Savan ka Fod - 15 in Hindi Crime Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | सावन का फोड़ - 15

Featured Books
Categories
Share

सावन का फोड़ - 15

करोटि सोच विचार में पड़ा ही था कि वह जंगेज का क्या करे? पुलिस के लिए भी जंगेज सरदर्द ही साबित हो रहा था  क्योंकि लाख कोशिशों के बाद भी जंगेज ने करोटि के विषय मे कुछ भी नही बताया था बिहार पुलिस के पास करोटि को जेल भेजने के अलावा कोई विकल्प भी नही था वह भी आर्म्स एक्ट जैसे साधारण दफा में क्योकि जंगेज के पास अवैध असलहा बरामद हुआ था ।बिहार पुलिस जंगेज को कटियार कोर्ट पेशी के लिए ले गयी जहाँ न्यायधीश ने जंगेज को आर्म्स एक्ट में जेल भेजने का आदेश दे दिया  जंगेज को जेल भेज दिया गया बिहार पुलिस ने जंगेज कि ग्रिफ्तारी में हो रही बदनामी से खुद को अलग तो कर लिया लेकिन अपराध कि दुनियां का पर्याय बन चुका करोटि के कारण उसकी फजीहत हो ही रही थी ।करोटि ने अपराध के अपने तौर तरीकों में आमूल चूल परिवर्तन कर दिया उसने डकैती जैसी परंपरागत अपराध से तौबा कर लिया और वन वीरान कि डाकू जीवन से भी धीरे धीरे अलग होकर नई अपराध पद्धति का अविष्कार करने लगा जिसमे उसका मार्ग दर्शन कर रहे थे राजनीतिक लोग नेता और पार्टियां करोटि ने अपहरण अपराध कि बुनियाद बिहार में रखी जो आदर्श बनकर पूरे भारत मे फला फुला ।करोटि बड़े बड़े व्यवसायियों व्यपारियो को उठवा लेता और सही सलामत छोड़ने के लिए मोटी रकम वसूलता राजनीतिक पार्टियों के नेताओ के चुनावों का ठेका लेता और  उन्हें चुनाव जितवाने कि गारंटी लेता जितवाता भी क्योकि जिस किसी इलाके क्षेत्र गांव में करोटि का सन्देस जाता लोग कि किसे जीतना  है लोग वोट देने निकलते ही नही और करोटि एव नेता के आदमी सारा का सारा वोट  डाल देते करोटि कांट्रेक्ट किलर भी था आपस मे लड़ते धनपशु  दबंग राजनेता जो भी उसे उसके मन मुताबिक पैसा देता करोटि उसके कहने पर किसी को भी ठोक देता करोटि कि नजर इंसान कि हर उस कमजोरी पर गयी जिसको पाने के लिए  वह कुछ भी कर सकता था और इंसान कि हर इच्छा कि पूर्ति करोटि पैसा लेकर करता था। करोटि को जब पता लगा कि जंगेज जेल भेजा जा चुका है और उसने उसका कोई राज पुलिस के समक्ष नही खोला है तब करोटि ने जंगेज कि जमानत के लिए कानून के बड़े से बड़े जानकार वकीलों को खड़ा कर दिया और जंगेज की जमानत के लिए प्रयास करने लगा वैसे भी बिहार पुलिस के सारी कोशिशों के बावजूद जंगेज ने ना तो कुछ बताया था ना ही उसके विरुद्ध कोई साक्ष्य मिले थे सिवा अनाधिकृत असलहे के जिसके अंर्तगत उसके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करके जेल भेजा गया था करोटि के खिलाफ पहले से कही कोई आपराधिक मामला दर्ज नही था ना ही  उसका कही कोई आपराधिक रिकार्ड मौजूद था बिहार या बिहार से बाहर किसी भी राज्य में अतः जंगेज कि जमानत को रोकपाना बिहार पुलिस के बस कि बात नही थी बिहार पुलिस भी चाहती थी कि करोटि जेल से रिहा हो जाय क्योकि बिहार पुलिस के पास जंगेज से पहले करोटि गैंग के लिए कोई प्रमाण पहचान नही थी जंगेज जेल से रिहा होकर करोटि तक पहुचने का रास्ता बता सकता था ।बिहार पुलिस ने भी करोटि की जमानत का कोई विरोध नही किया सिवा इसके की वह मूक बनकर जंगेज कि जमानत को होने दिया एव वह कहां जाता है उस पर  पैनी नजर रखे हुए थी जंगेज को न्यायलय ने जमानत दे दिया जंगेज जब जेल से बाहर आया तब उसे लेने कई युवा आए और महंगी गाड़ी में बैठकर रवाना हुए जंगेज जेल से छूटने के बाद सीधे कलकता के लिए रवाना हुआ बिहार पुलिस के चार जवान पहले से कर्मा पर कलकत्ता में डॉ मित्रा के अस्पताल पर नजर रखे ही हुए थे करोटि पर नजर रखने कि जिम्मेदारी बिहार पुलिस के सब इंस्पेक्टर बुरहानुद्दीन को सौंपी ।बुरहानुद्दीन जबजस्त निशानेबाज एव फाइटर भी था वह अकेले ही जाने कितनों पर भारी था बुरहानुद्दीन बेवकूफ गंवार देहाती कि तरह जंगेज के पीछे लग गया जंगेज को अन्देशा तक नही था कि उसका पीछा भी कोई कर रहा है जंगेज कलकत्ता पहुंच कर सीधे आयशा के घर गया आयशा ने उसका बड़े जोश खरोश से स्वागत किया जंगेज को साथ लेकर गया नौजवान जिसने कटियार से कलकता तक गाड़ी भी खुद चलाई था लेखराज जो बहुत जल्दी दुनियां में बहुत ताकतवर पैसे वाला व्यक्ति बनने की चाहत रखता था ऐसे ही युवा  वर्ग कि तलाश करता करोटि और उनके अरमानों को हवा देकर उन्हें अपने जुल्म कि दुनियां दल दल में धकेल देता लेखराज भी उन्ही में एक था ।