Savan ka Fod - 12 in Hindi Moral Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | सावन का फोड़ - 12

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सावन का फोड़ - 12

पूरे अस्पताल एवं शहर में जंगेज के पकड़े जाने कि खबर आग कि तरह फैल गयी अस्पताल प्रशासन चौकन्ना हो गया और कर्मा पर विशेष निगरानी रखने लगा कर्मा से मिलने जुलने आने वालो पर निगरानी रखी जाने लगी करोटि को जंगेज के पकड़े जाने कि खबर मिल गयी उसके लिए जंगेज का पकड़ा जाना बहुत अहमियत रखती थी कारण जंगेज उसके विश्वनीय लोंगो में था और उसके बहुत करीब था दूसरा प्रमुख कारण था की पुलिस प्रशासन के पास करोटि के विषय मे कोई ठोस जानकारी नही थी जंगेज के पकड़े जाने के बाद पुलिस को करोटि के विषय मे पुख्ता जानकारी मिलने कि पूरी संभावना थी जो करोटि के साम्राज्य के लिए बहुत बड़े खतरे का सूचक थी .करोटि के समझ मे ही नही आ रहा था की वह क्या करे ?
करोटि ने मन ही मन बहुत खतरनाक फैसला कर लिया और उस पर बिना अपने गैंग में कोई विचार विमर्श किए फैसला कर उचित अवसर की तलाश करने लगा ।
सरकारी अस्पताल में कर्मा कि चिकित्सा पहले से ही असम्भव थी उसके जांच सम्बंधित सभी जांच रिपोर्ट्स आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने सोचा की कर्मा नाम कि वला से पिंड ही छुड़ा लिया जाय डॉक्टरों ने शहर के कुछ मशहूर चिकित्सको जिनके पास अपने नर्सिंग होम थे में चिकित्सा कि सलाह कर्मा को देकर उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया।
कोशिकीपुर गांव एव आस पास में बाढ़ के बाद भयंकर महामारी फैली ही हुई थी जिसका शिकार अद्याप्रसाद कि पत्नी शामली भी थी निरंतर चिकित्सा के उपरांत भी उसकी हालत में कोई सुधार नही हो रहा था शासन प्रशासन द्वारा चिकित्सा हेतु मुहैया कराई गई सभी व्यवस्थाओं में शामली कि चिकित्सा हुई लेकिन शामली कि हालत सुधरने के बजाय बिगड़ती ही चली जा रही थी अंत मे चिकित्सको ने अद्याप्रसाद को सलाह दिया कि शामली को विशेष चिकित्सा कि आवश्यकता है अतः कलकत्ता जितनी जल्दी सम्भव हो ले जाकर उच्च स्तरीय चिकित्सा कराई जाए। अद्याप्रसाद पत्नी शामली पुत्री सुभाषिनी को लेकर कलकत्ता रवाना होने कि बात अपने पड़ोसी मित्र रजवंत को बताई रजवंत ने कहा हम और मुन्नका भी साथ चलते है और हाँ आप रुपए पैसे कि चिंता बिल्कुल मत करे रजवंत ने अद्याप्रसाद से कहा क्या भगवान कि कुदृष्टि हम ही दो पड़ोसी मित्रों एव उनके परिवारों पर पड़ी है या वह हम लोंगो से ही कुपित हो गए है ना हमने ही आपने पूरे जीवन मे कभी कोई ऐसा काम किया जिससे किसी भी व्यक्ति ही नही प्राणि को पीड़ा पहुंची हो हम लोग तो सदैव मदद का ही हाथ दुखी लोंगो के लिए बढाते रहे है फिर हम लोंगो के साथ ऐसा क्यो हो रहा है ?
कहते है भगवान बड़ा न्याय प्रिय एव दयावान है कैसी करुणा कि वारिस हम लोंगो पर कर रहा है मेरा एकलौता बेटा रितेश का कही आता पता नही है अब आप पर शामली भाभी के बीमारी का बोझ और संकट आन पड़ा .अद्याप्रसाद बड़े ध्यानपूर्वक अपने मित्र रजवंत कि बातों को सुन रहे थे और उसके अन्तर्मन कि पीड़ा कि कराह को स्वंय महसूस कर रहे थे। अद्याप्रसाद ने संयमित होते हुए कहा रजवंत आपकी परमात्मा से शिकायत सही है लेकिन यह भी सत्य है कि उसके लिए सम्पूर्ण संसार एक समान है सम्पूर्ण ब्रह्मांड के प्राणियों के सुख दुःख का नियंता है वह सभी को उसके कर्मो के अनुसार उचित न्याय देता है हां यदि आपको लगता है कि आप ईश्वर के बहुत बड़े भक्त है तो आपको कोई दुःख कष्ट नही होना चाहिए यह स्प्ष्ट समझ लीजिए यदि आप ऐसा नही समझते है तो आप सच्चे भक्त नही है पिता सदैव अपनी संतानों का शुभ मंगल ही चाहता है और किसी भी संतान के साथ कभी कोई भेद भाव नही करता है और हां रजवंत यदि आप यह समझ रहे हो कि ईश्वर आपकी परीक्षा ले रहा है तो और भी स्प्ष्ट समझ लीजिए परीक्षा उसी कि होती है जो परीक्षा के योग्य होता है अयोग्य कि कोई परीक्षा नही होती कभी कभी ऐसा लगता है जो अन्यायी क्रूर दुष्ट प्रवृत्ति का व्यक्ति संसार मे सुखी एव शक्तिशाली प्रतीत होता है जो सत्य है वे वही अयोग्य प्राणि है जिनकी कोई परीक्षा नही होती सिर्फ ऐसे लोगों के लिए अपना न्याय देता है जो भयानक एव उसकी क्रूरता से भी क्रूर एव रौद्र होती है। जिसकी वह परीक्षा लेता है उसे उसके परिणाम के अनुसार न्यायोचित पुरस्कार से पुरस्कृत करता है रजवंत जीवन का यही सर्वधर्म सत्य है चिंता छोड़ो हम लोगों को कलकत्ता के लिए प्रस्थान करना है सम्भवतः कलकत्ता हम दोनों के लिए किसी भविष्य का वर्तमान बनने वाला हो।