Shadow Of The Packs - 12 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Shadow Of The Packs - 12

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Shadow Of The Packs - 12

पुलिस को खबर मिलते ही कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंच जाती है। पवन कुमार और जोसेफ गोम्स भी वहां आए हुए थे। पवन कुमार ने अमित को अपने पास बुलाया और वहां जो कुछ भी हुआ था उसके बारे मे पूछने लगे।

“सर हम सब दोस्त यहां कैंपिंग के लिए आए थे। हम सब अपने तंबू में सो रहे थे की मुझे अचानक अजीब सी आवाजे सुनाई देने लगी। जब मैंने तंबू से बाहर आकर देखा तो दो भयानक से राक्षस जैसे दिखने वाले जानवरों के बीच लड़ाई हो रही थी। मेरी नजर जब रूपाली और सुप्रिया पर गई तो जमीन पर लेटी हुई थी। अचानक से वो दोनो जानवर लड़ते लड़ते जंगल में कहीं गायब हो गए। मैने जब रूपाली और सुप्रिया को चेक की तो रूपाली मार चुकी थी, और सुप्रिया की सांसे चल रही थी। सर हमारा एक दोस्त भी गायब है। मुझे तो लगता है उन जानवरों ने उसे मारकर खा लिया होगा?” पवन कुमार को सारी बात बताते हुए अमित रोने लगा।

अमित से सारी बात जानने के बाद पवन कुमार ने अपनी जेब से एक कागज निकाला और अमित को दिखाते हुए पूछा–“क्या वो जानवर ऐसे दिखते थे?” 

अमित ने जैसे ही वो स्केच देखा तो फटाक से बोल पड़ा–“जी हां सर... वो दोनो जानवर बिलकुल ऐसे ही दिखते थे। अमित से कन्फर्म करने के बाद पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स के पास में जाकर कहा–“सर ये उसी जानवर का काम है। पर सर एक नही दो जानवर हैं।” पवन कुमार की ये बात सुनकर जोसेफ गोम्स हैरानी मे पड़ गए। 

“हमने तो सोचा था इस जंगल मे ऐसा एक ही जानवर है, जो तबाही मचा रहा है पर यहां तो दो जानवर हैं। पता नही यहां पर चल क्या रहा है! हम कैसे पकड़ेंगे इन जानवरों को?” जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार की तरफ देख कर कहा। 

“सर हमे कमिशनर साहब से बात करनी पड़ेगी।” पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स से कहा। इसके बाद जोसेफ गोम्स ने कमिशनर साहब को फोन करके सारी बात बता दी।

जोसेफ गोम्स की बात सुनने के बाद जयराज सिन्हा ने उन्हे अगली सुबह अपने ऑफिस पर मिलने आने के लिए कहा। “सर क्या कहा कमिशनर साहब ने?” पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स से पूछा।

 “सुबह कमिशनर साहब ने मिलने के लिए बुलाया है। वहीं पर बात होगी की आगे क्या करना है।” जोसेफ गोम्स ने कहा। इसके बाद पवन कुमार ने अमित और उसके दोस्तो को घर भिजवा दिया और सुप्रिया को एंबुलेंस में हॉस्पिटल भिजवा दिया। उन्होने सुप्रिया के पापा को फोन करके हॉस्पिटल आने को कह दिया।

सुबह सुबह एक लकड़हारा जंगल में लकड़ी काट रहा था की तभी उसने देखा एक लड़का कटे फटे कपड़ों में एक पेड़ के पास सो रहा है। लकड़हारा उसके पास गया और उसने उस लड़के को जगाया। ये लड़का और कोई नही बल्कि विक्रांत था। “बेटा तुम कौन हो? और ऐसी हालत में यहां क्या कर रहे हो?” उस लकड़हारे ने विक्रांत से पूछा। विक्रांत ने उस लकड़हारे की बातों का कोई जवाब नही दिया और उठकर वहां से चला गया।

कुछ देर बाद विक्रांत अपने घर पहुंच जाता है। घर पहुंचकर उसने अपने पिताजी को फोन लगाया और उसके साथ जो भी हुआ उसने सब अपने पिताजी को बता दिया। उधर फोन पर दूसरी तरफ उसके पिताजी विक्रांत की बाते सुनकर हसने लगे। “पापा... मैं आपको इतनी सीरियस बात बता रहा हूं और आप हंस रहें हैं?” विक्रांत ने हैरान होते हुए पूछा। 

“आखिर तुम्हे पता चल ही गया की तुम असल मे कौन हो और क्या कर सकते हो। तुम्हे अपने भाई से मिलकर कैसा लगा?” विक्रांत के पापा प्रीतविराज ने उससे पूछा। 

“क्या...? वो मेरा भाई है! पर आज से पहले तो आपने उसके बारे में मुझे कभी नही बताया?” विक्रांत ने अपने पापा से पूछा।

विक्रांत अब बहुत उलझन मे था। उसे समझ नही आ रहा था की आखिर वो है क्या? अब जब उसे पता चल गया था की वो कोई आम इंसान नही बल्कि एक मानव भेड़िया है तो उसे अपने आप से घिन्न आ रही थी। वो अब अपने पापा से अपने और अपने परिवार के बारे मे और भी जानना चाहता था।

 “हां बेटा वो तुम्हारा भाई है। तुम दोनो जुड़वा भाई हो। वो बचपन से अपने चाचा के वहां रहा है इसलिए तुम उससे आजतक नहीं मिले। वो आठ साल की उम्र में ही भेड़िये में बदलना सिख गया था। हमारे परिवार का नियम है, हर बच्चे को खुद ही भेड़िये में बदलना पड़ता है। जब तक वो खुद भेड़िया बनना सिख नही जाते तब तब उन्हे अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है। कल पूरे चांद की रात थी। जब तुम्हारा गुस्सा बेकाबू हो गया तो तुम्हारे अंदर की शक्ति जाग गई और तुम भेड़िये मे बदल गए।” विक्रांत के पापा ने उसे सब कुछ समझाते हुए कहा। 

“फिर वो जो जंगल में लोगों पर हमले हो रहे थे वो कौन कर रहा था?” विक्रांत ने अपने पापा से पूछा। 

“वो तुम्हारे भाई कबीर का काम है। वो वहां तुम पर नजर रखने गया था। तुम क्या करते हो, कहां जाते हो इस बात की उसे पूरी खबर थी। वो तुमसे मिलना चाहता था। हमने उसे कहा था जब तक तुम्हारा रूप ना बदल जाए तब तक वो तुमसे ना मिले पर वो नहीं माना। इसलिए वो तुम्हारे आस पास ही रहकर सही समय आने का इंतजार कर रहा था।” विक्रांत के पापा ने उसे सारी बात बताई।

अपने पापा की बात सुनने के बाद विक्रांत को अपने आप पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। वो सोचने लगा की अगर वो यहां पर नही होता तो शायद उसके दोस्तों के साथ ऐसा हादसा कभी नही होता। उसने अपने पापा से गुस्से से कहा, “पापा आपको मुझे ये बात पहले ही बता देना थी। अगर मुझे ये बात पहले पता होती तो शायद मेरे दोस्तों के साथ ये हादसा नही हुआ होता। मुझे तो ये भी नही पता की वो लोग जिंदा भी हैं या नही?” 

“कबीर को मैने माना किया था की किसी इंसान को ना मारे। पर तुम्हारे दोस्तों ने उसे देख लिया था। इसलिए उसे उन्हे मारना पड़ा। तुम्हारी दो दोस्तों मे से अभी भी एक जिंदा है। और जबकि उसे पूर्णिमा की रात को काटा गया है तो जल्द ही वो भी भेड़िया बन जायेगी।” विक्रांत के पापा ने विक्रांत से कहा।

अपने पापा की ये बात सुनकर विक्रांत को तो इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था। “पापा...! ये आप क्या बोल रहें हैं?” विक्रांत ने हैरान होते हुए अपने पापा से पूछा। 

“मैं जो बोल रहा हूं वो ध्यान से सुनो। अगर तुम चाहते हो की उस जगह खून की नदी ना बहे तो उस लड़की को कहीं ऐसी जगह ले जाओ जहां कोई ना रहता हो। क्योंकि जब वो भेड़िया बन जायेगी तब उसे खून की प्यास लगेगी और अगर उस समय कोई इंसान उसके सामने आ गया तो वो अपने आप पर काबू नहीं कर पाएगी और उस इंसान को मारकर उसका खून पी जायेगी।” विक्रांत के पिता ने उसे आगाह करते हुए कहा।

Story to be continued......