Shadow Of The Packs - 13 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Shadow Of The Packs - 13

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Shadow Of The Packs - 13

वहीं दूसरी तरफ अमित को नही पता था की विक्रांत जिंदा है। उसे ये लग रहा था की विक्रांत भी मार चुका था। उसे यही लग रहा था की उन जानवरों ने विक्रांत को भी मार दिया होगा। अमित ने पुलिस को अपने बयान में भी यही बताया था। इसलिए पुलिस विक्रांत की लाश की तलाश करने में लगी हुई थी। अमित के बयान के हिसाब से उसने विक्रांत पर हमला होते हुए नही देखा था इसलिए पुलिस को भी पक्का पता नही था की विक्रांत जिंदा है या मर चुका है!


अमित हॉस्पिटल में सुप्रिया के पास बैठा था की तभी उसके फोन पर किसी का फोन आने लगता है। जब अमित ने अपने फोन मे देखा तो विक्रांत के नंबर से फोन आ रहा था। “हेलो...! हेलो... विक्रांत...!” अमित ने फोन पर पूछा।


 “हां मैं विक्रांत ही बोल रहा हूं।” विक्रांत फोन के दूसरी तरफ से अमित से कहा। विक्रांत की आवाज सुनकर अमित बहुत खुश था। 


“हमे तो लगा था की उन जानवरों ने तुझे भी मार दिया होगा...! तू अभी कहां है? तू ठीक तो है ना...!” अमित ने रोते हुए विक्रांत से पूछा।


 “मै बिलकुल ठीक हूं। अभी मै अपने घर पर हूं।” विक्रांत ने अमित से कहा। फिर विक्रांत ने अमित को बताया की उसने जब उन दोनो जानवरों को लड़ता हुआ देखा तो वो बेहोश हो गया। उसे बस इतना याद था की जब उसकी नींद खुली तब वो अपने घर पर था। इससे ज्यादा उसे कुछ याद नहीं। विक्रांत अपने बारे मे अमित को कुछ भी नही बता सकता था इसलिए उसने अमित को एक झूठी कहानी सुना दी।


इसके बाद अमित ने विक्रांत को कहा की वो जल्द से जल्द सिटी हॉस्पिटल आ जाए। सुप्रिया वहीं पर एडमिट है। और उसने ये भी भी बताया की अब रूपाली उनके बीच नही रही। रात के हादसे मे रूपाली की जान चली गई। “ठीक है मैं अभी हॉस्पिटल आ रहा हूं।” विक्रांत ने अमित से कहा और हॉस्पिटल जाने के लिए निकल गया।


विक्रांत कुछ ही देर बाद सिटी हॉस्पिटल पहुंच गया। उसने देखा की हॉस्पिटल के गेट पर ही अमित खड़ा था। विक्रांत अमित की तरफ जा ही रहा था की तभी उसने देखा अमित के साथ कुछ पुलिस वाले भी खड़े हैं। 


विक्रांत ने अमित के पास पहुंच कर उसे पूछा–“अमित...! ये पुलिस वाले तेरे साथ क्या कर रहें हैं?” इससे पहले की अमित , विक्रांत को कुछ बता पाता, एक पुलिस वाला आगे आया और विक्रांत को देखते हुए बोला–“हेलो मेरा नाम पवन कुमार है। मैं ही तुम लोगों के साथ हुए हादसे की छान बीन कर रहा हूं।” पवन कुमार ने विक्रांत से कहा। 


“हेलो सर... मैं विक्रांत हूं।” विक्रांत ने पवन कुमार से कहा। विक्रांत को देख कर पवन कुमार को ऐसा लगा जैसे वो पहले भी कहीं विक्रांत से मिला हो! उसने विक्रांत को देखते हुए पूछा–“हम शायद पहले भी मिले हैं! अरे हां याद आया, वो कॉलेज वाले लड़के के मर्डर केस के सिलसिले मे तुमसे बात हुई थी।” पवन कुमार ने याद करते हुए कहा। 


“जी हाँ सर...। और एक बार आपसे जंगल में भी बात हुई थी। जब जंगल वाले मैं रोड में जांच चल रही थी और रोड बंद था, तब मैने आपको बताया था मेरा घर जंगल के उत्तरी भाग के कोने पर है।” विक्रांत ने पवन कुमार को याद दिलाते हुए कहा। 


अब पवन कुमार को भी याद आ चुका था की वो विक्रांत से जंगल मे भी मिल चुका है। “विक्रांत...! मुझे तुमसे कुछ पूछना था की जब तुम लोगों पर हमला हुआ था तब तुम कहां गायब हो गए थे?” पवन कुमार ने विक्रांत से पूछा।


पवन कुमार का सवाल सुनकर विक्रांत ने उन्हे कहा–“सर मुझे इतना ही याद है की मैने दो जानवरों को लड़ते हुए देखा था। मै इतना ज्यादा डर गया था की वहीं बेहोश हो गया। सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं अपने घर पर था। मै एक आदमी को जंगल में बेहोश मिला था। उन्होंने मुझे मेरे घर पर छोड़ दिया था। मेरे घर से थोड़ी दूरी पर ही उनका घर है।” विक्रांत ने पवन कुमार को भी एक झुस्ठी कहानी सुना दी। 


“चलो ठीक है, मैं अभी चलता हूं। आगे कभी इस केस में मुझे तुम्हारी जरूरत पड़ी तो मैं तुम्हे कॉल करूंगा।” पवन कुमार ने विक्रांत से कहा। 


“जी सर बिलकुल.... अपनी तरफ से जितनी मदद हो सके मैं करूंगा।” विक्रांत ने पवन कुमार से कहा। विक्रांत से बात करने के बाद पवन कुमार वहां से चले गए।


पवन कुमार के वहां से जाने के बाद विक्रांत ने अमित को देखते हुए पूछा–“अमित...! सुप्रिया कैसी है? वो ठीक तो है ना?”


 “विक्रांत....! डॉक्टरों का कहना है की उन्होंने आज तक ऐसा केस नही देखा जिसमे किसी के घाव इतनी तेजी से भर रहें हो। ये किसी चमत्कार से कम नहीं। उन्होंने कहा है की सुप्रिया को कभी भी होश आ सकता है।” अमित ने विक्रांत को बताते हुए कहा। 


“क्या मैं सुप्रिया को देख सकता हूं?” विक्रांत ने अमित से पूछा।


 “हां चल ना, मैं तुझे ले चलता हूं।” कहते हुए अमित विक्रांत को सुप्रिया के पास ले जाता है। विक्रांत ने जब सुप्रिया को देखा तो उसके चेहरे पर उदासी छा गई। उसने पास जाकर देखा तो सुप्रिया के गले पर काटने का कोई निशान नहीं था, और ना ही कोई जख्म नजर आ रहे थे। ये सब देख कर विक्रांत समझ गया की सुप्रिया कभी भी भेड़िया बन सकती है। विक्रांत को अच्छे से पता था की सुप्रिया होश में आ गई तो वो खून की प्यास बुझाने के लिए किसी को भी मार सकती है। इसलिए विक्रांत का उसके आस पास रहना बहुत जरूरी था।


विक्रांत ये सब सोच ही रहा था की उसके फोन की घंटी बजने लगी। जब उसने फोन में देखा तो किसी अनजान नंबर से फोन आ रहा था था। उसने फोन उठाया और पूछा–“हेलो कौन...?” विक्रांत के ये पूछते ही दूसरी तरफ फोन पर किसी ने कहा–“हेलो भाई कैसे हो? मुझे पहचाना या नही?” ये आवाज सुनते ही विक्रांत समझ गया की ये कोई और नहीं बल्कि कबीर है।


 “कबीर मैं तुझे नही छोडूंगा। मैं तुझे जान से मार दूंगा।” विक्रांत के मुंह से ये सुनने के बाद कबीर हंसने लगता है। “भाई...! पराएं लोगों के लिए अपनो का खून बहाओगे क्या? तुम अभी मेरा नही अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में सोचो। ये सोचो की उसके होश मे आने के बाद उसे कैसे संभालोगे?” इतना कहकर कबीर ने हंसते हुए फोन काट देता है।


विक्रांत सुप्रिया के पास बैठकर उसके सर पर हांथ फेर रहा था। “सुप्रिया मैं तुम्हे कुछ नही होने दूंगा। मैं तुम्हारी हेल्प करूंगा।” विक्रांत ने अपने आप से कहा। फिर विक्रांत ने अपने मन ही मन सोचा की अगर सुप्रिया लोगों के बीच रही तो उससे लोगों को हमेशा खतरा रहेगा। उसने सोच लिया की वो सुप्रिया को कहीं दूर ले जायेगा जहां पर कोई भी ना हो।

Story to be continued....
Next part will be coming soon....