सो नहीं रही थी, और जैसे ही मन की बात हुई, सैटिस्फ़ैक्शन मिला, वैसे ही गहरी नींद में चली गई। 

उसने देखा कि तेल लगाने के बाद उसका रह-रह कर कराहना बंद हो गया है। शायद तेल से उसे काफ़ी आराम मिल गया था। वह उठ कर फिर ड्राइंग-रूम में आ गई है यह सोचती हुई कि, यह पूरी नींद सो कर उठे तो इससे पूछूँगी कि, आख़िर तुम ऐसा क्या फ़ील करती हो कि, इस बुरी तरह पिटाई को एन्जॉय करती हो। 

दूसरे आज के बाद मैं तुम पर हाथ नहीं उठाऊँगी चाहे कुछ भी हो जाए। तुम्हें मेरे साथ साइकियाट्रिस्ट के पास चलना ही होगा। मैं अपनी सारी बातों का जवाब तुमसे आज ही लूँगी। 

जेंसिया ने सोचा था कि रिचेरिया दो-तीन घंटे में उठ जाएगी, लेकिन वह देर शाम तक सोती रही। इस बीच वह बालकनी, ड्राइंग-रूम, व्हाट्सएप, फ़ेस-बुक में अपना समय काटती रही। बीच-बीच में रिचेरिया को देखती भी रही। हर बार उसके गालों को ऐसे छूती रही, जैसे कोई माँ अपने सोते हुए बच्चे को प्यार करने से, ख़ुद को न रोक पाने पर छूती है। उसने खाना भी कुछ नहीं बनाया और इधर-उधर की चीज़ें खाकर पूरा दिन निकाल दिया। 

इतना ही नहीं उसने कई बार शीशे के सामने जा-जा कर ख़ुद को ग़ौर से देखा कि, कुछ ही समय में उसमें कौन सी ऐसी कमी आ गई है कि, रिचेरिया उससे ऊब कर छुटकारा पाने के लिए परेशान है। 

रिचेरिया जब उठी तो आठ बज रहे थे। उसने नहा-धोकर कपड़े पहने और जेंसिया के पास जाकर बालकनी में उसी के बग़ल में बैठ गई। बैठते ही पूछा, “क्या कर रही हो?” 

उसने कहा, “कुछ नहीं, ऐसे में टाइम पास करने के सिवा और क्या कर सकती हूँ।”

जेंसिया ने बालकनी में लगी फ़ैंसी गुलाबी लाइट में उसे ध्यान से को देखते हुए कहा। उसे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि, कुछ घंटे पहले ही इसने चमड़े की बेल्ट, स्लीपर, चाँटों से इतनी मार खाई है। वह उसे देखती ही रही तो रिचेरिया ने पूछा, “क्या हुआ जेंसिया, ऐसे क्यों देख रही हो?” 

“हूँ, समझने की कोशिश कर रही हूँ कि क्या पिटाई, दर्द को भी एन्जॉय किया जा सकता है। मज़ा लिया जा सकता है। या यह सिर्फ़ तुम्हारा कन्फ्यूज़न है। तुम्हें किसी साइकियाट्रिस्ट के पास जाने की ज़रूरत है।” 

यह सुनते ही रिचेरिया हँसती हुई बोली, “जेंसिया, माय डार्लिंग तुम्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। मुझे कब, क्या, क्यों चाहिए, वह मैं बहुत अच्छी तरह जानती-समझती हूँ। और मैं वह ले भी लेती हूँ। यह कोई बड़ी या एबनॉर्मल बात नहीं है, यह तो अपनी-अपनी च्वाइस है।”

“ठीक कह रही हो, अपनी-अपनी च्वाइस है। इसे मैं एब्नॉर्मल मान भी नहीं रही, न ही मैं परेशान हो रही हूँ। मेरी सारी परेशानी और चिंता तुम्हारी सिर्फ़ इतनी सी बात है कि, अब मेरा साथ तुम्हें बोर करता है। मेरे कारण तुम्हारी लाइफ़ में अब कोई एक्साइटमेंट ही नहीं रह गया है। मुझे इसी बात का रीज़न जानना है, यह भी कि हमारे रिलेशन का फ़्यूचर क्या है?” 

दोनों के बीच बहस ने रफ़्तार पकड़ ली है। जेंसिया बहुत तनाव में है, आक्रामक भी। लेकिन रिचेरिया एकदम कूल है और उसके तनाव, आक्रामकता को कम करती जा रही है। बीच-बीच में वह किचन से खाने-पीने की कुछ चीज़ें भी उठा ला रही है। 

बालकनी में अब हवा खुशगवार ताज़ी लग रही है, लेकिन दोनों की बातें खुशगवार नहीं हैं। जेंसिया के प्रेशर, अग्रेशन के आगे रिचेरिया को सेरेंडर करना पड़ा। उसने साफ़-साफ़ कहा, “मुझे वाक़ई बेहद दुख हो रहा है कि, तुम्हारी यह बात बिल्कुल सही है कि, हमारा रिलेशन, मेरी चेंज होती जा रही फिलिंग्स के कारण ख़तरे में पड़ गया है। 

“तुम यह तो जानती ही होगी कि, दो लोगों के बीच रिलेशन बनने के लिए मन का सबसे इंपॉर्टेंट रोल होता है। उतना ही इंपॉर्टेंट रोल हमारे शरीर का भी होता है। हमारे रिलेशन की फ़ॉउंडेशन हमारे शरीर के ही कारण पड़ी। 

“जब तुम पहली बार ऑफ़िस आई तो फ़्लैक्सिबल जींस, शॉर्ट कुर्ती में कसे तुम्हारे बदन ने मुझे एकदम सम्मोहित सा कर दिया। इसके पहले मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था। तुम्हारे बाउंस करते ब्रेस्ट ने मुझे रोमांचित आकर्षित ही नहीं किया बल्कि पहली बार सेम सेक्स फ़िगर को देखकर सेक्सुअली एक्साइटेड हुई। 

“तुम्हारे हिप्स, थाइज़ से मेरी नज़र ही नहीं हट पा रही थी। तुम्हारे ब्रेस्ट मेरे हाथों, मन में ऐसी सनसनाहट पैदा कर रहे थे, एक ही बात मन में तूफ़ान सी उठ रही थी कि, तुम्हें वहीं विज़िटर्स स्पेस में पड़े सोफ़े पर लिटा दूँ और तुम्हारे हर पार्ट्स से अपने एक्साइटमेंट को इतनी हाइट पर ले जाऊँ कि, उसके आगे कोई हाइट ही ना रहे। 

“तुम्हें शायद यह याद हो कि, मैं दिन भर तुम्हें देखने के लिए सारे काम-धाम छोड़कर तुम्हारे आगे-पीछे घूमती रही, तुम्हें कई बार किसी ना किसी बहाने से टच भी किया। तुमसे यह अट्रैक्शन क्षणिक नहीं था, यह सेकेण्ड-दर सेकेण्ड बढ़ता ही चला जा रहा था। 

“इसी का रिज़ल्ट था कि, हम डेढ़ महीने में ही रिलेशनशिप में आ गए। इसका एक रीज़न यह भी मानती हूँ कि, तुममें भी ऐसी ही फ़ीलिंग थी, इसीलिए यह रिलेशनशिप इतनी जल्दी बन पाई, अदरवाइज़ यह इतनी जल्दी पॉसिबल ही नहीं थी, बोलो क्या मैं ग़लत कह रही हूँ।” 

रिचेरिया ने काजू के कई टुकड़े मुँह में डाले और हाइलैंड पार्क व्हिस्की के स्माल पैग में से एक घूँट पी लिया। जेंसिया उसका साथ व्हाइट जॉनी वाकर के साथ दे रही है। सिगरेट दोनों की एक ही है मार्लबोरो। 

जेंसिया सिगरेट की ऐश को ऐश्ट्रे में झाड़ कर बोली, “तुम सही कह रही हो। लेकिन मुझमें ऐसी फ़ीलिंग्स तुमसे मिलने के तीन-चार दिन बाद शुरू हुई थीं, जब मैंने तुम्हारे टच में छिपी तुम्हारी फ़ीलिंग को समझा, महसूस किया। 

“मुझे दो-तीन दिन लगे समझने में। लेकिन समझते ही मैं रोमांचित हो उठी। फिर मैंने भी उतनी ही तेज़ी से तुम्हारी तरफ़ क़दम बढ़ाए, जितनी तेज़ी से तुम मेरी तरफ़ बढ़ रही थी। इसीलिए हमारे क़रीब आने की स्पीड दोगुनी हो गई। 

“लेकिन अब मेरे और तुम्हारे में चेंज यह आ गया है कि, मैं आज भी तुम्हारे लिए उतनी ही पजेसिव हूँ, जितना पहले थी। और तुम जो बातें कह रही हो, उससे मुझे यह लगता है कि, जितनी तेज़ी से तुम मेरे क़रीब आई थी, उतनी तेज़ी से अब दूर होती जा रही हो। इसलिए मैं तुमसे इसी समय वह रीज़न जानना चाहती हूँ जिसके कारण मुझसे दूर जा रही हो।”

जेंसिया ने बड़ी दृढ़ता से अपनी बात कही तो रिचेरिया उसे एकटक देखने लगी। वह देखती ही रही तो जेंसिया ने कहा, “ऐसे चुप रहने से काम नहीं चलेगा। तुमने कहा कि, मेरी फ़िगर ने तुम्हें मेस्मराइज़ कर दिया, जिसके कारण हमारे बीच यह रिलेशनशिप बनी। यानी इमोशंस नहीं फ़िगर ने रिलेशन बनाए, और अब रिलेशन ख़त्म हो रहे हैं तो इसका मतलब मेरा फ़िगर ख़राब हो गया है। 

“क्या अब मैं इतना बदल गई हूँ कि, मुझसे तुम्हें बोरियत होती है, इरिटेशन होती है। अब मेरे ब्रेस्ट, हिप्स, थाइज़, कर्वी वेस्ट तुम्हें अट्रैक्ट नहीं करते। क्या ये सब डिशेप हो गए हैं। जिन्हें देखकर तुम्हें पहले वाली फ़ीलिंग नहीं आती, पहले जैसी कोई एक्साइटमेंट नहीं पैदा होती। यदि ऐसा कुछ नहीं है तो फिर रीज़न क्या है, वह क्लियरली बताओ।” 

बात पूरी करते ही जेंसिया ने व्हिस्की का एक लंबा घूँट लिया। क़रीब-क़रीब ख़त्म हो चुकी सिगरेट को ऐश्ट्रे के उस हिस्से में बेहद अर्थ-पूर्ण ढंग से बुझाया जिस हिस्से के कारण भारत में यह ऐश्ट्रे काफ़ी चर्चा का विषय बनी रही। कई लेखकों, महिलाओं ने कटु आलोचना की। इसे रिचेरिया ने ऑन-लाइन मँगवाया था। 

जेंसिया के इस काम पर ध्यान रिचेरिया का भी गया, लेकिन उसने पहले जेंसिया के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, “जेंसिया मैं बात क्लियर कर चुकी हूँ, लेकिन लगता है कि, तुम वर्ड बाय वर्ड क्लियर करवाना चाहती हो। तो ठीक है, सुनो।”

यह कहकर उसने व्हिस्की का एक लॉर्ज सिप जल्दी से लेकर एक कश सिगरेट का लिया और बोली, “जेंसिया तुम्हारा शार्प कर्वी फ़िगर अब भी पहले जैसा ही है, बिलकुल भी डिशेप नहीं हुआ है, लेकिन पता नहीं क्यों मुझ में कोई सेंसेशन पैदा नहीं कर पाता। जानती हो अब मैं तुम्हारे साथ कोई भी एक्टिविटीज़ करती हूँ, तुम मुझे या मैं तुम्हें कहीं भी टच करूँ या कुछ भी करूँ उससे मुझ में पहले जैसा रोमांच, एक्साइटमेंट फ़ील ही नहीं होता। 

“खुद को एकदम नॉर्मल ही फ़ील करती हूँ। पहले तुम्हें चलते-फिरते या बेड पर बाँहों में जकड़ लेती थी तो एक्साइटमेंट के कारण मेरी नसें फटने लगती थीं। मन करता था कि, तुम्हें दबाकर निचोड़ डालूँ, वैसे ही जकड़े-जकड़े रात-भर सोती रहूँ, दिन-भर लिए रहूँ। 

“मगर अब मैं तुमसे गैप में रिलैक्स महसूस करती हूँ। तुम्हारे हाथ अब जब भी मुझ पर मूव करते हैं तो उन्हें तुरंत ही रोक देने का मन करता है। जबकि पहले तुम्हारी नाज़ुक सी उँगलियाँ मुझ में कहीं जाकर कुछ भी करती थीं तो मैं एक्साइटमेंट की हाइट महसूस करती थी। मुझे लगता था जैसे मैं इतनी हल्की हो गई हूँ कि, बादलों के बीच उड़ रही हूँ। 

“लेकिन अब तुम्हारे हाथों, उँगलियों की मूवमेंट के साथ ही मेरे दिमाग़ में किसी स्ट्रॉन्ग मेल पर्सन की पिक्चर चलने लगती है। मेरे मन में आता है कि, काश तुम किसी तरह से फ़ीमेल से एक स्ट्रॉन्ग मेल पर्सन बन जाओ। अब तुम्हारे लिप्स पहले की तरह मुझे फ़ायर नहीं करते। तुम्हारी किसी भी एक्टिविटी . . . 

इसी बीच जेंसिया बोल उठी, “से अब तुममें कोई भी फिलिंग्स पैदा ही नहीं होती, यही ना।”

“हाँ जेंसिया, तुम ठीक कह रही हो।”

“लेकिन मुझे तो अब भी तुम्हें देखने भर से ही, तुम्हारी छोटी सी छोटी मूवमेंट से भी वही एक्साइटमेंट फ़ील होती है जो फ़र्स्ट डे करती थी।”

“जेंसिया मैं यह सब अच्छी तरह जानती-समझती हूँ, लेकिन मेरी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन क्या होगा मैं वह नहीं समझ नहीं पा रही हूँ।”

रिचेरिया की यह बात सुनकर जेंसिया ने गिलास में बची क़रीब आधी पेग व्हिस्की एक बार में ही झटके से पी ली, फिर सिगरेट निकालती हुई बोली, “कैसी बात करती हो डार्लिंग, तुमने तो अपनी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन इस क्रिस्टल गिलास की तरह क्रिस्टल क्लियर बता ही दिया है।”

“नहीं जेंसिया, मैंने तो अभी ऐसा कुछ भी नहीं बताया है।”

इस बार जेंसिया कुछ मुस्कुराती हुई बोली, “रिचेरिया मैं कह रही हूँ ना कि, तुमने बिल्कुल क्लियर बता दिया है कि, अब तुम होमो नहीं रही। तुम्हें अब एक स्ट्रॉन्ग मेल पर्सन की ज़रूरत है। मेल के बारे में सोचने भर से ही तुम एक्साइटेड हो जाती हो। तुम्हें अब मेल चाहिए ही चाहिए। अब तुम उतनी ही जल्दी किसी मेल पर्सन तक पहुँचने वाली हो, जितनी जल्दी मेरे पास पहुँची थी। मैं बिल्कुल भी सरप्राइज़ नहीं होऊँगी यदि तुम इसी समय यह भी कहो कि, कोई मेल पर्सन तुम्हारी लाइफ़ में आ चुका है।”

“नहीं जेंसिया अभी तक मेरी लाइफ़ में कोई भी मेल पर्सन नहीं आया है।” 

“कोई बात नहीं, नहीं आया है तो जल्दी ही आ जाएगा। एक्चुअली प्रॉब्लम मेरे सामने है और यह उतनी ही बड़ी है जितनी कि, दुनिया के लिए यह कोविड-१९ बीमारी। अब मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ, क्या मुझे कोई लाइफ़ पार्टनर मिलेगी भी? तुम्हारे साथ आने के बाद तो अब मुझे किसी भी मेल पर्सन की तरफ़ देखने की भी इच्छा नहीं होती। मेरी इस प्रॉब्लम का क्या सॉल्यूशन है, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।”

बात पूरी करते-करते जेंसिया बहुत गंभीर हो गई। उसे इस तरह परेशान देखकर रिचेरिया ने कहा, “सुनो जेंसिया, तुम्हें बिल्कुल भी परेशान होने की या कहीं भी जाने की कोई ज़रूरत नहीं है। यह फ़्लैट और बिज़नेस जितना मेरा है, उतना ही तुम्हारा भी है। तुमसे बाक़ायदा मैरिज की है, हर चीज़ पर तुम्हारा उतना ही अधिकार है, जितना कि मेरा। हम एक साथ ही रहेंगे। तुम कहीं नहीं जाओगी।”

“नहीं रिचेरिया यह पॉसिबल नहीं है। यहाँ तुम अपने नए पार्टनर के साथ रहोगी, मेल पार्टनर के साथ। ऐसे में मैं भी यही रहूँ यह मेरे लिए बहुत ही ऑड पोज़ीशन होगी, मैं वह फ़ेस नहीं कर पाऊँगी।”

“सुनो जेंसिया ऐसी कोई भी ऑड पोज़ीशन नहीं होगी। इतना बड़ा फ़्लैट है, तुम अपना मन-पसंद स्पेस ले लो। अपने हिसाब से रहो। और मैं तो यह भी कहती हूँ कि, कभी तुम्हारा भी मूड हुआ, तो तीनों मिलकर लाइफ़ को एंजॉय करते रहेंगे।”

रिचेरिया आख़िरी सेंटेंस बोलती हुई काफ़ी अर्थ-पूर्ण ढंग से मुस्कुराई, तभी जेंसिया थोड़ी तेज़ आवाज़ में बोली, “बस करो रिचेरिया, हर चीज़ की एक लिमिट होती है। मैं होमो हूँ, होमो ही रहूँगी। मैं मेल पर्सन से दूर रहना पसंद करती हूँ, इसीलिए मुझे बायसेक्सुएल्टी से भी घृणा है। 

“मैं एक सेकेण्ड को भी बर्दाश्त नहीं कर सकती कि कोई मेल पर्सन मुझे छुए, उसके हाथ मेरे शरीर के हर हिस्से में पहुँचे, उसका कोई पार्ट मुझ में अपना वेस्ट डिस्चार्ज कर आराम से सो जाए और मैं, छी . . . मैं या तो कॉन्ट्रासेप्टिव यूज़ करूँ या हर साल नौ महीने प्रेगनेंट रहूँ, मटके जैसा पेट लेकर घूमूँ। 

“अपनी लाइफ़ ख़तरे में डालकर बच्चे पैदा करूँ, रात-रात भर जाग कर उनकी पॉटी साफ़ करूँ, उन्हें दूध पिला-पिला कर अपने ब्रेस्ट को थुल्ल-थुल्ल झोले जैसा होते देखूँ, यही हाल पेट का, बल्कि सारे शरीर का हो जाएगा। पूरा फ़िगर चौपट हो जाएगा। उन्हें अगले बाइस-तेईस साल तक पालूँ, उनका करियर बनाऊँ, दुनिया-भर की टेंशन सिर पर लूँ, अपनी तो कोई लाइफ़ ही नहीं रहेगी। 

“तुमने जब साल डेढ़ साल पहले ही बच्चे अडॉप्ट करने की बात कही थी, तब भी मैंने कहा था कि, यह सिर्फ़ हमारे लिए नहीं, बल्कि उन बच्चों के लिए भी पेन-फुल लाइफ़ होगी जिन्हें हम अडॉप्ट करेंगे। स्कूल में उनके एडमिशन से लेकर, जब भी, जहाँ कहीं भी जाएँगे तो हर जगह उन्हें होमोज़ चाइल्ड कहकर लोग चिढ़ाएँगे, क़दम-क़दम पर समस्याएँ आएँगी। लेकिन फिर भी तुम जिस तरह पीछे पड़ी थी, यदि एलजीबीटीक्यू के लिए बच्चे अडॉप्ट करना लीगली प्रोहिबिटेड नहीं होता तो अब-तक तुम अडॉप्ट कर चुकी होती। 

“कोर्ट ने हमारे रिलेशन को स्वीकार किया है, क़ानूनी अधिकार दिया है। समाज ने नहीं। और मैं किसी तरह का पेन लेकर ज़िन्दगी नहीं जीना चाहती। जो पसंद करती हूँ वही जिऊँगी। वही करूँगी। जैसे यह मेल डोमिनेट सोसाइटी करती है। मेल्स के लिए औरतें एक ऑब्जेक्ट से ज़्यादा और कुछ नहीं है। उसका प्रमाण यह सामने रखा सिगरेट ऐश्ट्रे है। देखो डिज़ाइनर ने इसे कैसा डिज़ाइन किया है, अपने दोनों पैरों को पूरा फैलाए हुए, प्राइवेट पार्ट को शो करती नेकेड लेडी। 

यह कोई आर्ट नहीं, उनकी डर्टी मेंटैलिटी का प्रतीक है। लेडी के प्राइवेट पार्ट में जलती सिगरेट रगड़ कर बुझाएँ। इस डर्टी ऐश्ट्रे को लेते हुए तुमने पता नहीं क्या सोचा, लेकिन इसे देखते ही मेरे दिमाग़ में एक ही पिक्चर घूमती है कि, कोई बीमार मानसिकता का मेल एक विवश स्त्री के प्राइवेट पार्ट में सिगरेट . . . ओह शिट-शिट। इसलिए मैं होमो हूँ, होमो ही रहूँगी।”

इतना कहकर जेंसिया खड़ी हो गई। उसके चेहरे पर कुछ अजीब से भाव आ गए हैं। उसने एक हाथ रिचेरिया की तरफ़ ऐसे बढ़ाया कि वह उसे पकड़ कर खड़ी हो जाए। रिचेरिया सम्मोहित सी उसका हाथ पकड़ कर खड़ी हो गई तो जेंसिया उसे लेकर कर अंदर चल दी। बालकनी की लाइट ऑफ़ कर दी। रिचेरिया ने पूछा, “क्या हुआ, कहाँ चल रही हो?” 

जेंसिया कुछ रहस्यमयी स्वर में बोली, “बेड-रूम में। तुम दिन भर सोई हो, मैं देर से उठी हूँ। मैं आज रात-भर अपनी कैपेबिलिटी चेक करूँगी। तुममें पहले जैसा एक्साइटमेंट पैदा करने की कोशिश करूँगी। देखूँगी कि मेरे दहकते होंठ, तुम्हारे होंठों को दहका पाते हैं कि नहीं। 

“जब-तक लॉक-डाउन है, तब-तक मैं यह एफ़र्ट करती रहूँगी। लॉक-डाउन के बाद मैं उस लॉक को भी हमेशा के लिए ओपन कर दूँगी, जिसके कारण हम रिलेशन में हैं। तब-तक तुम जितनी बार कहोगी, मैं तुम्हें उतनी ही बार बेल्ट, स्लिपर्स जिससे भी कहोगी, जहाँ-जहाँ कहोगी, वहाँ-वहाँ पीटूँगी।” 

जेंसिया बालकनी से अंदर आते ही रिचेरिया को बाँहों में भरती, उसके, अपने कपड़े निकाल-निकाल कर इधर-उधर फेंकती हुई अपनी बात कहती जा रही है। वह बहुत ही ज़्यादा आक्रामक होती जा रही है। रिचेरिया ने जैसे ही कहा, “नहीं, अभी नहीं, अभी और मूड नहीं है।” वैसे ही जेंसिया ने उसके होंठों को अपने दाँतों के बीच में दबा लिया। दोनों ही एक-दूसरे में गुँथी-गुँथी बेड पर जा गिरीं। अचानक ही बेड-रूम एक तेज़ चाँटे की आवाज़ से गूँज उठा। 

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